शुक्रवार, 13 जून 2014

एक यूपीएससी रैंकर का बेलाग इंटरव्यू


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha


संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के रिजल्ट की घोषणा के तत्काल बाद हमने कुछ टाॅपर्स से बात की। इनमें से उच्च रैंक पाने वाले एक परीक्षार्थी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दिया बेलाग इंटरव्यू। पेश हैं उसके मुख्य अंश:
सवाल: इस परीक्षा में बेहतरीन रैंक हासिल कर कैसा लग रहा है?
जवाब: बहुत अच्छा लग रहा है। मैं अपने सपने को पूरा करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ गया हूं।
सवाल: कैसा सपना?
जवाब: जी, मेरा सपना है कि जैसे मेरे पूर्वजों ने इस देश को लूटा है, मैं भी उसमें अपना योगदान दे सकूं। भ्रष्टाचार करने में मैं नया कीर्तिमान बनाना चाहता हूं।
सवाल: अपने सपने को पूरा करने के लिए क्या कोई फ्रेमवर्क है?
जवाब: जी, अभी तो शुरुआत है। ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग का इंतजार करूंगा, फिर कोई प्लान बनाउंगा। हां, लेकिन चूंकि मेरे अपने परिवार में कई लोग सरकारी पदों पर रहे हैं। इसलिए उनकी ट्रेनिंग काफी मायने रहेगी और मुझे उम्मीद है कि अपने बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद से मैं अपनी आने वाली सात पुश्तों के लिए काफी कुछ जोड़ सकूंगा।
सवाल: आपके इरादे तो काफी नेक हैं। लेकिन हम यहां डरते-डरते एक सवाल करना चाहेंगे। क्या आपको इस बात का डर नहीं लगता है कि अगर आप भ्रष्टाचार करते हुए पकड़े गए तो आपका क्या होगा?
जवाब (हंसते हुए): आप भी कैसी बच्चों जैसी बात करते हैं। इस देश में नेताओं के बाद अधिकांश भ्रष्टाचार बड़े अफसर करते हैं। वे पकड़े तो जाते हैं, लेकिन कुछेक मामलों को छोड़ दे तो उनमें से कितने जेल गए! मैं आज ही अखबार में पढ़ रहा था कि मप्र में भ्रष्टाचार के आरोपी जोशी दंपती जल्दी ही रिटायर हो जाएंगे। फिर क्या होगा? कुछ नहीं ना!
सवाल: जब देश के क्रीम लोग ही भ्रष्टाचार करेंगे तो आम आदमी का क्या होगा?
जवाब: इस सवाल के जवाब में मेरा आपसे ही एक सवाल है। अगर क्रीम लोग भ्रष्टाचार नहीं करेंगे तो कौन करेगा? क्या आम और सामान्य बुद्धि वाले व्यक्ति में इतना कौशल व दम है? फिर देश का क्या होगा?
सवाल: आप जैसे कई चयनित उम्मीदवार पहले ही प्राइवेट सेक्टर में अच्छी नौकरी कर रहे हैं। खूब कमा रहे हैं और ईमानदारी से कमा रहे हैं। तो फिर आईएएस अधिकारी ही क्यों बनना चाहते हैं?
जवाब: अगर आप मेरा नाम छापते तो मैं कहता कि मैं देशसेवा और आम लोगों की सेवा के लिए आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं। देश में बहुत गरीबी हैं, गरीबों का कल्याण इसी सेवा के माध्यम से हो सकता हूं। चूंकि आपने नाम न छापने की गारंटी दी है। इसलिए अपने दिल की बात करता हूं। यह ऐसी सर्विस है, जिसमें रहकर आपको वही सुखद एहसास होता है जैसा कभी दशकों पहले ब्रिटेन के गोरे शासकों को होता होगा। इसमें हमें खुद को राजा होने और आम लोगों के प्रजा होने का एहसास होता है। यह सबसे बड़ा एहसास है। आप जैसे लोग इसे महसूस भी नहीं कर सकते।
सवाल: तो क्या मान लें कि देश में अब कोई भी ईमानदार अफसर नहीं है? देश ईमानदार अफसरों के कलंक से मुक्त हो गया है?
जवाब: यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि अभी भी मुठ्ठीभर ऐसे नालायक ईमानदार अफसर हैं, जो केवल देश की सोचते हैं। मुझे आशंका है कि मेरे साथ की बैच में भी कुछ ऐसे अफसर जरूर होंगे। हमें इनसे जल्दी ही मुक्त होना होगा।

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