इस पोर्टल के नाम में भले ही 'Humour' हो, लेकिन यह गंभीर मुद्दे भी उठाता है, कभी कटाक्ष के तौर पर तो कभी बगैर लाग-लपेट के दो टूक। वैसे यहां हरिशंकर परसाई, शरद जोशी जैसे कई नामी व्यंग्यकारों के क्लासिक व्यंग्य भी आप पढ़ सकते हैं। फिर कुछ जोक्स, फनी आइटम तो हैं ही।
क्या बेहतर नहीं होगा कि तमाम नेतागण, चाहें वे किसी भी पार्टी के हों, महात्मा गांधी को अकेला छोड़ दें...? उन्हें बार-बार नजरें झुकाने के लिए मजबूर करने का क्या मतलब?