गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

पांच हजार की घूस और राज्य की नाक

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

सीबीआई उस मामले की जांच कर रही है कि एक बड़ा अफसर पांच हजार रुपए की रिष्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है। अब मामला इतना बड़ा है तो चर्चा तो होनी ही है। जितने मुंह, उतनी बातें।
- वाकई बड़ी षर्म की बात है, पूरी बिरादरी की नाक कट गई। अच्छा हुआ सरकार ने सीबीआई जांच सौंप दी। ऐसे अफसर तो काम करने के लायक नहीं हैं। सीधे बर्खास्त करना चाहिए।
- लेकिन क्या इतना बड़ा इष्यू था कि सरकार को सीबीआई जांच करवाने की जरूरत पड़ गई?
- आप समझे नहीं, सरकार की भी इज्जत का सवाल है। पूरे राज्य के विकास के दावों की पोल खुल गई। इतना बड़ा अफसर और केवल पांच हजार लेते हुए पकड़ा गया। कोई बाबू-वाबू होता तो भी समझ में आता। टुच्चईपना की भी हद है भई। यह राज्य का अपमान है। दूसरे लोग क्या सोचेंगे भला! विकास के इतने बड़े-बड़े दावे और जमीनी हकीकत कुछ और! इसी कारण केजरीवाल जैसे लोगों को बढ़ावा मिलता है।
- हां, बात तो सही है। समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ऐसी भी क्या मजबूरी थी!
- अब इतनी भी फाका-कषी नहीं थी कि बस पांच हजार के लिए ही बिछ जाओ।
- मेरे ख्याल से पहली कोषिष की होगी। कोई बात नहीं, सबके साथ होता है। अब सर्विस में आए समय ही कितना हुआ है!
- तो क्या जरूरी था? हमसे पूछ लेते। एक तो आता नहीं और एटीट्यूड आसमान पर। अनाड़ीपन की भी हद है। हमने भी ली है। बाएं हाथ से लेते और दाएं हाथ को भी पता नहीं चलता।
- वैसे बाएं हाथ से लेना ठीक नहीं है। हाथ बदल लीजिएगा। षगुन अच्छा नहीं होता। हम लेफटहैंडर हैं, लेकिन हमेषा दाएं से ही लेते हैं।
- हमारा ऐसे अंधविष्वासों में कोई भरोसा नहीं है। प्रगतिषील विचारधारा के हैं हम। वैसे हाथ से लेने का सिस्टम आप भी बदल डालिए। किसी दिन लपेटे में आ जाएंगे, बताए देते हैं। हमने तो बदल लिया है।
- अरे नहीं, हम नौसिखिया है क्या! अब आपको ही हमने सिखाया और आप हमें ही...
- वो ठीक है, पर ऐसे मामलों में ओवर कान्फिडेंस अच्छा नहीं है। जरा ही लापरवाही में पूरे राज्य की नाक कटते देर नहीं लगती।
 कार्टून: गौतम चक्रवर्ती

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