बुधवार, 30 जून 2021

पेट्रोल से खास बातचीत.... जब लोग अपनी बाइकों में इतना पेट्रोल डलवा रहे हैं तो कुछ तो गड़बड़ है...



पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी

By Jayjeet 

बहुत दिनों के बाद आज रिपोर्टर फ्री था। तो सोचा, थोड़ा पेट्रोल से भी मिल लिया जाए। और पहुंच गया उसी पेट्रोल के पास जो अब खुद को एक तरह से सेलेब्रिटी मानने लगा था।

"नमस्कार भैया। कहां चढ़े हों? तनिक नीचे तो उतरो।' रिपोर्टर आसमान की ओर देखते हुए पेट्रोल से मुखातिब था।

"कौन है भाई? हमारा विकास देखा नहीं जा रहा तो मुंह फेर लो।' पेट्रोल उतने ही एटीट्यूड में बोला, जितना ऐसी स्थिति में आमतौर पर आ ही जाता है।

"आपका जरा इंटरव्यू करना है।'

"अच्छा तो आप रिपोर्टर हैं। बड़ी जल्दी आ गए। डीजल को भी जरा 100 पार कर लेने देते, फिर आते।' अपनी उपेक्षा के चलते पेट्रोल के मुंह पर एक तरह के कटाक्ष का भाव है।

"आपकी शिकायत जायज है। देर हो गई आते-आते। अब क्या करें, कुछ बड़ी राष्ट्रीय समस्याओं में फंस गया था। इसलिए समय ही नहीं मिल पाया।'

"अच्छा तो अब आप भी कांग्रेस हो गए। बड़ी-बड़ी समस्याओं में फंसे हुए हैं और हम जैसे छोटों के लिए टाइम ही ना मिल रहा। बहुत बढ़िया!'

"अगर टांटबाजी हो गई हो तो सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू करें?'

"हां, जब सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत ना होती है तो फिर पूछने के लिए हम गरीब ही बचते हैं।' इतना कहते ही पेट्रोल ने ऐसा जोर से ठहाका लगाया कि थूक के कुछ छीटें रिपोर्टर के शर्ट पर आ गिरे। उसने यह ठहाका अपनी गरीबी पर उसी अंदाज में लगाया था जैसे अक्सर कई अमीर खुद की गरीबी पर लगाते हैं।

"इतना थूक ना उड़ाओ। आपकी थूक की एक-एक बूंद बड़ी कीमती है। और फिर हमारे कपड़ों पर गिरकर रिस्की भी हो रही है। हवा में कब कौन कहां से तीली निकाल लें, इन दिनों पता ही नहीं चलता। हां, पर आपने क्या कहा, मैंने कुछ सुना नहीं?'

"असली बातें सुनकर भी ना सुनना तो आप जैसों से सीखें। मैं कह रहा था कि ये इंटरव्यू विंटरव्यू सरकार से क्यों नहीं करते?'

"अरे सरकार क्या हमारे लिए फालतू बैठी है? ट्विटर की वो छटाक भर की चिड़िया भी सिर उठा रही है। इन दिनों बहुत चें चें कर रही है। लगता है राजद्रोहियों के साथ मिल गई है। तो उसका थूथना दबाने में लगी है सरकार।'

"हां, ये तो सही कर रही है सरकार। ट्विटर को कम से कम देश के नक्शे-वक्शे के साथ खेला नहीं करना चाहिए। इससे हम-आप तो ठीक है, पर उन लोगों की भावनाओं को बड़ी ठेस पहुंचती है जो स्विस बैंकों के बजाय देश की सीमाओं के भीतर ही भ्रष्टाचार की अपनी गाढ़ी कमाई रखते हैं। देश का पैसा देश में ही रहे, ऐसी पावन सोच वाले लोग जब ट्विटर की ऐसी करतूत देखते हैं तो दुख तो होगा ही।'

"तो असल सवाल पूछने का सिलसिला शुरू करें?'

"असल सवाल?' हंसते हुए, "पर हमसे पूछने के लिए बचा ही क्या है? यही पूछोंगे ना कि हमने तो सेंचुरी मार ली है, अब ये विराट दो साल से क्या कर रहा है? पर बता दूं, क्रिकेट में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है।'

"मेरी भी कोई दिलचस्पी नहीं है। फिर ऐसे सवाल पूछने के लिए उनकी बीवी बैठी हुई हैं। हम क्यों पर्सनल बातें करें?'

"तो फिर पूछिए, जो भी पूछना हो। पर जरा जल्दी कर लेना। वैसे भी आपने बहुत टाइम खोटी कर लिया। इतनी देर में हम दो-चार सेमी और ऊंचाई पर पहुंच जाते।'

"एक बहुत ही गंभीर सवाल है जो दो-तीन दिन से मन में मंडरा रहा है। आपने सुना या पढ़ा ही होगा कि महामहिम ने कहा है कि वे अपनी आधी सैलरी टैक्स में दे देते हैं ...'

"देखिए, महामहिम जी का हम बहुत सम्मान करते हैं। तो उनके खिलाफ हम कुछ ना बोलेंगे, समझ लीजिए।' बात को बीच से ही काटते हुए पेट्रोल बोला।

"तो हम क्या कम सम्मान करते हैं उनका? बहुत सम्मान करते हैं। सबको करना चाहिए। हम तो केवल उनकी बात से जुड़ा एक सवाल पूछ रहे हैं। पूरा सुन तो लीजिए। जब महामहिम जी इतना टैक्स चुका रहे हैं, तो अपनी मोटरसाइकिलों में जो इतना महंगा तेल भर-भरकर लोग जा रहे हैं, उनकी भी इनकम टैक्स जांच होनी चाहिए कि नहीं?'

"क्यों? हमारे दाम खटकने लगे! जरा खाने के तेल से भी ऐसा ही पूछो ना!'

"हां, उससे पूछकर ही तो आ रहा हूं। वह भी इस बात से सहमत है।'

"क्या बोला वो? '

"यही कि लोग सब दिखावे के लिए झोपड़ियां तानकर रखे हैं और दो-दो टाइम का खाना, वह भी तेल में बघारा हुआ खा रहे हैं। सरकार को पूरी जांच करके इस बात का पता लगाना चाहिए कि आखिर आम लोगों के पास इतना भर-भरकर पैसा आ कहां से रहा है?'  

"जब खाने का तेल यह बात बोल रहा है तो सही ही बोल रहा होगा। तो सरकार जांच करवा लें और जो टैक्स चुरा रहे हैं, उनसे पूरी शक्ति के साथ पूरा टैक्स वसूले। बेचारे देश के महामहिम टाइप के लोग ही टैक्स क्यों दें?' पेट्रोल ने सहमति जताई।

"तो फिर आप दोनों का यह ज्वाइंट स्टेटमेंट छाप दूं ना कि गाड़ियों में पेट्रोल और पेटों में खाने का तेल अगर आम लोग इतनी आसानी से भरवा रहे हैं तो इसमें कुछ तो गड़बड़ है।'

"पर हमारा नाम मत लेना। सूत्रों टाइप कुछ छाप सको तो छाप देना। कहीं सरकार बुरा ना मान जाए। अभी सरकार से बहुत काम है। 150 तक जाना है। आप जानते ही हैं कि अगर सरकार से काम हो तो ज्यादा क्रांति नहीं दिखानी चाहिए। अब मैं चलूं, आज के लेटेस्ट दाम आ गए हैं। अब तो दो इंच और ऊपर चला मैं...'

(ए. जयजीत खबरी व्यंग्यकार हैं। अपने इंटरव्यू स्टाइल में लिखे व्यंग्यों के लिए चर्चित हैं।)

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