शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

Satire : ठंड क्यों हो रही है कांग्रेस?



ठंड अब तक उस तरह से नहीं गिरी है, जैसी गिरनी चाहिए। तो क्या ठंड कांग्रेस हो रही है? आखिर दोनों की तुलना क्यों हो रही है? और इसमें भाजपा का क्या रोल है? देखिए यह व्यंग्य वीडियो News-Pachchi में.. 


यह वीडियो भी देखिए... पप्पू, मोटा भाई, बाबाजी और सरकार… कैसे सबकी उड़ी धज्जियां



Satire : पप्पू, मोटा भाई, बाबाजी और सरकार… कैसे सबकी उड़ी धज्जियां



इस वीडियो में बात-बात में राहुल गांधी, अमित शाह, बाबा रामदेव, सरकार की धज्जियां उड़ाई गई है। कुल मिलाकर आज की राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य है यह वीडियो…

In this video, we did satire on Rahul Gandhi, Amit Shah, Baba Ramdev and the government. Overall, this video is a satire on today’s political system …

यह वीडियो भी देखिए... ठंड क्यों हो रही है कांग्रेस?


सोमवार, 21 दिसंबर 2020

Satire 1 Minute Video : सर्दी के मौसम में देश के काम आएंगे ये बड़े-बड़े नेता...जानिए कैसे?




By A. Jayjeet

पुणे। देश में शीतलहर के बढ़ते प्रकाेप का सामना करने के लिए मौसम विभाग ने प्रभावित इलाकों में ओवेसी और गिरिराज सिंह की CDs बंटवाने का फैसला किया है।

मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया- “ये दोनों जहां भी मुंह फाड़ते हैं, उस पूरे क्षेत्र में माहौल गर्म हो जाता है। इसी के मद्देनजर हमने इनकी CDs खरीदने का फैसला किया है। हम इन CDs को शीतलहर से प्रभावित इलाकों में घर-घर बंटवा देंगे। हमारे आकलन के अनुसार ये CDs भी वही काम करेंगी, जो एक हीटर करता है।”

उन्होंने बताया कि जहां ठंड से ज्यादा ही नुकसान होने की खबर मिलेगी, वहां हम इनके वीडियो भाषण दिखाएंगे। इसके लिए विभाग ने थोक में DVDs भी खरीदने के आदेश दे दिए हैं।

ओवेसी और गिरिराज सिंह ने स्वागत किया :

मौसम विभाग की इस अनूठी पहल का ओवेसी और गिरिराज सिंह ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि इस सामाजिक-राष्ट्रीय कार्य में योगदान देकर वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इन दोनों ने मौसम विभाग से यह भी कहा है कि अगर ज्यादा ही गर्मी की आवश्यकता हो तो वे राष्ट्रहित में प्रत्यक्ष भाषण देने के लिए भी हरदम तैयार रहेंगे।

गर्मी से बचाव के लिए मनमोहन सिंह के पोस्टर छपवाए जाएंगे :

इस बीच, मौसम विभाग ने अगले साल भारी गर्मी की आशंका को देखते हुए इससे निपटने की तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। इसके तहत मनमोहन सिंह के लाखों पोस्टर छपवाए जा रहे हैं। गर्मी के दिनों में लू-लपट वाले इलाकों में ये पोस्टर चिपकवाकर थोड़ी ठंडक पहुंचाई जाएगी।

विभाग के एक अधिकारी के अनुसार पहले मनमोहन सिंहजी के बयानों की भी CDs खरीदने का विचार था, लेकिन इस आधार पर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया कि जब कुछ सुनाई ही नहीं देगा तो फिर सीडीज पर धनराशि बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है।

संबंधित वीडियो देखने के लिए क्लिक करें यहां

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ राजनीतिक कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं। )






सोमवार, 30 नवंबर 2020

Hindi Satire : नए साल में एक माह का समय बाकी, जानिए लोग क्यों खा रहे हैं बादाम?

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मेरा रिजाेल्यूशन : अगले साल से मैं रोज बादाम खाऊंगा,
ताकि अपना रिजाेल्यूशन याद रहे।

Humour Desk, दिल्ली/भोपाल। अब जबकि नए साल को आने में एक माह से भी कम का वक्त बचा है, लोगों ने पिछली बार लिए अपने-अपने रिजोल्यूशन्स की तलाश तेज कर दी है। कई लोग तो रोज मुट्‌ठी भर-भरके बादाम खा रहे हैं ताकि उन्हें यह याद आ सके कि साल 2020 की शुरुआत में उन्होंने क्या रिजोल्यूशन लिया था।

इस संबंध में हमारी टीम ने कुछ लागों से बात की। भोपाल के युवक राजेश सा रा रा रा ने इस बारे में पूछने पर बताया, “सर, था तो बहुत अच्छा, एकदम यूनिक-सा, पर अभी याद नहीं आ रहा। लेकिन इस बार मैं अपने फोन में सेव कर लूंगा ताकि अगले साल कोई पूछे तो बता तो सकूं।”

इसी तरह एक कॉलेज कन्या ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “मैंने वजन कम करने का रिजोल्यूशन लिया था। पर एक्चुअली हुआ क्या कि फ्रेंड लोग कहने लगे कि इत्ता अच्छा रिजोल्यूशन लिया है तो एक पार्टी तो बनती है। ऑब्वयसली, पार्टी तो बनती थी। तो फिर मैंने दो दिन बाद उसे OLX पर बेच दिया। जो पैसे मिले, उससे ही शानदार पिज्जा पार्टी थ्रो कर दी।’ फिर आनन-फानन में समोसा मुंह में भरते हुए उसने कहा, “इस बार मैं कुछ ऐसा डिफरंट टाइप का रिजोल्यूशन लूंगी कि लोग देखते रह जाएंगे, देखना, रियली!”

क्यों भूल जाते हैं रिजोल्यूशन?

इस बारे में साइकोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश शर्मा का कहना है कि नए साल पर 99 फीसदी लोग रिजोल्यूशन लेते ही लेते हैं। इसमें कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं करते। हां, लेकिन इनमें से केवल एक फीसदी ही लोग ऐसे होते हैं जो ईमानदारी के साथ कन्फेस करते हैं कि वे इस साल भी अपना रिजोल्यूशन पूरा नहीं कर पाए। ऐसे लोग फिर उसे अगले साल के लिए कैरी फारवर्ड कर देते हैं। बाकी के बचे 99 फीसदी को तो याद ही नहीं रहता कि उन्होंने रिजोल्यूशन क्या लिया था।

इसलिए डॉ. सुरेश ने लोगों को सलाह दी कि रिजोल्यूशन लेना ही काफी नहीं है। उसे डायरी में लिखकर रखना ज्यादा जरूरी है, ताकि हमें 364 दिन बाद फिर नए रिजोल्यूशन को ढूंढने की मगजमारी नहीं करनी पड़े। उन्होंने कहा, “मैं ऐसा ही करता हूं। अभी डायरी देखकर बता सकता हूं कि मैंने इस साल क्या रिजोल्यूशन लिया था।’

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और सिस्टम पर कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)

Hindi Satire : 500 रन नहीं बनने पर ICC ने जताई चिंता, गेंदबाजों की चालाकी खत्म करने मशीनों से होंगी बॉलिंग

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By Jayjeet

Humour Desk. मेलबर्न। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने अब तक किसी भी ODI की एक पारी में 500 रन नहीं बनने पर चिंता जताई है। इसने गेंदबाजों की चालाकी और धूर्तता को खत्म करने के लिए अब मशीनों से बॉलिंग करवाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय रविवार को सिडनी में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों के शर्मनाक प्रदर्शन की वजह से लिया गया है। इस मैच में दोनों टीमों के बल्लेबाज मिलकर 100 ओवर में महज 727 रन ही बना पाए।

ICC के एक सूत्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “इतने सारे नियमों में बदलाव करने और सपाट पिचें बनाने के बावजूद टीमें एक पारी में 500 रन भी नहीं बना पा रहीं। यहां तक कि सिडनी की सपाट पिचों पर भी बल्लेबाज फेल हो रहे हैं। यह बेहद अफसोसजनक हैं और बल्लेबाजों के निकम्मेपन को दर्शाता है।”

ICC के इस सूत्र ने कहा, “क्रिकेट में रोमांच बना रहे, इसके लिए गेंदबाजों की धूर्तता और चालाकी को खत्म करने का वक्त आ गया है। अब भी देखा गया है कि कई बार कोई-कोई गेंदबाज नैतिकता को ताक पर रखकर ऐसी बॉल फेंक देता है कि बेचारा बल्लेबाज मात खा जाता है। इस विसंगति को दूर करने के लिए अब हम तकनीक का सहारा लेने जा रहे हैं। इसके लिए अब आगे से हर वन डे मैच में गेंदबाजी केवल बॉलिंग मशीनों से होंगी। मशीनों में ऐसी सेटिंग की जाएगी कि न तो बॉल स्विंग हो और न ही स्पिन। सीधी-सपाट बॉल आएगी तो बल्लेबाजों को खेलने में आसानी होगी।”

यह पूछे जाने पर कि ऐसा करना क्या गेंदबाजों के साथ अन्याय नहीं होगा? उन्होंने प्रश्नकर्ता की नादानी पर हंसते हुए कहा, “जब किसी भी टीम में गेंदबाज ही नहीं होंगे ताे उनके साथ अन्याय कहां से होगा!”

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है।)

रविवार, 29 नवंबर 2020

Humour & Satire : वैक्सीन से नहीं, किसी और चीज से होगा कोरोना का इलाज !


 

Humour Desk. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की वैक्सीन के विकास की जानकारी हासिल करने के मकसद से तीन लैब्स का दौरा किया, लेकिन वहां वे यह जानकर दंग रह गए कि वैक्सीन तो नहीं बन रही, बल्कि बगैर वैक्सीन के ही कोरोना को ठिकाने लगाने की तैयारी की जा रही है...कैसे, जानने के लिए देखें यह फनी वीडियो। 

(Disclaimer : This video is work of fiction and fun. Viewers are advised not to confuse about the content in the video as being true.)



बुधवार, 25 नवंबर 2020

Satire & Humour : कोरोना को नाकारा करने की प्लानिंग, लैब में तैयार हो रही है सुशील-सुंदर कोरोनी

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By Jayjeet

Humour Desk . नई दिल्ली/पुणे। देवउठनी एकादशी का इंतजार खत्म होने के साथ ही कोरोना की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है। किसी शुभ मुहूर्त में कोराना को 'नाकारा' करने की प्लानिंग की जा रही है। इसके लिए निपुण, सुंदर व सुशील कोरोनी के विकास का काम लैब में जारी है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय में पदस्थ एक सूत्र ने बताया कि पिछले कई दिनों से हमें वैक्सीन से भी ज्यादा देवउठनी एकादशी का इंतजार था। उन्होंने यह खुलासा भी किया कि किसी भी लैब में कोई वैक्सीन वगैरह नहीं बन रही है। ये केवल कोरोना को भरमाने के लिए अफवाह भर हैं। बल्कि हर लैब अपने-अपने स्तर पर सुंदर व सुशील कोरोनी का विकास कर रही है। इसमें सबसे आगे भारत का सीरम इंस्टीट्यूम ऑफ इंडिया है।

तीसरे चरण की टेस्टिंग जारी : 

सीरम इंस्टीट्यूम ऑफ इंडिया के CEO अदार जूनावाला ने बताया कि उनके यहां जिस कोरोनी का विकास किया जा रहा है, उसके तीसरे चरण में रसोईघर की टेस्टिंग चल रही है। इस चरण में इस बात का परीक्षण किया जा रहा है कि कोरोनी कितनी खूबी से अपने होने वाले पति से बर्तन मंजवाने से लेकर सुबह की चाय-नाश्ता वगैरह तैयार करवा सकती है। अब तक के नतीजे उत्साहवर्धक रहे हैं। इससे पूर्व पहले चरण में कोरोनी का इस बात के लिए टेस्ट किया गया था कि वह कोरोना से फोन पर मिमियाने वाली आवाज में जी-जी निकलवा पाती है या नहीं। दूसरे चरण में इस बात की टेस्टिंग की गई थी कि साड़ी वगैरह की सेल की खबर से वह कोरोना का बीपी कितना बढ़ा पाती है। दोनों चरण में सफलता मिलने के बाद तीसरे चरण की टेस्टिंग जारी है। शुभ मुहूर्त खत्म होने से पहले ही हम भारतीय परिवेश के अनुकूल सुंदर व सुशील कोरोनी भारत सरकार को सौंप देंगे। उम्मीद है कि कोरोना की शादी के बाद उसकी बची-खुची ताकत भी खत्म हो जाएगी। इस तरह corona पूरी तरह से नाकारा हो जाएगा।

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रविवार, 22 नवंबर 2020

Satire : गायों के हित में मप्र की गो-कैबिनेट का बड़ा फैसला, पॉलिथीन पर से बैन हटेगा

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मजा आ गया! पॉलिथीन पर से बैन हटने के बाद...!

Humour Desk, भोपाल। मप्र में पॉलिथीन बैन होने के बाद गायों को हो रहीं दिक्कतों को देखते हुए राज्य सरकार ने गाय-हित में इसके उपयोग में छूट दे दी है। यह फैसला यहां रविवार को मप्र सरकार की पहली गो-कैबिनेट में लिया गया। गो कैबिनेट में इस बात पर चिंता जताई गई कि अगर पॉलिथीन पूरी तरह बैन हो गई तो गायें खाएंगी क्या? उन्हें भूखों मरने से बचाने के लिए यह संशोधन किया गया है।

मप्र की गोभक्त सरकार ने 24 मई 2017 को पॉलिथीन पर बैन (Polythene ban) लगाने के संबंध में गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। सरकार ने इसके लिए पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गायों को बचाने की दलील दी थी। नोटिफिकेशन जारी होते ही लोगों ने इसका मतलब यह निकाल लिया कि अब प्रदेश में न तो पॉलिथीन बनेगी और न ही बिकेगी। कई भोले दुकानदारों ने दुकानों पर नोटिस भी चिपका दिए थे कि – “सरकार ने पॉलिथीन पर बैन लगा दिया है। कृपया मांगकर शर्मिंदा न करें।” आम लोगों ने पतले कपड़े की बनी पॉलिथीन के लिए सहर्ष तीन से लेकर पांच रुपए तक खर्च करने भी शुरू कर दिए। कई लोग घर से ही थैले लेकर जाने लगे।

फिर मरने लगी गायें…

मप्र सरकार का यह फैसला भी नोटबंदी की तरह उलटा साबित हो गया। राज्य सरकार को मिली एक गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार पॉलिथीन बैन होते ही सड़कों पर से ये गायब होने लगी। चूंकि मप्र की सड़कों पर विचरने वाली गायें सालों से पॉलिथीन खाकर ही अपना पेट भर रही थीं। ऐसे में पॉलिथीन की आदी ये गायें भूखी मरने लगी। कई सड़कों पर गायों के मरने की खबरें भी आईं। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए गो कैबिनेट की पहली ही बैठक में सरकार ने पॉलिथीन बैन पर आंशिक छूट दे दी।

कौन कर सकेगा यूज, कौन नहीं?

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पॉलिथीन पर बैन से छूट किसे दी जाएगी, लेकिन गोधन सेवा से जुड़े वरिष्ठ अफसरों के अनुसार गायों के हित में कोई भी हिंदू नागरिक पॉलिथीन में सामान लाकर उसे कहीं भी फेंक सकेगा। मुस्लिम और ऐसे ही उन समाजों के लिए यह प्रतिबंध जारी रहेगा जो गोधन को मां नहीं मानते हैं।

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं। )

शनिवार, 21 नवंबर 2020

Satire : बीवियों ने NGT से कहा, फटकार लगाना बंद करें, पहले हमसे ट्रेनिंग तो ले लीजिए…

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(Disclaimer : इस खबर का मकसद केवल हल्का-फुल्का मजाक करना है, किसी जज या किसी बीवी पर कटाक्ष करना नहीं …)

Humour Desk, नई दिल्ली। पराली जलाने पर उप्र सरकार और अब खुले में कचरा जलाने पर दिल्ली सरकार व आरओ वॉटर सिस्टम पर पर्यावरण मंत्रालय को NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ताजा फटकारों से बीवियों का धैर्य चूक गया है। उन्होंने कहा है कि बात-बेबात में NGT को सरकारों को फटकार लगाना बंद कर देना चाहिए। यह केवल बीवियों का अधिकार है। बात-बात में ऐसी फटकार लगाने का कोई मतलब भी नहीं है जिसे कोई सुनता तक नहीं। इससे तो फटकार की तौहीन ही हो रही है।

अखिल भारतीय बीवी कमेटी की प्रवक्ता श्रीमती अलंकार मुंहपेमारेगी ने यहां गुरुवार सुबह एक प्रेस कांफ्रेंस में नाराजगी जताते हुए कहा, “NGT के जज तो सरकारों को आए दिन ऐसे फटकारते हैं जैसे वे उनके निजी पति हो। पूरी दुनियाभर में फटकारने का अधिकार केवल और केवल बीवियों को है, चाहे वह आम आदमी हो या अमेरिका का राष्ट्रपति ही क्यों न हो। यह बातें जजेस को न पता हो, आश्चर्य है, जबकि उनमें से कई जज स्वयं पति भी हैं।”

फटकार लगानी ही हो तो हमसे सीखें …

यह पूछे जाने पर कि अगर उनकी धमकी के बावजूद NGT के जज (और अन्य अदालतों के भी जज) फटकार लगाने पर अड़े रहते हैं तो वे क्या करेंगी? इस पर श्रीमती मुंहपेमारेगी ने अपने स्वर को नीचे करते हुए कहा, तब हम रोंकेंगी नहीं। हम जजों की अवमानना करना नहीं चाहतीं। लेकिन हमारा उनसे यही विनम्र आग्रह रहेगा कि अगर फटकार लगानी ही है तो जरा तमीज से लगाएं। अगर फटकार लगाए और कोई सुने भी नहीं, तो इससे तो फटकार का ही अपमान होगा। अगर नहीं आता तो हमसे ट्रेनिंग ले लें। ट्रेनिंग के बाद मजाल है कि कोई सरकार उनको सुनने से मना कर दें। एक ही फटकार में सरकारें उल्टे पैर आएंगी और मिमियाते हुए कहेंगी – जी जी, सॉरी, सॉरी, मैं कर रहा हूं ना…।

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शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

Satire & Humour : साइबेरियाई पक्षियों ने केजरीवाल को लिखी चिट्ठी, जानिए क्यों?

 

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By Jayjeet

Humour Desk. नई दिल्ली। ठंड के मौसम में रूस और कजाकिस्तान के इलाकों से भारत आने वाले साइबेरियाई पक्षियों ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर मफलर को लेकर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है। पिछले साल केजरीवाल ने अपना लोकप्रिय मफलर नहीं पहना था। इस वजह से पक्षी सर्दी को लेकर लंबे समय तक कंफ्यूज होते रहे और आधी ठंड निकल गई थी।

साइबेरियाई पक्षियों के आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा मुख्यमंत्री सचिवालय को लिखे पत्र की प्रति humourworld के भी हाथ लगी है। इस पत्र में लिखा गया है : “माननीय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी, हमारे साथी रूस और कजाकिस्तान से भारत देश की सीमा पर पहुंच गए हैं। वे भारत में ठंड की दस्तक का इंतजार कर रहे हैं। दो साल पहले तक आपका मफलर ही हमारे लिए संकेत होता था कि इंडिया में ठंड शुरू हो गई है। लेकिन पिछले साल आप कतिपय कारणों से मफलर नहीं पहन पाए। इस वजह से हमारी साथियों को ठंड का संकेत मिलने में काफी विलंब हो गया था जिससे वे कंफ्यूजिया गए थे और हमारा पूरा सिस्टम बिगड़ गया था।”

पत्र में आगे लिखा गया – मफलर पहनना या न पहचाना आपका लोकतांत्रिक अधिकार है। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे। लेकिन समय से पूर्व ही हमें यह बताना भी आपका दायित्व है कि आप मफलर पहनेंगे या नहीं, ताकि हम ठंड के संकेतों के लिए आपके मफलर पर डिपेंड नहीं रहे और कुछ अन्य तरीकों को एक्सप्लोर कर सके।’

इस बारे में विस्तार से जानकारी के लिए humourworld ने प्रवक्ता से फोन पर बातचीत की। प्रवक्ता ने हमें बताया कि वे रूस और कजाकिस्तान से ईरान और अफगानिस्तान को पार कर गए हैं। इस समय पाकिस्तान की स्वात घाटी के पास आराम फरमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली बार की तरह इस साल भी उनका टाइम खोटी न हो, इससे बचने के लिए उन्होंने समय रहते ही केजरीवालजी को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह कर दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि दो-चार दिन में उन्हें स्थिति क्लियर कर दी जाएगी।

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मंगलवार, 10 नवंबर 2020

Satire : कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से की ‘कांग्रेस आरक्षित सीटों’ की मांग

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निवार्चन आयोग के दफ्तर जाते राहुल गांधी।
By Jayjeet

नई दिल्ली। कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनावों में हुई हार से बड़ा सबक लेते हुए आने वाले तमाम चुनावों में अपने लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की है। इस संबंध में मंगलवार रात को ही पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मिलकर अपना मांग-पत्र सौंपा।

बिहार विधानसभा चुनावों में बमुश्किल डेढ़ दर्जन सीटें जीतने के बाद यहां मंगलवार की रात को कांग्रेस कोर कमेटी की एक आपातकालीन बैठक हुई। बैठक में कई वरिष्ठ नेताओं का मानना था कि अगर लोकसभा चुनाव सहित सभी राज्यों की विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस पार्टी के लिए कुछ सीटें आरक्षित कर दी जाएं तो इससे भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक विरासत को बचाना संभव हो सकेगा। अगर निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस की यह मांग मान ली तो जिस तरह एससी/एसटी सीटों पर केवल इन्हीं वर्गों के लोग चुनाव लड़ सकते हैं, उसी तरह कांग्रेस आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेसियों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति होगी।

पार्टी को उम्मीद है कि अगले साल बंगाल विधानसभा चुनावों से यह नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। सूत्र ने बताया कि अगर निर्वाचन आयोग इस संबंध में कोई फैसला नहीं लेता है तो कांग्रेस व्यापक जनांदोलन छेड़ देगी। 

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बुधवार, 4 नवंबर 2020

गब्बर का करवा चौथ!!!

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अगर शोले में गब्बर सिंह शादीशुदा होता तो?

होली कब है, कब है होली? का डायलॉग कुछ यूं होता...

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करवा चौथ कब है, कब है करवा चौथ....?

और पीछे से सुनाई देता ....
आवाज नीचे... दो-चार डाके मारके कोई तीर नहीं मार लिया...
और हां, मेरे लिए नेकलेस लूट के लाए ...?

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मंगलवार, 3 नवंबर 2020

अंतिम उपाय के तौर पर सरकार ने चला ‘प्याज के आधार’ पर आरक्षण का दांव

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नई दिल्ली। प्याज के लगातार बढ़ते दामों को रोकने के लिए सरकार ने अंतत: अंतिम उपाय के तौर पर ‘प्याज के आधार पर आरक्षण’ का दांव चल दिया है। उसने घोषणा की है कि प्याज न खाने वाले देश के तमाम वर्गों को नौकरियों में आरक्षण मुहैया करवाया जाएगा। इस घोषणा के बाद प्याज के दामों में गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सोमवार की रात को आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में यह योजना बनाई गई। इसमें तय किया गया कि जो भी परिवार यह हलफनामा देगा कि वह भविष्य में न तो अपने घर में प्याज खाएगा और न ही ढाबे या होटल में प्याज मांगकर ढाबे/होटल वालों को शर्मिंदा करेगा, वह ‘प्याज आधार’पर आरक्षण का पात्र समझा जाएगा। इस प्रावधान को लागू करने के लिए सरकार कल ही अध्यादेश ला सकती है।

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। )


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सोमवार, 14 सितंबर 2020

#Hindi_Diwas : कमजोर हिंदी दिलवाले इसे ना पढ़ें, सुसाइड जैसी फीलिंग आ सकती है…!!


By Jayjeet


हिंदी सटायर डेस्क।
आज हिंदी दिवस है। आइए आज केंद्र सरकार के कुछ विभागों की वेबसाइट पर लिखी हिंदी को पढ़ने की कोशिश करते हैं। यकीन मानिए, आप वैसे ही बाल नोंचने की कोशिश करेंगे, जैसा कि चित्र में बताया गया है। कृपया कमजोर हिंदी दिल वाले न पढ़ें।

(मंत्रालयों/विभागों की साइट्स से हमने हूबहू कॉपी उठाई है।ये केवल कुछ उदाहरण हैं। अधिक के लिए खुद ट्राय कीजिए…)

सबसे पहले देश के शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट से…(क्योंकि यहीं से हमें ज्ञान मिलता है)

मौजूदा क्षमताओं के आधार पर तथा बात को मान्यकता प्रदान करते हुए कि स्वंतंत्रता प्राप्ति के बाद शिक्षा संस्थापओं के वृहत नेटवर्क ने राष्ट्रे निर्माण में अत्यकधिक योगदान दिया है; राष्ट्रक उच्च्तर शिक्षा में उत्कृशष्टंता केन्द्रों के विस्ता्र एवं स्थामपना का दूसरा चरण प्रारंभ करने जा रहा है। यह अभिकल्प्ना की गई है कि इस वर्णक्रम के दोनों सिरों नामत: प्रारंभिक शिक्षा एवं उच्च‍तर/तकनीकी शिक्षा के सुदृढ़ीकरण से शिक्षा में विस्ता र, समावेशन एवं उत्कृरष्टसता के लक्ष्यों् को प्राप्तव किया जा सकता है।

(अरे बाप रे… बोल्ड करते-करते थक गए। बोल्ड ही समझ में आया, बाकी तो पल्ले ही नहीं पड़ा। )

पासपोर्ट कार्यालय की वेबसाइट से … :

ऑनलाइन नियुक्ति प्रणाली पीएसके या पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) में भीड़ से बचने और आवेदकों के लिए इंतज़ार न करना सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है। नियुक्ति एक पीएसके या पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) की हैंडलिंग क्षमता के अनुसार आवंटित कर रहे हैं और एक इलेक्ट्रॉनिक कतार प्रबंधन प्रणाली पर आधारित हैं। पासपोर्ट के लिए आवेदन करने में ऑनलाइन पंजीकरण भरने और ऑनलाइन आवेदन पत्र (वैकल्पिक रूप से, ई फार्म डाउनलोड भरने और ऑनलाइन पोर्टल पर ही अपलोड) प्रस्तुत करने, एक मुलाकात समयबद्धन और अंत में, पीएसके या पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) जाने के लिए ये सभी कदम शामिल हैं|

अधिक जानकारी के लिए ऑनलाइन पोर्टल के मुख पृष्ठ पर ‘त्वरित गाइड’ के तहत ‘मुलाकात के लिए नयी प्रक्रिया’ लिंक पर क्लिक करके अनुभाग को देखें।

(जिस इंग्लिश सेक्शन से अनुवाद किया गया है, हमने उसका अनुवाद गूगल ट्रांसलेट पर डालकर देखा तो इससे कुछ बेहतर सामने आया। तो इसके लिए गूगल ट्रांसलेटर को भी दोष नहीं दिया जा सकता। )

दूरसंचार विभाग की वेबसाइट से…

हम विश्व स्तर की दूरसंचार बुनियादी ढांचे और जुड़े नेशन “कभी भी, कहीं भी” देश के तेजी से सामाजिक – आर्थिक विकास को सक्षम बनाने सेवाओं के प्रावधान की सुविधा के माध्यम से दृष्टि को पूरा.

(अब इस पर क्या कमेंट करें? कमेंट करने लायक भी ना छोड़ा…। इसलिए हम इस मुद्दे को यही छोड़ रहे हैं, क्योंकि कुछ अनहोनी होने की फीलिंग आ रही है…)

(Disclaimer : इस हिंदी को पढ़कर अगर कोई सुसाइड करने की कोशिश करता है तो इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं रहेंगे। हमारा मकसद किसी को सुसाइड के लिए प्रेरित करना नहीं है।)


बुधवार, 2 सितंबर 2020

श्राद्ध पर क्यों गायब हो गए कौव्वे? खुद कौव्वे ने किया ऐसा खुलासा

कौवा , crow

हिंदी सटायर। मौका श्राद्ध का है। लेकिन इसके बावजूद कौव्वे कहीं नजर नहीं आ रहे। हाल ही में एक स्टडी में भी कहा गया है कि कौव्वे तेजी से लुप्त हो रहे हैं। लेकिन हमारे संवाददाता किसी तरह एक कौव्वे से टेलीफोनिक इंटरव्यू करने में सफल रहे। पेश हैं उसके मुख्य अंश :

हिंदी सटायर : आजकल कहां गायब हो गए हों?

कौव्वा: हम गायब नहीं हुए हैं, बल्कि श्राद्ध पक्ष में हमें छिपना पड़ रहा है। सेहत का जो सवाल है।

हिंदी सटायर : ऐसा क्यों?

कौव्वा:  पता नहीं कौन हमें पकड़कर खाना-वाना खिला दें?

हिंदी सटायर : अरे, कौव्वा भाई, वो तो सम्मान के रूप में आपको भोजन करवाते हैं? इसमें इतना क्यों अकड़ते हो?

कौव्वा:  हमारा भी पेट, दिल और किडनियां हैं। इंसान को अपनी फिकर नहीं है, हमें तो है। वे मिलावटी खाकर हार्ट और डायबिटीज के पेशेंट बन रहे हैं। हमें नहीं बनना। कोरोना काल अलग चल रहा है।

हिंदी सटायर : लेकिन इंसान तो आपको पितरों की तरह पूजकर भोजन करवाता है?

कौव्वा:  छोटा मुंह बड़ी बात। पर श्राद्ध का इंतजार क्यों करते हैं? जीते-जी जो असली पितर हैं, उन्हें भी थोड़ा अटेंशन दे दो भाई। फिर हमें भोजन करवाएं। तब हम भोजन ही नहीं करेंगे, आशीर्वाद भी देंगे, वादा रहा।



सोमवार, 31 अगस्त 2020

छह घंटे में राहुल गांधी के वीडियो पर एक भी लाइक नहीं, जानिए क्या है वजह?

rahul gandhi video jokes राहुल गांधी जोक्स

modi video unlike मोदी का वीडियो अनलाइक
30 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कही थी। भाजपा के ऑफिशियल यू ट्यूब चैनल पर डले इस वीडियो पर लाइक्स से छह गुना ज्यादा अनलाइक्स आए हैं ( देखें तस्वीर, लाइक्स करीब 100 K, डिसलाइक्स 625 K)। लनलाइक की वजह से यह वीडियो जबरदस्त चर्चा में आ गया है।

लेकिन इतनी ही आश्चर्य की बात और भी है। 31 अगस्त को सुबह करीब 10 बजे राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था की बदहाली पर एक वीडियो डाला। उसे दोपहर में 12 बजे कांग्रेस के ऑफिशियल यू ट्यूब चैनल पर पोस्ट किया गया। शाम को 6 बजे तक यानी करीब 6 घंटे में उस पर न तो एक भी लाइक था और न ही डिसलाइक (देखें राहुल के वीडियो का स्क्रीन शॉट)

आखिर राहुल गांधी के वीडियो पर कोई भी प्रतिक्रिया क्यों नहीं है? इसकी वजह क्या है? humourworld की पड़ताल में पता चला है कि इसकी सीधी सी वजह यही है  कि कांग्रेस के जिन लोगों को चैनल पर जाकर राहुल का वीडियो लाइक करना था, वे सभी तो भाजपा के चैनल पर जाकर मोदी के वीडियो को अनलाइक करने में लगे थे।

#modi video #rahul gandhi

(Modi youtube video disliked my many, but rahul gandhi's video on economy also not liked even by a single people )


Joke : न्यूज चैनल के सामने दो घंटे रहने का खामियाजा!

पक्के केले, सड़े हुए केले, न्यूज चैनल पर जोक्स, pucce banana

केले काफी कच्चे थे। तो जुगाड़ लगाई और उन्हें न्यूज चैनल के सामने रख दिया। मैं खुद दूसरे कमरे में क्वारंटीन हो गया। दो घंटे बाद देखा तो बेचारों की यह स्थिति हो गई थी...

😀😅🤓

रविवार, 30 अगस्त 2020

Humor : बेताल ने सुनाई सुशांत-रिया की कहानी, जानिए विक्रम ने क्या दिया जवाब!

 # vikram aur betaal  # Baital Pachchisi # Baital Pachisi # बेताल पच्चीसी  विक्रम और बेताल

By Jayjeet

बेताल आज विक्रम की बाइक पर कूदा तो कुछ परेशान था। विक्रम हौले-हौले बाइक चलाते रहा। उसे मालूम था कि भूत आया है तो कोई ऊटपटांग कहानी सुनाएगा ही, साथ में यह गीदड़ भभकी भी देगा ही कि अगर मैंने जवाब जानते हुए भी न दिया तो मेरी बाइक के टायर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे ...

लेकिन 15 मिनट हो गए, बेताल चुप की चुप। विक्रम ने बाइक की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी, शायद हवा चलने से बेताल का कुछ दिमाग खुले। बेताल धीरे से बुदबुदाया- टीवी चैनल वालों से पचा मारा। स्साले मुझसे भी बड़ेवाले स्टोरीटेलर हो गए। फिर थोड़ी ऊंची आवाज में विक्रम से बोला - विक्रम सुन, आज तुझे बहुत इंटरेस्टिंग कहानी सुनाता हूं, एक एक्टर, उसकी प्रेमिका और सुसाइड की कहानी। ऐसी कहानी जो तुने आज तक ना सुनी होगी।

विक्रम मुस्कुराया, पर बोला कुछ नहीं, क्योंकि बोलते ही हूं हूं करते हुए बेताल उड़ जाता और कहानी धरी की धरी रह जाती।

बेताल ने बोलना शुरू किया - कुछ माह पुरानी बात है। एक अभिनेता हुआ करता था, नाम था सुशांत सिंह राजपूत। रिया नाम की उसकी एक प्रेमिका थी .... और इसके बाद बेताल ने लाग-लपेटकर वह पूरी कहानी सुना दी जो उसने पिछले कुछ दिनों से न्यूज चैनलों पर सुन रखी थी, यह मानते हुए कि विक्रम तो कभी न्यूज चैनल देखता नहीं।

कहानी सुनाने के बाद बेताल ने अपनी चिर-परिचित शैली में पूछा - विक्रम बता कि उस अभिनेता ने वाकई सुसाइड किया था? अगर नहीं किया तो उसका मर्डर किसने किया होगा? इसमें उसकी प्रेमिका रिया का क्या हाथ है? अगर तू जानकर भी चुप रहा तो तेरी बाइक के टायर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे...

विक्रम एक मिनट के लिए चुप रहा और फिर बोला - सुन बेताल, मुझे सब मालूम है कि इस कहानी में क्या-क्या हुआ होगा। लेकिन अगर मैं आज बता दूं तो फिर उन न्यूज चैनलों का क्या होगा, जहां से तुने ये कहानी चुराई है। मैं एक राजा की आत्मा हूं और विक्रम का रिकॉर्ड रहा है कि उसने किसी के साथ अन्याय नहीं किया। इसलिए जब तक न्यूज चैनलों के पास कोई और कहानी नहीं आ जाती या तैमूर का कोई भाई-बहन नहीं आ जाता, मैं उनके पेट पर लात नहीं मार सकता।

बेताल - वाह विक्रम, क्या राजा वाली बात कही। टीवी चैनलों ने तो पका मारा था, पर तुने मन प्रसन्न कर दिया। पर तू बोला और मैं चला ....

विक्रम (उड़ते हुए बेताल से चिल्लाकर बोला) - बेताल, अब किसी ऐसे घर की छत पर मत टंगना जहां दिनभर न्यूज चैनल चलता है... फिर मिलेंगे...।

# vikram aur betaal  #Baital Pachchisi # Baital Pachisi #बेताल पच्चीसी


विक्रम बेताल पार्ट 1 : बेताल ने विक्रम को सुनाई ट्रम्प के रहस्यमयी प्लान की कहानी

सोमवार, 24 अगस्त 2020

Funny Interview : कांग्रेस में कौन बन सकता है नया अध्यक्ष, राहुल के डॉगी PIDI ने किया खुलासा

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By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, दिल्ली। जैसे ही सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की और राहुल गांधी ने चिट्‌ठी लिखने वाले कांग्रेसियों को आढ़े हाथ लिया, किसी ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में रिपोर्टर लपककर पहुंच गया 10 जनपथ पर सीधे पीडी के पास। पीडी राहुल भैया का प्रिय डॉगी है। वह दो साल पहले उस समय सुर्खियों में आया था, जब राहुल ने कहा था कि उनके ट्वीटस पीडी ही करता है।

रिपोर्टर : पीडी भैया, उधर कांग्रेस में अफरातफरी मची है और इधर आप बड़े खुश नजर आ रहे हो?

पीडी: हां, राहुल भैया ने हमको तैयार रहने को कहा है।

रिपोर्टर : किस बात के लिए?

पीडी : शायद कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनने के लिए।

रिपोर्टर (जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए) : क्यों भाई, ऐसा क्या हो गया?

पीडी : अरे आपको ना पता? किसने रिपोर्टर बना दिया! अभी कुछ देर पहले सोनिया मम्मा ने इस्तीफा देने की पेशकश की है। और राहुल भैया और प्रियंका दीदी ने भी कह दिया है कि अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बनेगा। तो बताओ, अब अध्यक्ष कौन बनेगा? है कोई?

रिपोर्टर : पर आप भी तो परिवार में ही रहते हो? यानी प्रैक्टिकली तो आप भी गांधी परिवार का ही हिस्सा हो। तो आप भी ऐलिजिबल कैसे हो जाआगे?

पीडी : आप भी क्या बात करते हों...  हम परिवार में जरूर रहते हैं, पर गांधी-नेहरू खानदान के थोड़े हुए।

रिपोर्टर : अच्छा, राहुल भैया ने आपको ही अध्यक्ष बनने के लिए तैयार रहने को क्यों कहा? आपमें ऐसी क्या योग्यता है?

पीडी : वफादारी, सबसे बड़ी योग्यता तो यही है। फिर मैं मम्मा, भैया और दीदी की ऑन डिमांड पर कभी भी दुम हिला सकता हूं। उनके तलवे भी मैं ही बड़े अच्छे से चाट सकता हूं।

रिपोर्टर : माफ करना पीडी भैया, अभी आपने मुझ पर ताना मारा था, लेकिन पता आपको भी कुछ नहीं है।

पीडी : ऐसा क्या पता नहीं है?

रिपोर्टर : आप जिस वफादारी की बात कर रहे हो ना, वह तो कांग्रेस में कई लोगों के पास है। दुम हिलाने वाले भी बहुत मिल जाएंगे और तलवे चाटने वाले भी।

पीडी : पर भैया, दो पैर वाले तो दो पैर के ही होते हैं। दो पैर वालों की वफा का भरोसा नहीं। देखा नहीं, अभी कैसे फटाक से चिट्ठी लिख मारी। ये कोई वफादारी है !! भला राहुल भैया को नाराज कर दिया। वफादारी में चार पैर वालों से टक्कर नहीं ले सकते आपके दो पैर वाले वफादार।

रिपोर्टर : पर दूसरे कांग्रेसी नेता आपको पार्टी का अध्यक्ष क्यों स्वीकार करेंगे?

पीडी : अरे, थोड़ी देर पहले आपने ही तो कहा था कि प्रैक्टिकली हम गांधी परिवार का हिस्सा है... इसलिए, समझें...

रिपार्टर कुछ और पूछें, इतने में पीडी के पास जमीन पर रखा मोबाइल बज उठा। स्क्रिन पर राहुल भैया नाम चमक रहा था। और पीडी भी जी भैया, जी भैया में बिजी हो गया... और यह रिपोर्टर भी अपनी दुम को समेटकर वापस आ गया, ब्रेकिंग न्यूज के साथ...

#congress new president  #political satire #congress #rahul #humor

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

देखिए नई टाइप की स्मार्ट रोड : ग्राउंड वाॅटर रिचार्ज करेगी, आसान होंगे कई काम

 smart city and roads बारिश में सड़क


By Jayjeet

1. जैसा कि चित्र से स्पष्ट है, यह बारिश के दिनों में ग्राउंड वाॅटर को रिचार्ज करने का काम करेगी। इसके पीछ सोच यह है कि चूंकि अब जगह-जगह कांक्रटीकरण के कारण पानी को जमीन के भीतर जाने का मौका नहीं मिलता है। तो ऐसे में इस तरह की सड़कों के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाएं।

2. इस सड़क में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का यूज किया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि अफसरों, इंजीनियरों और ठेकेदारों को सामग्री में मिलावट की मात्रा को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं होगी। यह काम सड़क खुद ही बहुत ही साइंटिफिक ढंग से कर लेगी।

3. AI के जरिए सड़क बादलों की डेंसिटी को देखकर पहले से ही उचित आकार के गड्‌ढों में तब्दील हो सकेगी, ताकि पानी की एक भी बूंद खराब न हो और वह सीधे जमीन में नीचे उतर सकें। सामान्य सड़क में पहली-दूसरी बारिश का पानी गड्‌ढे करने में ही व्यर्थ हो जाता है।

4. सड़क से जुड़े सभी नेताओं, इंजीनियरों, ठेकेदारों और अफसरों के बीच कमीशन का बंटवारा भी सड़क अपने आप डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम (DBT) के जरिए खुद ही कर देगी। इससे विभिन्न पक्षों के बीच किसी तरह का विवाद नहीं होगा।

5. जमीन के भीतर पर्याप्त पानी पहुंचाने के बाद बचे हुए पानी का इस्तेमाल यह सड़क बिजली बनाने में करेगी। अनुमान है कि ऐसी एक सड़क बारिश के हर सीजन में दस हजार वॉट तक अतिरिक्त बिजली का निर्माण कर सकेगी जो मुफ्त बांटने के काम आएगी।

#smart_city #satire #humor

यह भी पढ़ें ... एक्ट्रेस के मुंह से अचानक गिरा मास्क, चेहरा देखकर सदमे में आया कोरोना

UPSC Toppers Interview : नाम न छापने की शर्त पर एक यूपीएससी रैंकर ने दिया बेलाग इंटरव्यू

IAS officer


नई दिल्ली। यूपीएससी (UPSC) के रिजल्ट की घोषणा हो चुकी है। इसमें सिलेक्ट होकर टॉप 500 रैंक में रहने वाले एक बेहद टैलेंटेड Topper ने नाम नहीं छापने की शर्त पर hindisatire को दिया बेलाग इंटरव्यू। पेश हैं उसके मुख्य अंश:

सवाल: इस परीक्षा में बेहतरीन रैंक हासिल कर कैसा लग रहा है?

जवाब: बहुत अच्छा लग रहा है। मैं अपने सपने को पूरा करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ गया हूं।

सवाल: कैसा सपना?

जवाब: जी, मेरा सपना है कि जैसे मेरे पूर्वजों ने इस देश को लूटा है, मैं भी उसमें अपना योगदान दे सकूं। भ्रष्टाचार करने में मैं नया कीर्तिमान बनाना चाहता हूं।

सवाल: अपने सपने को पूरा करने के लिए क्या कोई फ्रेमवर्क है?

जवाब: जी, अभी तो शुरुआत है। ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग का इंतजार करूंगा, फिर कोई प्लान बनाउंगा। हां, लेकिन चूंकि मेरे अपने परिवार में कई लोग सरकारी पदों पर रहे हैं। इसलिए उनकी ट्रेनिंग काफी मायने रखेगी और मुझे उम्मीद है कि अपने बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद से मैं अपनी आने वाली सात पुश्तों के लिए काफी कुछ जोड़ सकूंगा।

सवाल: जब देश के आप जैसे क्रीम लोग ही भ्रष्टाचार करेंगे तो आम आदमी का क्या होगा?

जवाब: इस सवाल के जवाब में मेरा आपसे ही एक सवाल है। अगर क्रीम लोग भ्रष्टाचार नहीं करेंगे तो कौन करेगा? क्या आम लोगों और सामान्य बुद्धि वाले व्यक्ति में इतना कौशल व दम है? फिर देश का क्या होगा?

सवाल: आप जैसे कई चयनित उम्मीदवार पहले ही प्राइवेट सेक्टर में अच्छी नौकरी कर रहे हैं। खूब कमा रहे हैं और ईमानदारी से कमा रहे हैं। तो फिर आईएएस अधिकारी क्यों बनना चाहते हैं?

जवाब: अगर आप मेरा नाम छापते तो कहता कि मैं देशसेवा और आम लोगों की सेवा के लिए आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं। देश में बहुत गरीबी हैं, गरीबों का कल्याण इसी सेवा के माध्यम से हो सकता हूं। समाज में बदलाव के लिए, आदिवासियों के जीवन में सुधार के लिए काम करना चाहता हूं, वगैरह-वगैरह। पर आपने नाम न छापने की गारंटी दी है। इसलिए अपने दिल की बात करता हूं। यह ऐसी सर्विस है, जिसमें रहकर आपको वही सुखद एहसास होता है जैसा कभी दशकों पहले ब्रिटेन के गोरे शासकों को होता होगा। इसमें हमें खुद को राजा होने और आम लोगों के प्रजा होने का एहसास होता है। यह सबसे बड़ा एहसास है। आप जैसे आम लोग इसे महसूस भी नहीं कर सकते।

सवाल: तो क्या मान लें कि देश में अब कोई भी ईमानदार अफसर नहीं है? देश ईमानदार अफसरों के कलंक से मुक्त हो गया है?

जवाब: यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि अभी भी मुठ्ठीभर ऐसे नालायक ईमानदार अफसर हैं, जो केवल देश की सोचते हैं। मुझे आशंका है कि मेरे साथ की बैच में भी कुछ ऐसे अफसर जरूर होंगे। हमें इनसे जल्दी ही मुक्त होना होगा।

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल सिस्टम पर कटाक्ष करना है, किसी टॉप रैंकर पर नहीं।) 

बुधवार, 19 अगस्त 2020

New Baital Pachchisi : बेताल ने विक्रम को सुनाई ट्रम्प के रहस्यमयी प्लान की कहानी

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By Jayjeet

विक्रम की आत्मा 24 अकबर रोड पर सुस्ताने को रुकी ही थी कि हमेशा की तरह बेताल फिर उसकी बाइक की पिछली सीट पर टपक पड़ा। विक्रम समझ गया, लो, भूत फिर आ गया। स्साला फिर वही ऊटपटांग कहानी, फिर वही गीदड़ भभकी कि अगर मैंने जानते हुए भी जवाब न दिया कि मेरी बाइक के टायर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे ...

मित्रो, कहानी को रोकते हुए कुछ बैकग्राउंड में चलते हैं। विक्रम की आत्मा पिछले कुछ दिनों से भारत में उतरी हुई है और इस समय दिल्ली में है। और जहां विक्रम है, वहां बेताल तो होगा ही। लेकिन विक्रम का रंग-रूप बदल गया है। फुल बाह की टीशर्ट-जिंस, हाथ में स्मार्ट फोन और धुआं उड़ाती बाइक। बेताल का रंग-ढंग वही है, वैसा ही भूत टाइपिया, लेकिन उसकी कहानियां बदल गई हैं। तो आइए सुनते हैं उसकी कहानियां और विक्रम के जवाब, इस नई बेताल माथापच्चीसी में...

तो आत्मा-ए-विक्रम की बाइक पर बैठते ही बेताल ने पहले तो गीदड़ भभकी दी। विक्रम ने कुटिल मुस्कान मारी जो मास्क के कारण बेताल को नजर न आई।

और शुरू हुई कहानी... सुन विक्रम। वैसे तो तू भी इस समय स्मार्टफोन के चाले में है और इसलिए तुझे सब पता ही होगा कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। वहां चुनावों में अब पांच माह से भी कम का वक्त बचा है। वहां जो सर्वे आए हैं, उनमें ट्रम्प भाईसाहब अपने विरोधी बाइडेन से बहुत पीछे चल रहे हैं। फिर बाइडेन उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की कमला बाईजी को भी ले लाए हैं। ट्रम्प को सलाह दी गई कि अगर वे अमेरिका में भारतीयों पर फोकस करें तो बाइडेन की टक्कर में आ सकते हैं। जब ट्रम्प ने अपनी टीम से चर्चा की और पूछा कि इस संबंध में कौन हमारी मदद कर सकता है तो सभी हाथ उठा-उठाकर एक स्वर में चिल्लाने लगे - मोदी मोदी मोदी... । इसका मतलब यह है कि ट्रम्प को एक बार फिर से मोदी को यहां लाकर हाउडी मोदी जैसा कुछ करवाना होगा।

बेताल ने कहानी जारी रखी... लेकिन ट्रम्प तो ट्रम्प है। खुर्राट आदमी। उसने कहा- नहीं, अब हमारी स्थिति ऐसी नहीं रही कि हम थोड़ी-सी भी रिस्क उठाए। हमें ऐसा आदमी चाहिए जो 100 परसेंट हमें चुनाव जिताने की गारंटी देता हो। यह सुनकर उसके सारे सहयोगी बगलें झांकने लगे। उन्होंने तो यही नारा सुन रखा था कि मोदी है तो मुमकिन है। अब ये ट्रम्प साहब किस आदमी को लाने जा रहे हैं जो मोदी से भी बढ़कर हो और उन्हें चुनाव जितवा सके। फिर ट्रम्प ने जिस आदमी का नाम लिया, उसे सुनकर लोग हक्का-बक्का रह गए। कुछ लोग तो हंस के लोट-पोट भी हो गए। ट्रम्प से चिढ़ने वाले कुछ दरबारी तो आपस में यह भी कहने लगे कि हमने अब तक तो दूसरों से ही सुना था कि ट्रम्प पागल आदमी है। पर अब ये तो खुद ही अपने पर पागलपंथी की मोहर लगा रहा है। पर ट्रम्प के लिए तो ये था ट्रम्प कार्ड जो उसे चुनावों में जिताने की हंड्रेड परसेंट गारंटी दे रहा था।

इतनी कहानी सुनाने के बाद बेताल रुक गया। फिर बोला - विक्रम बता कि आखिर वह कौन हैं जिसका ट्रम्प ने नाम लिया और वह भी पूरे विश्वास के साथ। ट्रम्प की आखिर पूरी योजना क्या है। अगर तू जानकर भी चुप रहा तो तेरी बाइक के अगले टायर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे...

विक्रम एक मिनट के लिए चुप रहा। फिर उसने 24 अकबर रोड पर स्थित उस सुनसान और खंडहर इमारत पर एक नजर डाली जहां कई चमगादड़ उलटे लटके-लटके जुगाली कर रहे थे। फिर बोलना शुरू किया, 'सुन बेताल। ट्रम्प है तो बहुत शातिर पॉलिटिशयन। वह जानता है कि किस आदमी का इस्तेमाल कहां करना चाहिए। उसने मोदी के बजाय जिस आदमी को चुना, उसका नाम है राहुल गांधी। भारत में अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। ट्रम्प ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मोदी जहां ट्रम्प के लिए 99 फीसदी जीत की गारंटी है, बल्कि राहुल गांधी 101 परसेंट।

बेताल जो अमूमन कहानी सुनाने के बाद बोलता नहीं था, वह राहुल का नाम सुनकर ही बीच में बोल पड़ा- पर राहुल! वह खुद अपनी सीट जीत नहीं सकता, वह भला ट्रम्प को क्या जितवाएगा? इसका समाधान करो फटफटिए वाले राजन!

विक्रम ने बोलना जारी रखा - ट्रम्प राहुल के टैलेंट का इस्तेमाल अपने विरोधी बाइडेन के पक्ष में रैलियां आयोजित करने में करेगा। ट्रम्प जानता है कि राहुल बाबा बाइडेन के पक्ष में जितनी अधिक रैलियां करेंगे, उतना ही बाइडेन की स्थिति कमजोर होती जाएगी। इतना ही नहीं, ट्रम्प यह भी करेंगे कि राहुल गांधी उससे रोज ट्विटर पर सवाल भी पूछें और उनमें उसे खूब आड़े हाथ भी लें। इससे भी धीरे-धीरे ट्रम्प की स्थिति बेहतर होती जाएगी और बाइडेन की स्थिति कमजोर। और एक समय ऐसा भी आ सकता है कि ट्रम्प क्लीन स्विप ही कर जाए और बाइडेन का सूपड़ा साफ हो जाए।'

वाह, विक्रम की आत्मा, तूने जवाब तो सही दिया, पर मैंने पहले ही कहा था कि तू एक शब्द भी बोलेगा तो मैं उड़ जाऊंगा... तू बोला और मैं चला।

और बेताल 24 अकबर रोड स्थित उस खंडकर इमारत के एक कंगूरे पर जाकर उलटा लटक गया...

(Courtesy :  hindisatire.com )

रविवार, 16 अगस्त 2020

Joke : आखिर सच्चे योद्धा को मिला सम्मान

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विगत दिनों काफी कोरोना योद्धा सम्मान देखने को मिले..। कुछ वाकई दिए गए, कुछ बांटे भी गए... अंतत: दिल को थोड़ा सुकुन मिला, जब एक सच्चे योद्धा को हासिल हुआ ऐसा ही सम्मान 

#corona #jokes #humor

Humour : बाइडेन से पीछे चल रहे ट्रम्प ने अब राहुल गांधी से मांगी मदद, क्यों और कैसे? पढ़िए यहां

Trump Rahul Gandhi humor ट्रम्प राहुल गांधी जोक्स

By Jayjeet

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में अब पांच माह से भी कम का वक्त बचा है। हाल ही में हुए कई सर्वे में प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन से पीछे चल रहे हैं। ऐसे में ट्रम्प ने अब राहुल गांधी से मदद लेने की योजना बनाई है। इस बीच, ट्रम्प की इस योजना की भनक लगते ही बाइडेन के खेमे में अफरातफरी का माहौल है।

क्या है ट्रम्प का ट्रम्प कार्ड? 
ट्रम्प की कोर टीम द्वारा बनाए गए प्लान के अनुसार राहुल गांधी अगले तीन माह तक अमेरिका में रहकर बाइडेन के पक्ष में जोरदार चुनावी रैलियां करेंगे। इसके अलावा वे ट्विटर पर एक्टिव रहकर रोजाना ट्रम्प से एक सवाल भी पूछेंगे। ट्रम्प के योजनाकारों के अनुसार इससे एक माह के भीतर ही ट्रम्प के खिलाफ बना माहौल पक्ष में हो जाएगा और चुनाव आते-आते वे क्लीन स्वीप करने की स्थिति में आ जाएंगे।

विरोधी खेमे में अफरातफरी, सदमे में बाइडेन
ट्रम्प की इस योजना की भनक लगते ही बाइडेन के खेमे में सन्नाटा खींच गया है। वहां से आ रही खबरों के अनुसार अगर ट्रम्प अपनी इस योजना में सफल हो गए तो बाइडेन के लिए चुनाव जीतना तो दूर, अपनी जमानत तक बचाना मुश्किल हो जाएगा। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार इससे बाइडेन गहरे सदमे में पहुंच गए हैं।

राहुल ने पूछा, कौन हैं बाइडेन?
इस बीच बाइडेन के लिए एक राहत की खबर भी है। राहुल गांधी के करीबी सूत्रों के अनुसार ट्रम्प के इस प्रस्ताव के जवाब में राहुल ने पूछ लिया कि ये बाइडेन कौन हैं? राहुल के करीबी निजी सचिव कहा, 'राहुल भैया तब तक किसी के पक्ष-विपक्ष में नहीं बोलते, जब तक कि वे खुद उनके बारे में गूगल से पुख्ता जानकारी नहीं ले लेते।' ऐसे में बाइडेन खेमे को उम्मीद है कि पुख्ता जानकारी लेते-लेते अमेरिकी चुनाव ऐसे ही गुजर जाएंगे।

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यह भी पढ़ें :  देवउठनी एकादशी के बाद खत्म हो जाएगी कोरोना की सारी अकड़, एक अदद कोरोनी की तलाश



शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

Jokes : शहरी बाढ़ जोड़ योजना के बारे में क्या ख्याल है?




पहले मुंबई की सड़कों पर बाढ़ आई, अब जयपुर की सड़कों पर... तो अब शहरी बाढ़ जोड़ योजना भी आ ही जानी चाहिए... 🧐🧐



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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

Jokes : सचिन का प्लेन...


sachin-pilot-jokes


जयपुर के पास आज यह छकड़ा गाड़ी बरामद हुई है। आशंका जताई जा रही है कि सचिन पायलट इसे विमान समझकर उड़ाने का प्रयास कर रहे थे ... 

🧐🧐🤓

शनिवार, 8 अगस्त 2020

कोरोना वैक्सीन की ब्लैक मार्केट वाली कीमत भी तय करेगी सरकार, गरीबों के हितों का रखा जाएगा ध्यान

corona vaccine कोरोना वैक्सीन कीमत


By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। देश में कोरोना वैक्सीन के जल्दी ही लॉन्च होने की संभावना को देखते हुए सरकार ने वैक्सीन को लेकर कालाबाजारियों की मनमानियों पर अंकुश लगाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। सरकार देश के प्रमुख कालाबाजारियों से चर्चा कर वैक्सीन की अलग-अलग श्रेणियों की कीमत फिक्स करेगी। देश के किसी भी कालाबाजार में उससे अधिक कीमत में वैक्सीन बेचे जाने को दंडनीय अपराध माना जाएगा।

हाल ही में कोरोनावायरस की दवा रेमडेसिवीर के कालाबाजार में 900 फीसदी तक ज्यादा दामों पर बेचे जाने की खबरों को देखते हुए सरकार वैक्सीन के मामले में कालाबाजारियों को खुली छूट देने के मूड में नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस बार समय रहते ही सरकार कालाबाजार में बिकने वाली वैक्सीन के दाम तय कर देगी, ताकि बाद में कालाबाजारिये मनमानी करके मुनाफाखोरी न कर सकें। जरूरत पड़ने पर संबंधित एक्ट में जरूरी संशोधन भी किए जाएंगे। वैक्सीन को निर्धारित ब्लैक मार्केट प्राइस से अधिक दाम में बेचे जाने को दंडनीय अपराध बनाने पर भी विचार किया जा रहा है।

अलग-अलग श्रेणियां निर्धारित की जाएंगी...
सीरम इंस्टीट्यूट ने अपने कोरोना वैक्सीन के एक डोज की कीमत 225 रुपए तय की है। सरकार इसी कीमत को आधार बनाकर कालाबाजार में बिकने वाली वैक्सीन की कीमत तय करेगी। तुरंत वैक्सीन चाहने वालों को यह 2000 रुपए में उपलब्ध होगी। एक साल बाद की कीमत 1000 रुपए और दो साल बाद की कीमत 500 रुपए तय की जाएगी। कीमत तय करते समय गरीब तबकों के हितों का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। गरीबों को तीन साल बाद केवल 25 रुपए के प्रीमियम पर यानी 250 रुपए में वैक्सीन उपलब्ध करवाना सभी कालाबाजारियों का सामाजिक दायित्व होगा।

(Disclaimer : यह सिस्टम पर व्यंग्य है, फेक न्यूज नहीं... )

#satire #Jayjeet #corona_vaccine

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गुरुवार, 6 अगस्त 2020

Satire : अब बनेगी ‘शहरी बाढ़ जोड़ योजना’, पहले चरण में जुड़ेगा गुड़गांव-मुंबई की सड़कों का पानी

heavy rains flood mumbai मुंबई में बाढ़

नई दिल्ली। देश के विभिन्न शहरों में भारी बारिश के बाद पैदा हुए बाढ़ के हालात के मद्देनजर केंद्र सरकार 'शहरी बाढ़ जोड़ योजना' बनाने जा रही है। इसके तहत इन शहरों में भरे बारिश के पानी का सदुपयोग देश के विकास में किया जाएगा। इसके संकेत केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह ने दिए हैं।

यहां शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्हाेंने कहा , “इन दिनों जगह-जगह बाढ़ आई हुई है। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार के कई शहरों में बाढ़ आई हुई है। मुंबई तो बाढ़ के लिए फेमस है ही। इस दिशा में मप्र सरकार ने भी अच्छा काम किया है और अब भोपाल व इंदौर जैसे शहरों में भी बाढ़ आने लगी है।”

उन्होंने आगे कहा, “वाजपेयी सरकार ने कुछ साल पहले नदी जोड़ योजना बनाई थी। इसी तर्ज पर अब हम स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहरी बाढ़ जोड़ योजना लाने की प्लानिंग कर रहे हैं ताकि इन शहरों में भरे बारिश के पानी का सदुपयोग किया जा सके। पहले चरण में गुड़गांव और मुंबई शहरों की बाढ़ को जोड़ा जाएगा। अगले चरणों में बेंगलुरु, तिरुवनंतपुरुम, भोपाल, इंदौर और अन्य शहरों को शामिल किया जाएगा।”

#Flood #heavy_rains #humor #satire

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शनिवार, 1 अगस्त 2020

Humor : जब राफेल से मिलने पहुंच गए राहुल, जानिए फिर क्या हुई बातचीत …

 

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By Jayjeet

अंबाला। लंबे सफर के बाद एक लंबी नींद। नींद के बाद जैसे ही राफेल ने आंखें खोलीं, उसे सामने एक शख्स नजर आया। चेहरे पर मास्क था। इसलिए पहचानने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन राफेल कुछ बोले, उससे पहले ही उसे आवाज सुनाई दी- राफेल भैया, नमस्कार।


अब राफेल को पहचानने में देर ना लगी- अच्छा राहुल भैया आए हैं। और सुनाओ, कैसे आना हुआ।

राहुल : बस भैया, आपका नाम बहुत सुना था, तो सोचा खुद ही मिल आऊं..

राफेल : हां, नाम तो मैंने भी आपका बहुत सुन रखा है।

राहुल : अच्छा! क्या सुन रखा है मेरे बारे में?

राफेल : एक तो यह कि आप सवाल बहुत पूछते हों और सवाल पूछने के चक्कर में आपने एक बार यह सवाल भी पूछ डाला था कि राफेल नडाल पर सरकार इतना खर्च करने क्यों जा रही है?

राहुल : हां, याद आया। वो शुरू में हमारे सलाहकारों ने कुछ कन्फ्यूज कर दिया था। हमें लगा था कि सरकार देश में करोड़ों खर्च कर टेनिस प्लेयर राफेल नडाल को ला रही है। इस सरकार का कुछ भरोसा नहीं…

राफेल : भई, सरकार की तो हम ना जानें, हमें तो फ्रांस सरकार ने कहा कि इंडिया जाना है तो चले आए। पर आप मुझसे मिलने यहां क्यों चले आए?

राहुल : राफेल भैया, सबसे पहले तो हम आपको पोलाइटली क्लियर कर दें कि सवाल पूछने का काम हमारा है। पर आप हमारे मेहमान हैं तो आपके सवाल का जवाब दे देते हैं। हम तो बस ये पूछने आए थे कि आप हमसे नाराज तो नहीं हों?

राफेल : आपसे नाराज क्यों होने लगा भला?

राहुल : मैंने आपका नाम ले-लेकर काफी कुछ बोला हैं ना, इसलिए पूछ रहा हूं।

राफेल : अरे बाबा, मुझे क्या भाजपा के प्रवक्ता या मोदी के मंत्री समझ रखा है जो मैं आपकी हर बात को इतना सीरियसी लूंगा?

राहुल : मतलब भैया, आप नाराज नहीं हैं ना? बस यही सुनने आया था। आज मैं चेन से सो सकूंगा। कल तो मैं रातभर छत पर खड़े होकर बस आसमां की ओर ही देखता रहा कि कभी गुस्से में ऊपर से फट ना पड़ो… अच्छा चलता हूं। अब ना मिलेंगे…!

गुरुवार, 30 जुलाई 2020

Humor : जब राफेल से मिलने पहुंच गए राहुल, जानिए फिर क्या हुई बातचीत

राफेल राहुल जोक्स, rahul rafel jokes

By Jayjeet
अंबाला। लंबे सफर के बाद एक लंबी नींद। नींद के बाद जैसे ही राफेल ने आंखें खोलीं, उसे सामने एक शख्स नजर आया। चेहरे पर मास्क था। इसलिए पहचानने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन राफेल कुछ बोले, उससे पहले ही उसे आवाज सुनाई दी- राफेल भैया, नमस्कार।
अब राफेल को पहचानने में देर ना लगी- अच्छा राहुल भैया आए हैं। और सुनाओ, कैसे आना हुआ।
राहुल : बस भैया, आपका नाम बहुत सुना था, तो सोचा खुद ही मिल आऊं..
राफेल : नाम तो मैंने भी आपका बहुत सुन रखा है।
राहुल : अच्छा! क्या सुन रखा है मेरे बारे में?
राफेल : एक तो यह कि आप सवाल बहुत पूछते हों और सवाल पूछने के चक्कर में आपने एक बार यह सवाल भी पूछ डाला था कि राफेल नडाल पर सरकार इतना खर्च करने क्यों जा रही है?
राहुल : हां, याद आया। वो शुरू में हमारे सलाहकारों ने कुछ कन्फ्यूज कर दिया था। हमें लगा था कि सरकार देश में करोड़ों खर्च कर टेनिस प्लेयर राफेल नडाल को ला रही है। इस सरकार का कुछ भरोसा नहीं...
राफेल : भई, सरकार की तो हम ना जानें, हमें तो फ्रांस सरकार ने कहा कि इंडिया जाना है तो चले आए। पर आप मुझसे मिलने यहां क्यों चले आए?
राहुल : राफेल भैया, सबसे पहले तो हम आपको पोलाइटली क्लियर कर दें कि सवाल पूछने का काम हमारा है। पर आप हमारे मेहमान हैं तो आपके सवाल का जवाब दे देते हैं। हम तो बस ये पूछने आए थे कि आप हमसे नाराज तो नहीं हों?
राफेल : आपसे नाराज क्यों होने लगा भला?
राहुल : मैंने आपका नाम ले-लेकर काफी कुछ बोला हैं ना, इसलिए पूछ रहा हूं।
राफेल : अरे बाबा, मुझे क्या भाजपा के प्रवक्ता या मोदी के मंत्री समझ रखा है जो मैं आपकी हर बात को इतना सीरियसी लूंगा?
राहुल : मतलब भैया, आप नाराज नहीं हैं ना? बस यही सुनने आया था। आज मैं चेन से सो सकूंगा। कल तो मैं रातभर छत पर खड़े होकर बस आसमां की ओर ही देखता रहा कि कहीं गुस्से में ऊपर से फट ना पड़ो... अच्छा चलता हूं। अब ना मिलेंगे...!
#satire #rafale #humor

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Joke & Humor : राफेल के भारत आने से राहुल गांधी क्यों हुए चिंतित?

बुधवार, 29 जुलाई 2020

Satire : हरिशंकर परसाई का क्लासिक व्यंग्य : प्रेमचंद के फटे जूते

हरिशंकर परसाई प्रेमचंद harishankar parsai-premchand



प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई हैं, पर घनी मूंछें चेहरे को भरा-भरा बतलाती हैं।
पांवों में केनवस के जूते हैं, जिनके बंद बेतरतीब बंधे हैं। लापरवाही से उपयोग करने पर बंद के सिरों पर की लोहे की पतरी निकल जाती है और छेदों में बंद डालने में परेशानी होती है। तब बंद कैसे भी कस लिए जाते हैं। दाहिने पांव का जूता ठीक है, मगर बाएं जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अंगुली बाहर निकल आई है।
मेरी दृष्टि इस जूते पर अटक गई है। सोचता हूं – फोटो खिंचवाने की अगर यह पोशाक है, तो पहनने की कैसी होगी? नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी – इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है। यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खिंच जाता है।
मैं चेहरे की तरफ़ देखता हूं। क्या तुम्हें मालूम है, मेरे साहित्यिक पुरखे कि तुम्हारा जूता फट गया है और अंगुली बाहर दिख रही है? क्या तुम्हें इसका ज़रा भी अहसास नहीं है? ज़रा लज्जा, संकोच या झेंप नहीं है? क्या तुम इतना भी नहीं जानते कि धोती को थोड़ा नीचे खींच लेने से अंगुली ढक सकती है? मगर फिर भी तुम्हारे चेहरे पर बड़ी बेपरवाही, बड़ा विश्वास है! फोटोग्राफर ने जब ‘रेडी-प्लीज़’कहा होगा, तब परंपरा के अनुसार तुमने मुस्कान लाने की कोशिश की होगी, दर्द के गहरे कुएं के तल में कहीं पड़ी मुस्कान को धीरे-धीरे खींचकर ऊपर निकाल रहे होंगे कि बीच में ही क्लिक करके फोटोग्राफर ने ‘थैंक यू’ कह दिया होगा। विचित्र है यह अधूरी मुस्कान। यह मुस्कान नहीं, इसमें उपहास है, व्यंग्य है!
यह कैसा आदमी है, जो खुद तो फटे जूते पहने फोटो खिंचा रहा है, पर किसी पर हंस भी रहा है!
फोटो ही खिंचाना था, तो ठीक जूते पहन लेते या न खिंचाते। फोटो न खिंचाने से क्या बिगड़ता था। शायद पत्नी का आग्रह रहा हो और तुम, ‘अच्छा, चल भई’ कहकर बैठ गए होंगे। मगर यह कितनी बड़ी ‘ट्रेजडी’है कि आदमी के पास फोटो खिंचाने को भी जूता न हो। मैं तुम्हारी यह फोटो देखते-देखते, तुम्हारे क्लेश को अपने भीतर महसूस करके जैसे रो पड़ना चाहता हूं, मगर तुम्हारी आंखों का यह तीखा दर्द भरा व्यंग्य मुझे एकदम रोक देता है।
तुम फोटो का महत्व नहीं समझते। समझते होते, तो किसी से फोटो खिंचाने के लिए जूते मांग लेते। लोग तो मांगे के कोट से वर-दिखाई करते हैं। और मांगे की मोटर से बारात निकालते हैं। फोटो खिंचाने के लिए तो बीवी तक मांग ली जाती है, तुमसे जूते ही मांगते नहीं बने! तुम फोटो का महत्व नहीं जानते। लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए! गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है!
टोपी आठ आने में मिल जाती है और जूते उस ज़माने में भी पांच रुपये से कम में क्या मिलते होंगे। जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियां न्योछावर होती हैं। तुम भी जूते और टोपी के आनुपातिक मूल्य के मारे हुए थे। यह विडंबना मुझे इतनी तीव्रता से पहले कभी नहीं चुभी, जितनी आज चुभ रही है, जब मैं तुम्हारा फटा जूता देख रहा हूं। तुम महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, जाने क्या-क्या कहलाते थे, मगर फोटो में भी तुम्हारा जूता फटा हुआ है!
मेरा जूता भी कोई अच्छा नहीं है। यों ऊपर से अच्छा दिखता है। अंगुली बाहर नहीं निकलती, पर अंगूठे के नीचे तला फट गया है। अंगूठा ज़मीन से घिसता है और पैनी मिट्टी पर कभी रगड़ खाकर लहूलुहान भी हो जाता है। पूरा तला गिर जाएगा, पूरा पंजा छिल जाएगा, मगर अंगुली बाहर नहीं दिखेगी। तुम्हारी अंगुली दिखती है, पर पांव सुरक्षित है। मेरी अंगुली ढकी है, पर पंजा नीचे घिस रहा है। तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं!
तुम फटा जूता बड़े ठाठ से पहने हो! मैं ऐसे नहीं पहन सकता। फोटो तो ज़िंदगी भर इस तरह नहीं खिचाऊं, चाहे कोई जीवनी बिना फोटो के ही छाप दे।
तुम्हारी यह व्यंग्य-मुस्कान मेरे हौसले पस्त कर देती है। क्या मतलब है इसका? कौन सी मुस्कान है यह?
क्या होरी का गोदान हो गया?
क्या पूस की रात में नीलगाय हलकू का खेत चर गई?
क्या सुजान भगत का लड़का मर गया, क्योंकि डॉक्टर क्लब छोड़कर नहीं आ सकते?
नहीं, मुझे लगता है माधो औरत के कफ़न के चंदे की शराब पी गया। वही मुस्कान मालूम होती है।
मैं तुम्हारा जूता फिर देखता हूं। कैसे फट गया यह, मेरी जनता के लेखक?
क्या बहुत चक्कर काटते रहे?
क्या बनिये के तगादे से बचने के लिए मील-दो मील का चक्कर लगाकर घर लौटते रहे?
चक्कर लगाने से जूता फटता नहीं है, घिस जाता है। कुंभनदास का जूता भी फतेहपुर सीकरी जाने-आने में घिस गया था। उसे बड़ा पछतावा हुआ। उसने कहा – ‘आवत जात पन्हैया घिस गई, बिसर गयो हरि नाम।’
और ऐसे बुलाकर देने वालों के लिए कहा था—‘जिनके देखे दुख उपजत है, तिनको करबो परै सलाम!’
चलने से जूता घिसता है, फटता नहीं। तुम्हारा जूता कैसे फट गया?
मुझे लगता है, तुम किसी सख्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परत-पर-परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आज़माया।
तुम उसे बचाकर, उसके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियां पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती है।
तुम समझौता कर नहीं सके। क्या तुम्हारी भी वही कमज़ोरी थी, जो होरी को ले डूबी, वही ‘नेम-धरम’वाली कमज़ोरी? ‘नेम-धरम’ उसकी भी ज़ंजीर थी। मगर तुम जिस तरह मुसकरा रहे हो, उससे लगता है कि शायद ‘नेम-धरम’ तुम्हारा बंधन नहीं था, तुम्हारी मुक्ति थी!
तुम्हारी यह पांव की अंगुली मुझे संकेत करती-सी लगती है, जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पांव की अंगुली से इशारा करते हो?
तुम क्या उसकी तरफ़ इशारा कर रहे हो, जिसे ठोकर मारते-मारते तुमने जूता फाड़ लिया?
मैं समझता हूं। तुम्हारी अंगुली का इशारा भी समझता हूं और यह व्यंग्य-मुस्कान भी समझता हूं।
तुम मुझ पर या हम सभी पर हंस रहे हो, उन पर जो अंगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं, उन पर जो टीले को बरकाकर बाजू से निकल रहे हैं। तुम कह रहे हो – मैंने तो ठोकर मार-मारकर जूता फाड़ लिया, अंगुली बाहर निकल आई, पर पांव बच रहा और मैं चलता रहा, मगर तुम अंगुली को ढांकने की चिंता में तलुवे का नाश कर रहे हो। तुम चलोगे कैसे?
मैं समझता हूं। मैं तुम्हारे फटे जूते की बात समझता हूं, अंगुली का इशारा समझता हूं, तुम्हारी व्यंग्य-मुस्कान समझता हूं!

#premchand #harishankar_parsai  #satire

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