मंगलवार, 15 जुलाई 2014

स्पीच कोचिंग सेंटर को भारी पड़ा राहुल को पांच साल में भाषण सिखाने का प्रस्ताव

नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार सुबह राजधानी दिल्ली में भाषण सिखाने वाले एक बड़े कोचिंग संस्थान के सामने विरोध प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। वे कोचिंग संस्थान के उस प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि संस्थान राहुल गांधी को पांच साल के भीतर भाषण देना सिखा देगा और इसके लिए कोई फीस भी नहीं ली जाएगी।

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स्मार्टफोन के साथ शादी करने का चलन बढ़ा, मुंबई में खुला स्मार्टफोन मैट्रीमोनियल सेंटर


मुंबई। देश में स्मार्टफोन के संग युवाओं के लिव-इन रिलेशनशिप के बढ़ते मामलों के बीच मुंबई में स्मार्टफोन मैट्रीमोनियल सेंटर शुरू किया गया है। यह दुनिया का ऐसा पहला सेंटर है जो स्मार्टफोन के साथ युवाओं के वैवाहिक रिश्ते जोड़ने में मदद करेगा।

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शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

साॅफ्ट ड्रिंक महंगा, किसानों के लिए संकट बढ़ा

नई दिल्ली। केंद्रीय बजट में सॉफ्ट ड्रिंक पर टैक्स बढ़ाने के फैसले को अनेक किसान संगठनों ने किसान विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इससे खेती की लागत बढ़ जाएगी और पहले से ही कर्ज के जाल में फंसे किसान और भी संकट में आ जाएंगे।
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संसद में सोना राहुल गांधी का ही गेम प्लान!

नई दिल्ली। संसद में राहुल गांधी के सोने को लेकर भले ही देशभर में उन पर कटाक्ष किए जा रहे हों, लेकिन यह आइडिया खुद राहुल गांधी का था। इसके जरिए उन्होंने वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में देश की बागडोर संभालने के अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। .......

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शनिवार, 5 जुलाई 2014

हर व्यक्ति को मिलेगा पानी, देश भर में बिछाई जाएंगी लीकेज वाली पाइप लाइनें

कांग्रेस ने बताया जनविरोधी कदम, कहा- मिनरल वॉटर वालों का धंधा हो जाएगा चौपट

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

Water leakage Mission.

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हर तबके तक जल पहुंचाने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना के तहत देशभर में बिछी पानी की पाइप लाइनों को लीक करने का फैसला किया है। जहां पाइप लाइनें नहीं हैं, वहां नई पाइप लाइनें बिछाकर उनमें लीकेज की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी। यह अहम फैसला शनिवार सुबह कैबिनेट की विशेष बैठक में लिया गया। उधर, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे जनहित विरोधी कदम बताते हुए कहा है कि इससे मिनरल वाॅटर बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों का धंधा चौपट हो जाएगा।
केंद्रीय मंत्री जयशंकर प्रसाद ने पत्रकारों को बताया कि जलधर समिति की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने लीकेज सिस्टम को पूरे देशभर में लागू करने का निर्णय लिया है। इस समिति ने अपनी बारह हजार पेज की रिपोर्ट में कहा है कि देश की आधी आबादी फूटे हुए पाइपों से रिसते पानी से ही अपनी दैनिक आवश्यकता की पूर्ति करती है। रिपोर्ट में 11,998 पेजों पर फूटी पाइप लाइनों की जीवंत तस्वीरें हैं, जिनमें लोगों को पाइपों से लीक हो रहे पानी को बाल्टियाें, मटकों और बोटलों में भरते हुए दिखाया गया है। ये तस्वीरें जम्मू से लेकर कन्याकुमारी और बड़ौदा से लेकर कोलकाता तक के शहरों की है। रिपोर्ट में इस बात पर संतोष व्यक्त किया गया है कि देश के अधिकांश हिस्सों में पाइप लाइनों में लगातार रिसाव होता रहता है, जिससे नागरिकों को पानी की कभी किल्लत महसूस नहीं होती।
प्रसाद ने बताया कि उनकी सरकार ने वर्ष 2018 तक सभी को पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए केंद्र सरकार वॉटर लीकेज मिशन लाने जा रही है। इसके तहत हर राज्य में कम से कम पांच हजार किमी लंबी पाइप लाइनों को टूटा-फूटा बनाया जाएगा, ताकि एक बड़ी आबादी तक पानी की पहुंच हो सके। उन्होंने कहा कि चूंकि पानी राज्यों का विषय है। ऐसे में राज्य सरकारों से भी इस संबंध में आग्रह किया जाएगा कि वे अपने-अपने राज्यों में जितना संभव हो सके, पाइप लाइनाें से हो रहे रिसाव को रोकने की कोशिश न करें। व्यापक चर्चा के लिए राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों की एक बैठक भी जल्दी ही बुलाई जा रही है।
कांग्रेस ने बताया जनविरोधी, केजरीवाल ने भी जुबान खोली : सरकार के इस फैसले का विरोध भी शु्रू हो गया है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे जनविरोधी बताते हुए कहा कि इससे उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काफी नुकसान होगा, जो मिनरल वॉटर के धंधे में लगी हुई है। जब लोगों को आसानी से पानी उपलब्ध हो सकेगा, तो इन कंपनियाें का पानी कौन खरीदेगा? इधर, काफी दिनों से चुप बैठे अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ऐसा केवल अंबानी को लाभ पहुंचाने के मकसद से किया जा रहा है, ताकि अच्छे पाइपों से गैस की आपूर्ति घरों तक की जा सके।

यूनेस्काे की विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ व्यापमं

Now Vyapam is World Heritage Site.

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

भोपाल। करोड़ों रुपए के घोटालों से चर्चा में आए मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के भोपाल स्थित मुख्यालय को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कर लिया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार के एक प्रस्ताव को यूनेस्को ने मंजूरी दे दी है। सरकार को उम्मीद है कि इससे मप्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सांची, खजुराहो और भीमबैठका के बाद यह प्रदेश का चौथा स्थल है जो विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भर्ती घाेटालों में आरोपी राज्य के एक पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी के तत्काल बाद ही एक दूरदर्शी अफसर ने सरकार को व्यापमं मुख्यालय का इस्तेमाल प्रदेश व यहां की जनता के हित में करने का सुझाव दिया था। इस सुझाव के बाद ही मप्र पर्यटन विकास निगम के अफसरों ने विश्व विरासत स्थल का दर्जा देने वाली सर्वोच्च संस्था यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के समक्ष इसका प्रजेंटेशन दिया। सूत्रों के अनुसार यूनेस्को ने राज्य सरकार के इस आवेदन से पहले ही स्वत: संज्ञान लेते हुए व्यापमं को विश्व विरासत स्थल का दर्जा देने का मन बना लिया था। इसलिए मप्र सरकार का आवेदन आते ही यूनेस्को की कमेटी ने इस पर मोहर लगा दी।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री ने यूनेस्को के इस निर्णय का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि इससे मप्र विश्व पर्यटन के नक्शे पर तेजी से उभर सकेगा। उन्होंने कहा कि उनकी योजना व्यापमं के साथ ही कई अन्य विभागाें के मुख्यालयों को जोड़कर एक सर्किट डेवलप करने की है, ताकि पर्यटक एक साथ मप्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का लुत्फ उठा सकें।
अलौकिक है व्यापमं की बदसूरती : यूनेस्को
यूनेस्को की वेबसाइट पर इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए लिखा गया है – ‘पिछले कुछ सालों के दौरान ही व्यापमं ने जो कुख्याति अर्जित की है, वह अद्भुत है। इसकी बदसूरती अलौकिक है। यहां के एक-एक बाबू को जिस तरह से तराशकर भ्रष्टाचार में लिप्त किया गया है, वह यहां आने वाले पर्यटकों को असीम घृणा व विरक्ति से भर देता है। इसके गुंबद पर विद्यमान भ्रष्ट अफसरों की करतूतें इस बात का प्रतीक है कि इस स्थल को भ्रष्टाचार के एक पूजनीय स्थल के रूप में विकसित करने में कितना परिश्रम किया गया।’

गुरुवार, 3 जुलाई 2014

अंतरिक्ष में महंगाई और सैटेलाइट की नजर

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

दो दिन पहले इसरो ने पांच विदेशी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में क्या उतारे, सरकार में बैठे एक अफसर के दिमाग में एक इनाेवेटिव आइडिया घूमने लगा। उन्होंने महंगाई पर नजर रखने के लिए सरकार पर एक सैटेलाइट छोडऩे का आइडिया पटक मारा। हमें समझ में नहीं आया कि आखिर महंगाई का सैटेलाइट से क्या संबंध हो सकता है! ये अफसर हमारे मित्र हैं, इसलिए यही समझने हम उनके पास पहुंच गए।
'सालों पहले महंगाई बहुत हुआ तो तीसरे-चौथे माले तक पहुंचती थी। सरकार की जब इच्छा होती, वह हाथ पकड़कर नीचे उतार देती। लेकिन अब तो यह धरती की कक्षा तक पहुंच गई है। अंतरिक्ष में धूमकेतु की तरह घूम रही है और अब उसे पकड़कर नीचे लाना तो दूर, उस पर नजर तक रखना मुश्किल हुआ जा रहा है। सैटेलाइट ही यह काम कर सकता है।' उन्होंने हमें समझाया।
'लेकिन फायदा क्या होगा?' हमने पूछा।
'देखो, महंगाई अंतरिक्ष में जा रही है। यह तो किसी के रोकने से रुकने वाली नहीं। लेकिन सरकार कम से कम उस पर नजर तो रख सकती है। इसके लिए वह इसरो की मदद ले सकती है। सैटेलाइट की आंख से भला कौन बच सका है। सरकार अपने कुछ कारिंदों को बिठा देगी। वे हर समय स्क्रीन पर नजरें गढ़ाए रखेंगे। अब वह चांद पर चली जाए, तब भी सरकार की कड़ी नजर हर समय उस पर रहेगी।'
'लेकिन इसमें तो बहुत खर्च आ जाएगा?'
'देखो, इस समय हमारी प्राथमिकता महंगाई है, इसलिए कितना भी खर्चा आए, हमें इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए।'
'लेकिन कोई और रास्ता भी तो निकल सकता है, थोड़ा सस्ता! क्या दूरबीन से काम नहीं चल सकता?'
पहले तो हमारे ये अफसर मित्र इस मिडिलक्लास टाइप आइडिया पर मुस्कुराए। फिर बोले, 'चल तो सकता है, लेकिन एक दिक्कत हो सकती है', कुछ दार्शनिक अंदाज में उन्होंने कहा। समस्याओं के समय बड़े सरकारी अफसर दार्शनिक हो जाते हैं। यही उन्हें शोभा भी देता है। 'दिक्कत यह कि सरकार के पास आते ही दूरबीनें अपना स्वाभिमान ताक पर रख देती हैं। बस सरकार की ही जी-हुजूरी में लग जाती हैं। अब वे वह नहीं दिखाती जो दिख रहा है, बल्कि वह दिखाती है जो सरकार देखना चाहती है।' मित्र अफसर अपने अनुभव के आधार पर बोले। दूरबीन बनने का उनका सालों का अनुभव रहा है।
'ओह, यह तो गंभीर बात है। वैसे हमारे पास एक और आइडिया है।' उन्होंने जिज्ञासावश हमारी ओर देखा।
'सबसे अच्छा आइडिया तो यह है कि सरकार आंखें ही बंद कर लें। इससे न उसे सैटेलाइट छोडऩा पड़ेगा, न दूरबीनों की सेवाएं लेनी होगी।'
'वाह! क्या आइडिया है।' सुनकर ही वे गदगद हो गए। वैसे भी सरकार को और भी कई जरूरी काम हैं। महंगाई का क्या! वे इस आइडिए को सरकार के साथ शेअर करने अपने दफ्तर की ओर चल दिए।
कार्टून : गौतम चक्रवर्ती

शिवराज सिंह की सशर्त संन्यास की घोषणा से आफरीदी गदगद

पत्र लिखकर कहा- मैं इस कठिन घाेषणा में आपके साथ हूं

 

जयजीत अकलेचा / Jayjeet Aklecha

वेलडन शिवराज !
भोपाल।
पाकिस्तान के महान आलराउंडर और क्रिकेट से कई बार संन्यास ले चुके शाहिद आफरीदी ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस जज्बे को सलाम किया है, जिसमें उन्होंने सशर्त संन्यास लेने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री को भेजे गए एक पत्र में आफरीदी ने लिखा है, मैंने किक्रेट से कई बार संन्यास लिया है। यह बहुत ही कठिन निर्णय होता है। लेकिन मुझे यह बताते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि जितना कठिन निर्णय संन्यास लेने का होता है, उतना ही आसान संन्यास से वापसी का होता है। हालांकि आप हॉकी के ज्यादा प्रशंसक हैं, लेकिन फिर भी आपको ज्ञात होगा ही कि मैंने कितनी बार ऐसा कठिन निर्णय लिया और कितनी बार आसानी से अपने निर्णय को उलट दिया। आपने इस कठिन निर्णय को लेने की जो घोषणा की है, मैं उससे गदगद हूं और उम्मीद करता हूं कि अगर संन्यास की नौबत आई भी तो इंशा अल्ला, आप अपने इस संकल्प को तोड़ने में पीछे नहीं रहेंगे।
दिग्विजय सिंह का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा, “आपके ही राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री, शायद दिग्विजय सिंहजी ने भी मप्र की राजनीति से दस साल के लिए संन्यास की घोषणा की थी। इसके बाद भी वे सक्रिय राजनीति में बने रहे। आप उनसे भी प्रेरणा ले सकते हैं कि रिटायरमेंट का ऐलान करना कितना कठिन होता है, लेकिन बाद में ऊपरवाला सब ठीक कर देता है।”
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने यहां बुधवार को विधानसभा में कहा था कि अगर व्यापमं घाेटाले में वे दोषी पाए गए तो राजनीति और जीवन से संन्यास ले लेंगे।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ऐसा पत्र मिलने की पुष्टि तो की है, लेकिन यह कहकर उस पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया कि पत्र में लिखी गई हिंदी में वर्तनियों की ढेर सारी अक्षम्य गलतियां हैं। यह पत्र शायद किसी हिंदीभाषी से फोन पर बोलकर लिखवाया गया प्रतीत होता है।

मप्र में भर्ती परीक्षाओं के दलालों ने फीस बढ़ाई, जोखिम के मद्देनजर बीमा की भी मांग

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

भोपाल। मप्र में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की जांच में तेजी आने और इस मामले में हुई गिरफ्तारियों को देखते हुए दलालों ने अपनी दलाली फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मेडिकल की सीट में हुई है।
यह खुलासा हिंदी सटायर न्यूज सर्विस द्वारा किए गए एक स्टिंग अॉपरेशन में हुआ है। एसटीएफ की जांच के चलते इस समय सभी दलाल भूमिगत हो चुके हैं और वे अपने केवल कुछ खास लोगों के ही संपर्क में हैं। इस स्टिंग में एक बड़े दलाल नेटवर्क के सरगना ने स्वीकार किया कि मप्र में सरकार के अचानक सक्रिय होने का असर उनके बिजनेस पर पड़ना तय है। उसने कहा, 'अब इसमें पकड़े जाने का जोखिम भी बढ़ गया है। और अगर हमारा एक भी आदमी पकड़ा जाता है तो उसके लिए वकील की फीस, पुलिस के साथ सेटिंग इत्यादि पर खर्चा होना लाजिमी है। इसलिए हमें मजबूरी में अपनी फीस में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है।' सबसे ज्यादा बढ़ाेतरी मेडिकल सीट में की गई है। उसे अब 80 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है। सब-इंस्पेक्टर जैसे पदों के लिए पांच से सात लाख रुपए तक की वृद्धि प्रस्तावित है। एक दूसरे दलाल ने फीस में बढ़ोतरी के लिए सीधे-सीधे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उसका कहना था कि यह सरकार की गलत नीतियों का नतीजा है जिसके कारण हमें फीस बढ़ानी पड़ी है। इसका खामियाजा अब आम लोगों को भुगतना पड़ेगा।
रिस्क का बीमा करवाने की मांग : इस बीच, मप्र दलाल संघ ने अपने गुप्त ठिकाने से जारी एक विज्ञप्ति में सरकार से दलालों का बीमा करवाने की मांग की है। उसका कहना है कि दलाल इतनी मेहनत करके पेपर हासिल करते हैं। उन्हें पेपर सेटर्स को भारी पैसा चुकाना पड़ता है। फिर कई नेताओं, पुलिस अफसरों का भी हिस्सा बंधा रहता है। ऐसे में अगर कोई दलाल पकड़ में आ जाता है तो उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। इसलिए सरकार का दायित्व बनता है कि ऐसी विषम परिस्थितियों में उसकी क्षतिपूर्ति हो सके। संघ ने कहा कि अगर सरकार पहल करे तो दलाल भी बीमा प्रीमियम में अपनी ओर से एक हिस्सा मिलाने को तैयार हैं।
इस पर सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है, लेकिन एक मंत्री ने आश्वस्त किया है कि दलालों के वाजिब हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

बुधवार, 2 जुलाई 2014

शंकर पुणतांबेकर का व्यंग्य - आम आदमी

 शंकर पुणतांबेकर/ Shankar Puntambekar

 शंकर पुणतांबेकर/ Shankar Puntambekar

 नाव चली जा रही थी।

मंझदार में नाविक ने कहा, 'नाव में बोझ ज्यादा है, कोई एक आदमी कम हो जाए तो अच्छा, नहीं तो नाव डूब जाएगी।'

अब कम हो जाए तो कौन कम हो जाए? कई लोग तो तैरना नहीं जानते थे : जो जानते थे उनके लिए भी तैरकर पार जाना खेल नहीं था। नाव में सभी प्रकार के लोग थे - डॉक्टर, अफसर, वकील, व्यापारी, उद्योगपति, पुजारी, नेता के अलावा आम आदमी भी। डाक्टर, वकील, व्यापारी ये सभी चाहते थे कि आम आदमी पानी में कूद जाए। वह तैरकर पार जा सकता है, हम नहीं।

उन्होंने आम आदमी से कूद जाने को कहा, तो उसने मना कर दिया। बोला, 'मैं जब डूबने को हो जाता हूूं तो आप में से कौन मेरी मदद को दौड़ता है, जो मैं आपकी बात मानूं?'

जब आम आदमी काफी मनाने के बाद भी नहीं माना, तो ये लोग नेता के पास गए, जो इन सबसे अलग एक तरफ बैठा हुआ था। इन्होंने सब-कुछ नेता को सुनाने के बाद कहा, 'आम आदमी हमारी बात नहीं मानेगा तो हम उसे पकड़कर नदी में फेंक देंगे।'

नेता ने कहा, 'नहीं-नहीं ऐसा करना भूल होगी। आम आदमी के साथ अन्याय होगा। मैं देखता हूं उसे। मैं भाषण देता हूं। तुम लोग भी उसके साथ सुनो।'

नेता ने जोशीला भाषण आरंभ किया जिसमें राष्ट्र, देश, इतिहास, परंपरा की गाथा गाते हुए, देश के लिए बलि चढ़ जाने के आह्वान में हाथ ऊंचा कर कहा, 'हम मर मिटेंगे, लेकिन अपनी नैया नहीं डूबने देंगे... नहीं डूबने देंगे... नहीं डूबने देंगे...।

सुनकर आम आदमी इतना जोश में आया कि वह नदी में कूद पड़ा।

Short version of आम आदमी