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रविवार, 15 मार्च 2020

Humor : गिरने के मामले में नेताओं के बाद दूसरे नंबर पर आया SENSEX, ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ में आजमाएगा हाथ

सेंसेक्स sensex jokes

By Jayjeet

जैसे ही शेयर बाजार के गिरने की खबर आई, यह रिपोर्टर पहुंच गया सेंसेक्स के पास। रिपोर्टर को देखते ही सेंसेक्स बोला- आ गए गिरे हुए पर पानी डालने! तुम पत्रकार और कर भी क्या सकते हो..


रिपोर्टर : इसे जले हुए पे नमक छिड़कना कहते हैं भाई…

सेंसेक्स : वाह, आपको मुहावरे भी पता है..

रिपोर्टर (शरमाते हुए) : जी, वो तो यूं ही कभी-कभी… वैसे हम आपके जले पे नमक छिड़कने नहीं, बल्कि बधाई देने आए हैं।

सेंसेक्स : बधाई, किस बात की?

रिपाेर्टर : अब गिरने के मामले में आप भी नेताओं से होड़ लेने लगे हैं। मतलब, इस मामले में आप देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं।

सेंसेक्स : अच्छा, तो मतलब हम भी क्या पॉलिटिक्स-वॉलिटिक्स में आ सकते हैं?

रिपोर्टर : अरे आपने तो मुंह की बात ही छीन ली। मगर उसके लिए एक शर्त होगी।

सेंसेक्स : वो क्या?

रिपोर्टर : आपको गिरने के मामले में कंसिस्टेंसी बनाए रखनी होगी। ऐसे नहीं कि आज गिरे और कल ऊपर चढ़ गए। परसो गिरे और फिर ऊपर चढ़ गए…समझें!!

सेंसेक्स : मतलब, स्साला पूरा नेता बनना होगा!

रिपोर्टर : सही समझे।

सेंसेक्स : तो फिर, ट्रेडिंग का क्या होगा? ट्रेडिंग-श्रेडिंग बंद करनी होगी क्या?

रिपोर्टर : हॉर्स ट्रेडिंग करवाइए, मजे से करवाइए। यह तो नेताओं का प्रिय शगल है..

सेंसेक्स : पर इसके लिए मैं घोड़े कहां से लाऊंगा?

रिपोर्टर : मेरे भोले सेंसेक्स… घोड़े नहीं, विधायकों को सेंसेक्स में शामिल करना होगा। और तब देखना कैसे जोरदार ट्रेडिंग होती है।

सेंसेक्स : रिपोर्टर महोदय, तब तो मैं ऊपर ही ऊपर जाऊंगा, गिरुंगा कैसे? और फिर आप जो मेरे लिए बधाई आए हैं ना, इसकी फोंगली बनाके

रिपोर्टर (बीच में ही बात काटते हुए) : माइंड योर लैंग्वेज मिस्टर सेंसेक्स… मैं आपको ज्ञान दे रहा हूं और आप मुझ पर ही चढ़ रहे हों..

सेंसेक्स : ओह, माफी चाहूंगा, पर जरा स्पष्ट करेंगे कि तब मैं गिरने का कृत्य कैसे कर पाऊंगा?

रिपोर्टर : कैरेक्टर से… कैरेक्टर से नीचे गिरता है नेता। नहीं तो बैंक बैलेंस, प्लॉ्टस, जमीन, गोल्ड सब मामलों में तो वह ऊपर ही जाता है। देखा नहीं क्या?

सेंसेक्स : समझ गया मैं। चलता हूं, नेताओं से मिलके आता हूं और तब देखिएगा न्यू सेंसेक्स का धमाल…

#SENSEX #हॉर्स ट्रेडिंग

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शनिवार, 7 मार्च 2020

Humor : हॉर्स ट्रेडिंग वाले घोड़े से कर्री बात, गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग..

horse trading satire jokes , हार्स ट्रेडिंग जोक्स व्यंग्य


By Jayjeet

मप्र से जैसे ही हॉर्स ट्रेडिंग की खबर आई, यह रिपोर्टर अपने खच्चर पर बैठ सीधे पहुंच गया अस्तबल… इंटरव्यू की आज्ञा-वाज्ञा टाइप की फार्मलिटीज पूरी हो, उससे पहले ही रिपोर्टर को देखकर हॉर्स ने कहा, आओ गुरु, मुझे मालूम था तुम मेरे पास ही आओगे…

रिपोर्टर : यह आपको कैसे मालूम था?

हॉर्स : राजनीति और पत्रकारिता को देखे अरसा हो गया है। अब तुम पत्रकारों से ज्यादा पत्रकारिता समझने लगा हूं…

रिपोर्टर : मतलब?

हॉर्स : मतलब यही कि जहां सुभीता हो, वहां की पत्रकारिता करो।

रिपोर्टर : थोड़ा डिटेल में बताएंगे महोदय कि आपके यह कहने का आशय क्या है? मुझे यह आरोप प्रतीत हो रहा है।

हॉर्स : भैया, हॉर्स ट्रेडिंग स्साले वे नेता करें और सवाल उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछ रहे हों? ये सुभीता की पत्रकारिता नहीं तो और क्या है?

रिपोर्टर : महोदय, आपका गुस्सा जायज है, लेकिन कृपया इस खच्चर के सामने तो हमें जलील न करो…

हॉर्स : ओ हो, माफी चाहता हूं, मुझे लगा कि साथ में तुम्हारा साथी है। खैर, पूछो क्या पूछना है?

रिपोर्टर : विधायकों की खरीद पर बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का यूज किया जाता है। क्या नेताओं के साथ तुलना आपको अपमानजनक नहीं लगती?

हॉर्स : कोई नया सवाल नहीं है? ये तो आप पहले भी पूछ चुके हो, पचास बार पूछ चुके हो। कुछ पढ़ा-लिखा करो जरा..

रिपोर्टर : अभी कृपा करके नए पाठकों के लिए बता दीजिए। मैं जाकर पढ़ लूंगा…

हॉर्स : चलिए,थोड़ी इज्जत रख लेता हूं। तो हमारे घोड़ों का जो एसोसिएशन है, उसने मई 2018 में कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त के दौरान बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस याचिका में हॉर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि हॉर्स ट्रेडिंग का नाम बदलकर ‘डंकी ट्रेडिंग’ किया जा सकता है।

रिपोर्टर : ये तो एकदम सटीक नाम है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

हॉर्स : सुप्रीम कोर्ट कुछ कहे, उससे पहले ही डंकियों के एसोसिएशन की इस पर आपत्ति आ गई। उनका कहना था कि वे पहले से ही बदनाम हैं। ऊपर से नेताओं की खरीद-फरोख्त के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया तो वे मुंह दिखाने के लायक भी न रहेंगे।

रिपोर्टर : तो अब क्या स्थिति है महोदय?

हॉर्स : अभी तो मामला सब्ज्यूडाइस है। इसलिए ज्यादा बोलना अदालत की अवमानना हो जाएगा।

रिपोर्टर : अगर घोड़ों और गधों दोनों को आपत्ति है, तो क्यों न खच्चर ट्रेडिंग नाम रख लिया जाए। क्या विचार है?

घोड़ा विचार करें, उससे पहले ही यह रिपोर्टर जिस खच्चर पर बैठा था, वह बिदक गया…. और दचक के नौ-दो ग्यारह हो गया…

घोड़ा जोर-जोर हिनहिनाकर हंस रहा है… और यह रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज देने जा रहा है कि गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग…

#Horse_trading #satire #humor #Jayjeet

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गुरुवार, 5 मार्च 2020

Funny Interview : गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग

horse trading humour satire. हार्स ट्रेडिंग पर व्यंग्य


By Jayjeet

मप्र से जैसे ही हॉर्स ट्रेडिंग की खबर आई, यह रिपोर्टर अपने खच्चर पर बैठ सीधे पहुंच गया अस्तबल… इंटरव्यू की आज्ञा-वाज्ञा टाइप की फार्मलिटीज पूरी हो, उससे पहले ही रिपोर्टर को देखकर हॉर्स ने कहा, आओ गुरु, मुझे मालूम था तुम मेरे पास ही आओगे…

रिपोर्टर : यह आपको कैसे मालूम था?

हॉर्स : राजनीति और पत्रकारिता को देखे अरसा हो गया है। अब तुम पत्रकारों से ज्यादा पत्रकारिता समझने लगा हूं…

रिपोर्टर : मतलब?

हॉर्स : मतलब यही कि जहां सुभीता हो, वहां की पत्रकारिता करो।

रिपोर्टर : थोड़ा डिटेल में बताएंगे महोदय कि आपके यह कहने का आशय क्या है? मुझे यह आरोप प्रतीत हो रहा है।

हॉर्स : भैया, हॉर्स ट्रेडिंग स्साले वे नेता करें और सवाल उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछ रहे हों? ये सुभीता की पत्रकारिता नहीं तो और क्या है?

रिपोर्टर : महोदय, आपका गुस्सा जायज है, लेकिन कृपया इस खच्चर के सामने तो हमें जलील न करो…

हॉर्स : ओ हो, माफी चाहता हूं, मुझे लगा कि साथ में तुम्हारा साथी है। खैर, पूछो क्या पूछना है?

रिपोर्टर : विधायकों की खरीद पर बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का यूज किया जाता है। क्या नेताओं के साथ तुलना आपको अपमानजनक नहीं लगती?

हॉर्स : कोई नया सवाल नहीं है? ये तो आप पहले भी पूछ चुके हो, पचास बार पूछ चुके हो। कुछ पढ़ा-लिखा करो जरा..

रिपोर्टर : अभी कृपा करके नए पाठकों के लिए बता दीजिए। मैं जाकर पढ़ लूंगा…

हॉर्स : चलिए,थोड़ी इज्जत रख लेता हूं। तो हमारे घोड़ों का जो एसोसिएशन है, उसने मई 2018 में कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त के दौरान बार-बार हॉर्स ट्रेडिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस याचिका में हॉर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि हॉर्स ट्रेडिंग का नाम बदलकर ‘डंकी ट्रेडिंग’ किया जा सकता है।

रिपोर्टर : ये तो एकदम सटीक नाम है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

हॉर्स : सुप्रीम कोर्ट कुछ कहे, उससे पहले ही डंकियों के एसोसिएशन की इस पर आपत्ति आ गई। उनका कहना था कि वे पहले से ही बदनाम हैं। ऊपर से नेताओं की खरीद-फरोख्त के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया तो वे मुंह दिखाने के लायक भी न रहेंगे।

रिपोर्टर : तो अब क्या स्थिति है महोदय?

हॉर्स : अभी तो मामला सब्ज्यूडाइस है। इसलिए ज्यादा बोलना अदालत की अवमानना हो जाएगा।

रिपोर्टर : अगर घोड़ों और गधों दोनों को आपत्ति है, तो क्यों न खच्चर ट्रेडिंग नाम रख लिया जाए। क्या विचार है?

घोड़ा विचार करें, उससे पहले ही यह रिपोर्टर जिस खच्चर पर बैठा था, वह बिदक गया…. और दचक के नौ-दो ग्यारह हो गया…

घोड़ा जोर-जोर हिनहिनाकर हंस रहा है… और यह रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज देने जा रहा है कि गधों और खच्चरों के बीच फंसी नेताओं की ट्रेडिंग…

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सोमवार, 2 मार्च 2020

Funny : तुम इंसान ही हिंदू और मुसलमान हों, हम पत्थरों की कोई कौम नहीं होती…

stone satire

By Jayjeet

हिंदी सटायर, नई दिल्ली। दिल्ली में दंगाई बेकाबू हुए तो इस जांबाज रिपोर्टर ने भी हिम्मत दिखाई और पहुंच गया मैदान-ए-जंग में। और कोई नज़र न आया तो उस पत्थर को ही रोक लिया जो बस दंगाई के हाथ से छूटने ही वाला था…(देखिए फोटो में उसकी तस्वीर…)

पत्थर : अबे, मुझे रास्ते में रोक लिया। बड़ी हिम्मत दिखाई तुने। सिर फूट जाता तो…

रिपोर्टर : क्या करें, कभी-कभी पत्रकार को हिम्मती नजर आना पड़ता है।

पत्थर : वाह, क्या हाइपोथेटिकल बात कही है! बाय दे वे, रोका क्यों?

रिपोर्टर : आपसे कुछ बात करनी है। और कोई तो जवाब दे नहीं रहा..

पत्थर : इधर दिल्ली जल रही है, उधर तुझे इंटरव्यू की सूझ रही है? पूछो, क्या पूछना, पर जल्दी। मेरे कई साथी अपने टारगेट पर जा चुके हैं …

रिपोर्टर : आप किस कौम से है?

पत्थर : हम पत्थरों की कोई कौम नहीं होती। और ये वाहियात सवाल पूछने के लिए तुमने मुझे रोका?

रिपोर्टर : पर इंसानों की तो होती है, कोई हिंदू है तो कोई मुसलमान।

पत्थर : स्सालो, इसीलिए तो आपस में लड़ते-झगड़ते हों…और ख़बरदार जो इंसानों के साथ मेरी तुलना की..

रिपोर्टर : शांत शांत, आप मुझ गरीब पत्रकार पर तो न बरसो..

पत्थर : बात ही बरसने वाली कर रहे हो, स्साला इतना फ्रस्टेशन है.. बताओ कहां बरसें..

रिपोर्टर : बरसो उन नेताओं पर जो तुम्हें दंगाइयों के हाथों में थमा देते हैं…

पत्थर : भाई, ऐसा करना तो हमारे हाथ में नहीं है…

रिपोर्टर : तो फिर किनके हाथ में है?

पत्थर : वही जिनके हाथ में हम हैं…

रिपोर्टर : मतलब?

पत्थर : मतलब जो हाथ पत्थर फेंक रहे हैं, बस वे हाथ जरा घूम ही लें उन नेताओं की ओर, जिन्होंने थमाए हैं हम मासूम पत्थर.. इतिहास बदल जाएगा, पर कभी दंगे नहीं होंगे, लिख लेना…

रिपोर्टर : पर मेरे भाई, इन्हें इसके लिए समझाएगा कौन?

पत्थर : तुम पत्रकार, और कौन…क्या ये तुम्हारी रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं है?

रिपोर्टर : अच्छा, चलता हूं…

#satire #humor #Jayjeet

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रविवार, 1 मार्च 2020

First Interview : जब कोरोना वायरस ने पॉलिटिकल सवाल पूछने से मना कर दिया…

 

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By Jayjeet

कोरोना वायरस के भारत पहुंचते ही यह रिपोर्टर भी चौकस हो गया। उससे बचने के लिए नहीं, बल्कि उससे दो-दो हाथ करने के लिए। सीधे पहुंच गया सीधी बात करने।

रिपोर्टर : कोरोना जी, नमस्कार। क्या आप मेरी बात समझ पा रहे हैं?

कोरोना : आप तो किसी भी भाषा में बात कर लीजिए, हिंदी से लेकर भोजपुरी तक। सब समझ जाएंगे हम तो।

रिपोर्टर : कैसे भला?

कोरोना : हम चाइनीज वायरस हैं, एआई से लेस हैं।

रिपोर्टर : एआई मतलब?

कोरोना : अबे रिपोर्टर की औलाद, एआई ना जानता! मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।

रिपोर्टर : जनाब, आप अबे से परहेज करेंगे और थोड़ी-बहुत इज़्ज़त से पेश आएंगे क्या!

कोरोना : माफ करना, हम चाइनीज हैं। थोड़ी अकड़ तो रहेगी ना, डीएनए में ही है ये हमारे…अच्छा पूछिए क्या पूछना है। पर जरा जल्दी कीजिए, पूरे भारत का टूर करना है हमें।

रिपोर्टर : सबसे पहला सवाल तो यही है जनाब कि आप चमगादड़ से आए हो या पैंगोलिन से, जैसा कि आपकी सरकार ने दावा किया है।

(कोरोना ने चुप्पी साध ली..)

रिपोर्टर : क्या हुआ जनाब, कुछ तो बोलिए। चमगादड़ सूंघ गया क्या?

कोरोना (धीरे से) : भाई,पॉलिटिकल क्योश्चन नहीं। हमारी सरकार की हर जगह नजर रहती है। हम दो यहां पर हैं, पर हमारे चार भाई-बहन उनके कब्जे में हैं।

रिपोर्टर : ये क्या बात हुई भला, आपकी सरकार ना हुई, अजित हो गई…वही बॉलीवुडी अजित..जानते हो ना उसे?

कोरोना : सब जानता हूं, पर नो नॉलिटिकल क्योश्चन प्लीज…

रिपोर्टर : पॉलिटिकल सवाल ना पूछूं तो फिर क्या पूछूं? पत्रकार हूं आखिर…

कोरोना : वही एंटरटेन टाइप के क्योश्चन, जो तुम लोग अपने यहां की सरकारों से पूछते हों।

रिपोर्टर : बहुत टांट मार लिए। ये मत भूलिए,आप हमारी धरती पर हैं। अतिथि देवो भव: की भावना के कारण हम आपकी इज्जत कर रहे हैं, नहीं तो आप चाइनीज चीजों की वैसे हमारे यहां कोई इज्जत नहीं है।

कोरोना : क्या मतलब?

रिपोर्टर : मतलब, आपके बारे में सब कह रहे हैं कि चाइनीज है, कितना टिकेगा? महीना, दो महीना, तीन महीना..

कोरोना : पूरी दुनिया हमसे डर रही है और आप लोग हमें हलके में ले रहे हो?

रिपोर्टर : पर मेरा सवाल उलटा है। क्या आपको भारत आते डर नहीं लगा?

कोराना (धीरे से) : सच बताऊं, अंदर से तो डर ही रहा हूं, पता नहीं किस मोड़ पर बड़ा वायरस टकरा जाए। वो देखो, तुम्हारे पीछे ही बैनर पर एक बड़े वायरस के दर्शन हो गए..।

रिपोर्टर : अच्छा वो… वो तो हमारे माननीय हैं… सबके हृदय सम्राट। चुनाव में खड़े हुए हैं। 

कोरोना : इसीलिए… इसीलिए मैंने हमारी सरकार से कहा भी था कि हमको इंडिया ना भेजो जी…वहां तो हमसे भी बड़े-बड़े वायरस हैं… पर कोई हमारी सुने तो …अच्छा भगता हूं…!

(यह इंटरव्यू मूल रूप से hindisatire.com पर प्रकाशित हुआ है।)

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

खास बातचीत : कैसे ट्रम्प ने बापू के बंदर को भूखा रहने से बचा लिया…!

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By jayjeet

कल ट्रम्प साहब ने गांधी आश्रम में बापू के बंदरों से मुलाकात की थी। तो यह रिपोर्टर भी आज सुबह-सुबह बंदरों के पास पहुंच गया। लेकिन नजर एक ही आया और वह भी स्मार्टफोन पर व्यस्त था। रिपोर्टर को देखते ही उसने स्मार्टफोन बाजू में पटक दिया। मौका देखकर रिपोर्टर ने भी राम-शाम किए बगैर ही सवाल दाग दिया- स्मार्टफोन में क्या देख रहे हों बापू के बंदर जी?

बापू का बंदर : अखबारों के ई-पेपर्स देख रहा था। देख रहा था कि ट्रम्प की हमसे मुलाकात के बारे में क्या-क्या ऊटपटांग छपा अखबारों में?

रिपोर्टर : आपके बाकी दोनों साथी कहां हैं?

बापू का बंदर : कोई साथी-वाथी नहीं है। मैं अकेला ही हूं। समय-काल के हिसाब से पोश्चर बदलता रहता हूं। कभी मुंह बंद कर लेता हूं, कभी आंखें तो कभी कान।

रिपोर्टर : अच्छा तो आप गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले प्राणी हो?

बापू का बंदर : बेटा, ज्यादा मालूम ना हो तो मुंह बंद रखना चाहिए। आय-बाय-शाय कुछ बकना नहीं चाहिए। मुंह बंद रखने वाली पोजिशन का मैसेज तुम पत्रकारों के लिए ही है, समझें…

रिपोर्टर : मुझ पर नाराज क्यों हो रहे हों? बाकी पत्रकार लोग टीवी पर कुछ भी बके जाते हैं। उन्हें भी तो मैसेज दीजिए।

बापू का बंदर : उन्हें मैसेज देने का कोई मतलब नहीं रहा। इसलिए मैं ही अक्सर कान ढंकने वाले पोश्चर में रहने लगा हूं।

रिपोर्टर : अच्छा, ट्रम्प साहब आश्रम आए पर विजिटर बुक में बापू के बारे में कुछ भी ना लिखा। बुरा ना लगा?

बापू का बंदर :अच्छा ही हुआ, ना लिखा। नहीं तो आज बापू को ऊप्पर एक दिन के लिए पश्चात्ताप व्रत रखना पड़ता और यहां मुझे भी जबरदस्ती भूखे मरना पड़ता। करे कोई, भरे कोई…।

रिपोर्टर : ट्रम्प साहब ने कल चरखे जी से भी मुलाकात की थी। क्या बात हुई उन दोनों में?

बापू का बंदर : वैसे ट्रम्प साहब के आगमन पर चरखे जी का तो कल मौन व्रत था। इसलिए जो भी कहा, ट्रम्प ने ही कहा। ट्रम्प के मुंह से बस यही सुनने में आया कि चरखा चलाने से कहीं आसान तो लोगों को चलाना है।

रिपोर्टर : अब आखिरी सवाल…. अरे आपने तो कानों पर हाथ रख लिए…

बंदरजी ने गर्दन हिलाकर जाने का इशारा किया। बाहर जाकर देखा तो टीवी चैनलों पर आय-बाय-शाय शुरू हो चुकी थी…

(Disclaimer : इसका मकसद केवल हास्य-व्यंग्य करना है, किसी की मानहानि करना नहीं। )

सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

अहमदाबाद की दीवार ने गुस्से में क्यों कहा? मैं क्या कांग्रेस नजर आती हूं?

अहमदाबाद की दीवार

By Jayjeet

हिंदी सटायर डेस्क, अहमदाबाद। अहमदाबाद की दीवार से अब बात करने को कुछ बचा नहीं था। पर संपादक को पता नहीं, इस रिपोर्टर से क्यों उम्मीद थी कि बंदा कुछ तो नया लाएगा। तो भेज दिया उसी दीवार के पास जलील होने के लिए…

रिपोर्टर : दीवार जी दीवार जी, मैं रिपोर्टर फलानांचद, आपसे बात करनी है।
दीवार : अरे वाह, बड़ी जल्दी आ गए मुझसे बात करने!!

रिपोर्टर : आप मेरी तारीफ कर रही है या मेरे मजे ले रही है?
दीवार : अबे! पूरी दुनिया मुझसे बात करके चली गई। मुझ पर पता नहीं क्या-क्या लिखा जा चुका है। और तुम अब आ रहे हो?

रिपोर्टर : मैं क्या करता, दीवार जी। जरा बिजी था।
दीवार : ऐसी कौन-सी खबर थी जो मुझसे ज्यादा जरूरी थी?

रिपोर्टर : अब क्या बताएं। बाजू में वह पुराना खंडहर है ना, वहां भूत आ गया था। तो उसी भूत को कवर करने चला गया था।
दीवार : तो जाओ, भूत को ही कवर करो।

रिपोर्टर : आप भी तो भूत ही बनने वाली है। ट्रम्प साहब चले जाएंगे तो फिर आपको कौन पूछेगा भला? हे हे हे…
दीवार : तुम मुझसे बात करने आए हो तो सीधे से बात करो..इधर-उधर की क्यों फेंक रहे हो? और ये हंसने की क्या जरूरत है?

रिपोर्टर : जी, वही तो करने की कोशिश कर रहा हूं। अच्छा, पहला सवाल- इतनी फेमस होने पर आपको कैसा लग रहा है?
दीवार : अच्छा ही लग रहा है। मेहमाननवाजी में नवाचार शुरू हुआ है। हिंदुस्तान में यह पहला मौका है जब किसी मेहमान के आने पर दीवार बन रही है। नहीं तो रोड ही बनते आई है।

रिपोर्टर : कहा जा रहा है कि मोदीजी ने आपकी आड़ लेकर गरीबी छुपाने की कोशिश की है?
दीवार : देखिए, मैं कोई मोदी की अंधी भगत नहीं हूं। पर आप आंख खोलकर एक बात सोचिए। जो मोदी अपनी गरीबी नहीं छुपाते, बल्कि भर-भरके अपनी गरीबी का बखान करते हैं, वे भला दूसरों की गरीबी क्यों छुपाएंगे?

रिपोर्टर : तो फिर यह दीवार बनाई क्यों गई है? कोई तो कारण रहा होगा?
दीवार : चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए। चीन अगर 10 दिन में हॉस्पिटल बना सकता है तो हम भी 9 दिन में दीवार तो बना ही सकते हैं।

रिपोर्टर : जब ट्रम्प अहमदाबाद में आएंगे तो क्या वे आपसे भी मिलने आएंगे?
दीवार : देखो भाई, ये हाइपो थेटिकल टाइप के सवाल मुझे पसंद नहीं है। हां, मेरी डिजाइन उनकी डेस्क तक पहुंच चुकी है और जल्दी ही मैक्सिको की बॉर्डर पर वे इसी तरह की दीवार बनाने के निर्देश भी देने वाले हैं।

रिपोर्टर : सुना है, आपने ट्रम्प साहब की यात्रा के बाद खुद को हैरिटेज साइट में शामिल करवाने की लॉबिंग शुरू कर दी है?
दीवार : बस, तुम रिपोर्टर लोग सुनी-सुनाई बातों पर रिपोर्टिंग करते रहो। अरे, क्या मैं तुम्हें कांग्रेस नजर आ रही हो जो खुद को हैरिटेज में शामिल करवाने की बात करूं।

रिपोर्टर : अंतिम सवाल …
दीवार :तुम्हारा अंतिम सवाल हमेशा घटिया ही होता है। इसलिए अब कोई जवाब नहीं। धन्यवाद। मैं सोने जा रही हूं…

सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

Humor : कांग्रेस को कोई खरीददार न मिल रहा तो मैं क्या करूं? : ताजमहल

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By Jayjeet

कांग्रेस के वर्चुअल प्रेसिडेंट राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस आरोप के बाद कि समय आने पर वे यानी मोदीजी ताजमहल को भी बेच सकते हैं, रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में सीधे ताजमहल के पास पहुंच गया। आप भी पढ़ें रिपोर्टर-ताजमहल के बीच हुई बातचीत के मुख्य अंश :

रिपोर्टर : सलाम वालेकुम चच्चा।

ताजमहल : तुम टूरिस्ट लोग भी भोत तलते हों.. और ये अस्सलामु अलैकुम होता है.. तमीज़ सीख लो जरा..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं टूरिस्ट नहीं, रिपोर्टर हूं रिपोर्टर

ताजमहल : भैया, माफ़ करना, मैं आपके लिए फ्री में ताज दीदार की व्यवस्था नहीं करवा सकता..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं ताज देखने ना आया, मैं तो आपके इंटरव्यू के लिए आया हूं

ताजमहल : ओ हो, इंटरव्यू, वॉट एन आइडिया…

रिपोर्टर : अरे, आप तो अंग्रेजी भी बोल लेते हैं!

ताजमहल (शर्माते हुए) : बस, टूरिस्ट्स की संगत में सीख गया…अच्छा बताओ क्या पूछना है?

रिपोर्टर : कल राहुल गांधी बोले कि मोदीजी ताजमहल, मसलन आपको भी बेच सकते हैं। क्या कहना है आपका इस पर…?

ताजमहल : अब, ये तुम मुझे अपनी घटिया सियासत में तो मत ही घसीटो..

रिपोर्टर : ओ हो, तो क्या आपके जमाने में सियासत नहीं होती थी?

ताजमहल : हां, होती थी। बेटा पिता को कैद कर लेता था। देखा है मैंने। भाई भाई को मरवा देता था। यह भी देखा है। पर इतना घटियापन ना था जो आप लोगों की सियासत में है। जो भी था, खुल्ला खेल था। ऐसा ना कि बाहर कुछ और, अंदर कुछ और।

रिपोर्टर : पर राहुलजी ने आपका नाम लिया है। कुछ तो बोलो…

ताजमहल : अब क्या बोलूं, मोदी है तो मुमकिन है।

रिपोर्टर : क्या राहुल जी की पीड़ा यह तो नहीं कि वे कहना चाह रहे हो कि देखो, मोदी ताजमहल जैसी बासी चीजों को तो बेच रहे हैं, पर कांग्रेस की कोई वकत नहीं…

ताजमहल (थोड़ी नाराजगी के साथ) : अब तुम मुंह तो मत खुलवाओ, कांग्रेस के कोई भाव हो तो बिके?

रिपोर्टर : चच्चा, तो कांग्रेस क्या करें?

ताजमहल : क्या करें!! खुद को हैरिटेज पार्टी घोषित करवा लें, फिर देखो कांग्रेस हेड क्वार्टर कैसे टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा। और एक दिन कांग्रेस के बिकने की बात भी होने लगेगी।

रिपोर्टर : यानी आपका यह कहना है कि कांग्रेस खुद ही बिकना चाहती है, पर कोई खरीददार न मिल रहा… मतलब ब्रेकिंग न्यूज… मैं चला…

ताजमहल (जोर से चिल्लाते हुए) : अबे चच्चा की औलाद, मैंने ये कब बोला…तू खुद ही बोल रहा है ये उल्टा-सीधा … और ये ब्रेकिंग व्रेकिंग में मेरा नाम न लेना… अपनी भी कोई इज्जत है…

पर रिपोर्टर तो फांदते-फूंदते यह चला, वह चला…

# tajmahal 

बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

क्रेकिंग इंटरव्यू… कांग्रेस को कोई खरीददार न मिल रहा तो मैं क्या करूं? : ताजमहल

ताजमहल से खास बातचीत…

ताजमहल


By Jayjeet

कांग्रेस के वर्चुअल प्रेसिडेंट राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस आरोप के बाद कि समय आने पर वे यानी मोदीजी ताजमहल को भी बेच सकते हैं, रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में सीधे ताजमहल के पास पहुंच गया। आप भी पढ़ें रिपोर्टर-ताजमहल के बीच हुई बातचीत के मुख्य अंश :

रिपोर्टर : सलाम वालेकुम चच्चा।

ताजमहल : तुम टूरिस्ट लोग भी भोत तलते हों.. और ये अस्सलामु अलैकुम होता है.. तमीज़ सीख लो जरा..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं टूरिस्ट नहीं, रिपोर्टर हूं रिपोर्टर

ताजमहल : भैया, माफ़ करना, मैं आपके लिए फ्री में ताज दीदार की व्यवस्था नहीं करवा सकता..

रिपोर्टर : चच्चा, मैं ताज देखने ना आया, मैं तो आपके इंटरव्यू के लिए आया हूं

ताजमहल : ओ हो, इंटरव्यू, वॉट एन आइडिया…

रिपोर्टर : अरे, आप तो अंग्रेजी भी बोल लेते हैं!

ताजमहल (शर्माते हुए) : बस, टूरिस्ट्स की संगत में सीख गया…अच्छा बताओ क्या पूछना है?

रिपोर्टर : कल राहुल गांधी बोले कि मोदीजी ताजमहल, मसलन आपको भी बेच सकते हैं। क्या कहना है आपका इस पर…?

ताजमहल : अब, ये तुम मुझे अपनी घटिया सियासत में तो मत ही घसीटो..

रिपोर्टर : ओ हो, तो क्या आपके जमाने में सियासत नहीं होती थी?

ताजमहल : हां, होती थी। बेटा पिता को कैद कर लेता था। देखा है मैंने। भाई भाई को मरवा देता था। यह भी देखा है। पर इतना घटियापन ना था जो आप लोगों की सियासत में है। जो भी था, खुल्ला खेल था। ऐसा ना कि बाहर कुछ और, अंदर कुछ और।

रिपोर्टर : पर राहुलजी ने आपका नाम लिया है। कुछ तो बोलो…

ताजमहल : अब क्या बोलूं, मोदी है तो मुमकिन है।

रिपोर्टर : क्या राहुल जी की पीड़ा यह तो नहीं कि वे कहना चाह रहे हो कि देखो, मोदी ताजमहल जैसी बासी चीजों को तो बेच रहे हैं, पर कांग्रेस की कोई वकत नहीं…

ताजमहल (थोड़ी नाराजगी के साथ) : अब तुम मुंह तो मत खुलवाओ, कांग्रेस के कोई भाव हो तो बिके?

रिपोर्टर : चच्चा, तो कांग्रेस क्या करें?

ताजमहल : क्या करें!! खुद को हैरिटेज पार्टी घोषित करवा लें, फिर देखो कांग्रेस हेड क्वार्टर कैसे टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा। और एक दिन कांग्रेस के बिकने की बात भी होने लगेगी।

रिपोर्टर : यानी आपका यह कहना है कि कांग्रेस खुद ही बिकना चाहती है, पर कोई खरीददार न मिल रहा… मतलब ब्रेकिंग न्यूज… मैं चला…

ताजमहल (जोर से चिल्लाते हुए) : अबे चच्चा की औलाद, मैंने ये कब बोला…तू खुद ही बोल रहा है ये उल्टा-सीधा … और ये ब्रेकिंग व्रेकिंग में मेरा नाम न लेना… अपनी भी कोई इज्जत है…

पर रिपोर्टर तो फांदते-फूंदते यह चला, वह चला…