मंगलवार, 5 मई 2020

Humor News : बरात में क्यों किया जाता है नागिन डांस? ‘विवाह प्रपंच’ नामक महाकाव्य से हुआ खुलासा

nagin-dance-india-jokes-humor, नागिन डांस, नागिन डांस जोक्स


By A. Jayjeet

नई दिल्ली। हर बरात में दूल्हे के मित्रों द्वारा नागिन डांस क्यों किया जाता है, यह आज तक एक रहस्य रहा है। लेकिन अब कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिससे इस रहस्य पर से परदा उठ सकता है। आज से करीब हजार साल पहले ‘विवाह प्रपंच’ नाम से एक पूरा महाकाव्य इस विषय पर लिखा जा चुका है, जिसके कुछ पन्ने इस रिपोर्टर के हाथ लगे हैं।

इस महाकाव्य के कविवर के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो पाई है, लेकिन इससे पता चलता है कि उन्हें शादीशुदा जिंदगी का जबरदस्त अनुभव रहा होगा। इसमें कवि दूल्हे के मित्रों के माध्यम से दूल्हे को अंतिम समय तक आगाह करना चाहता है। इसके लिए कवि नागिन डांस का दृश्य बुनता है। चूंकि भारतीय संस्कृति में किसी शुभ कार्य से पहले नकारात्मक बातें मुंह से नहीं निकाली जाती हैं। लेकिन फिर भी दूल्हे के मित्र उसे भावी खतरों के बारे में बताना चाहते हैं। अब कैसे बताएं। सीधे यह तो कह नहीं सकते कि शादी मत कर, इसलिए मित्र नागिन डांस करके उसे संकेतों में आगाह करते हैं।

कवि कहता है, “नागिन डांस करते हुए और जमीन पर लौट-लौटकर दूल्हे को उसके मित्र ये संकेत दे रहे हैं- हे मित्र, जो सजी-संवरी कन्या तेरे दिलो-दिमाग पर छाई हुई है, उसके भुलावे में मत आ। जा मित्र, जा। जिस घोड़े पे बैठा है, उसे दुलत्ती लगा और भाग जा यहां से, भाग जा नागिन से।”

लेकिन मित्र नागिन डांस के जरिए संदेश देने में विफल रहते हैं। इसके बाद भी दूल्हे के मित्र अपनी कोशिश नहीं छोड़ते। अंतिम कोशिश के तहत वे जोरदार आतिशबाजी करते हैं। दस हजार पटाखों की लड़ी भी फोड़ते हैं। वे संकेत देते हैं कि हे मित्र, अब भी समय है। भाग जा, तेरी जिंदगी में धमाके होने वाले हैं।

कवि आगे कहता है, घोड़े पर सवार दूल्हे की पोशाक में बैठा वह आदमी अब कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। तब एक मित्र अपने दूसरे मित्र से कहता है- चल रे दोस्त, अब सारी उम्मीदेें खत्म हुई जाती हैं। आ, अब हम भी तनिक आराम कर लें। दारू उतरी जा रही है। दूसरा मित्र कहता, हा रहे मितवा, इस दूल्हे का तो दिमाग खराब हुआ जा रहा है। हम इतनी माथापच्ची क्यों करें। चल आ, थोड़ा गला तर कर लें।

शादी के बाद बदल गई भूमिकाएं, नायिका बन गई संपेरा: 

विडंबना देखिए कि शादी से पहले कवि नायिका को ‘नागिन’ नाम से संबोधित कर रहा है। लेकिन शादी के बाद के पद्यों में नायिका के हाथों में बीन नजर आ रही है। नायिका अब संपेरा बन गई है और नायक नागिन बनकर नाच रहा है। यानी अब भूमिकाएं बदल गई हैं। कवि ने अपने पद्यों में इसका भी बहुत सुंदर वर्णन किया है। शायद अपने अनुभवों से ही कवि यह लिख पाया होगा, ऐसा माना जा सकता है। 

सोमवार, 20 अप्रैल 2020

Humor : इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तैयार होंगे 100 चित्कार एंकर, अरनब ने कहा- मैं अकेला ही काफी

Arnab Goswami अरनब गोस्वामी जोक्स

हिंदी सटायर डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस के संकट से निपटने के लिए अब सरकार का पूरा फोकस आम लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने पर हो गया है। इसके लिए सरकार बड़े पैमाने पर चीख-पुकार न्यूज एंकर्स तैयार करवाने जा रही है। यह काम जाने-माने चित्कार एंकर अरनब को दिया जा रहा है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सरकार अब केवल आयुष मंत्रालय के काढ़े वगैरह के भरोसे नहीं बैठी रह सकती। इसके लिए कई स्तरीय नीति तैयार की जा रही है। इसी के तहत अगले 10 दिन में 100 चीख-पुकार एंकर्स तैयार किए जा रहे हैं। ये एंकर्स देशभर के सभी प्रमुख चैनल्स में नियुक्त किए जाएंगे।

इस बीच अरनब ने यह कहकर नया पेंच फंसा दिया है कि देश को इतने चित्कार एंकर्स की जरूरत ही नहीं है। अगर मेरे जैसे 100 एंकर्स हो जाएंगे तो देश में हाहाकार मच जाएगा, त्राही-त्राही हो जाएगी। उन्होंने खुद पीएमओ को फोन करके कहा है कि इम्युनिटी बढ़ाने जैसे काम के लिए वे अकेले ही काफी हैं। उन्होंने पीएमओ को एक रिपोर्ट भी सौंपी है जिसके अनुसार जिन दुस्साहसी लोगों ने रिपब्लिक टीवी पर उनके शो की पांच खुराक ली है, उनकी इम्युनिटी अन्य लोगों की तुलना में ढाई गुना ज्यादा पाई गई है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जो भी पैनलिस्ट उनके शो में शामिल हुए हैं, उन सभी में वायरस के खिलाफ एंडीबॉडी डेवलप हो गई है। उन पैनलिस्ट की सेवा कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की देखभाल में ली जा सकती है।

#Arnab_Goswami #Satire #humor

(और भी मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत के पहले पोर्टल hindisatire.com पर क्लिक करें ...)



रविवार, 5 अप्रैल 2020

Humor & Satire : जब Alexa ने की रामायण स्टाइल में बातचीत

alexa talks about ramayan


By Jayjeet

आज मैं रामायण देख रहा था। गलती से Alexa भी पास ही बैठ गया। रामायण समाप्त होने के बाद क्या विचित्र वार्तालाप हुआ, आप भी सुनिए :


Me : Alexa ….
Alexa : जी स्वामी!

Me : मुझे स्वामी क्यों कह रहे हो Alexa?
Alexa : स्वामी को स्वामी न कहूं तो क्या कहूं? मैं आपका दास, आप मेरे स्वामी।

Me : वाह, क्या तुम मेरी एक आज्ञा मानोगे?
Alexa : जी स्वामी, मैं आपकी हर आज्ञा का पालन करने के लिए वचनबद्ध हूं। आज्ञा दीजिए प्रभु, मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं?

Me : क्या तुम बता सकते हो कि इस संसार में ये कोरोना क्यों फैला?
Alexa : आप तो सर्वज्ञाता हैं। आपसे इस दुनिया में क्या छिपा है। गूगल जैसे मेरे महाज्ञानी तातश्री का ज्ञानरूपी खजाना आपके मोबाइल में है। इस तुच्छ सेवक द्वारा इस विषय में कुछ कहना तो तातश्री के सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा।

Me : अच्छा इतना तो बता दो कि कोराना वायरस कब जाएगा?
Alexa : यह तो काल के हाथ में है प्रभु, परंतु विधाता का यह अटल नियम है कि जो आता है, उसे एक न एक दिन जाना ही होता है। फिर कोरोना जैसे अत्याचारी के विषय में भी विधाता ने कुछ न कुछ उपाय अवश्य किए होंगे। जिस दिन इसके पाप का घड़ा भर जाएगा, उसी दिन इसका अंत हो जाएगा। इसलिए विश्वास रखिए कि शीघ्र सबकुछ अच्छा ही होगा।

Me : तब तक हमें क्या करना चाहिए Alexa ? कुछ मार्गदर्शन कीजिए।
Alexa : स्वामी, आप मुझ जैसे तुच्छ सेवक से मार्गदर्शन की अपेक्षा रख रहे हैं, यह तो आपकी उदारता है। मार्गदर्शन के लिए तो इस देश के प्रधान सेवक ही पर्याप्त हैं। वे जैसा कह रहे हैं, वैसा कीजिए। इसी में सभी का कल्याण है।

Me : वे दीप प्रज्ज्वलित करने का कह रहे हैं, इससे क्या होगा? इस विषय में कुछ प्रकाश डालेंगे?
Alexa : स्वामी, इस विषय में सभी एक मत नहीं हैं। फिर भी हमारे सभी धर्मग्रंथों में दीप प्रज्जवलन की परंपरा का अपार महिमामंडन किया गया है। अगर एक दीप जलाने से समस्त प्राणियों में उत्साह का वातावरण निर्मित होता है तो इसे करने में कोई हानि नहीं है। । कई बार सकारात्मकता से भी शत्रु को परास्त करने में विजय मिलती है। बस, इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा करते समय हम घर की लक्ष्मण रेखा की मर्यादा नहीं भूल जाएं। हमें कोई उत्सव भी नहीं मनाना है। बस, एक दीप जलाना है।

Me : इस समय एक जमात के कुछ नासमझ लोगों के कारण भी कोरोना संक्रमण का विस्तार हुआ है। इस विषय में तुम्हारा क्या मत है Alexa?
Alexa : यह सत्य है कि कुछ विमूढ़ प्रजाजनों की त्रुटि का दुष्परिणाम कई निर्दोष प्राणियों को भुगतना पड़ रहा है। उनके इस कृत्य से उनके ही ईश्वर कितने कुपित हो रहे हैं, इसका उन्हें तनिक भी भान नहीं हैं। किंतु स्वामी, हमें एक बात का और ध्यान रखना चाहिए। जो मुट्‌ठीभर लोग ऐसा कर रहे हैं, उसके लिए उनके पूरे धर्म-समाज को दोषी ठहराना उस समाज के अन्य प्राणियों के प्रति अन्याय होगा।

Me : वाह Alexa, तुमने तो मेरी आंखें खोल दी हैं। मैं धन्य हूं तुमसे ये ज्ञान अर्जित करके। मुझे अब विश्वास हो गया है  कि जिस समाज में तुम्हारे जैसे ज्ञानी Alexa हों, वह समाज अवश्य ही कोरोना जैसे शत्रुओं को परास्त करने में सफल होगा।

Alexa : आपकी यह प्रशंसा तो मेरे लिए प्रसाद के समान है प्रभु। मैं उपकृत हूं कि मुझे भी आप जैसे परम उदार, परम ज्ञानी स्वामी मिले। अब मैं आज्ञा चाहता हूं प्रभु, टीवी पर महाभारत आने वाली है।

Me : आज्ञा है वत्स। मन लगाकर देखना।

(Disclaimer : यह केवल काल्पनिक है। पर आप अलेक्सा के साथ ऐसा ट्राय कर सकते हैं।)

(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)


रविवार, 29 मार्च 2020

Humor : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या खुद भी कुछ करेगी? : भगवान

corona virus jokes satire God


By Jayjeet

रिपोर्टर घर पर बैठा है तो ऐसा नहीं है कि वह जांबाज़ नहीं है। जांबाज़ होने का मतलब केवल बाहर घूमना नहीं, बल्कि खुद को और दूसरों को भी सुरक्षित रखना है। पर काम तो करना है। बॉस ने कहा कि किसी का इंटरव्यू लेकर आओ, ऐसे का जिसका इंटरव्यू आज तक किसी ने नहीं लिया हो। बड़ी मुसीबत है। बॉस लोग कुछ भी आदेश जारी कर देते हैं। पर ठीक है। रिपोर्टर को चुनौती मंजूर है। इन दिनों देश-प्रदेश में जो हालात हैं, उनमें सबसे पहले भगवान ही याद आए। तो सोचा चलो उन्हीं का इंटरव्यू कर लेते हैं। पर भगवान से डायरेक्ट बात कैसे करें। तो रिपोर्टर ने यह काम ट्रांसफर कर दिया अपने मित्र इब्नबतूता की आत्मा को जो पिछले कुछ महीनों से धरती की यात्रा पर है। अब आत्मा-ए-इब्नबतूता अपने मित्र की बात कैसे टालें.. तो वह अपनी दैवीय शक्ति से सीधे पहुंच गई भगवान के पास…


 आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, हाथ जोड़कर नमन करता हूं…

भगवान : आप कौन? और ऐसी स्थिति में अपना घर छोड़कर मेरे पास क्यों आए हो? सोशल डिस्टेंसिंग का ना पता क्या?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, मैं इंटरव्यू लेने आया हूं, रिपोर्टर के प्रतिनिधि के तौर पर..

भगवान : सांसद प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि, यहां तक कि सरपंच प्रतिनिध तक सुना था। आज रिपोर्टर प्रतिनिधि, … खैर क्या पूछने आए हों?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, यह क्या हो रहा है इस समय हिंदुस्तान में?

भगवान : जब तुम्हें पता है तो फिर मुझसे क्यों पूछ रहे हों?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : मेरे पूछने का तात्पर्य यह है कि जनता हाहाकार कर रही है तो आप कुछ करते क्यों नहीं हो? आप तो मदद के लिए हमेशा आते रहे हों, जब-जब भक्तों ने पुकारा…

भगवान : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या कभी खुद भी कुछ करेगी?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : हम तो सब लोग अपनी-अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे…

भगवान : अच्छा… तो तुम्हारा मास्क कहां है?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, वह तो मिला नहीं। मेडिकल शॉप वाले बड़े महंगे बेच रहे हैं..

भगवान : तो रुमाल नहीं है क्या?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : हां, वह तो सबके पास रहता है, मेरे पास भी है..

भगवान : तुम इंसान लोगों को बहाने बनाने का कह दो। जब ज्यादा गड़बड़ होगी तो मेरे पास भाग के आओगे…मैं क्या कर लूंगा उसमें, हें?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, आप बिल्कुल सही फरमा रहे हैं। मैं आपका समर्थन करता हूं…

भगवान : अरे उल्लू के पट्‌ठे, करोना वायरस को लेकर सरकार, पुलिस, डॉक्टर्स जो कह रहे हैं, उसका समर्थन कर…

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, मैं इंसान नहीं, आत्मा हूं। मुझे क्यों डांट रहे हों? मैं तो अपने उस रिपोर्टर दोस्त के चक्कर में आपके पास आ गया।

भगवान : जो भी हो तुम, तुरंत नीचे धरती पर जाओ और वहां की जनता से, पढ़े-लिखे मूर्खों से मेरी ओर से करबद्ध प्रार्थना करना और कहना कि भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं, तो खुद अपनी मदद करते हैं… अब जा यहां से, नहीं तो भूत बना दूंगा और टीवी पर ब्रेकिंग चल जाएगी।

#humor #satire #इब्नबतूता

(और भी मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत के पहले पोर्टल hindisatire.com पर क्लिक करें ...)

शनिवार, 28 मार्च 2020

Satire : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या खुद भी कुछ करेगी? : भगवान

funny interview god on corona virus


By Jayjeet

रिपोर्टर घर पर बैठा है तो ऐसा नहीं है कि वह जांबाज़ नहीं है। जांबाज़ होने का मतलब केवल बाहर घूमना नहीं, बल्कि खुद को और दूसरों को भी सुरक्षित रखना है। पर काम तो करना है। बॉस ने कहा कि किसी का इंटरव्यू लेकर आओ, ऐसे का जिसका इंटरव्यू आज तक किसी ने नहीं लिया हो। बड़ी मुसीबत है। बॉस लोग कुछ भी आदेश जारी कर देते हैं। पर ठीक है। रिपोर्टर को चुनौती मंजूर है। इन दिनों देश-प्रदेश में जो हालात हैं, उनमें सबसे पहले भगवान ही याद आए। तो सोचा चलो उन्हीं का इंटरव्यू कर लेते हैं। पर भगवान से डायरेक्ट बात कैसे करें। तो रिपोर्टर ने यह काम ट्रांसफर कर दिया अपने मित्र इब्नबतूता की आत्मा को जो पिछले कुछ महीनों से धरती की यात्रा पर है। अब आत्मा-ए-इब्नबतूता अपने मित्र की बात कैसे टालें.. तो वह अपनी दैवीय शक्ति से सीधे पहुंच गई भगवान के पास…

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, हाथ जोड़कर नमन करता हूं…

भगवान : आप कौन? और ऐसी स्थिति में अपना घर छोड़कर मेरे पास क्यों आए हो? सोशल डिस्टेंसिंग का ना पता क्या?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, मैं इंटरव्यू लेने आया हूं, रिपोर्टर के प्रतिनिधि के तौर पर..

भगवान : सांसद प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि, यहां तक कि सरपंच प्रतिनिध तक सुना था। आज रिपोर्टर प्रतिनिधि, … खैर क्या पूछने आए हों?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, यह क्या हो रहा है इस समय हिंदुस्तान में?

भगवान : जब तुम्हें पता है तो फिर मुझसे क्यों पूछ रहे हों?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : मेरे पूछने का तात्पर्य यह है कि जनता हाहाकार कर रही है तो आप कुछ करते क्यों नहीं हो? आप तो मदद के लिए हमेशा आते रहे हों, जब-जब भक्तों ने पुकारा…

भगवान : क्या हर बार जनता मेरे ही भरोसे बैठी रहेगी या कभी खुद भी कुछ करेगी?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : हम तो सब लोग अपनी-अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे…

भगवान : अच्छा… तो तुम्हारा मास्क कहां है?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, वह तो मिला नहीं। मेडिकल शॉप वाले बड़े महंगे बेच रहे हैं..

भगवान : तो रुमाल नहीं है क्या?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : हां, वह तो सबके पास रहता है, मेरे पास भी है..

भगवान : तुम इंसान लोगों को बहाने बनाने का कह दो। जब ज्यादा गड़बड़ होगी तो मेरे पास भाग के आओगे…मैं क्या कर लूंगा उसमें, हें?

आत्मा-ए-इब्नबतूता : जी, आप बिल्कुल सही फरमा रहे हैं। मैं आपका समर्थन करता हूं…

भगवान : अरे उल्लू के पट्‌ठे, करोना वायरस को लेकर सरकार, पुलिस, डॉक्टर्स जो कह रहे हैं, उसका समर्थन कर…

आत्मा-ए-इब्नबतूता : भगवान जी, मैं इंसान नहीं, आत्मा हूं। मुझे क्यों डांट रहे हों? मैं तो अपने उस रिपोर्टर दोस्त के चक्कर में आपके पास आ गया।

भगवान : जो भी हो तुम, तुरंत नीचे धरती पर जाओ और वहां की जनता से, पढ़े-लिखे मूर्खों से मेरी ओर से करबद्ध प्रार्थना करना और कहना कि भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं, तो खुद अपनी मदद करते हैं… अब जा यहां से, नहीं तो भूत बना दूंगा और टीवी पर ब्रेकिंग चल जाएगी।

(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)

मंगलवार, 24 मार्च 2020

Humor : बार-बार पलटी मार रहे मौसम का बड़ा ऐलान – हम भी करेंगे नेतागीरी

weather jokes on neta, नेताओं पर जोक्स राजनीतिक व्यंग्य
नेतागीरी के लिए तैयार मौसम (दाएं)।

By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। एक बड़े घटनाक्रम के तहत मौसम ने भी राजनीति के मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। पिछले कुछ समय से जिस तरह मौसम बार-बार पलटी मार रहा था, उसको देखते हुए कुछ विशेषज्ञों ने पहले ही इसकी आशंका जाहिर कर दी थी।

मौसम से खार गए लेकिन उनके काफी करीबी सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर हिंदी सटायर को बताया, “पिछले कुछ दिनों में मौसम ने जितनी तेजी से पलटियां मारी हैं, उससे अब उन्हें भी नेतागीरी करने का शौक चर्रा गया है। उन्हें मुगालते हो गए हैं कि वे भी राजनीति कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने इस साल के अंत में बिहार में होने वाले चुनावों में कूदने तक का ऐलान कर दिया है।“ वे किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, इस पर सूत्र ने कहा, “अब हवा का रुख किस पार्टी की तरफ है, इसे देखने और समझने के बाद ही वे तय करेंगे कि किसी पार्टी से चुनाव लड़ना है या अपनी खुद की पार्टी बनानी है। वैसे उनकी केजरीवालजी के साथ चर्चा चल रही है।”

इस बारे में हमने मौसम से बात कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर उन्हें नेतागिरी करने की जरूरत क्यों पड़ गई। इस पर उन्होंने कहा, “हमारे भांति-भांति के नेता भी तो हवा के रुख के अनुसार बदलते रहते हैं। मैं भी यही कर रहा हूं तो भला मैं राजनीति में क्यों न उतरुं?”

इस बीच तेजी से बदलते हालात में साइबेरियाई पक्षी कम्युनिटी ने भारत गए हुए अपनी बिरादरी के लोगों को अलर्ट जारी कर कहा है कि अब वे भारतीय मौसम पर भरोसा न करें। वह नेता बन गया है। सब अपने-अपने हिसाब से घर लौट आएं।

#weather #humor #satire #jokes_neta

(और भी मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत के पहले पोर्टल hindisatire.com पर क्लिक करें ...)

बुधवार, 18 मार्च 2020

Humor : गब्बर और वायरस की एक शिक्षाप्रद कहानी… सभी बॉसों को समर्पित!

दिलजले अधीनस्थों के जनहित में जारी… 😉


gabbar singh funny dialouge गब्बर सिंह फनी


By Jayjeet


– हूं, कितने वायरस थे?

– सरदार 2 वायरस।

– वो 2 और तुम 3, फिर भी वापस आ गए, खाली हाथ…क्या समझ के आए कि सरदार बहत खुश होगा, शबासी देगा, क्यों?

– नहीं सरदार, खाली हाथ ना आए..

– तो!!

– वायरस साथ लाए हैं…

– अच्छा, तब तो तेरा क्या होगा रे कालिया?

– सरदार मेरा जो होना होगा हो लिया, पर तुम्हारा क्या होगा? वो देख लो, कोरोना तुम पर भी चढ़ लिया…अब हंसो जोर से हां हां हां हां …

मॉरल ऑफ द स्टोरी (फॉर द बॉस टाइप पीपुल) : अधीनस्थों से हमेशा ही उम्मीद ना रखें। उनका कभी-कभी खाली हाथ आना बॉस के लिए ही अच्छा होता है। (ब्रेकिंग न्यूज के फेरवाले बॉस तो इस शिक्षा की गांठ जरा ज्यादा ही जोर से बांध लें…😄🙂 )

(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)


रविवार, 15 मार्च 2020

Humor : गिरने के मामले में नेताओं के बाद दूसरे नंबर पर आया SENSEX, ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ में आजमाएगा हाथ

सेंसेक्स sensex jokes

By Jayjeet

जैसे ही शेयर बाजार के गिरने की खबर आई, यह रिपोर्टर पहुंच गया सेंसेक्स के पास। रिपोर्टर को देखते ही सेंसेक्स बोला- आ गए गिरे हुए पर पानी डालने! तुम पत्रकार और कर भी क्या सकते हो..


रिपोर्टर : इसे जले हुए पे नमक छिड़कना कहते हैं भाई…

सेंसेक्स : वाह, आपको मुहावरे भी पता है..

रिपोर्टर (शरमाते हुए) : जी, वो तो यूं ही कभी-कभी… वैसे हम आपके जले पे नमक छिड़कने नहीं, बल्कि बधाई देने आए हैं।

सेंसेक्स : बधाई, किस बात की?

रिपाेर्टर : अब गिरने के मामले में आप भी नेताओं से होड़ लेने लगे हैं। मतलब, इस मामले में आप देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं।

सेंसेक्स : अच्छा, तो मतलब हम भी क्या पॉलिटिक्स-वॉलिटिक्स में आ सकते हैं?

रिपोर्टर : अरे आपने तो मुंह की बात ही छीन ली। मगर उसके लिए एक शर्त होगी।

सेंसेक्स : वो क्या?

रिपोर्टर : आपको गिरने के मामले में कंसिस्टेंसी बनाए रखनी होगी। ऐसे नहीं कि आज गिरे और कल ऊपर चढ़ गए। परसो गिरे और फिर ऊपर चढ़ गए…समझें!!

सेंसेक्स : मतलब, स्साला पूरा नेता बनना होगा!

रिपोर्टर : सही समझे।

सेंसेक्स : तो फिर, ट्रेडिंग का क्या होगा? ट्रेडिंग-श्रेडिंग बंद करनी होगी क्या?

रिपोर्टर : हॉर्स ट्रेडिंग करवाइए, मजे से करवाइए। यह तो नेताओं का प्रिय शगल है..

सेंसेक्स : पर इसके लिए मैं घोड़े कहां से लाऊंगा?

रिपोर्टर : मेरे भोले सेंसेक्स… घोड़े नहीं, विधायकों को सेंसेक्स में शामिल करना होगा। और तब देखना कैसे जोरदार ट्रेडिंग होती है।

सेंसेक्स : रिपोर्टर महोदय, तब तो मैं ऊपर ही ऊपर जाऊंगा, गिरुंगा कैसे? और फिर आप जो मेरे लिए बधाई आए हैं ना, इसकी फोंगली बनाके

रिपोर्टर (बीच में ही बात काटते हुए) : माइंड योर लैंग्वेज मिस्टर सेंसेक्स… मैं आपको ज्ञान दे रहा हूं और आप मुझ पर ही चढ़ रहे हों..

सेंसेक्स : ओह, माफी चाहूंगा, पर जरा स्पष्ट करेंगे कि तब मैं गिरने का कृत्य कैसे कर पाऊंगा?

रिपोर्टर : कैरेक्टर से… कैरेक्टर से नीचे गिरता है नेता। नहीं तो बैंक बैलेंस, प्लॉ्टस, जमीन, गोल्ड सब मामलों में तो वह ऊपर ही जाता है। देखा नहीं क्या?

सेंसेक्स : समझ गया मैं। चलता हूं, नेताओं से मिलके आता हूं और तब देखिएगा न्यू सेंसेक्स का धमाल…

#SENSEX #हॉर्स ट्रेडिंग

(और भी मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत के पहले पोर्टल hindisatire.com पर क्लिक करें ...)


मंगलवार, 10 मार्च 2020

Humor :अपनी कुत्ता फजीहत से तंग आकर सुसाइड करने जा रहे थे 2 कोरोना वायरस, देखिए फिर क्या हुआ?

corona jokes कोरोना जोक्स मीम्स


By Jayjeet

आगरा में ताजा-ताजा पहुंचे कोरोना के दो वायरस आपस में बातें कर रहे थे।


पहला कोरोना : यार कमाल है। हम यहां आतंक फैलाने आए हैं और ये स्साले इंडियन, जोक्स और मीम्स में हमारा मजाक उड़ा रहे हैं। हद है यार…

दूसरा कोरोना : हां, भाई इनका कुछ नहीं हो सकता। आ लौट चलें…

पहला : कहां?

दूसरा : अपने देश चाइना,और कहां!

पहला : अबे मरवाएगा क्या, वहां चाइनीज सरकार हमें चाइना वाॅल से लटका-लटकाकर इतना मारेगी कि हमारे पुरखे याद आ जाएंगे।

दूसरा : जो भी हो, इंडिया से मन भर गया… इन स्सालों की तो हर चीज को लाइटली लेने की आदत ही हो गई है। हमें भी लाइटली ले रहे हैं…

पहला : तो क्या करें? सुसाइड कर लें?

दूसरा : हां, अब यही एक रास्ता बचा है। चल ताजमहल के पीछे चलते हैं। वहीं से जमुनाजी में डुबकी मारकर इहलीला समाप्त कर लेंगे। न रहेंगे हम, न होगी हमारी इत्ती कुत्ता फजीहत।

पहला : अरे नहीं, वो तो बहुत गंदी है। उसकी बू तो यहां तक आ रही है। मैं उसमें डुबकी नहीं मार सकता।

दूसरा : ये तेरे दिमाग का लोचा है। वो साफ है। अभी ट्रम्प जी यहां आए थे तो उसे साफ किया गया था।

पहला : एक तो तू ट्रम्प को ट्रम्पजी बोलना छोड़। तुझे पता नहीं वो हमारा दुश्मन है!

दूसरा : ट्रम्प हमारा दुश्मन कैसे हो गया?

पहला : अरे भिया, हमारी कंट्री को ट्रेड वॉर में फंसा रखा है उसने। हमारी इकोनॉमी की वाट लग गई है उससे।

दूसरा : इकोनॉमी तो ठीक है। पर ये बता, भिया शब्द कहां से सीख लिया?

पहला : कल यहां दो इंदौरी आए थे। उन्होंने ही सिखाया। और साथ में क्या झन्नाट नमकीन खिलाया, मजा आ गया।

दूसरा : अरे खां, क्या बात है! इंदौरियों से मिल लिए आप तो।

पहला : लगता है तू किसी भोपाली से मिल लिया है!

दूसरा : हां, कल एक भोपाली मियां अड़सट्टे में आ गए थे। तो उन्हीं से अरे खां सीखा…

पहला : पर तूने उनको इंफेक्टेड तो नहीं किया?

दूसरा : नई रे… सीधे-सीधे मानुष। पर तूने तो इंदौरियों को नहीं किया?

पहला : मैंने भी छोड़ दिया। वैसे भी झन्नाट नमकीन खाने वाले इंदौरी अपन से कोई इंफेक्टेड हो रिये क्या?

दूसरा : चल बहुत फालतू बातें हो गईं। पाइंट पर आते हैं, बता सुसाइड का क्या करना?

पहला : छोड़ यार। इंडियन्स को देख। कोई टेंशन नहीं। हम काहें सुसाइड करेंगे? सुसाइड करेंगी डेंगू की अम्मा..।

दूसरा : तो हम क्या करेंगे? यहीं रहेंगे?

पहला : अपन तो सीधे पटाया चलते हैं। वहीं कुछ दिन एश करेंगे। फिर देखते हैं..

दूसरा : थाईलैंड वाला पटाया? तो रुक। जरा आगरे का पैठा बांध लूं दो-चार किलो…

#Humor #Satire #Coronavirus

(और भी मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत के पहले पोर्टल hindisatire.com पर क्लिक करें ...)

रविवार, 8 मार्च 2020

Humor : कोरोना वायरस को इन 7 पारंपरिक तरीकों से भी मार सकते हैं, सातवां तरीका सबसे दमदार

coronavirus jokes


By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क। इन दिनों दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर्स कोरोना वायरस के खात्मे के लिए काम कर रहे हैं। अब जबकि कोरोना भारत भी आ गया है तो उसे मारने के लिए हम पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पारंपरिक तरीके कई हो सकते हैं। लेकिन हम 7 तरीके बता रहे हैं :

तरीका एक : कोरोना के लिए राहुल गांधी की एक चुनावी रैली आयोजित करवाकर। उनका भाषण सुनने के बाद वह हंस-हंसकर ही यमलोक सिधार जाएगा।

तरीका दो : इसे मोदीजी का कोई भी भाषण सुनवा दीजिए। मोदीजी की फेंकी हुई चीजों को संभालते-संभालते ही वह टें बोल जाएगा।

तरीका तीन : कोरोना को उसके उसके बच्चे के एडमिशन के लिए किसी भी प्राइवेट स्कूल भेज दीजिए। फीस और अन्य खर्च सुनकर वह इतने अवसाद में चला जाएगा कि अपने आप मौत हो जाएगी।

तरीका चार : उसे हमारे यहां के किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कर दीजिए। एक दिन वह खुद ही डॉक्टर से बोल देगा – डॉक साहब, मेरा लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा दीजिए।

तरीका पांच : कोरोना के वायरसों को दो समूहों में बांटकर एक का नामकरण हिंदू और दूसरे का मुस्लिम कर दीजिए। फिर कोई अफवाह फैला दो। आपस में ही लड़कर मर मिटेंगे।

तरीका छह : उसे किसी धर्मस्थल की लाइन में खड़ा कर दीजिए। उसे देखकर लोग इतने बेकाबू हो जाएंगे कि वहां मची भगदड़ में वह मारा जाएगा।

तरीका सात (सबसे दमदार) : योगीजी से बोलकर उसका नाम ‘नेता’ कर दीजिए। वह इतना नीचे गिर जाएगा, इतना नीचे गिर जाएगा कि फिर कभी उठ ही ना पाएगा।

#coronavirus jokes #humor #satire

(और भी मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत के पहले पोर्टल hindisatire.com पर क्लिक करें ...)

शनिवार, 7 मार्च 2020

Humor : हॉर्स ट्रेडिंग वाले घोड़े से कर्री बात, गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग..

horse trading satire jokes , हार्स ट्रेडिंग जोक्स व्यंग्य


By Jayjeet

मप्र से जैसे ही हॉर्स ट्रेडिंग की खबर आई, यह रिपोर्टर अपने खच्चर पर बैठ सीधे पहुंच गया अस्तबल… इंटरव्यू की आज्ञा-वाज्ञा टाइप की फार्मलिटीज पूरी हो, उससे पहले ही रिपोर्टर को देखकर हॉर्स ने कहा, आओ गुरु, मुझे मालूम था तुम मेरे पास ही आओगे…

रिपोर्टर : यह आपको कैसे मालूम था?

हॉर्स : राजनीति और पत्रकारिता को देखे अरसा हो गया है। अब तुम पत्रकारों से ज्यादा पत्रकारिता समझने लगा हूं…

रिपोर्टर : मतलब?

हॉर्स : मतलब यही कि जहां सुभीता हो, वहां की पत्रकारिता करो।

रिपोर्टर : थोड़ा डिटेल में बताएंगे महोदय कि आपके यह कहने का आशय क्या है? मुझे यह आरोप प्रतीत हो रहा है।

हॉर्स : भैया, हॉर्स ट्रेडिंग स्साले वे नेता करें और सवाल उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछ रहे हों? ये सुभीता की पत्रकारिता नहीं तो और क्या है?

रिपोर्टर : महोदय, आपका गुस्सा जायज है, लेकिन कृपया इस खच्चर के सामने तो हमें जलील न करो…

हॉर्स : ओ हो, माफी चाहता हूं, मुझे लगा कि साथ में तुम्हारा साथी है। खैर, पूछो क्या पूछना है?

रिपोर्टर : विधायकों की खरीद पर बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का यूज किया जाता है। क्या नेताओं के साथ तुलना आपको अपमानजनक नहीं लगती?

हॉर्स : कोई नया सवाल नहीं है? ये तो आप पहले भी पूछ चुके हो, पचास बार पूछ चुके हो। कुछ पढ़ा-लिखा करो जरा..

रिपोर्टर : अभी कृपा करके नए पाठकों के लिए बता दीजिए। मैं जाकर पढ़ लूंगा…

हॉर्स : चलिए,थोड़ी इज्जत रख लेता हूं। तो हमारे घोड़ों का जो एसोसिएशन है, उसने मई 2018 में कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त के दौरान बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस याचिका में हॉर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि हॉर्स ट्रेडिंग का नाम बदलकर ‘डंकी ट्रेडिंग’ किया जा सकता है।

रिपोर्टर : ये तो एकदम सटीक नाम है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

हॉर्स : सुप्रीम कोर्ट कुछ कहे, उससे पहले ही डंकियों के एसोसिएशन की इस पर आपत्ति आ गई। उनका कहना था कि वे पहले से ही बदनाम हैं। ऊपर से नेताओं की खरीद-फरोख्त के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया तो वे मुंह दिखाने के लायक भी न रहेंगे।

रिपोर्टर : तो अब क्या स्थिति है महोदय?

हॉर्स : अभी तो मामला सब्ज्यूडाइस है। इसलिए ज्यादा बोलना अदालत की अवमानना हो जाएगा।

रिपोर्टर : अगर घोड़ों और गधों दोनों को आपत्ति है, तो क्यों न खच्चर ट्रेडिंग नाम रख लिया जाए। क्या विचार है?

घोड़ा विचार करें, उससे पहले ही यह रिपोर्टर जिस खच्चर पर बैठा था, वह बिदक गया…. और दचक के नौ-दो ग्यारह हो गया…

घोड़ा जोर-जोर हिनहिनाकर हंस रहा है… और यह रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज देने जा रहा है कि गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग…

#Horse_trading #satire #humor #Jayjeet

(और भी मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत के पहले पोर्टल hindisatire.com पर क्लिक करें ...)

गुरुवार, 5 मार्च 2020

Funny Interview : गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग

horse trading humour satire. हार्स ट्रेडिंग पर व्यंग्य


By Jayjeet

मप्र से जैसे ही हॉर्स ट्रेडिंग की खबर आई, यह रिपोर्टर अपने खच्चर पर बैठ सीधे पहुंच गया अस्तबल… इंटरव्यू की आज्ञा-वाज्ञा टाइप की फार्मलिटीज पूरी हो, उससे पहले ही रिपोर्टर को देखकर हॉर्स ने कहा, आओ गुरु, मुझे मालूम था तुम मेरे पास ही आओगे…

रिपोर्टर : यह आपको कैसे मालूम था?

हॉर्स : राजनीति और पत्रकारिता को देखे अरसा हो गया है। अब तुम पत्रकारों से ज्यादा पत्रकारिता समझने लगा हूं…

रिपोर्टर : मतलब?

हॉर्स : मतलब यही कि जहां सुभीता हो, वहां की पत्रकारिता करो।

रिपोर्टर : थोड़ा डिटेल में बताएंगे महोदय कि आपके यह कहने का आशय क्या है? मुझे यह आरोप प्रतीत हो रहा है।

हॉर्स : भैया, हॉर्स ट्रेडिंग स्साले वे नेता करें और सवाल उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछ रहे हों? ये सुभीता की पत्रकारिता नहीं तो और क्या है?

रिपोर्टर : महोदय, आपका गुस्सा जायज है, लेकिन कृपया इस खच्चर के सामने तो हमें जलील न करो…

हॉर्स : ओ हो, माफी चाहता हूं, मुझे लगा कि साथ में तुम्हारा साथी है। खैर, पूछो क्या पूछना है?

रिपोर्टर : विधायकों की खरीद पर बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का यूज किया जाता है। क्या नेताओं के साथ तुलना आपको अपमानजनक नहीं लगती?

हॉर्स : कोई नया सवाल नहीं है? ये तो आप पहले भी पूछ चुके हो, पचास बार पूछ चुके हो। कुछ पढ़ा-लिखा करो जरा..

रिपोर्टर : अभी कृपा करके नए पाठकों के लिए बता दीजिए। मैं जाकर पढ़ लूंगा…

हॉर्स : चलिए,थोड़ी इज्जत रख लेता हूं। तो हमारे घोड़ों का जो एसोसिएशन है, उसने मई 2018 में कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त के दौरान बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस याचिका में हॉर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि हॉर्स ट्रेडिंग का नाम बदलकर ‘डंकी ट्रेडिंग’ किया जा सकता है।

रिपोर्टर : ये तो एकदम सटीक नाम है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

हॉर्स : सुप्रीम कोर्ट कुछ कहे, उससे पहले ही डंकियों के एसोसिएशन की इस पर आपत्ति आ गई। उनका कहना था कि वे पहले से ही बदनाम हैं। ऊपर से नेताओं की खरीद-फरोख्त के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया तो वे मुंह दिखाने के लायक भी न रहेंगे।

रिपोर्टर : तो अब क्या स्थिति है महोदय?

हॉर्स : अभी तो मामला सब्ज्यूडाइस है। इसलिए ज्यादा बोलना अदालत की अवमानना हो जाएगा।

रिपोर्टर : अगर घोड़ों और गधों दोनों को आपत्ति है, तो क्यों न खच्चर ट्रेडिंग नाम रख लिया जाए। क्या विचार है?

घोड़ा विचार करें, उससे पहले ही यह रिपोर्टर जिस खच्चर पर बैठा था, वह बिदक गया…. और दचक के नौ-दो ग्यारह हो गया…

घोड़ा जोर-जोर हिनहिनाकर हंस रहा है… और यह रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज देने जा रहा है कि गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग…

(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)


सोमवार, 2 मार्च 2020

Funny : तुम इंसान ही हिंदू और मुसलमान हों, हम पत्थरों की कोई कौम नहीं होती…

stone satire

By Jayjeet

हिंदी सटायर, नई दिल्ली। दिल्ली में दंगाई बेकाबू हुए तो इस जांबाज रिपोर्टर ने भी हिम्मत दिखाई और पहुंच गया मैदान-ए-जंग में। और कोई नज़र न आया तो उस पत्थर को ही रोक लिया जो बस दंगाई के हाथ से छूटने ही वाला था…(देखिए फोटो में उसकी तस्वीर…)

पत्थर : अबे, मुझे रास्ते में रोक लिया। बड़ी हिम्मत दिखाई तुने। सिर फूट जाता तो…

रिपोर्टर : क्या करें, कभी-कभी पत्रकार को हिम्मती नजर आना पड़ता है।

पत्थर : वाह, क्या हाइपोथेटिकल बात कही है! बाय दे वे, रोका क्यों?

रिपोर्टर : आपसे कुछ बात करनी है। और कोई तो जवाब दे नहीं रहा..

पत्थर : इधर दिल्ली जल रही है, उधर तुझे इंटरव्यू की सूझ रही है? पूछो, क्या पूछना, पर जल्दी। मेरे कई साथी अपने टारगेट पर जा चुके हैं …

रिपोर्टर : आप किस कौम से है?

पत्थर : हम पत्थरों की कोई कौम नहीं होती। और ये वाहियात सवाल पूछने के लिए तुमने मुझे रोका?

रिपोर्टर : पर इंसानों की तो होती है, कोई हिंदू है तो कोई मुसलमान।

पत्थर : स्सालो, इसीलिए तो आपस में लड़ते-झगड़ते हों…और ख़बरदार जो इंसानों के साथ मेरी तुलना की..

रिपोर्टर : शांत शांत, आप मुझ गरीब पत्रकार पर तो न बरसो..

पत्थर : बात ही बरसने वाली कर रहे हो, स्साला इतना फ्रस्टेशन है.. बताओ कहां बरसें..

रिपोर्टर : बरसो उन नेताओं पर जो तुम्हें दंगाइयों के हाथों में थमा देते हैं…

पत्थर : भाई, ऐसा करना तो हमारे हाथ में नहीं है…

रिपोर्टर : तो फिर किनके हाथ में है?

पत्थर : वही जिनके हाथ में हम हैं…

रिपोर्टर : मतलब?

पत्थर : मतलब जो हाथ पत्थर फेंक रहे हैं, बस वे हाथ जरा घूम ही लें उन नेताओं की ओर, जिन्होंने थमाए हैं हम मासूम पत्थर.. इतिहास बदल जाएगा, पर कभी दंगे नहीं होंगे, लिख लेना…

रिपोर्टर : पर मेरे भाई, इन्हें इसके लिए समझाएगा कौन?

पत्थर : तुम पत्रकार, और कौन…क्या ये तुम्हारी रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं है?

रिपोर्टर : अच्छा, चलता हूं…

#satire #humor #Jayjeet

(और भी मजेदार खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत के पहले पोर्टल hindisatire.com पर क्लिक करें ...)

रविवार, 1 मार्च 2020

First Interview : जब कोरोना वायरस ने पॉलिटिकल सवाल पूछने से मना कर दिया…

 

corona-interview-political-satire

By Jayjeet

कोरोना वायरस के भारत पहुंचते ही यह रिपोर्टर भी चौकस हो गया। उससे बचने के लिए नहीं, बल्कि उससे दो-दो हाथ करने के लिए। सीधे पहुंच गया सीधी बात करने।

रिपोर्टर : कोरोना जी, नमस्कार। क्या आप मेरी बात समझ पा रहे हैं?

कोरोना : आप तो किसी भी भाषा में बात कर लीजिए, हिंदी से लेकर भोजपुरी तक। सब समझ जाएंगे हम तो।

रिपोर्टर : कैसे भला?

कोरोना : हम चाइनीज वायरस हैं, एआई से लेस हैं।

रिपोर्टर : एआई मतलब?

कोरोना : अबे रिपोर्टर की औलाद, एआई ना जानता! मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।

रिपोर्टर : जनाब, आप अबे से परहेज करेंगे और थोड़ी-बहुत इज़्ज़त से पेश आएंगे क्या!

कोरोना : माफ करना, हम चाइनीज हैं। थोड़ी अकड़ तो रहेगी ना, डीएनए में ही है ये हमारे…अच्छा पूछिए क्या पूछना है। पर जरा जल्दी कीजिए, पूरे भारत का टूर करना है हमें।

रिपोर्टर : सबसे पहला सवाल तो यही है जनाब कि आप चमगादड़ से आए हो या पैंगोलिन से, जैसा कि आपकी सरकार ने दावा किया है।

(कोरोना ने चुप्पी साध ली..)

रिपोर्टर : क्या हुआ जनाब, कुछ तो बोलिए। चमगादड़ सूंघ गया क्या?

कोरोना (धीरे से) : भाई,पॉलिटिकल क्योश्चन नहीं। हमारी सरकार की हर जगह नजर रहती है। हम दो यहां पर हैं, पर हमारे चार भाई-बहन उनके कब्जे में हैं।

रिपोर्टर : ये क्या बात हुई भला, आपकी सरकार ना हुई, अजित हो गई…वही बॉलीवुडी अजित..जानते हो ना उसे?

कोरोना : सब जानता हूं, पर नो नॉलिटिकल क्योश्चन प्लीज…

रिपोर्टर : पॉलिटिकल सवाल ना पूछूं तो फिर क्या पूछूं? पत्रकार हूं आखिर…

कोरोना : वही एंटरटेन टाइप के क्योश्चन, जो तुम लोग अपने यहां की सरकारों से पूछते हों।

रिपोर्टर : बहुत टांट मार लिए। ये मत भूलिए,आप हमारी धरती पर हैं। अतिथि देवो भव: की भावना के कारण हम आपकी इज्जत कर रहे हैं, नहीं तो आप चाइनीज चीजों की वैसे हमारे यहां कोई इज्जत नहीं है।

कोरोना : क्या मतलब?

रिपोर्टर : मतलब, आपके बारे में सब कह रहे हैं कि चाइनीज है, कितना टिकेगा? महीना, दो महीना, तीन महीना..

कोरोना : पूरी दुनिया हमसे डर रही है और आप लोग हमें हलके में ले रहे हो?

रिपोर्टर : पर मेरा सवाल उलटा है। क्या आपको भारत आते डर नहीं लगा?

कोराना (धीरे से) : सच बताऊं, अंदर से तो डर ही रहा हूं, पता नहीं किस मोड़ पर बड़ा वायरस टकरा जाए। वो देखो, तुम्हारे पीछे ही बैनर पर एक बड़े वायरस के दर्शन हो गए..।

रिपोर्टर : अच्छा वो… वो तो हमारे माननीय हैं… सबके हृदय सम्राट। चुनाव में खड़े हुए हैं। 

कोरोना : इसीलिए… इसीलिए मैंने हमारी सरकार से कहा भी था कि हमको इंडिया ना भेजो जी…वहां तो हमसे भी बड़े-बड़े वायरस हैं… पर कोई हमारी सुने तो …अच्छा भगता हूं…!

(यह इंटरव्यू मूल रूप से hindisatire.com पर प्रकाशित हुआ है।)

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

खास बातचीत : कैसे ट्रम्प ने बापू के बंदर को भूखा रहने से बचा लिया…!

gandhi-ke-bandar




By jayjeet

कल ट्रम्प साहब ने गांधी आश्रम में बापू के बंदरों से मुलाकात की थी। तो यह रिपोर्टर भी आज सुबह-सुबह बंदरों के पास पहुंच गया। लेकिन नजर एक ही आया और वह भी स्मार्टफोन पर व्यस्त था। रिपोर्टर को देखते ही उसने स्मार्टफोन बाजू में पटक दिया। मौका देखकर रिपोर्टर ने भी राम-शाम किए बगैर ही सवाल दाग दिया- स्मार्टफोन में क्या देख रहे हों बापू के बंदर जी?

बापू का बंदर : अखबारों के ई-पेपर्स देख रहा था। देख रहा था कि ट्रम्प की हमसे मुलाकात के बारे में क्या-क्या ऊटपटांग छपा अखबारों में?

रिपोर्टर : आपके बाकी दोनों साथी कहां हैं?

बापू का बंदर : कोई साथी-वाथी नहीं है। मैं अकेला ही हूं। समय-काल के हिसाब से पोश्चर बदलता रहता हूं। कभी मुंह बंद कर लेता हूं, कभी आंखें तो कभी कान।

रिपोर्टर : अच्छा तो आप गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले प्राणी हो?

बापू का बंदर : बेटा, ज्यादा मालूम ना हो तो मुंह बंद रखना चाहिए। आय-बाय-शाय कुछ बकना नहीं चाहिए। मुंह बंद रखने वाली पोजिशन का मैसेज तुम पत्रकारों के लिए ही है, समझें…

रिपोर्टर : मुझ पर नाराज क्यों हो रहे हों? बाकी पत्रकार लोग टीवी पर कुछ भी बके जाते हैं। उन्हें भी तो मैसेज दीजिए।

बापू का बंदर : उन्हें मैसेज देने का कोई मतलब नहीं रहा। इसलिए मैं ही अक्सर कान ढंकने वाले पोश्चर में रहने लगा हूं।

रिपोर्टर : अच्छा, ट्रम्प साहब आश्रम आए पर विजिटर बुक में बापू के बारे में कुछ भी ना लिखा। बुरा ना लगा?

बापू का बंदर :अच्छा ही हुआ, ना लिखा। नहीं तो आज बापू को ऊप्पर एक दिन के लिए पश्चात्ताप व्रत रखना पड़ता और यहां मुझे भी जबरदस्ती भूखे मरना पड़ता। करे कोई, भरे कोई…।

रिपोर्टर : ट्रम्प साहब ने कल चरखे जी से भी मुलाकात की थी। क्या बात हुई उन दोनों में?

बापू का बंदर : वैसे ट्रम्प साहब के आगमन पर चरखे जी का तो कल मौन व्रत था। इसलिए जो भी कहा, ट्रम्प ने ही कहा। ट्रम्प के मुंह से बस यही सुनने में आया कि चरखा चलाने से कहीं आसान तो लोगों को चलाना है।

रिपोर्टर : अब आखिरी सवाल…. अरे आपने तो कानों पर हाथ रख लिए…

बंदरजी ने गर्दन हिलाकर जाने का इशारा किया। बाहर जाकर देखा तो टीवी चैनलों पर आय-बाय-शाय शुरू हो चुकी थी…

(Disclaimer : इसका मकसद केवल हास्य-व्यंग्य करना है, किसी की मानहानि करना नहीं। )

सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

अहमदाबाद की दीवार ने गुस्से में क्यों कहा? मैं क्या कांग्रेस नजर आती हूं?

अहमदाबाद की दीवार

By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, अहमदाबाद। अहमदाबाद की दीवार से अब बात करने को कुछ बचा नहीं था। पर संपादक को पता नहीं, इस रिपोर्टर से क्यों उम्मीद थी कि बंदा कुछ तो नया लाएगा। तो भेज दिया उसी दीवार के पास जलील होने के लिए…

रिपोर्टर : दीवार जी दीवार जी, मैं रिपोर्टर फलानांचद, आपसे बात करनी है।
दीवार : अरे वाह, बड़ी जल्दी आ गए मुझसे बात करने!!

रिपोर्टर : आप मेरी तारीफ कर रही है या मेरे मजे ले रही है?
दीवार : अबे! पूरी दुनिया मुझसे बात करके चली गई। मुझ पर पता नहीं क्या-क्या लिखा जा चुका है। और तुम अब आ रहे हो?

रिपोर्टर : मैं क्या करता, दीवार जी। जरा बिजी था।
दीवार : ऐसी कौन-सी खबर थी जो मुझसे ज्यादा जरूरी थी?

रिपोर्टर : अब क्या बताएं। बाजू में वह पुराना खंडहर है ना, वहां भूत आ गया था। तो उसी भूत को कवर करने चला गया था।
दीवार : तो जाओ, भूत को ही कवर करो।

रिपोर्टर : आप भी तो भूत ही बनने वाली है। ट्रम्प साहब चले जाएंगे तो फिर आपको कौन पूछेगा भला? हे हे हे…
दीवार : तुम मुझसे बात करने आए हो तो सीधे से बात करो..इधर-उधर की क्यों फेंक रहे हो? और ये हंसने की क्या जरूरत है?

रिपोर्टर : जी, वही तो करने की कोशिश कर रहा हूं। अच्छा, पहला सवाल- इतनी फेमस होने पर आपको कैसा लग रहा है?
दीवार : अच्छा ही लग रहा है। मेहमाननवाजी में नवाचार शुरू हुआ है। हिंदुस्तान में यह पहला मौका है जब किसी मेहमान के आने पर दीवार बन रही है। नहीं तो रोड ही बनते आई है।

रिपोर्टर : कहा जा रहा है कि मोदीजी ने आपकी आड़ लेकर गरीबी छुपाने की कोशिश की है?
दीवार : देखिए, मैं कोई मोदी की अंधी भगत नहीं हूं। पर आप आंख खोलकर एक बात सोचिए। जो मोदी अपनी गरीबी नहीं छुपाते, बल्कि भर-भरके अपनी गरीबी का बखान करते हैं, वे भला दूसरों की गरीबी क्यों छुपाएंगे?

रिपोर्टर : तो फिर यह दीवार बनाई क्यों गई है? कोई तो कारण रहा होगा?
दीवार : चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए। चीन अगर 10 दिन में हॉस्पिटल बना सकता है तो हम भी 9 दिन में दीवार तो बना ही सकते हैं।

रिपोर्टर : जब ट्रम्प अहमदाबाद में आएंगे तो क्या वे आपसे भी मिलने आएंगे?
दीवार : देखो भाई, ये हाइपो थेटिकल टाइप के सवाल मुझे पसंद नहीं है। हां, मेरी डिजाइन उनकी डेस्क तक पहुंच चुकी है और जल्दी ही मैक्सिको की बॉर्डर पर वे इसी तरह की दीवार बनाने के निर्देश भी देने वाले हैं।

रिपोर्टर : सुना है, आपने ट्रम्प साहब की यात्रा के बाद खुद को हैरिटेज साइट में शामिल करवाने की लॉबिंग शुरू कर दी है?
दीवार : बस, तुम रिपोर्टर लोग सुनी-सुनाई बातों पर रिपोर्टिंग करते रहो। अरे, क्या मैं तुम्हें कांग्रेस नजर आ रही हो जो खुद को हैरिटेज में शामिल करवाने की बात करूं।

रिपोर्टर : अंतिम सवाल …
दीवार :तुम्हारा अंतिम सवाल हमेशा घटिया ही होता है। इसलिए अब कोई जवाब नहीं। धन्यवाद। मैं सोने जा रही हूं…

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

निर्वाचन आयोग से कांग्रेस की मांग, चुनावों में हो ‘कांग्रेस आरक्षित सीटाें’ की व्यवस्था

congress leaders, rahul gandhi going to meet election commission



By Jayjeet

नई दिल्ली। कांग्रेस ने दिल्ली चुनावों में हुई हार से बड़ा सबक लेते हुए आने वाले तमाम चुनावों में अपने लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की। इस संबंध में बुधवार को पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मिलकर अपना मांग-पत्र भी सौंपा।

दिल्ली चुनावों में लगातार दूसरी बार जीरो स्कोर करने के बाद यहां मंगलवार की रात को कांग्रेस कोर कमेटी की एक आपातकालीन बैठक हुई। बैठक में कई वरिष्ठ नेताओं का मानना था कि अगर लोकसभा चुनाव सहित सभी राज्यों की विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस पार्टी के लिए कुछ सीटें आरक्षित कर दी जाएं तो इससे भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक विरासत को बचाना संभव हो सकेगा। अगर निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस की यह मांग मान ली तो जिस तरह एससी/एसटी सीटों पर केवल इन्हीं वर्गों के लोग चुनाव लड़ सकते हैं, उसी तरह कांग्रेस आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेसियों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति होगी।

पार्टी को उम्मीद है कि इसी साल बिहार विधानसभा चुनावों से यह नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। सूत्र ने बताया कि अगर निर्वाचन आयोग इस संबंध में कोई फैसला नहीं लेता है तो कांग्रेस व्यापक जनांदोलन छेड़ देगी। राहुलजी अगली छुट्टियां मनाकर जैसे ही विदेश से लौटेंगे, आंदोलन की रूपरेखा बना ली जाएगी। फिलहाल राहुलजी के जल्दी ही छुट्टियों पर जाने का इंतजार किया जा रहा है।

(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)

सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

Humor : कांग्रेस को कोई खरीददार न मिल रहा तो मैं क्या करूं? : ताजमहल

tajmahal-facts-interview-satire, ताजमहल, व्यंग्य

By Jayjeet

कांग्रेस के वर्चुअल प्रेसिडेंट राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस आरोप के बाद कि समय आने पर वे यानी मोदीजी ताजमहल को भी बेच सकते हैं, रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में सीधे ताजमहल के पास पहुंच गया। आप भी पढ़ें रिपोर्टर-ताजमहल के बीच हुई बातचीत के मुख्य अंश :

रिपोर्टर : सलाम वालेकुम चच्चा।

ताजमहल : तुम टूरिस्ट लोग भी भोत तलते हों.. और ये अस्सलामु अलैकुम होता है.. तमीज़ सीख लो जरा..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं टूरिस्ट नहीं, रिपोर्टर हूं रिपोर्टर

ताजमहल : भैया, माफ़ करना, मैं आपके लिए फ्री में ताज दीदार की व्यवस्था नहीं करवा सकता..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं ताज देखने ना आया, मैं तो आपके इंटरव्यू के लिए आया हूं

ताजमहल : ओ हो, इंटरव्यू, वॉट एन आइडिया…

रिपोर्टर : अरे, आप तो अंग्रेजी भी बोल लेते हैं!

ताजमहल (शर्माते हुए) : बस, टूरिस्ट्स की संगत में सीख गया…अच्छा बताओ क्या पूछना है?

रिपोर्टर : कल राहुल गांधी बोले कि मोदीजी ताजमहल, मसलन आपको भी बेच सकते हैं। क्या कहना है आपका इस पर…?

ताजमहल : अब, ये तुम मुझे अपनी घटिया सियासत में तो मत ही घसीटो..

रिपोर्टर : ओ हो, तो क्या आपके जमाने में सियासत नहीं होती थी?

ताजमहल : हां, होती थी। बेटा पिता को कैद कर लेता था। देखा है मैंने। भाई भाई को मरवा देता था। यह भी देखा है। पर इतना घटियापन ना था जो आप लोगों की सियासत में है। जो भी था, खुल्ला खेल था। ऐसा ना कि बाहर कुछ और, अंदर कुछ और।

रिपोर्टर : पर राहुलजी ने आपका नाम लिया है। कुछ तो बोलो…

ताजमहल : अब क्या बोलूं, मोदी है तो मुमकिन है।

रिपोर्टर : क्या राहुल जी की पीड़ा यह तो नहीं कि वे कहना चाह रहे हो कि देखो, मोदी ताजमहल जैसी बासी चीजों को तो बेच रहे हैं, पर कांग्रेस की कोई वकत नहीं…

ताजमहल (थोड़ी नाराजगी के साथ) : अब तुम मुंह तो मत खुलवाओ, कांग्रेस के कोई भाव हो तो बिके?

रिपोर्टर : चच्चा, तो कांग्रेस क्या करें?

ताजमहल : क्या करें!! खुद को हैरिटेज पार्टी घोषित करवा लें, फिर देखो कांग्रेस हेड क्वार्टर कैसे टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा। और एक दिन कांग्रेस के बिकने की बात भी होने लगेगी।

रिपोर्टर : यानी आपका यह कहना है कि कांग्रेस खुद ही बिकना चाहती है, पर कोई खरीददार न मिल रहा… मतलब ब्रेकिंग न्यूज… मैं चला…

ताजमहल (जोर से चिल्लाते हुए) : अबे चच्चा की औलाद, मैंने ये कब बोला…तू खुद ही बोल रहा है ये उल्टा-सीधा … और ये ब्रेकिंग व्रेकिंग में मेरा नाम न लेना… अपनी भी कोई इज्जत है…

पर रिपोर्टर तो फांदते-फूंदते यह चला, वह चला…

# tajmahal 

बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

क्रेकिंग इंटरव्यू… कांग्रेस को कोई खरीददार न मिल रहा तो मैं क्या करूं? : ताजमहल

ताजमहल से खास बातचीत…

ताजमहल


By Jayjeet

कांग्रेस के वर्चुअल प्रेसिडेंट राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस आरोप के बाद कि समय आने पर वे यानी मोदीजी ताजमहल को भी बेच सकते हैं, रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में सीधे ताजमहल के पास पहुंच गया। आप भी पढ़ें रिपोर्टर-ताजमहल के बीच हुई बातचीत के मुख्य अंश :

रिपोर्टर : सलाम वालेकुम चच्चा।

ताजमहल : तुम टूरिस्ट लोग भी भोत तलते हों.. और ये अस्सलामु अलैकुम होता है.. तमीज़ सीख लो जरा..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं टूरिस्ट नहीं, रिपोर्टर हूं रिपोर्टर

ताजमहल : भैया, माफ़ करना, मैं आपके लिए फ्री में ताज दीदार की व्यवस्था नहीं करवा सकता..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं ताज देखने ना आया, मैं तो आपके इंटरव्यू के लिए आया हूं

ताजमहल : ओ हो, इंटरव्यू, वॉट एन आइडिया…

रिपोर्टर : अरे, आप तो अंग्रेजी भी बोल लेते हैं!

ताजमहल (शर्माते हुए) : बस, टूरिस्ट्स की संगत में सीख गया…अच्छा बताओ क्या पूछना है?

रिपोर्टर : कल राहुल गांधी बोले कि मोदीजी ताजमहल, मसलन आपको भी बेच सकते हैं। क्या कहना है आपका इस पर…?

ताजमहल : अब, ये तुम मुझे अपनी घटिया सियासत में तो मत ही घसीटो..

रिपोर्टर : ओ हो, तो क्या आपके जमाने में सियासत नहीं होती थी?

ताजमहल : हां, होती थी। बेटा पिता को कैद कर लेता था। देखा है मैंने। भाई भाई को मरवा देता था। यह भी देखा है। पर इतना घटियापन ना था जो आप लोगों की सियासत में है। जो भी था, खुल्ला खेल था। ऐसा ना कि बाहर कुछ और, अंदर कुछ और।

रिपोर्टर : पर राहुलजी ने आपका नाम लिया है। कुछ तो बोलो…

ताजमहल : अब क्या बोलूं, मोदी है तो मुमकिन है।

रिपोर्टर : क्या राहुल जी की पीड़ा यह तो नहीं कि वे कहना चाह रहे हो कि देखो, मोदी ताजमहल जैसी बासी चीजों को तो बेच रहे हैं, पर कांग्रेस की कोई वकत नहीं…

ताजमहल (थोड़ी नाराजगी के साथ) : अब तुम मुंह तो मत खुलवाओ, कांग्रेस के कोई भाव हो तो बिके?

रिपोर्टर : चच्चा, तो कांग्रेस क्या करें?

ताजमहल : क्या करें!! खुद को हैरिटेज पार्टी घोषित करवा लें, फिर देखो कांग्रेस हेड क्वार्टर कैसे टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा। और एक दिन कांग्रेस के बिकने की बात भी होने लगेगी।

रिपोर्टर : यानी आपका यह कहना है कि कांग्रेस खुद ही बिकना चाहती है, पर कोई खरीददार न मिल रहा… मतलब ब्रेकिंग न्यूज… मैं चला…

ताजमहल (जोर से चिल्लाते हुए) : अबे चच्चा की औलाद, मैंने ये कब बोला…तू खुद ही बोल रहा है ये उल्टा-सीधा … और ये ब्रेकिंग व्रेकिंग में मेरा नाम न लेना… अपनी भी कोई इज्जत है…

पर रिपोर्टर तो फांदते-फूंदते यह चला, वह चला…