नई दिल्ली। एक चौकाने वाले घटनाक्रम के तहत महंगाई दर ने यहां शनिवार सुबह खुदकुशी करने की कोशिश की। उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। करीबी सूत्रों के अनुसार वह उसी दिन से मानसिक तौर पर काफी परेशान थी, जिस दिन यह बात सामने आई थी कि वह पिछले 16 महीनों में सबसे ज्यादा नीचे गिर गई है। उसके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें लिखा है – “मैं महंगाई हूं, मैं कैसे गिर सकती हूं? इसके बावजूद मुझे यह कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है कि मैं नीचे गिर रही हूं। मुझे क्या नेता समझ लिया है?”
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शनिवार, 13 फ़रवरी 2021
रविवार, 31 जनवरी 2021
सोनू सूद से क्यों है शिकायत? एक व्यंग्य (Satire) वीडियो...
हाल ही इंदौर नगर निगम के कुछ कर्मचारियों द्वारा कुछ बूढ़े भिखारियों के साथ बदसलूकी की घटना सामने आई थी। इस दिल दहला देने वाली घटना के वीडियो देखकर सोनू सूद ने इन भिखारियों की मदद करने का प्रस्ताव रखा है। इसी पर यह एक व्यंग्यात्मक वीडियो है...
Video : कैसे ठंड, बाजार और महंगाई कर रहे हैं नेताओं से कॉम्पिटिशन?
कैसे ठंड, बाजार और महंगाई कर रहे हैं नेताओं से कॉम्पिटिशन?
बुधवार, 17 जून 2020
Satire : टाइम मिस-मैनेजमेंट!
(Disclaimer : असत्य घटना पर आधारित, पर देश के कोने-कोने में इसके सत्य होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता… )
एक बंदा एग्जाम की तैयारी करता प्रतीत हो रहा था। छह महीने तक करता रहा। पर रिजल्ट आया जीरो बंटे सन्नाटा।
मैं – छह माह तक क्या किया? पास क्यों न हो सके?
वह – जी, एग्जाम की तैयारी ना कर सका।
मैं – क्यों?
वह – टाइम ही ना मिल सका।
मैं – टाइम क्यों ना मिला?
वह – सारा टाइम तो टाइम मैनेजमेंट कैसे करें, इसकी किताबें पढ़ने और वीडियो देखने में ही चला गया।
मैं – ओहो। तो अब आगे क्या प्लानिंग है?
वह – फेल होने पर हम खुद को मोटिवेट कैसे करें, इस पर जरा स्टडी कर रहा हूं। इसके बाद कुछ प्लानिंग ..
मॉरल ऑफ द स्टोरी उर्फ ज्ञान… : हमारे यहां मोटिवेशनल गुरु अगर इतने कूद-कूदकर सफल हुए जा रहे हैं तो इसमें उन बेचारों को दोष मत दीजिए।
(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)
एक बंदा एग्जाम की तैयारी करता प्रतीत हो रहा था। छह महीने तक करता रहा। पर रिजल्ट आया जीरो बंटे सन्नाटा।
मैं – छह माह तक क्या किया? पास क्यों न हो सके?
वह – जी, एग्जाम की तैयारी ना कर सका।
मैं – क्यों?
वह – टाइम ही ना मिल सका।
मैं – टाइम क्यों ना मिला?
वह – सारा टाइम तो टाइम मैनेजमेंट कैसे करें, इसकी किताबें पढ़ने और वीडियो देखने में ही चला गया।
मैं – ओहो। तो अब आगे क्या प्लानिंग है?
वह – फेल होने पर हम खुद को मोटिवेट कैसे करें, इस पर जरा स्टडी कर रहा हूं। इसके बाद कुछ प्लानिंग ..
मॉरल ऑफ द स्टोरी उर्फ ज्ञान… : हमारे यहां मोटिवेशनल गुरु अगर इतने कूद-कूदकर सफल हुए जा रहे हैं तो इसमें उन बेचारों को दोष मत दीजिए।
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बुधवार, 9 अप्रैल 2014
जब मुसीबत में पड़ गया हैरी पाॅटर
जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha
हैरी पाॅटर दिल्ली क्या घूमने आया, उसकी मुसीबत हो गई। अभी वह अपने वाहन से नीचे उतरकर सुस्ता ही रहा था कि टोपी पहने कुछ आम टाइप के नेता आ टपके। उन्होंने सबसे पहले उनके वाहन को प्रणाम किया। फिर उनमें से एक बोला, ‘हैरीजी, हम चाहते हैं कि आप हमारी पार्टी के स्टार प्रचारक बन जाएं।’
‘मैं कुछ समझा नहीं।’ हैरी बोला।
‘आपको यह तो पता ही है कि इस समय भारत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चल रहा है। हमारे एक स्टार प्रचारक खुली जीप में चल रहे हैं। इससे या तो जीप का प्रचार हो रहा है या उस पंजे का जो उन्हें जगह-जगह मिल रहे हैं। ’
‘लेकिन मैं क्या कर लूंगा?’ हैरी बोला।
‘अब आपसे ही उम्मीद बची है। वैसे भी हमने आपसे ही प्रेरणा ली है।’
‘वह कैसे?’
‘एक तो आप झाडू लेकर चलते हैं और दूसरा हमेषा हवा में उड़ते रहते हैं।’
‘अगर मैं ऐसा नहीं करुं तो!’
‘तो हम चुनाव आयोग को षिकायत कर देंगे। आपकी झाडू जब्त करवा देंगे। हमें कोई मना नहीं कर सकता। या तो आप हमारे साथ हैं या हमारे खिलाफ।’
‘मैं कुछ समझा नहीं।’ हैरी बोला।
‘आपको यह तो पता ही है कि इस समय भारत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चल रहा है। हमारे एक स्टार प्रचारक खुली जीप में चल रहे हैं। इससे या तो जीप का प्रचार हो रहा है या उस पंजे का जो उन्हें जगह-जगह मिल रहे हैं। ’
‘लेकिन मैं क्या कर लूंगा?’ हैरी बोला।
‘अब आपसे ही उम्मीद बची है। वैसे भी हमने आपसे ही प्रेरणा ली है।’
‘वह कैसे?’
‘एक तो आप झाडू लेकर चलते हैं और दूसरा हमेषा हवा में उड़ते रहते हैं।’
‘अगर मैं ऐसा नहीं करुं तो!’
‘तो हम चुनाव आयोग को षिकायत कर देंगे। आपकी झाडू जब्त करवा देंगे। हमें कोई मना नहीं कर सकता। या तो आप हमारे साथ हैं या हमारे खिलाफ।’
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