शुक्रवार, 29 मई 2020

Humour : एक्ट्रेस के मुंह से अचानक गिरा मास्क, चेहरा देखकर सदमे में आया कोरोना



By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, मुंबई। यहां गुरुवार को अपनी बॉलकनी में खड़ी एक एक्ट्रेस का मास्क अचानक नीचे गिर पड़ा। मौके का फायदा उठाने के फेर में जैसे ही कोरोना उसके मुंह की तरफ बढ़ा तो वह भी सदमा खाकर वहीं गिर पड़ा। उसे पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, जहां उसकी सांस ऊपर-नीचे हो रही है।

एक्ट्रेस के करीबी सूत्रों के अनुसार एक्ट्रेस ने लॉकडाउन की मजबूरी के चलते पिछले दो माह से मैकअप नहीं करवा रखा था। इसी वजह से वह सोते समय भी, यहां तक कि बाथरूम में भी चेहरे पर मास्क लगाकर ही जाती थी। लेकिन आज सुबह बालकनी में अचानक तेज हवा के कारण मास्क नीचे गिर पड़ा। एक कोरोना वायरस पिछले कई दिनों से एक्ट्रेस के चेहरे को खूबसूरत मानकर उसके दीदार करने की ताक में था। बस मास्क गिरते ही अति उत्साह में वह तुरंत एक्ट्रेस के सामने आ गया। लेकिन जैसे ही एक्ट्रेस के चेहरे पर नजर पड़ी, ‘हाय दैया’ की आवाज निकली और वह सदमे में जमीन पर आ गिरा। उसे तुरंत कोरोना हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है।

कोरोना के एक करीबी रिश्तेदार के अनुसार उसे इस बात की कतई उम्मीद नहीं थी कि कोई एक्ट्रेस बगैर मैकअप के ऐसी भी हो सकती हैं। भारतीय दर्शकों की तरह उसने भी कुछ और ही उम्मीद पाल रखी थी। लेकिन आज टूटते ही वह सदमे में पहुंच गया। एक्ट्रेस और कोरोना दोनों ही पहचान गोपनीय रखी गई है।

(Disclaimer : फोटो केवल प्रतीकात्मक है। हाथ हटाकर चेहरा देखने का प्रयास कतई न करें..)

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गुरुवार, 28 मई 2020

Humor & Satire : जब बाबाजी से अनुमति मांगने आ गया कोरोना...

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 By Jayjeet

बाबाजी ने कोरोना वायरस की दवाई ‘कोरोनिल’ बनाने का दावा किया है। यह दावा करते ही कोरोना तुरंत ही बाबाजी से चीन वापस जाने की अनुमति मांगने आ गया। सुनते हैं उनकी बातचीत के मुख्य अंश :

कोरोना : बाबाजी, अब मैं चलूं? मेरा काम तो हो गया…

बाबाजी : बेटा, इतनी जल्दी चला जाएगा तो फिर दवा बनाने का क्या फायदा?

कोरोना : बाबाजी, तीन लाख से ऊप्पर मरीज हो तो गए। अब बच्चे की जान लोगे क्या?

बाबाजी : पर तेरे को जल्दी क्यों है? मेहमाननवाजी में कोई कमी रह गई है क्या? रोज चाऊमीन खिला तो रहे हैं।

कोराना : बाबा, वही तो परेशानी है। सोया बड़ी व पत्ता गोभी वाला चाऊमीन भी कोई चाऊमीन होती है क्या? माना आप लोगों की हमारे चाइना से दुश्मनी है, पर आप यह दुश्मनी चाऊमीन के साथ क्यों निकाल रहे हैं!

बाबाजी : पर बेटा, अभी तू चाइना वापस जाएगा तो वहां वे तुझे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन कर देंगे। तो तू यहीं रहकर मरीज बढ़ा ना। देख, लोग कैसे मजे में घूम रहे हैं। न मास्क की चिंता, न सोशल डिस्टेंसिंग की …तेरे लिए तो स्कोप ही स्कोप है..

कोराना : इसमें तो आप भी अपना स्कोप देख रहे हों… आप भी यही चाहते हों ना कि लोग ज्यादा से ज्यादा मुझसे प्यार करें ताकि आपने जो दवा बनाई, उसका…

बाबाजी : (बीच में बात काटते हुए) : तू कुछ ज्यादा शाणपत्ती मतलब ओवर समझदारी की बात ना कर रहा!

कोरोना : समझदार होता तो यूं इंडिया में आता क्या?

बाबाजी : अब तू आ गया तो अगले दो-एक महीने यहीं रुक…

कोरोना : हां रुक जाऊंगा, पर एक शर्त है। अब मैं कपालभाति ना करुंगा… सांस फूल जाती है। ना ही भ्रामरी, ना वो तुम्हारा अनुलोम-विलोम

बाबाजी : बेटा, इत्ते दिन भारत में हो गए। फिर भी तुझे कोई बीमारी हुई?

कोरोना : हां, ये बात तो अचरज की है, न बीपी, न डायबिटीज..

बाबाजी : वह इसीलिए कि तू ये बेसिक योगासन कर रहा है।

कोरोना : तो फिर आप दवा क्यों बना रहे हो? यही करवाओ ना सभी लोगों को?

बाबाजी : सब तेरे जैसे समझदार थोड़े हैं.. पर तू ज्यादा समझदारी भी ना दिखा। हमको भी थोड़ा बहुत धंधा करने दे…कुछ लोगों की नौकरियां भी तो इसी से चलेंगी.. अब जा। कल टाइम पे आ जाना…साथ में योग करेंगे।

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सोमवार, 25 मई 2020

छह माह बाद क्राइम की दुनिया : शहर में मास्क स्नैचर्स का खौफ, महिलाओं के कीमती मास्क पर डाल रहे हैं डाका

(छह माह बाद ऐसी भी खबरें पढ़ने को मिलेंगी, इसकी तैयारी अभी से कर लीजिए)


By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, इंदौर। शहर में मास्क स्नैचर्स का आतंक बढ़ता जा रहा है। कल रात को मोटरसाइकिल पर आए दो मास्क स्नैचर एक महिला का सोने से जड़ा कीमती मास्क छीनकर ले गए।

सुदामा नगर थाने में दर्ज शिकायत में महिला ने बताया कि वह कल देर शाम को अपनी सहेली के साथ शॉपिंग के लिए जा रही थी। इतने में एक मोटरसाइकिल पर आए दो बदमाशों ने उसका बेशकीमती मास्क छीन लिया। मास्क पर सोने के कंगुरे जड़े हुए थे। मास्क की कीमत 80 हजार रुपए बताई गई है।

पुलिस ने बताया कि जल्दी ही बदमाशों की पहचान कर ली जाएगी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अपराधियों की धरपकड़ करने की कोशिश की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज में एक बदमाश ने हल्के नीले कलर का तो दूसरे बदमाश ने ग्रे कलर का चौकड़ीदार मास्क लगा रखा है।

महिला को बगैर सैनेटाइज किए हाथों से छूने की कोशिश :
इस बीच, सुखलिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नंदानगर क्षेत्र की एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कहा है कि उसे कल रात किसी शरारती युवक ने हाथ सैनेटाइज किए बगैर ही छूने की कोशिश की। महिला द्वारा शोर मचाए जाने पर पड़ोसी आ गए और उन्होंने उस युवक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। सभी पड़ोसियों को 14 दिनों के लिए क्वारंटीन कर दिया गया है।

(Disclaimer : फिलहाल खबर कपोल कल्पित है, मगर भविष्य में सच होने वाली है।)

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रविवार, 24 मई 2020

Interview : जब जनप्रिय रिपोर्टर को रोटी ने सुना दी खरी-खरी…

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By Jayjeet

जैसे ही लॉकडाउन में थोड़ी राहत मिली, यह रिपोर्टर फिर निकल पड़ा अपने काम पर। काम मतलब उलटे सीधे इंटरव्यू के फेर में। इस समय आदमी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज क्या है? रोटी.. हां रोटी। इसी तलाश में लाखों लोग अपने गांव छोड़कर शहरों के नरक में गए थे और अब इसी के चक्कर में अपने गांव लौट रहे हैं। तो रिपोर्टर भी तलाशने लगा रोटी। कुछ दुकानों पर उसे डबलरोटी तो नजर आई, लेकिन रोटी नहीं। काफी देर तक इधर-उधर घूमने के बाद आखिर उसे इंटरव्यू के लिए रोटी नसीब हो ही गई। सड़क के किनारे पड़ी हुई थी, बिल्कुल सूखी हुई। शायद किसी दुर्भाग्यशाली लेकिन आत्मस्वाभिमानी गरीब के हाथों से गिर गई होगी और फिर उसने उसे उठाना उचित न समझा होगा।

‘नमस्कार रोटी जी। क्या मैं आपसे बात कर सकता हूं?’ रिपोर्टर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बोला।

रोटी ने अपनी बंद आंख खोली, धूल साफ करते हुए अंगड़ाई ली और उठ खड़ी हुई : जी, बोलिए।

मैं इस देश का जनप्रिय रिपोर्टर। बस आपका इंटरव्यू लेना था।

रोटी : क्या अब रिपोर्टर भी नेता हो क्या, जनप्रिय रिपोर्टर? खैर, पूछिए, पर जरा जल्दी पूछिएगा।

रिपोर्टर : सबसे पहले तो यही पूछना है कि आप गरीब की रोटी है या अमीर की?
रोटी: आपका पहला सवाल ही गलत है। रोटी तो रोटी होती है, न अमीर की न गरीब की। उसका तो एक ही काम होता है खाने वाले का पेट भरना। हां, गरीब की रोटी सूखी हो सकती है, लेकिन उसके लिए तो वही मालपुआ होती है ना!

रिपोर्टर : इन दिनों आप बड़ी डिमांड में है?
रोटी : यह भी गलत सवाल। मेरी डिमांड कब नहीं रहती? गरीबों की बस्तियों में तो मेरी हर समय मांग रहती है। लोग जीते भी मेरे लिए हैं और मरते भी मेरे लिए। देखा ना अभी, मेरे खातिर कितने लोग सैकड़ों किमी पैदल ही चल पड़े हैं।

रिपोर्टर : तो कहने का मतलब है गरीब के हाथ में आपको ज्यादा सम्मान मिलता है, अमीर के हाथ में कम?
रोटी : जब आपने अपनी तारीफ में कहा था कि आप जनप्रिय रिपोर्टर हैं, तभी मैं आपकी औकात समझ गई थी कि आप नेता जैसी तुच्छ हरकत तो करेंगे ही। नेताओं जैसी भेदभाव बढ़ाने वाली बात कर रहे हैं आप। हां, अमीर-गरीब के बीच भारी खाई है,लेकिन पेट की भूख तो अंतत: मुझसे ही मिटती है, भले ही अमीर की थाली में सौ पकवान ही क्यों न हों?

रिपोर्टर : जब आपको कोई खाता है तो कैसा लगता है?
रोटी : आप क्या पहले न्यूज एंकर भी रह चुके हैं जो ऐसे बेमतलब के सवाल पूछ रहे हैं? भाई, ईश्वर ने मुझे पैदा ही इसलिए पैदा किया है कि दूसरों की खुशी के लिए मैं खुद को मिटा दूं। ऐसा करके मैं अपने कर्त्तव्य का ही तो पालन करती हूं।

रिपोर्टर : अरे वाह, क्या नेक विचार हैं। अगर सभी इंसान भी आपकी तरह सोचने लगे तो शायद कोई भूखा न सोएं… अभी तो आपका यह विचार और भी प्रासंगिक हो गया है, सबका पेट भर सकता है।
रोटी : चलिए… अब दूर हट जाइए। बहुत देर से वह कुत्ता बड़ी लालसा के साथ अपनी जीभ लटकाए आपके हटने का इंतजार कर रहा है। अभी तो बेचारे जानवरों के सामने भी पेट भरने का संकट पैदा हो गया है। और हां, आपके सवाल बड़े कमजोर थे। अगली बार किसी से इंटरव्यू करने जाए तो तैयारी करके जाइएगा, जनप्रिय रिपोर्टर!!!

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सोमवार, 18 मई 2020

Humor : नेताओं ने कोरोना को दिया अल्टीमेटम, कहा- हम आत्मनिर्भर, तेरे जैसे वायरसों की यहां कोई जरूरत नहीं

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हिंदी सटायर डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के मंत्र के बाद देश की सर्वदलीय नेता बिरादरी ने कोरोना वायरस को तत्काल देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है। वाट्सएप पर भेजे गए इस अल्टीमेटम में कहा गया है कि वायरस के मामले में हम सालों से आत्मनिर्भर रहे हैं। इसलिए तेरी यहां कोई जरूरत नहीं है।

ऑल पार्टी नेता कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रवक्ता ने हिंदी सटायर से बात करते हुए, 'आत्मनिर्भरता की हम अपनी ताकत को भूल गए थे। अच्छा हुए प्रधानमंत्रीजी ने हमें याद दिला दिया। हमारे जैसों के होते हुए हमें बाहर से वायरस बुलाना पड़े, इससे ज्यादा लज्जा की बात और कोई नहीं हो सकती। इसलिए हमने तुरंत कोरोना वायरस को देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है।'

इससे पहले कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में एक संकल्प पारित किया गया जिसमें कहा गया कि हम सभी नेता अपने वायरस-कत्तर्व्य का तन, मन और धन से पालन करेंगे, ताकि देश इस मामले में न केवल पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन सके, बल्कि दूसरों देशों को भी हमारी आपूर्ति की जा सके।

#Political_Satire #humor 

शुक्रवार, 15 मई 2020

Humor : बागी विधायकों, पतियों से लेकर हिंदी के साहित्यकारों तक… जानिए इनके आत्मनिर्भर होने के मायने

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By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ‘आत्मनिर्भर’ होने का क्रांतिकारी मंत्र दिया था। आइए जानते हैं कि अलग-अलग वर्गों के लिए इसके क्या मायने हैं :

हिंदी साहित्यकार के लिए : हर हिंदी साहित्यकार का अपना-अपना पर्सनल खेमा होगा। कोई दूसरे खेमे में जाने को मजबूर नहीं होगा। इससे हमारा हिंदी साहित्य ऐसी ओछी बातों से मुक्त हो सकेगा कि ‘हिंदी साहित्य दो खेमे में बंटा’। हर साहित्यकार के पास दूसरे साहित्यकार को दुत्कारने की अपनी स्वनिर्मित ऑरिजिनल गालियां भी होंगी।

पतियों के लिए : अब यह बर्तन मांजने से लेकर किसी भी अन्य जरूरी काम के लिए पत्नी की डांट-डपट पर निर्भर नहीं रहेगा। स्वप्रेरणा से खुद को ही डांटते हुए खुद ही किसी वीर यौद्धा की भांति बर्तन मांजकर खुद ही पोछ-पाछकर छींके पर जमा देगा। आत्मनिर्भरता के लिए इसका मंत्र होगा – खुद से खुद तक…।

बागी विधायकों के लिए : अब हर बागी मानसिकता वाले विधायक का अपना दाम ही नहीं, अपना खुद का रिजॉर्ट भी होगा। उसका खुद का AI बेस्ड ऐसा सिस्टम होगा कि उसे अपने आप पता चलता रहेगा कि देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए उसे किसके सामने अपनी बोली पेश करनी है और कितनी।

साइबेरियाई पक्षियों के लिए : भारत में ठंड शुरू हो गई है कि नहीं, इसके लिए साइबेरियाई पक्षी हर साल केजरीवालजी के मफलर धारण करने का इंतजार करते आए हैं। अब वे भारत में अपनी मफलरपीठें स्थापित करेंगे जिनमें उनके स्थानीय प्रतिनिधि बैठेंगे और वे खुद ही मफलर धारण करके अपनी जमातों के लिए संकेत देंगे कि आ जाओ भाइयों, ठंड शुरू हो गई है।

शराबियों के लिए : देश के सबसे मजबूत आर्थिक स्तंभ यानी शराबी पहले से पर्याप्त आत्मनिर्भर हैं। फिर भी उनके लिए आत्मनिर्भर होने का सिर्फ इतना ही मतलब है कि हर दारूड़े का अपना-अपना चखना होगा। किसी को दूसरे के चखने पर हाथ मारने की मजबूरी नहीं होगी। ‘मेरी दारू, मेरा चखना’ इनका मूल मंत्र होगा।

बीजेपी के लिए : यह अब अपनी जीत के लिए राहुल गांधी नामक व्यक्ति पर डिपेंड नहीं रहेगी। अपने दम पर ही जीत हासिल करेगी। अब मोदीजी अपने मित्र ट्रम्प को चुनाव जितवाने के लिए राहुलजी को अमेरिका एक्सपोर्ट कर सकेंगे, ताकि वहां राहुल, ट्रम्प के विरोधियों के पक्ष में प्रचार कर ट्रम्प की जीत सुनिश्चित कर सकें।

कांग्रेस के लिए : अब जब भी यूपी या बिहार में चुनाव होंगे तो जमानत जब्त करवाने के लिए यह दूसरों दलों पर निर्भर नहीं रहेगी। अपने दम पर ही अपने उम्मीदवारों की जमानत जब्त करवाएगी।

अखिलेश के लिए : पिताश्री मुलायम यादव जी क्या बोल रहे हैं, यह समझने के लिए उन्हें अब किसी दुभाषिए की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुलायम सिंह से ट्रेनिंग लेकर खुद ही उनकी भाषा को समझने में आत्मनिर्भर बनेंगे।

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मंगलवार, 5 मई 2020

Humor News : बरात में क्यों किया जाता है नागिन डांस? ‘विवाह प्रपंच’ नामक महाकाव्य से हुआ खुलासा

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By A. Jayjeet

नई दिल्ली। हर बरात में दूल्हे के मित्रों द्वारा नागिन डांस क्यों किया जाता है, यह आज तक एक रहस्य रहा है। लेकिन अब कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिससे इस रहस्य पर से परदा उठ सकता है। आज से करीब हजार साल पहले ‘विवाह प्रपंच’ नाम से एक पूरा महाकाव्य इस विषय पर लिखा जा चुका है, जिसके कुछ पन्ने इस रिपोर्टर के हाथ लगे हैं।

इस महाकाव्य के कविवर के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो पाई है, लेकिन इससे पता चलता है कि उन्हें शादीशुदा जिंदगी का जबरदस्त अनुभव रहा होगा। इसमें कवि दूल्हे के मित्रों के माध्यम से दूल्हे को अंतिम समय तक आगाह करना चाहता है। इसके लिए कवि नागिन डांस का दृश्य बुनता है। चूंकि भारतीय संस्कृति में किसी शुभ कार्य से पहले नकारात्मक बातें मुंह से नहीं निकाली जाती हैं। लेकिन फिर भी दूल्हे के मित्र उसे भावी खतरों के बारे में बताना चाहते हैं। अब कैसे बताएं। सीधे यह तो कह नहीं सकते कि शादी मत कर, इसलिए मित्र नागिन डांस करके उसे संकेतों में आगाह करते हैं।

कवि कहता है, “नागिन डांस करते हुए और जमीन पर लौट-लौटकर दूल्हे को उसके मित्र ये संकेत दे रहे हैं- हे मित्र, जो सजी-संवरी कन्या तेरे दिलो-दिमाग पर छाई हुई है, उसके भुलावे में मत आ। जा मित्र, जा। जिस घोड़े पे बैठा है, उसे दुलत्ती लगा और भाग जा यहां से, भाग जा नागिन से।”

लेकिन मित्र नागिन डांस के जरिए संदेश देने में विफल रहते हैं। इसके बाद भी दूल्हे के मित्र अपनी कोशिश नहीं छोड़ते। अंतिम कोशिश के तहत वे जोरदार आतिशबाजी करते हैं। दस हजार पटाखों की लड़ी भी फोड़ते हैं। वे संकेत देते हैं कि हे मित्र, अब भी समय है। भाग जा, तेरी जिंदगी में धमाके होने वाले हैं।

कवि आगे कहता है, घोड़े पर सवार दूल्हे की पोशाक में बैठा वह आदमी अब कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। तब एक मित्र अपने दूसरे मित्र से कहता है- चल रे दोस्त, अब सारी उम्मीदेें खत्म हुई जाती हैं। आ, अब हम भी तनिक आराम कर लें। दारू उतरी जा रही है। दूसरा मित्र कहता, हा रहे मितवा, इस दूल्हे का तो दिमाग खराब हुआ जा रहा है। हम इतनी माथापच्ची क्यों करें। चल आ, थोड़ा गला तर कर लें।

शादी के बाद बदल गई भूमिकाएं, नायिका बन गई संपेरा: 

विडंबना देखिए कि शादी से पहले कवि नायिका को ‘नागिन’ नाम से संबोधित कर रहा है। लेकिन शादी के बाद के पद्यों में नायिका के हाथों में बीन नजर आ रही है। नायिका अब संपेरा बन गई है और नायक नागिन बनकर नाच रहा है। यानी अब भूमिकाएं बदल गई हैं। कवि ने अपने पद्यों में इसका भी बहुत सुंदर वर्णन किया है। शायद अपने अनुभवों से ही कवि यह लिख पाया होगा, ऐसा माना जा सकता है।