गुरुवार, 8 अगस्त 2019

Satire : कांग्रेस को मिलेगा ‘विशेष पार्टी का दर्जा’, लोकतंत्र को बचाने सरकार लाएगी कानून

rahul gandhi congress jokes
राहुल ने किया स्वागत, पर पार्टी कर रही है विरोध...
By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। धारा 370 पर कांग्रेस के रुख के मद्देनजर सरकार ने उसे विशेष पार्टी का दर्जा देने का फैसला किया है, ताकि पार्टी को बचाकर लोकतंत्र को भी बचाया जा सके। हालांकि कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का पूरजोर विरोध करते हुए कहा है कि उसे कोई भी तानाशाहीपूर्वक लिया गया निर्णय स्वीकार नहीं है। जनता दल यू ने भी इसका विरोध करने निश्चय किया है।

केंद्रीय कानून मंत्री हरिशंकर प्रसाद ने कहा, 'हम पर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगता रहा है। लेकिन हम बताना चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र में पूरा विश्वास है। चूंकि लोकतंत्र में विपक्ष की भी अहम भूमिका होती है। इसके मद्देनजर ही हम कांग्रेस पार्टी को विशेष पार्टी का दर्जा देने जा रहे हैं। भले ही कांग्रेसी खुद कांग्रेस को खत्म करने के हरसंभव प्रयास कर लें, लेकिन कांग्रेस को संरक्षित करना हमारा दृढ़ संकल्प है।'

कानून में क्या होगा?
कांग्रेस को बचाने के लिए सरकार 'कांग्रेस विशेष पार्टी दर्जा बिल 2019' जल्दी ही राज्यसभा में पेश करेगी। इसके तहत देश की 44 लोकसभा सीटें कांग्रेस के लिए आरक्षित की जाएंगी। वहां कांग्रेसी ही कांग्रेसी के खिलाफ चुनाव लड़ सकेगा। इस तरह यह सुनिश्चित हो सकेगा कि संसद में कांग्रेस की न्यूनतम 44 सीटें तो हमेशा रहें ही। इसके अलावा सभी प्रमुख राज्यों की विधानसभाओं में भी कुछ सीटें आरक्षित की जाएंगी।

कांग्रेस विरोध करेगी, जद यू भी खिलाफ :
कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध करने का निश्चय किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार यह कानून इसलिए बनाना चाहती है ताकि देश में कांग्रेस बची रहे और मोदी सरकार उसे गालियां दे-देकर सालों-साल सत्ता में आती रहे। हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे। हालांकि रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के इस आरोप को सिरे से ही खारिज करते हुए कहा कि अगर हमारी गलत मंशा होती तो हम 'राहुल गांधी स्थाई कांग्रेस अध्यक्ष बिल' लाते। लेकिन हमारा लोकतंत्र में पूर्ण विश्वास है और हम हर काम लोकतंत्र को मजबूत करने के मकसद से ही कर रहे हैं।

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बुधवार, 12 जून 2019

Satiire : हिंदी के भक्तिकाल की तर्ज पर सिलेबस में जुड़ेगा नया अध्याय – राजनीति का भक्तिकाल

modi bhakti satire


By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की दोबारा सत्ता में वापसी के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक नई पहल की है। इसके तहत हिंदी के भक्तिकाल की तर्ज पर पाठ्यक्रमों में ‘राजनीति का भक्तिकाल’ नाम से एक नया अध्याय जोड़ा जा रहा है। इस अध्याय की एक कॉपी hindisatire के भी हाथ लगी है। इसके मुख्य अंश हम अपने रीडर्स के लिए पेश कर रहे हैं :

‘राजनीति का भक्तिकाल’ पाठ के मुख्य अंश : 


भारतीय राजनीति में भक्तिकाल का आरंभ ईस्वी 2014 (संवत् 2071) से माना जाता है। मोदी भक्त इतिहासकार (जो साेशल मीडिया की देन रहे हैं) इसे भारतीय राजनीतिक शासन व्यवस्था का श्रेष्ठ काल मानते हैं। वैसे भक्तिकाल की धारा का उद्गम सन् 2001 से होता है जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात की बागडोर संभाली थी। लेकिन साल 2012 में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने और 2013 में पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद से भक्तिकाल की यह धारा फूट-फूटकर बहने लगी। 2014 के बाद से तो सोशल मीडिया पर भक्तों ने ऐसी भक्ति पेली कि कृष्ण के सूरदास, राम के तुलसीदास जैसे दासों की भक्ति तक फीकी पड़ गई। भक्ति की पिलाई करते समय न जात का फर्क रखा, न पांत का :

जाति-पांति पूछे नहिं कोई।
मोदी को भजै सो मोदी का होई।

इस काल में मोदी भक्ति की कई रचनाएं रची गई हैं जो अविस्मरणीय है :

भक्ति जो सीढ़ी मुक्ति की, चढ़ै मोदी भक्त हरषाय।
और न कोई चढ़ि सकै, लात दे गिराय।।

यानी कवि कहता है कि मोदी का जो भक्त मोदी भक्ति नामक सीढ़ी चल लेता है, वह हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। लेकिन जो चढ़ने में हिचक करता है, तो सीढ़ी के ऊपरी पायदान पर बैठे मोदी भक्त उसे लात मारकर और भी नीचे गिरा देते हैं।)

मोदी की भक्ति बिन, अधिक जीवन संसार।
धुवाँ का सा धौरहरा, बिनसत लगै न बार।।

यानी कवि कहता है कि मोदी की भक्ति के बिना संसार में जीना धिक्कार है। यह माया (वती) तो धुएं के महल के समान है। इसके खतम होने में समय नहीं लगता।

दो तरह की होती है भक्ति : 

इतिहासकारों ने मोदी के प्रति भक्ति को सगुण भक्ति माना है। यानी वह भक्ति जो गुणों की वजह से की जाती है। लेकिन इसी दौरान निर्गुण भक्ति का भी एक दौर चला है। राजनीति में एक खास परिवार के प्रति भक्ति को इतिहासकार निर्गुण भक्ति मानते हैं। यानी वह भक्ति, जो गुणों की वजह से नहीं, परिवार के कारण की गई।

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शनिवार, 1 जून 2019

Humor : गर्मी से राहत दिलाने भाजपा व कांग्रेस ने केजरीवाल से की मफलर धारण करने की मांग


arvind kejriwal funny photo with AAP cap

By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। देश के लोगों को गर्मी से निजात दिलाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अरविंद केजरीवाल से यथाशीघ्र मफलर धारण करने की मांग की है। इन दाेनों राष्ट्रीय पार्टियों का मानना है कि इस समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा आम लोगों को गर्मी से राहत दिलाना है। ऐसे में केजरीवाल का मफलर ही सूरज को कन्फ्यूज कर गर्मी के तेवर को कम कर सकता है।


भाजपा के प्रवक्ता सांबित पात्रा और कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने अलग-अलग टीवी चैनलों पर हुई चर्चाओं के दौरान ये मांग की। सांबित पात्रा ने कहा, “इस समय दिल्ली समेत पूरा देश भीषण गर्मी से परेशान हैं, लेकिन केजरीवाल बिजली सस्ती करने में लगे हुए हैं। अगर केजरीवाल को वाकई आम लोगों की चिंता है तो उन्हें तुरंत मफलर धारण करना चाहिए।”

उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने भी कहा कि राष्ट्रहित में दलीय मतभेदों को ऊपर रखकर कार्य करना कांग्रेस की संस्कृति रही है। इसीलिए भाजपा से वैचारिक मतभेद होने के बावजूद हम भी श्री केजरीवाल जी से मफलर धारण करने का आग्रह करते हैं। अखिलेश प्रताप ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इतना महत्वपूर्ण मसला होने के कारण ही वे कांग्रेस हाईकमान की विशेष अनुमति से टीवी पर आए हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस हाईकमान ने अगले एक माह के लिए अपने प्रवक्ताओं के टीवी बहस में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा रखा है।

केजरीवाल ही अंतिम उम्मीद :
इस बीच विशेषज्ञाें ने भी कहा है कि इस समय तो केवल अरविंद केजरीवाल से ही उम्मीद जताई जा सकती है। मौसम वैज्ञानिक डॉ. रमण पुजारी ने hindisatire से कहा, “हालांकि इस साल केजरीवाल ने ठंड में मफलर धारण नहीं किया, फिर भी सूरज पर मफलर इम्पैक्ट बाकी है। इसी के चलते केजरीवाल के मफलर धारण करते ही सूरज को एहसास होने लगेगा कि यह तो ठंड का मौसम है और इस मौसम में इतनी गर्मी ठीक नहीं है। इस तरह कन्फ्यूज होकर सूर्य देवता अपना तेज कम कर देंगे।”

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सोमवार, 15 अप्रैल 2019

Humour : ब्लैक होल मिलने से इतने खुश हुए वाड्रा कि लड्डू तक बंटवा दिए, जानिए क्यों?

robert vadra wirh rahul gandhi satire humour


By Jayjeet

नई दिल्ली। धरती से करोड़ों गुना बड़ा ब्लैक होल (black-hole) मिलने की खबर से सबसे ज्यादा खुश रॉबर्ट वाड्रा बताए जा रहे हैं। वे यह खबर मिलते ही इतने खुश हो गए कि उन्होंने इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के दफ्तर में उनके साथ चल रही पूछताछ रुकवा दी और ईडी के तमाम कर्मचारियों के बीच मोतीचूर के लड्‌डू तक बंटवा दिए। आखिर ब्लैक होल के मिलने का उनकी खुशी से क्या संबंध? इस बारे में हमने उनसे बहुत ही संक्षेप में बात की।

हिंदी सटायर : सुना है, आप ब्लैक होल मिलने से बड़े खुश हैं?
वाड्रा : जी हां, खुश क्यों नहीं होंगे? धरती से करोड़ों गुना बड़ा है।

हिंदी सटायर : तो इसमें आपके खुश होने की वजह?
वाड्रा : क्यों नहीं होगे भाई? अगर यह धरती से करोड़ों गुना बड़ा है तो सोचो कि वहां जमीन कितनी होगी? और सबसे बड़ी बात, वहां ईडी भी नहीं होगा।

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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

Humor : पाकिस्तानी हुक्मरानों पर दबाव बनाने के लिए मोदी सरकार का नया दांव, टोटल धमाल रिलीज करने के निर्देश

मूवी टोटल धमाल movie total dhamaal


By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने के लिए मोदी सरकार एक और बड़ा दांव चलने जा रही है। इसके तहत सरकार ने मूवी 'टोटल धमाल' के प्रोड्यूसर्स को तत्काल प्रभाव से अपनी फिल्म पाकिस्तान में रिलीज करने के आदेश दिए हैं। सरकार को उम्मीद है कि इससे पाकिस्तानी दर्शको को जो मानसिक और आर्थिक नुकसान पहुंचेगा, वह वहां की सरकार पर दबाव का काम करेगा।

बता दे कि इससे पहले टोटल धमाल के प्रोड्यूसर्स ने कश्मीर में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के चलते फिल्म को पाकिस्तान में रिलीज नहीं करने का फैसला किया था। लेकिन गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया, “टोटल धमाल को लेकर मिले इंटेलीजेंस फीडबैक के बाद हमारे सुरक्षा सलाहकार और कुछ विशेषज्ञों ने टोटल धमाल मूवी का जायजा लिया। इसमें तय किया गया कि हमें इटेलीजेंस के चक्कर में न पड़कर इस नॉन-इंटेलीजेंस टूल का इस्तेमाल अपने शत्रुओं को मजा चखाने में करना चाहिए।”

इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की सलाह पर ही टोटल धमाल को पाकिस्तान में रिलीज करवाने का फैसला लिया गया है। सूत्र के अनुसार टोटल धमाल को देखने के लिए पाकिस्तानी दर्शकों को टिकट खरीदी का आर्थिक नुकसान तो पहुंचेगा ही, जबदरस्त मानसिक आघात भी मिलेगा। इस फिल्म के इंटरवल में एक संदेश भी चलाया जाएगा, जिसमें साफ-साफ लिखा होगा - “यह तो केवल एक ट्रेलर है। अगर पाक सरकार ने हमें आतंकी सरगना नहीं सौंपे, तो हमारे पास ऐसी कई फिल्में सीमा पर पेटीपैक तैयार हैं। हम जल्दी ही वे पाकिस्तान में भिजवा देंगे। इनमें साजिद खान की मूवीज भी शामिल हैं।”

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मंगलवार, 20 नवंबर 2018

Humor : ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ पर हरकत में आई सरकार, लगाया 100 फीसदी स्पेशल GST

Thugs of Hindostan movie humor
जीएसटी की घोषणा के बाद माफी मांगते आमिर। लगता है जेटली को माफी भी रास नहीं आई।


हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ पर 100 फीसदी की दर से स्पेशल GST लगा दिया है। ऐसा दर्शकों की मेंटली हेल्थ के मद्देनजर और उन्हें फ्रस्टेशन से बचाने के लिए किया है। इससे पहले सरकार ने ट्यूबलाइट पर स्पेशल GST लगाकर उन्हें राहत देने की कोशिश की थी।

वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया, “जिस दिन से ठग्स ऑफ हिंदोस्तान रिलीज हुई है, दर्शकों ने सरकार की नाक में दम कर रखा था। लोग सुषमाजी को थिएटर से ही रेस्क्यू करने को लेकर ट्विट पर ट्विट कर रहे थे। इसके मद्देनजर कल रात को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने कुछ चुनिंदा अफसरों के साथ मूवी का स्पेशल शो देखा। फिल्म देखने के दौरान ही जेटलजी को एहसास हुआ कि इसमें तो उतनी ही भयंकर ठगी है, जितनी कि नेतागिरी में है। उन्हें तुरंत स्थिति की गंभीरता समझ में आ गई और फिल्म के शो को बीच में ही रुकवा दिया। उन्होंने रात में ही जनहित में ठग्स ऑफ हिंदोस्तान को स्पेशल केस मानते हुए उस पर 100 फीसदी GST लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए।”

150 फीसदी सेस भी :

इस मूवी की स्क्रीनिंग के दौरान वित्त मंत्रालय के तीन अफसरों को आंशिक तौर पर मिर्गी के दौरे भी आ गए। इसको देखते हुए वित्त मंत्री ने ठग्स ऑफ हिंदोस्तान को आम दर्शकों की मेंटल हेल्थ के लिए घातक वस्तुओं की श्रेणी में रखकर इस पर 150 फीसदी सेस भी लगाने का निर्णय लिया है। यह सेस भी तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। गौरतलब है कि इससे पहले सलमान की ट्यूबलाइट पर भी सरकार इसी तरह से 100 फीसदी GST और 150 फीसदी सेस लगा चुकी है।

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गुरुवार, 15 नवंबर 2018

Humor : बढ़ती डिमांड को देखते हुए सांबित पात्रा ने नियुक्त किए अपने 5 प्रवक्ता

sambit patra funny and satire

हिंदी सटायर डेस्क। टीवी चैनलों पर भाजपा प्रवक्ता सांबित पात्रा की लगातार डिमांड को देखते हुए पात्रा ने अब खुद अपने 5 प्रवक्ताओं का ऐलान किया है। नए चैनलों पर सांबित की ओर से उनके ये प्रवक्ता ही शामिल होंगे। कुछ बड़े चैनलों पर सांबित पात्रा (sambit-patra) बने रहेंगे। यह जानकारी पात्रा के हेड प्रवक्ता ने दी।

सांबित पात्रा के हेड प्रवक्ता ने बताया, “पिछले कुछ महीनों से पात्राजी काफी बिजी चल रहे हैं। वे न ढंग से खाना खा पा रहे थे और न ही सो पा रहे थे। इसी वजह से उन्होंने पांच नए प्रवक्ताओं की टीम बनाई है।”

पात्रा के हेड प्रवक्ता ने यह भी बताया कि यह शुरुआती अपॉइंटमेंट है। जरूरत पड़ने पर सांबित पात्रा जी ने हमें भी अपने दो-दो प्रवक्ता रखने के अधिकार दिए हैं। अगर इसके बाद भी काम नहीं बनता है तो पात्रा जी अपने कुछ क्लोन भी तैयार करने पर विचार कर रहे हैं।

सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

Humor : फेक नेताओं पर बैन लगाने की मांग, जानिए इन्हें कैसे पहचानें?

fake political leaders funny political satire


हिंदी सटायर डेस्क। फेक न्यूज को लेकर चल रहे विवाद के बीच सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में फेक नेताओं पर बैन लगाने की मांग की है। नेताओं की सर्वदलीय समिति ने इस संबंध में सरकार को एक पत्र भेजा है। इसमें समिति ने आशंका जताई है कि जैसे एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है, उसी तरह ऐसे चुनिंदा फेक नेता भी राजनीति के पवित्र सागर को गंदा कर देंगे। इसलिए इन पर तुरंत प्रतिबंध लगाकर और उन्हें लात मारते हुए राजनीति से बाहर कर देना चाहिए।

फेक नेताओं के गिनाए कु-लक्षण
हिंदी सटायर को भी लीकेज में इस पत्र की एक कॉपी हाथ लगी है। इस पत्र में फेक नेताओं के 5 कु-लक्षण बताए गए हैं। हम अपने रीडर्स के लिए भी 5 कु-लक्षण बता रहे हैं ताकि वे सतर्क रहें और ऐसे कु-लक्षण वाले नेताओं को देखते हुए उन्हें लात मारकर भगा सकें।

कु-लक्षण 1 : जैसी कथनी, वैसी करनी
ये वे होते हैं, जो जैसा बोलते हैं, वैसा करते हैं। इनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता। ये ईमानदारी की न केवल बात करते हैं, बल्कि खुद ईमानदार भी होते हैं।

कु-लक्षण 2 : धर्म और जातिवाद से परे
ये नेता वोट लेने के लिए न धर्म का सहारा लेते हैं और न जाति का। इन्हें अक्सर चुनाव का टिकट भी नहीं मिलता। गाहे-बगाहे अगर टिकट मिलता भी है तो जीतते नहीं हैं। मौजूदा राजनीति के लिए ये सबसे घातक हैं।

कु-लक्षण 3 : भाई-भतीजावाद पर भरोसा नहीं
ये नेता समाज सेवा की इच्छा से राजनीति करते हैं। ये न अपने बेटे-बेटियों को आगे बढ़ाते हैं, न अपने रिश्तेदारों को। अपने उत्तराधिकारी का चयन मेरिट के आधार पर करते हैं।

कु-लक्षण 4 : कमीशनखोरी से परहेज
ये इन नेताओं का सबसे बड़ा कु-लक्षण है। ये कमीशनखोरी से परहेज कर नेतागिरी के पावन उद्देश्य को ही डिफिट कर देते हैं। ऐसे नेता न केवल खुद के, बल्कि पूरी भारतीय राजनीति पर कलंक के समान होते हैं।

कु-लक्षण 5 : संस्कार पैदाइशी इनबिल्ट
ऐसे फेक नेताओं के मुंह पर अपने विरोधियों के लिए भी सम्मान का भाव रहता है। ये कोई गाली-गलौज नहीं करते। संस्कार नामक अवगुण इनमें पैदाइशी इनबिल्ट होता।

सरकार ने पूछा, ऐसे नेता हैं कहां?
नेताओं की सर्वदलीय समिति के पत्र के जवाब में सरकार ने पूछा है कि ऐसे नेता हैं कहां? सरकार ने कहा कि हमें तो ये न किसी सरकार में नजर आते हैं, न किसी पार्टी में प्रमुख पदों पर। अगर दो-चार कहीं होंगे भी इधर-उधर कोने में पड़े होंगे। हमें इसकी चिंता में दुबले नहीं होकर राष्ट्रहित में जुटे रहना चाहिए।

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