देश में कोरोना का असर कम होता जा रहा है। लेकिन इसकी वजह वैक्सीन कार्यक्रम कम, घर-गृहस्थी ज्यादा है। देखिए यह शुद्ध ह्यूमर एवं फनी वीडियो... कार्टून कैरेक्टर्स के जरिए....
इस पोर्टल के नाम में भले ही 'Humour' हो, लेकिन यह गंभीर मुद्दे भी उठाता है, कभी कटाक्ष के तौर पर तो कभी बगैर लाग-लपेट के दो टूक। वैसे यहां हरिशंकर परसाई, शरद जोशी जैसे कई नामी व्यंग्यकारों के क्लासिक व्यंग्य भी आप पढ़ सकते हैं। फिर कुछ जोक्स, फनी आइटम तो हैं ही।
गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021
रविवार, 7 फ़रवरी 2021
शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021
Satire : रिहाना के एक ट्वीट की कीमत पूरे 18 करोड़ , क्या खाक बराबरी करेंगी कंगना!
किसान आंदोलन को लेकर भारत पर सवाल उठाने वाली अमेरिकन सिंगर रिहाना (rihana) अब खुद विवादों में हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उनके पोस्ट के लिए rihana को कनाडा की एक पीआर फर्म ने 18 करोड़ रुपए दिए थे, जो खालिस्तान समर्थक से जुड़ी है। देखिए, यह व्यंग्य शॉर्ट वीडियो...
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021
Petrol Jokes : पेट्रोल के दाम बढ़ने से ये क्यों हुआ चिंतित?
पेट्रोल के दाम बढ़ने से ये क्यों हुआ चिंतित?
# Petrol Jokes
मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021
Satire & Humor Video : इकोनॉमी में जबरदस्त योगदान देने वाले दारूबाज क्यों हैं बजट से नाखुश?
2020-21 के केंद्रीय बजट ने दारूबाजों को नाखुश कर दिया है। ऐसे ही एक दारूबाज से सुनिए कि उसकी दर्दभरी दास्तान...
सोमवार, 1 फ़रवरी 2021
Humor : राहुल को समझ में आया बजट, कांग्रेसियों में खुशी की लहर, सोनिया के निवास पर पहुंचकर की आतिशबाजी
मुझे खुशी है कि मेरे बेटे काे आखिरकार बजट समझ में आ गया : सोनिया |
By A. Jayjeet
नई दिल्ली। राहुल गांधी को बजट (budget) समझ में आ गया है। इसका ऐलान खुद राहुल ने एक ट्वीट कर किया। इसकी खबर मिलते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर छा गई। कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों के साथ सोनिया के निवास पर पहुंचे और वहां जमकर आतिशबाजी की। कार्यकर्ताओं की भावनाओं को देखते हुए खुद सोनिया ने सड़क पर आकर राहुल के साथ विक्टरी चिह्न दिखाकर खुशी मनाई (देखें चित्र)।
जयराम रमेश ने खुशी के आंसू रोकते हुए कहा – आखिर मेरी तपस्या सफल हुई। मनमोहन सिंह ने कहा – मैं तो अब भी बजट समझने की कोशिश कर रहा हूं। राहुल बाबा मुझसे भी होशियार हो गए। विश्वास नहीं होता, मगर खुशी की बात है। दिग्गी राजा ने कहा- जिस बजट को आज तक मनमोहन सिंह जी तक नहीं समझ सके, उसे राहुलजी ने समझ लिया। इससे साफ है कि हमें राहुलजी की जरूरत है। मैं उनसे फिर से पार्टी की कमान संभालने का अनुरोध करता हूं।
सोनिया के निवास पर पहुंचे कार्यकर्ता, खुशी जताई :
राहुल के ट्वीट के बाद हजारों की संख्या में कार्यकर्ता सोनिया गांधी के निवास पर पहुंचे और वहां जमकर आतिशबाजी की। सोनिया ने बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं से कहा – “ऐसा लग रहा है कि हम देश में आम चुनाव जीत गए हैं।”
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Budget Satire : आम आदमी को समझ में आया बजट, सदमे में पहुंची वित्त मंत्री
By Jayjeet
नई दिल्ली। बजट के इतिहास में पहली बार एक आम आदमी ने आम बजट को समझने का दावा कर आर्थिक और राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। इस खबर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदमे में बताई जा रही हैं। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने इसके लिए सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।
इस बीच, अनेक आर्थिक विशेषज्ञों ने इस दावे को फेक बताते हुए कहा है कि यह संभव ही नहीं है कि कोई आम आदमी आम बजट को समझ सके। न पहले कोई समझ सका है, न आगे कोई समझ सकेगा। हालांकि अभी इस आम आदमी की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है। सरकार ने इस आदमी के दावे की जांच के लिए आनन-फानन में तीन विशेषज्ञों की समिति गठित कर दी है।
विपक्ष ने मांगा सीतारमण का इस्तीफा
आम आदमी के इस दावे के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं। इसके लिए कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आगे किया है। चिदंबरम ने कहा कि आम आदमी के इस दावे ने वित्त मंत्रालय के इतिहास को कलंकित कर दिया है। उन्होंने इसके लिए सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।
सदमे में सीतारमण
आम आदमी के इस दावे के बाद सीतारणम सदमे में बताई जा रही हैं। सदमे में आने से पहले उन्होंने ऐसा बजट तैयार करने के लिए तीन जिम्मेदार अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने हिंदी सटायर को बताया, “वित्त मंत्री अपने कक्ष में अपने अफसरों पर चिल्ला रही थीं। जाहिलो, ऐसा कैसा बजट बना दिया कि एक आम आदमी भी इसे समझ गया। आप लोगों ने इसे हलवा समझ रखा क्या?” अफसर बार-बार दलील देते रहे कि मैडम, यह विपक्ष की साजिश है। ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता। आम आदमी तो हमारे फोकस में ही नहीं होता। लेकिन सीतारमण पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
# budget #budget Satire
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रविवार, 31 जनवरी 2021
हलवे की कड़ाही और वोटर्स में क्या समानता है? जानिए इसी कड़ाही से, बजट पूर्व खास इंटरव्यू में…
By Jayjeet
ह्यूमर डेस्क, नई दिल्ली। बजट पेश होने में अब कुछ ही घंटे बाकी हैं। ऐसे में बजट संबंधी ब्रेकिंग न्यूज कबाड़ने के फेर में रिपोर्टर ने सोचा कि क्यों न कड़ाही से बात की जाए, वही कड़ाही जिसमें बजट की प्रिंटिंग से पहले हलवा बना था। तो छिपते-छापते रिपोर्टर पहुंच गया नॉर्थ ब्लॉक कड़ाही के पास :
रिपोर्टर : राम-राम कढ़ाही काकी। कल बजट आ रहा है और आप आराम कर रही हों?
कड़ाही : अब हमारा बजट से क्या काम? हलवा बनना था, बन गया और बंट भी गया।
रिपोर्टर : पर आप यहां इस समय कोने में क्या कर रही हों?
कड़ाही : अब यही तो हमारी नियति है बेटा। बजट छपने से पहले ही हमारी पूछ-परख है। एक बार हलवा खतम तो हमारा काम भी खतम। बस यहीं कोने में सरका दी जाती है। साल भर यहीं पड़े रहो।
रिपोर्टर : मतलब आपमें और हममें कोई फर्क नहीं?
कड़ाही : बिल्कुल। जैसे तुम वोटर्स की वोटिंग से पहले ही पूछ-परख होती है, वैसे ही मेरी बजट की छपाई से पहले।
रिपोर्टर : अच्छा, तनिक यह तो बताओ कि बजट में क्या आ रहा है? थोड़ी-बहुत ब्रेकिंग-व्रेकिंग हम भी चला दें…
कड़ाही : ब्रेकिंग का क्या, कुछ भी चला दो। चला दो कि बजट की एक रात पहले नॉर्थ ब्लॉक के पिछवाड़े में एक भूत के कदमों के निशान पाए गए। हो गई ब्रेकिंग न्यूज..।
रिपोर्टर : अरे नहीं काकी। मैं टीवी वाली ब्रेकिंग की बात ना कर रहा। हमें तो ‘हिंदी सटायर’ के लिए ब्रेकिंग चाहिए, वही जो खबरी व्यंग्यों में हिंदी में भारत का पहला पोर्टल है।
कड़ाही : अच्छा। तो खबर चाहिए? ऐसा बोलो ना। पर वो मुझे कहां पता। मैंने बजट थोड़े देखा है।
रिपोर्टर : मंत्री और अफसर हलवा खाते समय कुछ तो बतियाए होंगे?
कड़ाही : हां, मंत्राणी अपने अफसरों से पूछ रही थीं कि क्या उस आम आदमी की पहचान हो गई है जिसके लिए हम बजट बना रहे हैं?
रिपोर्टर : अरे वाह, फिर क्या हुआ?
कड़ाही : वही तो बता रही हो। बीच में ज्यादा टोकाटोकी मत करो…हां तो इस पर अफसर एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। तब एक सीनियर अफसर ने हिम्मत करके कहा कि मैडम जी, हम तो हलवे में लगे थे। वैसे भी बजट का आम आदमी से क्या लेना-देना? फिर भी हमने उसकी तलाश में टीमें लगा दी हैं…. और भी बहुत बातें हुईं, पर ज्यादा समझ में ना आईं।
रिपोर्टर : हमें तो हलवे की फोटो ही देखने को मिलती आई है। ये तो बता दो उसमें क्या-क्या माल डलता है?
कड़ाही : बेटा, ये तो बहुत कॉन्फिडेंशियल है, बजट से भी ज्यादा।
रिपोर्टर : ठीक है, ना पूछता। पर दिल में कई सालों से एक सवाल उठ रहा था, हलवे को लेकर।
कड़ाही : क्या?
रिपोर्टर : यही कि क्या कभी ऐसा नहीं हो सकता कि किसी दिन कोई वित्त मंत्री यह कहें कि इस बार हलवा न बनेगा और न बंटेगा। इस बार रोटियां बनेंगी और गरीबों में बंटेंगी, क्योंकि इस देश को हलवे से ज्यादा रोटियों की दरकार है और…
कड़ाही (बीच में टोकते हुए) : बेटा, अब ज्यादा हरिशंकर परसाई मत बनो। अपनी औकात में रहो। वो तो समय रहते निकल लिए। तुम परसाई बनने के चक्कर में अपनी लिंचिंग न करवा बैठना। तुम अभ्भी के अभ्भी यहां से निकल लो…खुद तो मरोगे, मुझे भी मरवाआगे…
(Disclaimer : बताने की जरूरत नहीं कि यह खबर कपोल-कल्पित है। मकसद केवल कटाक्ष करना है, किसी की मनहानि करना नहीं।)
सोनू सूद से क्यों है शिकायत? एक व्यंग्य (Satire) वीडियो...
हाल ही इंदौर नगर निगम के कुछ कर्मचारियों द्वारा कुछ बूढ़े भिखारियों के साथ बदसलूकी की घटना सामने आई थी। इस दिल दहला देने वाली घटना के वीडियो देखकर सोनू सूद ने इन भिखारियों की मदद करने का प्रस्ताव रखा है। इसी पर यह एक व्यंग्यात्मक वीडियो है...
Video : कैसे ठंड, बाजार और महंगाई कर रहे हैं नेताओं से कॉम्पिटिशन?
कैसे ठंड, बाजार और महंगाई कर रहे हैं नेताओं से कॉम्पिटिशन?
शनिवार, 30 जनवरी 2021
Satire : पहले बजट हुआ 'बही खाता', अब महंगाई और टैक्स का नाम बदलने की बारी
हमारे देश में सबसे आसान काम होता है बजट का एनालिसिस करना। साथ ही महंगाई और टैक्स का नाम बदलने की क्यों है जरूरत, देखिए इस व्यंग्य वीडियो में ...
# बजट हास्य व्यंग्य, # बजट कटाक्ष, # budget satire
गोडसे ने बापू की डायरी में यह क्यों लिखा : 1,10,234 …?
By Jayjeet
गोडसे ने आज फिर बापू की डायरी ली और उसमें कुछ लिखा।
गांधी ने पूछा- अब कितना हो गया है रे तेरा डेटा?
एक लाख क्रॉस कर गया बापू। 1 लाख 10 हजार 234… गोडसे बोला
गांधी – मतलब सालभर में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
गोडसे : हां, 12 परसेंट की ग्रोथ है। बड़ी डिमांड है …. गोडसे ने मुस्कराकर कहा…
गांधीजी ने भी जोरदार ठहाका लगाया…
नए-नए अपॉइंट हुए यमदूत से यह देखा ना गया। गोडसे के रवाना होने के बाद उसने अनुभवी यमदूत से पूछा- ये क्या चक्कर है सर? ये गोडसे नरक से यहां सरग में बापू से मिलने क्यों आया था?
अनुभवी यमदूत – यह हर साल 30 जनवरी को नर्क से स्वर्ग में बापू से मिलने आता है। इसके लिए उसने स्पेशल परमिशन ले रखी है।
नया यमदूत – अपने किए की माफी मांगने?
अनभवी – पता नहीं, उसके मुंह से तो उसे कभी माफी मांगते सुना नहीं। अब उसके दिल में क्या है, क्या बताए। हो सकता है कोई पछतावा हो। अब माफी मांगे भी तो किस मुंह से!
नया – और बापू? वो क्यों मिलते हैं उस हरामी से? उसके दिल में भले पछतावा हो, पर बापू तो उसे कभी माफ न करेंगे।
अनुभवी – अरे, बापू ने तो उसे उसी दिन माफ कर दिया था, जिस दिन वे धरती से अपने स्वर्ग में आए थे। मैं उस समय नया-नया ही अपाइंट हुआ था।
नया – गजब आदमी है ये… मैं तो ना करुं, किसी भी कीमत पे..
अनुभवी – इसीलिए तो तू ये टुच्ची-सी नौकरी कर रहा है…
नया – अच्छा, ये गोडसे, बापू की डायरी में क्या लिख रहा था? मेरे तो कुछ पल्ले ना पड़ रहा।
अनुभवी – यही तो हर साल का नाटक है दोनों का। हर साल गोडसे 30 जनवरी को यहां आकर बापू की डायरी को अपडेट कर देता है। वह डायरी में लिखता है कि धरती पर बापू की अब तक कितनी बार हत्या हो चुकी है। गोडसे नरक के सॉफ्टवेयर से ये डेटा लेकर आता है।
नया – अच्छा, तो वो जो ग्रोथ बोल रहा था, उसका क्या मतलब?
अनुभवी – वही जो तुम समझ रहे हो। पिछले कुछ सालों के दौरान गांधी की हत्या सेक्टर में भारी बूम आया हुआ है।
नया – ओ हो, इसीलिए इन दिनों स्वर्ग में आमद थोड़ी कम है…
अनुभवी – अब चल यहां से, कुछ काम कर लेते हैं। वैसे भी यहां मंदी छाई हुई है। नौकरी बचाने के लिए काम का दिखावा तो करना पड़ेगा ना… हमारी तो कट गई। तू सोच लेना….
(Disclaimer : इसका मकसद गांधीजी को बस अपनी तरह से श्रद्धांजलि देना है, गोडसे का रत्तीभर भी महिमामंडन करना नहीं… )
#gandhi #godse
गुरुवार, 28 जनवरी 2021
Political Cartoon Video : कांग्रेस को क्यों है बजट से उम्मीदें?
बुधवार, 20 जनवरी 2021
आम आदमी की खोज पूरी, अब सरकार बजट से पहले खिलाएगी भरपेट हलवा, ताकि...
आम आदमी (दाएं) के बारे में बताती हुईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ... |
शनिवार, 16 जनवरी 2021
Satire & Humour : भारत में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू, लेकिन देश में हैं कोरोना से भी भयंकर वायरस, इनसे रहें बचकर
गुरुवार, 14 जनवरी 2021
Satire : करप्शन में 'Skill Development' करेगी सरकार, ढंग से रिश्वत न लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी तैयारी
मप्र के सीधी जिले में एक महिला विकास परियोजना अधिकारी को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। यहां रिश्वतखोरी पर दो सवाल उठ रहे हैं- हमारे अफसर इतनी छोटी-मोटी रिश्वत क्यों ले रहे हैं? और दूसरा, आखिर ऐसे कैसे रिश्वत ले रहे हैं कि इतनी आसानी से पकड़ में आ रहे हैं? इससे तो पूरे सिस्टम और सरकार पर ही सवालिया निशान लग गए हैं। देखिए, यह व्यंग्य वीडियो...
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मंगलवार, 12 जनवरी 2021
Satire & Humour : विवेकानंद के अनमोल विचारों से हमारे नेताओं ने क्या सीखा?
By Jayjeet
आज स्वामी विवेकानंद (swami vivekanand) की जयंती है। 12 जनवरी को उनका जन्मदिवस होता है और हर साल इसे ‘युवा दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। विवेकानंद ने अपने भाषणों और लेखों में कई अनमोल और Thought-Provoking विचार दिए हैं। भारतीय नेताओं ने उनके विचारों को कैसे यूज किया, इस पैकेज में देखिए इसका satirical अंदाज :
विवेकानंद का विचार : उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : उठाईगिरी करो, लोगों की नींद हराम करो, कुछ भी करो। तब तक नहीं रुको, जब तक कि कुर्सी प्राप्त न हो जाए।
विवेकानंद का विचार : उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : उस नेता ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी नैतिकता जैसी चीज से व्याकुल नहीं होता।
विवेकानंद का विचार : विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : राजनीति एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को बाहुबलि बनाने के लिए आते हैं।
विवेकानंद का विचार : जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : चुनाव के दौरान आप जो वादे करते हैं, उन्हें समय पर पूरा बिल्कुल नहीं करना चाहिए, नहीं तो आम लोगों का राजनीति पर से विश्वास ही उठ जाता है।
विवेकानंद का विचार : जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएं अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी तरह मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा, भगवान तक जाता है।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : जिस तरह से विभिन्न राजनीतिक दलों से उत्पन्न नेता अपनी पूरी नैतिकता को धूल में मिला देते हैं, उसी प्रकार हर नेता द्वारा चुना हुआ मार्ग, जाे हमेशा बुरा होता है, कुर्सी तक ही जाता है।
विवेकानंद का विचार : ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वे हमीं हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है!
नेताओं ने ऐसे किया यूज : पुलिस से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक, सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। हममें से कुछ नादान लोग हैं जो इन शक्तियों का यूज नहीं करते और फिर कहते हैं कि कितना अंधकार है भाई।
विवेकानंद का विचार : अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, बेहतर है।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : अगर कुर्सी हमारे अपने भाई-भतीजों की भलाई करने में मदद करें तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा यह सिर्फ बुराई का ढेर है। ऐसी घटिया राजनीति से जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, बेहतर है।
विवेकानंद का विचार : कभी मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप है, तो यह कहना कि तुम निर्बल हों।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : कभी मत सोचिए कि सत्ता के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना ही सबसे बड़ी ‘अराजनीति’ है। अगर कोई पाप है तो यह कहना कि तुम बाहुबलि नहीं हों।
स्वामी विवेकानंद का विचार : बस वही जीते हैं ,जो दूसरों के लिए जीते हैं।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : बस वही राजनीति कर पाते हैं, जो अपने लिए राजनीति करते हैं।
विवेकानंद का विचार : यह जीवन अल्पकालीन है। संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दूसरों के लिए जीते हैं, वे ही वास्तव में जीते हैं।
नेताओं ने ऐसे किया यूज : यह सत्ता अल्पकालीन है। कुर्सी की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो नेता अपने भाई-बंधुओं के लिए काम करते हैं, वे ही वास्तव में राजनीति करते हैं।
(Disclaimer : यहां स्वामी विवेकानंदजी की किसी भी तरह से अवज्ञा नहीं की जा रही। मकसद केवल आज की राजनीति पर कटाक्ष करना है।)
शनिवार, 9 जनवरी 2021
Satire : मंत्री बने हैं तो कोई सम्मानजनक घोटाला कीजिए...आखिर हमने वोट क्यों दिया?
हाल ही में मप्र के एक मंत्री प्रभुराम चौधरी ने अपनी अफसर पत्नी को प्रमोट करने में तमाम नियम-कायदों को ताक पर रख दिया। इस पर कटाक्ष करता हुआ है यह वीडियो...
मंगलवार, 5 जनवरी 2021
Satire & Humour Video : राहुल 51 साल की उम्र में 'शिशु नेता' से बन जाएंगे यंग लीडर! कोरोना कर लेगा सुसाइड
नया साल (New Year) कई तरह की उम्मीदें लेकर आता है। लकिन क्या आम आदमी भी नए साल से कुछ उम्मीदें रख सकता है? नए साल 2021 में हम क्या उम्मीदें रख सकते हैं, देखिए इस satire Video में ...
# New Year # Satire # Satire Video # New year jokes