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शुक्रवार, 5 जून 2020

बारिश में अधिक से अधिक भीगे अनाज, सरकारी महकमे ने की पूरी तैयारी



By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। मानसून की आहट सुनते ही मप्र सरकार ने मंडियों में रखी उपज के भीगने के पूरे इंतजाम कर लिए हैं। सरकार ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल 20 फीसदी अनाज अधिक भीगना चाहिए। ऐसा न होने पर उनके खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। इस बीच, कई इलाकों में निसर्ग तूफान के असर के कारण हुई पहली ही बारिश में मंडी प्रांगण में रखे अनाज के भीगने से सरकारी खेमे में उल्लास की लहर है।

मप्र में कई इलाकों में जून के पहले पखवाड़े में मानसून के पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इस संबंध में कृषि विभाग के एक सीनियर अफसर ने हिंदी सटायर से खास बातचीत में कहा, “हर बार की तरह इस बार भी हम अनाज को मानसूनी बारिश में भिगोने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वैसे तो हमने इस तरह की चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखी है कि खरीदा गया या किसानों द्वारा बेचने के लिए लाया गया अनाज बिल्कुल नैचुरली खुले में ही पड़ा रहे। फिर भी अगर कहीं गलती से अनाज को सुरक्षित रख दिया गया है तो उसे जल्दी ही मानसून दिखाने के लिए खुले में ले लाएंगे।”

उन्होंने कहा, “सारे संबंधित अफसरों को अधिक से अधिक अनाज और उपज को मानसूनी बारिश में भिगोने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद अगर किसी मंडी या सरकारी गोदाम में अनाज सुरक्षित पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

20 फीसदी अधिक का टारगेट :
प्यून को पान-बहार लाने का निर्देश देने के बाद अधिकारी ने बताया कि अब सरकार भी प्राइवेट सेक्टर्स की तरह टारगेट बेस्ड काम करने लगी है। इस बार पूरे प्रदेश में अनाज के भीगने का लक्ष्य पिछली बार की तुलना में 20 फीसदी अधिक दिया गया है। उम्मीद है कि हम इसके आसपास रहेंगे।

यह पूछे जाने पर कि इतना प्रगतिशील राज्य होने के बावजूद मप्र अब तक 100 फीसदी लक्ष्य हासिल क्यों नहीं कर पाया? इस सवाल पर सीनियर अफसर ने धीरे से कहा, “प्रदेश में अब भी ऐसे कई भ्रष्ट अधिकारी हैं जो गोदाम में रखे अनाज को मानसून या चूहों से बचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सरकार ऐसे अफसरों पर नजर रखे हुए हैं। हम जल्दी ही ऐसे अफसरों को चिह्नित कर उन्हें उन विभागों में भेजने की कार्रवाई करेंगे जहां केवल मक्खी मारने का काम होगा। ये अफसर इसी तरह का काम करने के लायक हैं।”


( एेसे ही मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)


रविवार, 24 मई 2020

Interview : जब जनप्रिय रिपोर्टर को रोटी ने सुना दी खरी-खरी…

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By Jayjeet

जैसे ही लॉकडाउन में थोड़ी राहत मिली, यह रिपोर्टर फिर निकल पड़ा अपने काम पर। काम मतलब उलटे सीधे इंटरव्यू के फेर में। इस समय आदमी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज क्या है? रोटी.. हां रोटी। इसी तलाश में लाखों लोग अपने गांव छोड़कर शहरों के नरक में गए थे और अब इसी के चक्कर में अपने गांव लौट रहे हैं। तो रिपोर्टर भी तलाशने लगा रोटी। कुछ दुकानों पर उसे डबलरोटी तो नजर आई, लेकिन रोटी नहीं। काफी देर तक इधर-उधर घूमने के बाद आखिर उसे इंटरव्यू के लिए रोटी नसीब हो ही गई। सड़क के किनारे पड़ी हुई थी, बिल्कुल सूखी हुई। शायद किसी दुर्भाग्यशाली लेकिन आत्मस्वाभिमानी गरीब के हाथों से गिर गई होगी और फिर उसने उसे उठाना उचित न समझा होगा।

‘नमस्कार रोटी जी। क्या मैं आपसे बात कर सकता हूं?’ रिपोर्टर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बोला।

रोटी ने अपनी बंद आंख खोली, धूल साफ करते हुए अंगड़ाई ली और उठ खड़ी हुई : जी, बोलिए।

मैं इस देश का जनप्रिय रिपोर्टर। बस आपका इंटरव्यू लेना था।

रोटी : क्या अब रिपोर्टर भी नेता हो क्या, जनप्रिय रिपोर्टर? खैर, पूछिए, पर जरा जल्दी पूछिएगा।

रिपोर्टर : सबसे पहले तो यही पूछना है कि आप गरीब की रोटी है या अमीर की?
रोटी: आपका पहला सवाल ही गलत है। रोटी तो रोटी होती है, न अमीर की न गरीब की। उसका तो एक ही काम होता है खाने वाले का पेट भरना। हां, गरीब की रोटी सूखी हो सकती है, लेकिन उसके लिए तो वही मालपुआ होती है ना!

रिपोर्टर : इन दिनों आप बड़ी डिमांड में है?
रोटी : यह भी गलत सवाल। मेरी डिमांड कब नहीं रहती? गरीबों की बस्तियों में तो मेरी हर समय मांग रहती है। लोग जीते भी मेरे लिए हैं और मरते भी मेरे लिए। देखा ना अभी, मेरे खातिर कितने लोग सैकड़ों किमी पैदल ही चल पड़े हैं।

रिपोर्टर : तो कहने का मतलब है गरीब के हाथ में आपको ज्यादा सम्मान मिलता है, अमीर के हाथ में कम?
रोटी : जब आपने अपनी तारीफ में कहा था कि आप जनप्रिय रिपोर्टर हैं, तभी मैं आपकी औकात समझ गई थी कि आप नेता जैसी तुच्छ हरकत तो करेंगे ही। नेताओं जैसी भेदभाव बढ़ाने वाली बात कर रहे हैं आप। हां, अमीर-गरीब के बीच भारी खाई है,लेकिन पेट की भूख तो अंतत: मुझसे ही मिटती है, भले ही अमीर की थाली में सौ पकवान ही क्यों न हों?

रिपोर्टर : जब आपको कोई खाता है तो कैसा लगता है?
रोटी : आप क्या पहले न्यूज एंकर भी रह चुके हैं जो ऐसे बेमतलब के सवाल पूछ रहे हैं? भाई, ईश्वर ने मुझे पैदा ही इसलिए पैदा किया है कि दूसरों की खुशी के लिए मैं खुद को मिटा दूं। ऐसा करके मैं अपने कर्त्तव्य का ही तो पालन करती हूं।

रिपोर्टर : अरे वाह, क्या नेक विचार हैं। अगर सभी इंसान भी आपकी तरह सोचने लगे तो शायद कोई भूखा न सोएं… अभी तो आपका यह विचार और भी प्रासंगिक हो गया है, सबका पेट भर सकता है।
रोटी : चलिए… अब दूर हट जाइए। बहुत देर से वह कुत्ता बड़ी लालसा के साथ अपनी जीभ लटकाए आपके हटने का इंतजार कर रहा है। अभी तो बेचारे जानवरों के सामने भी पेट भरने का संकट पैदा हो गया है। और हां, आपके सवाल बड़े कमजोर थे। अगली बार किसी से इंटरव्यू करने जाए तो तैयारी करके जाइएगा, जनप्रिय रिपोर्टर!!!

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मंगलवार, 5 मई 2020

Humor News : बरात में क्यों किया जाता है नागिन डांस? ‘विवाह प्रपंच’ नामक महाकाव्य से हुआ खुलासा

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By A. Jayjeet

नई दिल्ली। हर बरात में दूल्हे के मित्रों द्वारा नागिन डांस क्यों किया जाता है, यह आज तक एक रहस्य रहा है। लेकिन अब कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिससे इस रहस्य पर से परदा उठ सकता है। आज से करीब हजार साल पहले ‘विवाह प्रपंच’ नाम से एक पूरा महाकाव्य इस विषय पर लिखा जा चुका है, जिसके कुछ पन्ने इस रिपोर्टर के हाथ लगे हैं।

इस महाकाव्य के कविवर के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो पाई है, लेकिन इससे पता चलता है कि उन्हें शादीशुदा जिंदगी का जबरदस्त अनुभव रहा होगा। इसमें कवि दूल्हे के मित्रों के माध्यम से दूल्हे को अंतिम समय तक आगाह करना चाहता है। इसके लिए कवि नागिन डांस का दृश्य बुनता है। चूंकि भारतीय संस्कृति में किसी शुभ कार्य से पहले नकारात्मक बातें मुंह से नहीं निकाली जाती हैं। लेकिन फिर भी दूल्हे के मित्र उसे भावी खतरों के बारे में बताना चाहते हैं। अब कैसे बताएं। सीधे यह तो कह नहीं सकते कि शादी मत कर, इसलिए मित्र नागिन डांस करके उसे संकेतों में आगाह करते हैं।

कवि कहता है, “नागिन डांस करते हुए और जमीन पर लौट-लौटकर दूल्हे को उसके मित्र ये संकेत दे रहे हैं- हे मित्र, जो सजी-संवरी कन्या तेरे दिलो-दिमाग पर छाई हुई है, उसके भुलावे में मत आ। जा मित्र, जा। जिस घोड़े पे बैठा है, उसे दुलत्ती लगा और भाग जा यहां से, भाग जा नागिन से।”

लेकिन मित्र नागिन डांस के जरिए संदेश देने में विफल रहते हैं। इसके बाद भी दूल्हे के मित्र अपनी कोशिश नहीं छोड़ते। अंतिम कोशिश के तहत वे जोरदार आतिशबाजी करते हैं। दस हजार पटाखों की लड़ी भी फोड़ते हैं। वे संकेत देते हैं कि हे मित्र, अब भी समय है। भाग जा, तेरी जिंदगी में धमाके होने वाले हैं।

कवि आगे कहता है, घोड़े पर सवार दूल्हे की पोशाक में बैठा वह आदमी अब कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। तब एक मित्र अपने दूसरे मित्र से कहता है- चल रे दोस्त, अब सारी उम्मीदेें खत्म हुई जाती हैं। आ, अब हम भी तनिक आराम कर लें। दारू उतरी जा रही है। दूसरा मित्र कहता, हा रहे मितवा, इस दूल्हे का तो दिमाग खराब हुआ जा रहा है। हम इतनी माथापच्ची क्यों करें। चल आ, थोड़ा गला तर कर लें।

शादी के बाद बदल गई भूमिकाएं, नायिका बन गई संपेरा: 

विडंबना देखिए कि शादी से पहले कवि नायिका को ‘नागिन’ नाम से संबोधित कर रहा है। लेकिन शादी के बाद के पद्यों में नायिका के हाथों में बीन नजर आ रही है। नायिका अब संपेरा बन गई है और नायक नागिन बनकर नाच रहा है। यानी अब भूमिकाएं बदल गई हैं। कवि ने अपने पद्यों में इसका भी बहुत सुंदर वर्णन किया है। शायद अपने अनुभवों से ही कवि यह लिख पाया होगा, ऐसा माना जा सकता है। 

गुरुवार, 5 मार्च 2020

Funny Interview : गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग

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By Jayjeet

मप्र से जैसे ही हॉर्स ट्रेडिंग की खबर आई, यह रिपोर्टर अपने खच्चर पर बैठ सीधे पहुंच गया अस्तबल… इंटरव्यू की आज्ञा-वाज्ञा टाइप की फार्मलिटीज पूरी हो, उससे पहले ही रिपोर्टर को देखकर हॉर्स ने कहा, आओ गुरु, मुझे मालूम था तुम मेरे पास ही आओगे…

रिपोर्टर : यह आपको कैसे मालूम था?

हॉर्स : राजनीति और पत्रकारिता को देखे अरसा हो गया है। अब तुम पत्रकारों से ज्यादा पत्रकारिता समझने लगा हूं…

रिपोर्टर : मतलब?

हॉर्स : मतलब यही कि जहां सुभीता हो, वहां की पत्रकारिता करो।

रिपोर्टर : थोड़ा डिटेल में बताएंगे महोदय कि आपके यह कहने का आशय क्या है? मुझे यह आरोप प्रतीत हो रहा है।

हॉर्स : भैया, हॉर्स ट्रेडिंग स्साले वे नेता करें और सवाल उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछ रहे हों? ये सुभीता की पत्रकारिता नहीं तो और क्या है?

रिपोर्टर : महोदय, आपका गुस्सा जायज है, लेकिन कृपया इस खच्चर के सामने तो हमें जलील न करो…

हॉर्स : ओ हो, माफी चाहता हूं, मुझे लगा कि साथ में तुम्हारा साथी है। खैर, पूछो क्या पूछना है?

रिपोर्टर : विधायकों की खरीद पर बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का यूज किया जाता है। क्या नेताओं के साथ तुलना आपको अपमानजनक नहीं लगती?

हॉर्स : कोई नया सवाल नहीं है? ये तो आप पहले भी पूछ चुके हो, पचास बार पूछ चुके हो। कुछ पढ़ा-लिखा करो जरा..

रिपोर्टर : अभी कृपा करके नए पाठकों के लिए बता दीजिए। मैं जाकर पढ़ लूंगा…

हॉर्स : चलिए,थोड़ी इज्जत रख लेता हूं। तो हमारे घोड़ों का जो एसोसिएशन है, उसने मई 2018 में कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त के दौरान बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस याचिका में हॉर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि हॉर्स ट्रेडिंग का नाम बदलकर ‘डंकी ट्रेडिंग’ किया जा सकता है।

रिपोर्टर : ये तो एकदम सटीक नाम है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

हॉर्स : सुप्रीम कोर्ट कुछ कहे, उससे पहले ही डंकियों के एसोसिएशन की इस पर आपत्ति आ गई। उनका कहना था कि वे पहले से ही बदनाम हैं। ऊपर से नेताओं की खरीद-फरोख्त के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया तो वे मुंह दिखाने के लायक भी न रहेंगे।

रिपोर्टर : तो अब क्या स्थिति है महोदय?

हॉर्स : अभी तो मामला सब्ज्यूडाइस है। इसलिए ज्यादा बोलना अदालत की अवमानना हो जाएगा।

रिपोर्टर : अगर घोड़ों और गधों दोनों को आपत्ति है, तो क्यों न खच्चर ट्रेडिंग नाम रख लिया जाए। क्या विचार है?

घोड़ा विचार करें, उससे पहले ही यह रिपोर्टर जिस खच्चर पर बैठा था, वह बिदक गया…. और दचक के नौ-दो ग्यारह हो गया…

घोड़ा जोर-जोर हिनहिनाकर हंस रहा है… और यह रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज देने जा रहा है कि गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग…

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शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

निर्वाचन आयोग से कांग्रेस की मांग, चुनावों में हो ‘कांग्रेस आरक्षित सीटाें’ की व्यवस्था

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By Jayjeet

नई दिल्ली। कांग्रेस ने दिल्ली चुनावों में हुई हार से बड़ा सबक लेते हुए आने वाले तमाम चुनावों में अपने लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की। इस संबंध में बुधवार को पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मिलकर अपना मांग-पत्र भी सौंपा।

दिल्ली चुनावों में लगातार दूसरी बार जीरो स्कोर करने के बाद यहां मंगलवार की रात को कांग्रेस कोर कमेटी की एक आपातकालीन बैठक हुई। बैठक में कई वरिष्ठ नेताओं का मानना था कि अगर लोकसभा चुनाव सहित सभी राज्यों की विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस पार्टी के लिए कुछ सीटें आरक्षित कर दी जाएं तो इससे भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक विरासत को बचाना संभव हो सकेगा। अगर निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस की यह मांग मान ली तो जिस तरह एससी/एसटी सीटों पर केवल इन्हीं वर्गों के लोग चुनाव लड़ सकते हैं, उसी तरह कांग्रेस आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेसियों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति होगी।

पार्टी को उम्मीद है कि इसी साल बिहार विधानसभा चुनावों से यह नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। सूत्र ने बताया कि अगर निर्वाचन आयोग इस संबंध में कोई फैसला नहीं लेता है तो कांग्रेस व्यापक जनांदोलन छेड़ देगी। राहुलजी अगली छुट्टियां मनाकर जैसे ही विदेश से लौटेंगे, आंदोलन की रूपरेखा बना ली जाएगी। फिलहाल राहुलजी के जल्दी ही छुट्टियों पर जाने का इंतजार किया जा रहा है।

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बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

क्रेकिंग इंटरव्यू… कांग्रेस को कोई खरीददार न मिल रहा तो मैं क्या करूं? : ताजमहल

ताजमहल से खास बातचीत…

ताजमहल


By Jayjeet

कांग्रेस के वर्चुअल प्रेसिडेंट राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस आरोप के बाद कि समय आने पर वे यानी मोदीजी ताजमहल को भी बेच सकते हैं, रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में सीधे ताजमहल के पास पहुंच गया। आप भी पढ़ें रिपोर्टर-ताजमहल के बीच हुई बातचीत के मुख्य अंश :

रिपोर्टर : सलाम वालेकुम चच्चा।

ताजमहल : तुम टूरिस्ट लोग भी भोत तलते हों.. और ये अस्सलामु अलैकुम होता है.. तमीज़ सीख लो जरा..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं टूरिस्ट नहीं, रिपोर्टर हूं रिपोर्टर

ताजमहल : भैया, माफ़ करना, मैं आपके लिए फ्री में ताज दीदार की व्यवस्था नहीं करवा सकता..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं ताज देखने ना आया, मैं तो आपके इंटरव्यू के लिए आया हूं

ताजमहल : ओ हो, इंटरव्यू, वॉट एन आइडिया…

रिपोर्टर : अरे, आप तो अंग्रेजी भी बोल लेते हैं!

ताजमहल (शर्माते हुए) : बस, टूरिस्ट्स की संगत में सीख गया…अच्छा बताओ क्या पूछना है?

रिपोर्टर : कल राहुल गांधी बोले कि मोदीजी ताजमहल, मसलन आपको भी बेच सकते हैं। क्या कहना है आपका इस पर…?

ताजमहल : अब, ये तुम मुझे अपनी घटिया सियासत में तो मत ही घसीटो..

रिपोर्टर : ओ हो, तो क्या आपके जमाने में सियासत नहीं होती थी?

ताजमहल : हां, होती थी। बेटा पिता को कैद कर लेता था। देखा है मैंने। भाई भाई को मरवा देता था। यह भी देखा है। पर इतना घटियापन ना था जो आप लोगों की सियासत में है। जो भी था, खुल्ला खेल था। ऐसा ना कि बाहर कुछ और, अंदर कुछ और।

रिपोर्टर : पर राहुलजी ने आपका नाम लिया है। कुछ तो बोलो…

ताजमहल : अब क्या बोलूं, मोदी है तो मुमकिन है।

रिपोर्टर : क्या राहुल जी की पीड़ा यह तो नहीं कि वे कहना चाह रहे हो कि देखो, मोदी ताजमहल जैसी बासी चीजों को तो बेच रहे हैं, पर कांग्रेस की कोई वकत नहीं…

ताजमहल (थोड़ी नाराजगी के साथ) : अब तुम मुंह तो मत खुलवाओ, कांग्रेस के कोई भाव हो तो बिके?

रिपोर्टर : चच्चा, तो कांग्रेस क्या करें?

ताजमहल : क्या करें!! खुद को हैरिटेज पार्टी घोषित करवा लें, फिर देखो कांग्रेस हेड क्वार्टर कैसे टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा। और एक दिन कांग्रेस के बिकने की बात भी होने लगेगी।

रिपोर्टर : यानी आपका यह कहना है कि कांग्रेस खुद ही बिकना चाहती है, पर कोई खरीददार न मिल रहा… मतलब ब्रेकिंग न्यूज… मैं चला…

ताजमहल (जोर से चिल्लाते हुए) : अबे चच्चा की औलाद, मैंने ये कब बोला…तू खुद ही बोल रहा है ये उल्टा-सीधा … और ये ब्रेकिंग व्रेकिंग में मेरा नाम न लेना… अपनी भी कोई इज्जत है…

पर रिपोर्टर तो फांदते-फूंदते यह चला, वह चला…

 

रविवार, 26 जनवरी 2020

#republic_day : एक बच्चे की डायरी से जानें गणतंत्र दिवस के असली मायने!

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By Jayjeet

गणतंत्र दिवस के मायने अक्सर पूछे जाते हैं और हम सब फर्जी टाइप के जवाब देते हैं। गणतंत्र दिवस (republic-day) का हमारी जिंदगी में क्या मतलब है, इसका असली खुलासा तो 8 साल के एक बच्चे की डायरी से होता है। इस डायरी के कुछ पन्ने humourworld.com के हाथ लगे हैं। पेश है इसका सार :

प्रिय डायरी,

26 जनवरी को हमारे घर में खूब खुशी का माहौल होता है। पापा एक दिन पहले ही मम्मी से कह देते हैं, रेखा, कल छुट्‌टी है, जरा देर तक सोऊंगा।

इस बार भी पापा 9 बजे उठे हैं। नाश्ते के लिए बाहर से कचौरी-समोसे लाए। आते समय मेरे लिए प्लास्टिक की पन्नी वाले चार-पांच तिरंगा झंडे भी ले आए। कहा – जा तेरी साइकिल पर लगा लेना। अभी एक लगाना। गिर जाए तो फिर दूसरा लगा लेना। मम्मी ने कहा – ये क्यों लाकर देते रहते हो। सब कचरा करता रहेगा। पापा ने कहा- अरे, आज गणतंत्र दिवस है। बच्चों को हमारे तिरंगे के मायने पता होने चाहिए।

फिर जब मेरा झंडा गिर गया तो कहा- चिंटू, नीचे की चीज नहीं उठाना। नीचे बहुत गंदगी रहती है। दूसरा लगा लें, चार-पांच इसीलिए तो लाया हूं।

मम्मी ने खाना खाते-खाते पापा से कहा, – सुनो जी, आज कोई सेल चल रही है। 50 परसेंट तक डिस्काउंट मिल रहा है। मैंने कहा – मम्मी, रिपब्लिक डे सेल है। कोई ऐसी-वैसी सेल नहीं। पापा ने हंसकर कहा- देखा रिपब्लिक डे के बारे में तुमसे ज्यादा जानकारी तो अपने चिंटू को है।

हम सेल में जाने को तैयार हो रहे हैं। पापा बाहर के मौसम को देखकर कहते हैं- कमबख्त ये रिपब्लिक डे को भी रविवार को ही मरना था। एक दिन की छुट्‌टी मारी गई। सोमवार को आता तो तीन दिन की लगातार छुट्‌टी हो जाती। कहीं हो आते।

मम्मी ने कहा- तो ले लो। कल-परसो ले लो। ऑफिस के काम का क्या? होता रहेगा। नहीं भी होगा तो क्या फर्क पड़ेगा। पापा ने हामी में सिर हिला दिया।

तो अब तीन दिन हमारे साथ रहेंगे। … पिछली 15 अगस्त को भी तो ऐसा ही हुआ था।

(Disclaimer : यह खबर कपोल-कल्पित है। इसका मकसद केवल स्वस्थ मनोरंजन और सिस्टम पर कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं।)

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मंगलवार, 14 जनवरी 2020

#मकर_संक्रांति पर न नहाने वालों को भी मिलेगा पूरा पुण्य, सरकार ने जारी किया अध्यादेश

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इस तरह से केवल पानी में उतरने को भी स्नान माना जाएगा।

 

By Jayjeet

नई दिल्ली। एक और हिंदुत्ववादी कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया है जिसके तहत उन हिंदुओं को भी पूरा पुण्य उपलब्ध करवाया जाएगा जो ठंड के चलते मकर संक्रांति की अलसुबह स्नान करने में खुद को असमर्थ पाएंगे। हालांकि विपक्ष ने इसे सीएए की तरह ही धार्मिक भेदभाव वाला अध्यादेश करार दिया है।

यह फैसला यहां मंगलवार को मकर संक्रांति से एक दिन पहले बुलाई गई कैबिनेट की एक विशेष बैठक में लिया गया। फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि देश की बड़ी आबादी ठंड के कारण सप्ताह में तीन से चार दिन में एक बार ही नहा रही है। लेकिन मकर-संक्रांति पर मिलने वाले स्नान संबंधी पुण्य के मद्देनजर अधिकांश लोग धर्मसंकट में हैं कि नहाएं कि न नहाएं। लोगों को इसी धर्मसंकट से बाहर निकालने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। इसके लिए कैबिनेट ने हिंदू आचरण संहिता में संक्रांति के स्नान लाभ संबंधी अध्याय में आवश्यक संशोधन के लिए अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है। इससे न नहाने वाले देश के करोड़ों हिंदुओं को फायदा होगा। यह अध्यादेश बुधवार की सुबह संक्रांति के दिन से देशभर में लागू हो जाएगा।

राहुल ने देशवासियों से किया जमकर नहाने का आह्वान :

विपक्ष ने सरकार के इस अध्यादेश को धार्मिक विभाजन बढ़ाने वाला कदम करार दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीररंजन ने कहा कि इस अध्यादेश से फिर साबित हो गया कि सरकार केवल हिंदुओं का ही ध्यान रख रही है। अगर सरकार की मंशा नेक होती तो वह मुस्लिमों को भी जुम्मे की नमाज के दिन स्नान वगैरह से छूट देने का इसमें प्रावधान करती। इस बीच, राहुल गांधी ने इस अध्यादेश के विरोध स्वरूप देशवासियों से जमकर नहाने का आह्वान किया है। आम लोगों को नहाने के लिए प्रेरित करने के वास्ते उन्होंने रणदीप सुरजेवाला, मनीष तिवारी, अधीररंजन चौधरी सहित कांग्रेस के सात नेताओं को सुबह ब्रह्म मुहुर्त में स्नान करने के निर्देश दिए। हालांकि उन्होंने पत्रकारों के इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या विरोध स्वरूप वे भी नहाएंगे? राहुल ने मुस्कुराते हुए इतना ही कहा- “मैं कल ही नहाया हूं और आज भी फ्रेश ही नजर आ रहा हूं।”

अमित शाह की सफाई :

इस अध्यादेश पर अमित शाह ने मुस्कराते हुए इस तरह से सफाई दी, ‘मैं कहना चाहूंगा कि यह अध्यादेश स्नान नहीं करने से संबंधित है। यह किसी भी धर्म के व्यक्ति को नहाने के लिए मजबूर नहीं करता है, भले ही वह हिंदू हो या मुसलमान।’

(Disclaimer : इसका मकसद मकर संक्रांति के बहाने केवल राजनीतिक कटाक्ष करना है। धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्याल रखा गया है… )

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रविवार, 8 दिसंबर 2019

Satire : बापू की प्रतिमा ने ये क्या कर दिया? आपको यकीन नहीं होगा!!

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By Jayjeet

नई दिल्ली। मंगलवार को संसद परिसर में गले में प्याज की मालाएं पहनकर दो सांसद महोदय महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन कर रहे थे। उसी समय एक ऐसी घटना हो गई जिस पर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है। इस घटना के एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी थे गांधी प्रतिमा की सफाई करने वाले सफाईकर्मी झंकारसिंह। तो पहले उन्हीं की जुबानी सुनते है यह पूरी घटना :

‘ये दोनों सांसद महोदय बापू की मूर्ति के पास प्रदर्शन कर रहे थे, उधर मैं मूर्ति की सफाई कर रहा था। तभी मैंने बापू की आंखों में कुछ गीला-गीला सा देखा। पर मैंने सोचा कि ये बेचारी पत्थर की मूर्ति। इंसानों की आंखों में तो पानी बचा नहीं तो इस पत्थर की आंखों में भला पानी कहां से आएगा! यह सोचकर मैं मूर्ति के नीचे झाडू लगाने लगा। तभी तपाक से मेरी पीठ पर दो बड़ी-बड़ी बूंदें गिरी। गर्दन ऊप्पर की तो देखा बापू अपने हाथों से आंखें पोंछ रहे हैं। मुझे देखते ही उन्होंने तपाक से अपने हाथ नीचे कर लिए। मैं ये तो समझ गया कि ये बापू के आंसू हैं, पर यह समझ में नहीं आया कि वे रो क्यों रहे हैं। फिर बाद में दिमाग की बत्ती जली कि हां प्याज… । स्साले ये दोनों सांसद महोदय बापू की प्रतिमा के ठीक नीचे प्याज की माला पहनकर प्रदर्शन कर रहे थे ना, तो प्याज की गंध बापू सहन नहीं कर पाए होंगे और बिचारे के आंसू आ गए होंगे।’

झंकारसिंह इस मामले की गंभीरता को समझ नहीं पाए, लेकिन मामला तो बड़ा संगीन था कि आखिर बापू रोए क्यों ? क्या साध्वी प्रज्ञा के कारण, क्या हैदराबाद की घटना ने उन्हें इतना आघात पहुंचाया? या वाकई प्याज के कारण? इस बारे में हमने संसद में ही मौजूद कुछ पार्टियों के सांसदों से ही राय लेने का फैसला किया। सबसे पहले कांग्रेस के एक सांसद से बात की तो उन्होंने छूटते ही कहा, “क्या बकवास कहानी है? अब कहां बापू में जान आएगी! और क्या बापू की प्रतिमा भगवान गणेशजी हैं जो कभी भी दूध पीने लगे! हां हां हां…।”

बापू की प्रतिमा के पास प्रदर्शन करने वाले AAP सांसद से पूछा तो उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा, “हां, मेरी पीठ पर कुछ गीला-गीला सा महसूस तो हुआ था। लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे बापू के आंसू होंगे। शायद किसी चिड़िया की बीट होगी।”

इस बारे में एक भाजपा सांसद ने कहा, “हमें ऐसे अंधविश्वासों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। देश मोदीजी के नेतृत्व में विकास के मार्ग पर आगे बढ़ चुका है। देखिएगा, जीडीपी को हम जीरो पर लाकर कैसे 100 तक ले जाते हैं। आप देखते ही रह जाएंगे।”

रहस्य अब भी अनसुलझा था। तो यह रिपोर्टर खुद बापू की मूर्ति के पास गया। देखा, कोई आंसू नहीं। आंखें झुकी हुईं, मानों किसी बात पर शर्मिंदा हों। रिपोर्टर ने खुद को धिक्कारते हुए खुद से ही कहा, कहां झंकारसिंह की बातों में आ गया। बापू इतने कमजोर तो शायद नहीं होंगे जो आंसू बहाएं। वे तो रोजाना कितने ही लीटर खून के आंसू गटक जाते होंगे… और पता नहीं कब से ऐसा कर रहे होंगे। हां, आंसू नहीं बहाएंगे,यह यकीन है।

क्योंकि जिस दिन गांधी टूट गए, उस दिन शायद आखिरी उम्मीद भी टूट जाएगी…!

(Disclaimer : कहने की जरूरत नहीं, यह एक राजनीतिक कटाक्ष है)


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मंगलवार, 26 नवंबर 2019

Satire : भाजपा ने की कांग्रेस पर कब्जे की औपचारिक घोषणा, कांग्रेसियों ने भी किया स्वागत


headquarters of the Congress at 24 Akbar Road satire jokes on congress


नई दिल्ली। आज 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर भाजपा ने अंतत: कांग्रेस पर कब्जे का औपचारिक ऐलान कर दिया। इसके साथ ही 1975 के बाद वाली कांग्रेस की तमाम नीतियों, कार्यक्रमों, दांव-पेंचों और साम-दाम-दंड-भेद संहिता पर भाजपा का अधिकार हो गया।

भाजपा की ओर से इसकी औपचारिक घोषणा 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस के सुनसान पड़े मुख्यालय से की गई। वहां आयोजित कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष ने बेहद भावुक भाषण में कहा, ‘आज संविधान दिवस है। इस पवित्र मौके पर हमें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि आज से कांग्रेस की तमाम नीतियों का हमने औपचारिक तौर पर अधिग्रहण कर लिया है। वैसे हम पिछले कई महीनों से कांग्रेस के कार्यक्रमों को अमल में लाने का अभ्यास कर रहे थे। कर्नाटक से लेकर गोवा तक में हमने सफल प्रयोग किए। और अब महाराष्ट्र में हमें उन प्रयोगों को दोहराने में सफलता मिली है।’

कांग्रेस ने भी किया स्वागत :

 भाजपा के इस फैसले का कांग्रेस ने स्वागत करते हुए कहा है कि अब कम से कम अब 24 अकबर रोड मुख्यालय की सही देखरेख हो सकेगी। हमारा काम तो 10 जनपथ से ही चल जाएगा। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने खुशी जताते हुए कहा, ‘आज साफ हो गया कि देश में सत्ता किसी भी पार्टी की हो, नीतियां कांग्रेस की ही चलेंगी।’

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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

Satire : अपने ‘राजनीतिक गुरु’ को सम्मानित करना चाहते हैं राहुल, गायब हुए सीनियर कांग्रेसी

jokes on rahul gandhi funny
हाव-भाव पर न जाइए... सच्ची में अपने गुरु को सम्मानित करना चाहते हैं बाबा...
By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इस मंशा कि वे शिक्षक दिवस के मौके पर अपने राजनीतिक गुरु को सम्मानित करना चाहते हैं, को जानकर कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ नेता भूमिगत बताए जा रहे हैं। जनार्दन द्विवेदी, जयराम रमेश से लेकर दिग्गी राजा तक ने अपने फोन नॉट रिचेबल कर लिए हैं।

हिंटी सटायर को प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर राहुल ने अपने करीबियों से इच्छा जताई कि वे शिक्षक दिवस पर अपने राजनीतिक गुरु को सम्मानित करना चाहते हैं। जैसे ही यह खबर कांग्रेस के गलियारों में फैली, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में चिंता की लहर दौड़ गई। सीपी जोशी और अहमद पटेल अलग-अलग जगहों पर यह कहते सुने गए कि उन्हें तो राहुलजी से बहुत कुछ सीखने को मिला है, वे भला राहुलजी को क्या गुर दे सकते हैं? मोतीलाल वोरा ने अपने करीबियों से कहा (और यह भी कहा कि यह बात कुछ सूत्रों के जरिए राहुलजी तक पहुंच जाए) कि वे अब राजनीति में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं हैं, इसलिए उन्होंने राजनीतिक आधार पर सम्मानित होना छोड़ दिया है।

दिग्गी को पहले ही हो गया था भान! :
लगता है दिग्गी राजा को पहले से ही भान हो गया था कि शिक्षक दिवस पर राहुलजी कुछ गड़बड़-घोटाला कर सकते हैं। शायद इसीलिए उन्होंने कुछ दिन पहले से अपने गृह राज्य मप्र में कांग्रेस में कलह की स्थिति पैदा करवा दी ताकि राहुल उनके नाम पर अगर विचार कर रहे हों, तो वे छोड़ दें। हालांकि दिग्गी के घोर विरोधी उन्हें राहुल से सम्मानित करवाने के अभियान में जुट गए हैं।


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गुरुवार, 8 अगस्त 2019

Satire : कांग्रेस को मिलेगा ‘विशेष पार्टी का दर्जा’, लोकतंत्र को बचाने सरकार लाएगी कानून

rahul gandhi congress jokes
राहुल ने किया स्वागत, पर पार्टी कर रही है विरोध...
By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। धारा 370 पर कांग्रेस के रुख के मद्देनजर सरकार ने उसे विशेष पार्टी का दर्जा देने का फैसला किया है, ताकि पार्टी को बचाकर लोकतंत्र को भी बचाया जा सके। हालांकि कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का पूरजोर विरोध करते हुए कहा है कि उसे कोई भी तानाशाहीपूर्वक लिया गया निर्णय स्वीकार नहीं है। जनता दल यू ने भी इसका विरोध करने निश्चय किया है।

केंद्रीय कानून मंत्री हरिशंकर प्रसाद ने कहा, 'हम पर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगता रहा है। लेकिन हम बताना चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र में पूरा विश्वास है। चूंकि लोकतंत्र में विपक्ष की भी अहम भूमिका होती है। इसके मद्देनजर ही हम कांग्रेस पार्टी को विशेष पार्टी का दर्जा देने जा रहे हैं। भले ही कांग्रेसी खुद कांग्रेस को खत्म करने के हरसंभव प्रयास कर लें, लेकिन कांग्रेस को संरक्षित करना हमारा दृढ़ संकल्प है।'

कानून में क्या होगा?
कांग्रेस को बचाने के लिए सरकार 'कांग्रेस विशेष पार्टी दर्जा बिल 2019' जल्दी ही राज्यसभा में पेश करेगी। इसके तहत देश की 44 लोकसभा सीटें कांग्रेस के लिए आरक्षित की जाएंगी। वहां कांग्रेसी ही कांग्रेसी के खिलाफ चुनाव लड़ सकेगा। इस तरह यह सुनिश्चित हो सकेगा कि संसद में कांग्रेस की न्यूनतम 44 सीटें तो हमेशा रहें ही। इसके अलावा सभी प्रमुख राज्यों की विधानसभाओं में भी कुछ सीटें आरक्षित की जाएंगी।

कांग्रेस विरोध करेगी, जद यू भी खिलाफ :
कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध करने का निश्चय किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार यह कानून इसलिए बनाना चाहती है ताकि देश में कांग्रेस बची रहे और मोदी सरकार उसे गालियां दे-देकर सालों-साल सत्ता में आती रहे। हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे। हालांकि रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के इस आरोप को सिरे से ही खारिज करते हुए कहा कि अगर हमारी गलत मंशा होती तो हम 'राहुल गांधी स्थाई कांग्रेस अध्यक्ष बिल' लाते। लेकिन हमारा लोकतंत्र में पूर्ण विश्वास है और हम हर काम लोकतंत्र को मजबूत करने के मकसद से ही कर रहे हैं।

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बुधवार, 12 जून 2019

Satiire : हिंदी के भक्तिकाल की तर्ज पर सिलेबस में जुड़ेगा नया अध्याय – राजनीति का भक्तिकाल

modi bhakti satire


By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की दोबारा सत्ता में वापसी के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक नई पहल की है। इसके तहत हिंदी के भक्तिकाल की तर्ज पर पाठ्यक्रमों में ‘राजनीति का भक्तिकाल’ नाम से एक नया अध्याय जोड़ा जा रहा है। इस अध्याय की एक कॉपी hindisatire के भी हाथ लगी है। इसके मुख्य अंश हम अपने रीडर्स के लिए पेश कर रहे हैं :

‘राजनीति का भक्तिकाल’ पाठ के मुख्य अंश : 


भारतीय राजनीति में भक्तिकाल का आरंभ ईस्वी 2014 (संवत् 2071) से माना जाता है। मोदी भक्त इतिहासकार (जो साेशल मीडिया की देन रहे हैं) इसे भारतीय राजनीतिक शासन व्यवस्था का श्रेष्ठ काल मानते हैं। वैसे भक्तिकाल की धारा का उद्गम सन् 2001 से होता है जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात की बागडोर संभाली थी। लेकिन साल 2012 में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने और 2013 में पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद से भक्तिकाल की यह धारा फूट-फूटकर बहने लगी। 2014 के बाद से तो सोशल मीडिया पर भक्तों ने ऐसी भक्ति पेली कि कृष्ण के सूरदास, राम के तुलसीदास जैसे दासों की भक्ति तक फीकी पड़ गई। भक्ति की पिलाई करते समय न जात का फर्क रखा, न पांत का :

जाति-पांति पूछे नहिं कोई।
मोदी को भजै सो मोदी का होई।

इस काल में मोदी भक्ति की कई रचनाएं रची गई हैं जो अविस्मरणीय है :

भक्ति जो सीढ़ी मुक्ति की, चढ़ै मोदी भक्त हरषाय।
और न कोई चढ़ि सकै, लात दे गिराय।।

यानी कवि कहता है कि मोदी का जो भक्त मोदी भक्ति नामक सीढ़ी चल लेता है, वह हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। लेकिन जो चढ़ने में हिचक करता है, तो सीढ़ी के ऊपरी पायदान पर बैठे मोदी भक्त उसे लात मारकर और भी नीचे गिरा देते हैं।)

मोदी की भक्ति बिन, अधिक जीवन संसार।
धुवाँ का सा धौरहरा, बिनसत लगै न बार।।

यानी कवि कहता है कि मोदी की भक्ति के बिना संसार में जीना धिक्कार है। यह माया (वती) तो धुएं के महल के समान है। इसके खतम होने में समय नहीं लगता।

दो तरह की होती है भक्ति : 

इतिहासकारों ने मोदी के प्रति भक्ति को सगुण भक्ति माना है। यानी वह भक्ति जो गुणों की वजह से की जाती है। लेकिन इसी दौरान निर्गुण भक्ति का भी एक दौर चला है। राजनीति में एक खास परिवार के प्रति भक्ति को इतिहासकार निर्गुण भक्ति मानते हैं। यानी वह भक्ति, जो गुणों की वजह से नहीं, परिवार के कारण की गई।

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शनिवार, 1 जून 2019

Humor : गर्मी से राहत दिलाने भाजपा व कांग्रेस ने केजरीवाल से की मफलर धारण करने की मांग


arvind kejriwal funny photo with AAP cap

By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। देश के लोगों को गर्मी से निजात दिलाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अरविंद केजरीवाल से यथाशीघ्र मफलर धारण करने की मांग की है। इन दाेनों राष्ट्रीय पार्टियों का मानना है कि इस समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा आम लोगों को गर्मी से राहत दिलाना है। ऐसे में केजरीवाल का मफलर ही सूरज को कन्फ्यूज कर गर्मी के तेवर को कम कर सकता है।


भाजपा के प्रवक्ता सांबित पात्रा और कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने अलग-अलग टीवी चैनलों पर हुई चर्चाओं के दौरान ये मांग की। सांबित पात्रा ने कहा, “इस समय दिल्ली समेत पूरा देश भीषण गर्मी से परेशान हैं, लेकिन केजरीवाल बिजली सस्ती करने में लगे हुए हैं। अगर केजरीवाल को वाकई आम लोगों की चिंता है तो उन्हें तुरंत मफलर धारण करना चाहिए।”

उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने भी कहा कि राष्ट्रहित में दलीय मतभेदों को ऊपर रखकर कार्य करना कांग्रेस की संस्कृति रही है। इसीलिए भाजपा से वैचारिक मतभेद होने के बावजूद हम भी श्री केजरीवाल जी से मफलर धारण करने का आग्रह करते हैं। अखिलेश प्रताप ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इतना महत्वपूर्ण मसला होने के कारण ही वे कांग्रेस हाईकमान की विशेष अनुमति से टीवी पर आए हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस हाईकमान ने अगले एक माह के लिए अपने प्रवक्ताओं के टीवी बहस में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा रखा है।

केजरीवाल ही अंतिम उम्मीद :
इस बीच विशेषज्ञाें ने भी कहा है कि इस समय तो केवल अरविंद केजरीवाल से ही उम्मीद जताई जा सकती है। मौसम वैज्ञानिक डॉ. रमण पुजारी ने hindisatire से कहा, “हालांकि इस साल केजरीवाल ने ठंड में मफलर धारण नहीं किया, फिर भी सूरज पर मफलर इम्पैक्ट बाकी है। इसी के चलते केजरीवाल के मफलर धारण करते ही सूरज को एहसास होने लगेगा कि यह तो ठंड का मौसम है और इस मौसम में इतनी गर्मी ठीक नहीं है। इस तरह कन्फ्यूज होकर सूर्य देवता अपना तेज कम कर देंगे।”

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सोमवार, 15 अप्रैल 2019

Humour : ब्लैक होल मिलने से इतने खुश हुए वाड्रा कि लड्डू तक बंटवा दिए, जानिए क्यों?

robert vadra wirh rahul gandhi satire humour


By Jayjeet

नई दिल्ली। धरती से करोड़ों गुना बड़ा ब्लैक होल (black-hole) मिलने की खबर से सबसे ज्यादा खुश रॉबर्ट वाड्रा बताए जा रहे हैं। वे यह खबर मिलते ही इतने खुश हो गए कि उन्होंने इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के दफ्तर में उनके साथ चल रही पूछताछ रुकवा दी और ईडी के तमाम कर्मचारियों के बीच मोतीचूर के लड्‌डू तक बंटवा दिए। आखिर ब्लैक होल के मिलने का उनकी खुशी से क्या संबंध? इस बारे में हमने उनसे बहुत ही संक्षेप में बात की।

हिंदी सटायर : सुना है, आप ब्लैक होल मिलने से बड़े खुश हैं?
वाड्रा : जी हां, खुश क्यों नहीं होंगे? धरती से करोड़ों गुना बड़ा है।

हिंदी सटायर : तो इसमें आपके खुश होने की वजह?
वाड्रा : क्यों नहीं होगे भाई? अगर यह धरती से करोड़ों गुना बड़ा है तो सोचो कि वहां जमीन कितनी होगी? और सबसे बड़ी बात, वहां ईडी भी नहीं होगा।

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गुरुवार, 15 नवंबर 2018

Humor : बढ़ती डिमांड को देखते हुए सांबित पात्रा ने नियुक्त किए अपने 5 प्रवक्ता

sambit patra funny and satire

हिंदी सटायर डेस्क। टीवी चैनलों पर भाजपा प्रवक्ता सांबित पात्रा की लगातार डिमांड को देखते हुए पात्रा ने अब खुद अपने 5 प्रवक्ताओं का ऐलान किया है। नए चैनलों पर सांबित की ओर से उनके ये प्रवक्ता ही शामिल होंगे। कुछ बड़े चैनलों पर सांबित पात्रा (sambit-patra) बने रहेंगे। यह जानकारी पात्रा के हेड प्रवक्ता ने दी।

सांबित पात्रा के हेड प्रवक्ता ने बताया, “पिछले कुछ महीनों से पात्राजी काफी बिजी चल रहे हैं। वे न ढंग से खाना खा पा रहे थे और न ही सो पा रहे थे। इसी वजह से उन्होंने पांच नए प्रवक्ताओं की टीम बनाई है।”

पात्रा के हेड प्रवक्ता ने यह भी बताया कि यह शुरुआती अपॉइंटमेंट है। जरूरत पड़ने पर सांबित पात्रा जी ने हमें भी अपने दो-दो प्रवक्ता रखने के अधिकार दिए हैं। अगर इसके बाद भी काम नहीं बनता है तो पात्रा जी अपने कुछ क्लोन भी तैयार करने पर विचार कर रहे हैं।