रविवार, 23 मार्च 2014

यमराज के भैंसे के गुम होने और मिलने की कथा

Recently some Buffaloes of an UP Minister was missing and the administration was to force on the toes. 
जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

 

यमराज बड़े परेशान हैं। धरती की विजिट पर गए थे, लेकिन वहां कोई उनका भैंसा चुरा ले गया। अब भन्ना रहे हैं। उनके करीबी सलाहकार पहले भी कई बार समझा चुके थे, ‘महाराज अब मत घुमा करो। उमर हो गई है। काम के लिए यमदूत हैं तो सही।’ लेकिन धरतीवालों की संगत में उन्हें भी टीए-डीए का ऐसा चस्का लगा कि आए दिन वे विजिट निकाल ही लेते।
खैर, यमलोक में अफरा-तफरी का आलम है। सारे यमदूत भैंस की खोज में लगे हुए हैं। पिछले तीन दिन से यमदूतों ने कोई काम नहीं किया है। हर कोई भैंसा ढूंढऩे में लगा है। यह अलग बात है कि इसकी आड़ में कई यमदूत अपने नेटिव चले गए हैं तो कई घरों में आराम फरमा रहे हैं। लेकिन इस फेर में धरती पर बैलेंस कुछ ज्यादा ही बिगड़ता जा रहा है। इससे प्रभु के चेहरे पर शिकन पडऩी लाजिमी है। इंटरनल कम्युनिकेशन के जरिए यमराज को भी मैसेज हो गया है जिसका लब्बोलुबाब यही है कि यह ठीक नहीं है, जान लो। इस मैसेज से यमराज और भी तन्ना गए हैं। यमराज ने भी अपने सचिवालय से उसी लैंग्वेज में कह दिया है कि किसी भी स्थिति में दो दिन में उनका भैंसा वापस आ जाना चाहिए।
यमलोक में समस्या वाकई विकट है, जिसे सुलझाने का जिम्मा अंततः अक्सर धरती पर जाने वाले एक सीनियर यमदूत को दिया गया है। बड़े ही सुलझे हुए किस्म के ये यमदूत जानते हैं कि उन्हें अब क्या करना है। वे सीधे चित्रगुप्त के पास पहुंचे। ‘सरजी, भारत से किसी पुलिसवाले का कोई मामला है क्या?’
‘हां, पांच दिन पहले एक पुलिसवाले की फाइल आई हैै। बस उसके हिसाब की फार्मेलिटी करनी है। वैसे भी हिसाब क्या करना, मालूम ही है कि उसे भेजना है।’ चित्रगुप्त बोले।
ठसके बाद वह सीनियरयमदूत उस पुलिस वाले से मिला और उसे समस्या बताई। ‘इसमें क्या बड़ी बात है! भयंकर कान्फिडेंस के साथ पुलिसवाला बोला। ‘धरती पर भी एक मंत्री की कुछ भैंसें इसी तरह गुम गई थीं। हमारे लोगों ने ढूंढ निकाली। यह भैंसा भी मिल जाएगा, पर एक शर्त है। मेरे नरक में जाने के चांस बन रहे हैं, उसे स्वर्ग में बदलवाना होगा।’
‘हर जगह इधर से उधर करने की आदत गई नहीं!’ सीनियर यमदूत मन ही मन बडबडाया। पर करता क्या न मरता। उसे हामी भरनी पड़ी।
तो शुरू हुआ भैंसा सर्चिंग मिशन। वे एक यमदूत के साथ धरती पर उतरे और पहुंच गए एक दूधवाले के तबेले पर। ‘चुन लो कोई भी भैंसा’ वह पुलिसवाला बोला।
‘पर हमारे साहब का तो इनमें से कोई नहीं है।’ यमदूत बोला।
‘तो हम बना देगे ना, हम किसलिए हैं भाई?’
तो अंततः थोड़ी ना-नुकूर के बाद वह यमदूत भैंसा लेकर यमलोक पहुंचा। यमराज के महल में जाने से पहले वह पांच लीटर दूध पहले ही अपने घर पहुंचा आया था। तो अब यमदूत भी ज्ञानी हो गया है।
और अब क्लाइमेक्स... भैंसे को देखते ही यमराज गले लग गए। खुद भैंसा भी हक्का-बक्का है कि यह सिंग वाला भैया कौन है जो गले आ पड़ा है! यमराज भी जानते हैं कि यह उनका भैंसा नहीं है। लेकिन उपर से पड़ रहे दबाव को देखते हुए उन्होंने उसे अपना ही मान लिया। यमलोक में व्यवस्था ट्रैक पर आ रही है। प्रभु खुश हैं!
ग्राफिक: गौतम चक्रवर्ती

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