रविवार, 23 मार्च 2014

गब्बर की चुनावी तिकडम

Very funny article, but at the end you will find some satire on our political system.

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha


  

‘चुनाव कब है चुनाव?’ पान खराब का पूरा पाउच मंुह में उड़ेलते हुए अपने लाॅन में बैठे गब्बर ने पूछा।
‘सरदार ये क्या बका जा रहा है।’ बंगले की उपरी मंजिल पर बैठा साम्भा बड़बड़ाया। उसे लगा कि उसने ही कुछ गलत-सलत सुन लिया होगा तो बोला, ‘सरदार, होली अगले महीने हैं।’
‘अरे, मैं पूछ रहा हूं, चुनाव कब है?’
‘यह तो इलेक्षन कमीषन बताएगा। पर माजरा क्या है सरदार?’
‘ठाकुर का संदेषा आया है। वे चुनाव में खड़े हो रहे हैं और हमसे लाॅजिस्टिक सपोर्ट मांग रहे हैं।’
‘सरदार, भूलना नहीं। आपको मारने के लिए ही उन्होंने कभी दो लफंगों को सुपारी दी थी। देखना उन्हें तो लेकर नहीं आ रहे।’ सांभा ने चेताया।
‘नहीं रहे, उनमें से एक तो बिल्डर का काम करता है। दूसरा घोडों पर दांव लगाकर इज्जतदार आदमी बन गया है। दोनों मजे में हैं। सुना है वे भी ठाकुर को चुनाव में सपोर्ट कर रहे हैं।’
‘वो तो करेंगे ही। वे ठाकुर के ही आदमी हैं। ठाकुर ने भी उनके लिए क्या-क्या नहीं किया।’
इतने में कालिया की एंटी।
‘खाली हाथ? ठेका नहीं मिला क्या?’
‘नहीं सरदार।’
‘तुमको पहले ही कहा था कि अफसरों को सेट कर लो। ठाकुर क्या तुम्हें सेट कर गया?’
‘नहीं सरदार, मैंने तो आपकी दारू पी है, चिकन खाया है...’ कहते ही कालिया को घबराहट होने लगी।
‘ले गोली खा, जब देखो तब हाई बीपी...। अब तफसील से बता क्या हुआ?
‘सरदार, वो ठाकुर के आदमियों ने हमारा खेल बिगाड दिया।’
‘अच्छा... तो ठाकुर का डबल गेम। उपर से चिकने जूते और नीचे तलवों में कीलें। वह पक्का नेता है तो हम भी कम नहीं। गब्बर फुसफुसाया। फिर जोर से बोला, ‘संदेषा करवा दो कि कोई सपोर्ट-वपोर्ट नहीं। हम भी चुनाव में खड़े होंगे।’
‘लेकिन सरदार आपको टिकट कौन देगा? सूरत देखी है क्या आपने?’ साम्भा बोला। सालों से मुंहलगा है। मुंहफट भी हो गया है। कुछ भी बोल देता है आजकल।
‘तो हम बदल लेंगे सूरत। वो क्या बोलते इमेज सुधारने वाले लोग होते हैं ना, उन्हें बोलो।’
‘इमेज कन्सलटेंसी।’ कालिया बोला।
’हां हां वही-वही।’ गब्बर खुष होकर बोला। ‘कालिया, जबसे तुमने दुनियादारी संभाली है, काफी होषियार हो गए हो।’
‘सरदार वो तो यूं ही।’ कालिया षरमा गया।
तो अब गब्बर की दाढ़ी ट्रिम हो गई है। चेहरे पर इम्पोर्टेड फ्रेम का चष्मा नजर आ रहा है। पान मसाले पाउच के स्थान पर चांदी का पानदान खरीद लिया गया है। उसे संभालने की जिम्मेदारी सांभा को दी गई है। आखिर कुछ तो करें। उपर बैठा-बैठा मक्खियां मारता रहता है। गब्बर के हाथ में आई फोन नजर आने लगा है। कालिया ने एंड्रायड आॅपरेट करना सिखा दिया है। जैसा कि बताया, कालिया तो पहले ही होषियार हो चुका है।
इस बीच, देष की दो पार्टियों ने गब्बर का नाम षार्टलिस्ट कर लिया है। ठाकुर पहले से ही षार्टलिस्टेड हैं। गब्बर ने वाट्स एप्स से मेसेज पहुंचाया है, ‘ठाकुर, यह सीट मुझे दे दें।’ लेकिन ठाकुर ने मना कर दिया है। गब्बर को कोई चिंता नहीं। वह अट्टहास लगा रहा है, ‘अब आएगा मजा चुनाव के इस खेल का।’
उधर, रामगढ की जनता कांप रही है, हमेषा की तरह।
 ग्राफिक: गौतम चक्रवर्ती

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