रविवार, 14 फ़रवरी 2021

Funny Short Video : पेट्रोल भरवाने से पहले क्या पैन कार्ड रखा?





पेट्रोल के भाव 100 रुपए के आसपास पहुंच गए हैं। तो ऐसे में उसी पर कटाक्ष करते हुए यह वीडियो है। कार्टून कैरेक्टर्स का इस्तेमाल किया गया है...

शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

Satire & humor : महंगाई के मन में फूटे राजनीति के लड्‌डू…गिरी हुई महंगाई से खास बातचीत

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By Jayjeet

महंगाई क्या गिरी, रिपोर्टर तुरंत उछलकर उसके पास पहुंच गया। रिपोर्टर को देखते ही महंगाई ने मुंह बनाया - आ गए तुम रिपोर्टर लोग, जले पर तेल डालने...

रिपोर्टर : इसे जले पे नमक छिड़कना कहते हैं बहन…

महंगाई : वाह, मतलब आप रिपोर्टर लोगों को मुहावरे भी पता हैं..! मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रही थी।

रिपोर्टर : हम आम आदमी भी हैं। परीक्षा तो आप हम आम लोगों की हमेशा ही लेती रहती हो... वैसे हम आपके जले पे नमक छिड़कने नहीं, बल्कि बधाई देने आए हैं।

महंगाई :  बधाई! किस बात की?

रिपोर्टर : अब गिरने के मामले में आप भी नेताओं से होड़ लेने लगी हैं। मतलब, इस मामले में आप देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गई हैं। इसी बात की आपको लख लख बधाइयां…

महंगाई: अच्छा, तो मतलब हम भी क्या पॉलिटिक्स-वॉलिटिक्स में आ सकती हैं?

रिपोर्टर : अरे आपने तो मुंह की बात ही छीन ली।

महंगाई: पर एक बात अब भी समझ में नहीं आ रही। मुझे थोड़ा डाउट सा हो रहा है। हम गिरे कब हैं? मतलब हमें तो गिरने जैसा कोई फील ही नहीं हो रहा।

रिपोर्टर : यह तो हमको भी समझ में नहीं आ रहा। हमें भी आपमें गिरने वाले कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे। आज भी प्याज 50 रुपए किलो मिल रहे हैं। पेट्रोल सेंचुरी मारने जा रहा है। हमने अपने मन की बात पहले इसलिए नहीं बताई कि कहीं आप हमें अज्ञानी पत्रकार ना समझ लो...

महंगाई : अच्छा किया जो मन की बात ना बताई। एक के मन की बात ही काफी है।

रिपोर्टर : वाह! आप तो बड़ी डेयरिंग भी हो। देखना, बैन-वैन ना हो जाओ...ट्विटर पर हों?

महंगाई : मजाक  छोड़िए, आप तो यह बताइए, राजनीति करने के लिए हमें करना क्या होगा? हमारे मन में तो राजनीति के लड्‌डू फूट रहे हैं।

रिपोर्टर : आप असल में गिरी हैं या नहीं, यह तो किसी को ना पता, पर राजनीति करनी है तो खुद को गिरा हुआ फील करना जरूरी है।

महंगाई : ठीक है, हम मुंह पर सरकारी आंकडे़ चिपका लेते हैं। इससे गिरने का फील आ जाएगा।

रिपोर्टर : एक शर्त और है।

महंगाई : वो क्या?

रिपोर्टर : आपको गिरने के मामले में कंसिस्टेंसी भी बनाए रखनी होगी। ऐसे नहीं कि आज गिरी और कल ऊपर चढ़ गई। परसो गिरी और फिर ऊपर चढ़ गई…समझें!!

सेंसेक्स : मतलब, स्साला पूरा नेता बनना होगा!

रिपोर्टर : बिल्कुल।

महंगाई : पर यह तो संभव ही नहीं है। हम आंकड़ों में खुद को गिरा लें, वहां तक ठीक है। पर चाल-चलन, कैरेक्टर, इन सब मामलों में हम कैसे गिर सकती है? नहीं करनी ऐसी राजनीति, यह नेताओं को ही मुबारक...। मैं तो चली...

रिपोर्टर : अरे, सुनो तो सही। कोई ब्रेकिंग-व्रेकिंग तो देती जाओ...

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Short Satire : महंगाई दर ने की खुदकुशी की कोशिश

नई दिल्ली। एक चौकाने वाले घटनाक्रम के तहत महंगाई दर ने यहां शनिवार सुबह खुदकुशी करने की कोशिश की। उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। करीबी सूत्रों के अनुसार वह उसी दिन से मानसिक तौर पर काफी परेशान थी, जिस दिन यह बात सामने आई थी कि वह पिछले 16 महीनों में सबसे ज्यादा नीचे गिर गई है। उसके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें लिखा है – “मैं महंगाई हूं, मैं कैसे गिर सकती हूं? इसके बावजूद मुझे यह कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है कि मैं नीचे गिर रही हूं। मुझे क्या नेता समझ लिया है?”

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

valentine day video jokes : सुनिए वैलेंटाइन डे पर एक मॉरल स्टोरी, एक लड़के की जुबानी....

 


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valentine day funny jokes : लड़कियां लड़कों को कहेंगी हैंडसम, तो लड़के क्या करें?

 


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Funny Video : कोरोना क्यों हुआ पस्त?


देश में कोरोना का असर कम होता जा रहा है। लेकिन इसकी वजह वैक्सीन कार्यक्रम कम, घर-गृहस्थी ज्यादा है। देखिए यह शुद्ध ह्यूमर एवं फनी वीडियो... कार्टून कैरेक्टर्स के जरिए....

ऐसे ही वीडियोज के लिए क्लिक करें...

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021

Satire : रिहाना के एक ट्वीट की कीमत पूरे 18 करोड़ , क्या खाक बराबरी करेंगी कंगना!



किसान आंदोलन को लेकर भारत पर सवाल उठाने वाली अमेरिकन सिंगर रिहाना (rihana) अब खुद विवादों में हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उनके पोस्ट के लिए rihana को कनाडा की एक पीआर फर्म ने 18 करोड़ रुपए दिए थे, जो खालिस्तान समर्थक से जुड़ी है। देखिए, यह व्यंग्य शॉर्ट वीडियो...

Video Jokes : पहले वो दुखी था, अब....?

 



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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

Satire & Humor Video : इकोनॉमी में जबरदस्त योगदान देने वाले दारूबाज क्यों हैं बजट से नाखुश?

 



2020-21 के केंद्रीय बजट ने दारूबाजों को नाखुश कर दिया है। ऐसे ही एक दारूबाज से सुनिए कि उसकी दर्दभरी दास्तान...

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

Humor : राहुल को समझ में आया बजट, कांग्रेसियों में खुशी की लहर, सोनिया के निवास पर पहुंचकर की आतिशबाजी

Rahul understood budget Congressmen happy
मुझे खुशी है कि मेरे बेटे काे आखिरकार बजट समझ में आ गया : सोनिया 


By A. Jayjeet

नई दिल्ली। राहुल गांधी को बजट (budget) समझ में आ गया है। इसका ऐलान खुद राहुल ने एक ट्वीट कर किया। इसकी खबर मिलते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर छा गई। कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों के साथ सोनिया के निवास पर पहुंचे और वहां जमकर आतिशबाजी की। कार्यकर्ताओं की भावनाओं को देखते हुए खुद सोनिया ने सड़क पर आकर राहुल के साथ विक्टरी चिह्न दिखाकर खुशी मनाई (देखें चित्र)।

जयराम रमेश ने खुशी के आंसू रोकते हुए कहा – आखिर मेरी तपस्या सफल हुई। मनमोहन सिंह ने कहा – मैं तो अब भी बजट समझने की कोशिश कर रहा हूं। राहुल बाबा मुझसे भी होशियार हो गए। विश्वास नहीं होता, मगर खुशी की बात है। दिग्गी राजा ने कहा- जिस बजट को आज तक मनमोहन सिंह जी तक नहीं समझ सके, उसे राहुलजी ने समझ लिया। इससे साफ है कि हमें राहुलजी की जरूरत है। मैं उनसे फिर से पार्टी की कमान संभालने का अनुरोध करता हूं।

सोनिया के निवास पर पहुंचे कार्यकर्ता, खुशी जताई :

राहुल के ट्वीट के बाद हजारों की संख्या में कार्यकर्ता सोनिया गांधी के निवास पर पहुंचे और वहां जमकर आतिशबाजी की। सोनिया ने बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं से कहा – “ऐसा लग रहा है कि हम देश में आम चुनाव जीत गए हैं।”

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Budget Satire : आम आदमी को समझ में आया बजट, सदमे में पहुंची वित्त मंत्री






By Jayjeet

नई दिल्ली। बजट के इतिहास में पहली बार एक आम आदमी ने आम बजट को समझने का दावा कर आर्थिक और राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। इस खबर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदमे में बताई जा रही हैं। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने इसके लिए सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

इस बीच, अनेक आर्थिक विशेषज्ञों ने इस दावे को फेक बताते हुए कहा है कि यह संभव ही नहीं है कि कोई आम आदमी आम बजट को समझ सके। न पहले कोई समझ सका है, न आगे कोई समझ सकेगा। हालांकि अभी इस आम आदमी की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है। सरकार ने इस आदमी के दावे की जांच के लिए आनन-फानन में तीन विशेषज्ञों की समिति गठित कर दी है।

विपक्ष ने मांगा सीतारमण का इस्तीफा
आम आदमी के इस दावे के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं। इसके लिए कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आगे किया है। चिदंबरम ने कहा कि आम आदमी के इस दावे ने वित्त मंत्रालय के इतिहास को कलंकित कर दिया है। उन्होंने इसके लिए सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

सदमे में सीतारमण
आम आदमी के इस दावे के बाद सीतारणम सदमे में बताई जा रही हैं। सदमे में आने से पहले उन्होंने ऐसा बजट तैयार करने के लिए तीन जिम्मेदार अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने हिंदी सटायर को बताया, “वित्त मंत्री अपने कक्ष में अपने अफसरों पर चिल्ला रही थीं। जाहिलो, ऐसा कैसा बजट बना दिया कि एक आम आदमी भी इसे समझ गया। आप लोगों ने इसे हलवा समझ रखा क्या?” अफसर बार-बार दलील देते रहे कि मैडम, यह विपक्ष की साजिश है। ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता। आम आदमी तो हमारे फोकस में ही नहीं होता। लेकिन सीतारमण पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

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रविवार, 31 जनवरी 2021

हलवे की कड़ाही और वोटर्स में क्या समानता है? जानिए इसी कड़ाही से, बजट पूर्व खास इंटरव्यू में…

बजट का हलवा

 

By Jayjeet

ह्यूमर डेस्क, नई दिल्ली। बजट पेश होने में अब कुछ ही घंटे बाकी हैं। ऐसे में बजट संबंधी ब्रेकिंग न्यूज कबाड़ने के फेर में रिपोर्टर ने सोचा कि क्यों न कड़ाही से बात की जाए, वही कड़ाही जिसमें बजट की प्रिंटिंग से पहले हलवा बना था। तो छिपते-छापते रिपोर्टर पहुंच गया नॉर्थ ब्लॉक कड़ाही के पास :

रिपोर्टर : राम-राम कढ़ाही काकी। कल बजट आ रहा है और आप आराम कर रही हों?

कड़ाही : अब हमारा बजट से क्या काम? हलवा बनना था, बन गया और बंट भी गया।

रिपोर्टर : पर आप यहां इस समय कोने में क्या कर रही हों?

कड़ाही : अब यही तो हमारी नियति है बेटा। बजट छपने से पहले ही हमारी पूछ-परख है। एक बार हलवा खतम तो हमारा काम भी खतम। बस यहीं कोने में सरका दी जाती है। साल भर यहीं पड़े रहो।

रिपोर्टर : मतलब आपमें और हममें कोई फर्क नहीं?

कड़ाही : बिल्कुल। जैसे तुम वोटर्स की वोटिंग से पहले ही पूछ-परख होती है, वैसे ही मेरी बजट की छपाई से पहले।


रिपोर्टर : अच्छा, तनिक यह तो बताओ कि बजट में क्या आ रहा है? थोड़ी-बहुत ब्रेकिंग-व्रेकिंग हम भी चला दें…

कड़ाही : ब्रेकिंग का क्या, कुछ भी चला दो। चला दो कि बजट की एक रात पहले नॉर्थ ब्लॉक के पिछवाड़े में एक भूत के कदमों के निशान पाए गए। हो गई ब्रेकिंग न्यूज..।

रिपोर्टर : अरे नहीं काकी। मैं टीवी वाली ब्रेकिंग की बात ना कर रहा। हमें तो ‘हिंदी सटायर’ के लिए ब्रेकिंग चाहिए, वही जो खबरी व्यंग्यों में हिंदी में भारत का पहला पोर्टल है।

कड़ाही : अच्छा। तो खबर चाहिए? ऐसा बोलो ना। पर वो मुझे कहां पता। मैंने बजट थोड़े देखा है।

रिपोर्टर : मंत्री और अफसर हलवा खाते समय कुछ तो बतियाए होंगे?

कड़ाही : हां, मंत्राणी अपने अफसरों से पूछ रही थीं कि क्या उस आम आदमी की पहचान हो गई है जिसके लिए हम बजट बना रहे हैं?

रिपोर्टर : अरे वाह, फिर क्या हुआ?

कड़ाही : वही तो बता रही हो। बीच में ज्यादा टोकाटोकी मत करो…हां तो इस पर अफसर एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। तब एक सीनियर अफसर ने हिम्मत करके कहा कि मैडम जी, हम तो हलवे में लगे थे। वैसे भी बजट का आम आदमी से क्या लेना-देना? फिर भी हमने उसकी तलाश में टीमें लगा दी हैं…. और भी बहुत बातें हुईं, पर ज्यादा समझ में ना आईं।

रिपोर्टर : हमें तो हलवे की फोटो ही देखने को मिलती आई है। ये तो बता दो उसमें क्या-क्या माल डलता है?

कड़ाही : बेटा, ये तो बहुत कॉन्फिडेंशियल है, बजट से भी ज्यादा।

रिपोर्टर : ठीक है, ना पूछता। पर दिल में कई सालों से एक सवाल उठ रहा था, हलवे को लेकर।

कड़ाही : क्या?

रिपोर्टर : यही कि क्या कभी ऐसा नहीं हो सकता कि किसी दिन कोई वित्त मंत्री यह कहें कि इस बार हलवा न बनेगा और न बंटेगा। इस बार रोटियां बनेंगी और गरीबों में बंटेंगी, क्योंकि इस देश को हलवे से ज्यादा रोटियों की दरकार है और…

कड़ाही (बीच में टोकते हुए) : बेटा, अब ज्यादा हरिशंकर परसाई मत बनो। अपनी औकात में रहो। वो तो समय रहते निकल लिए। तुम परसाई बनने के चक्कर में अपनी लिंचिंग न करवा बैठना। तुम अभ्भी के अभ्भी यहां से निकल लो…खुद तो मरोगे, मुझे भी मरवाआगे…

(Disclaimer : बताने की जरूरत नहीं कि यह खबर कपोल-कल्पित है। मकसद केवल कटाक्ष करना है, किसी की मनहानि करना नहीं।)

सोनू सूद से क्यों है शिकायत? एक व्यंग्य (Satire) वीडियो...


हाल ही इंदौर नगर निगम के कुछ कर्मचारियों द्वारा कुछ बूढ़े भिखारियों के साथ बदसलूकी की घटना सामने आई थी। इस दिल दहला देने वाली घटना के वीडियो देखकर सोनू सूद ने इन भिखारियों की मदद करने का प्रस्ताव रखा है। इसी पर यह एक व्यंग्यात्मक वीडियो है...





Video : कैसे ठंड, बाजार और महंगाई कर रहे हैं नेताओं से कॉम्पिटिशन?


 

कैसे ठंड, बाजार और महंगाई कर रहे हैं नेताओं से कॉम्पिटिशन?

शनिवार, 30 जनवरी 2021

Satire : पहले बजट हुआ 'बही खाता', अब महंगाई और टैक्स का नाम बदलने की बारी


हमारे देश में सबसे आसान काम होता है बजट का एनालिसिस करना। साथ ही महंगाई और टैक्स का नाम बदलने की क्यों है जरूरत, देखिए इस व्यंग्य वीडियो में ...


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गोडसे ने बापू की डायरी में यह क्यों लिखा : 1,10,234 …?

 

gandhi-godse


By Jayjeet


गोडसे ने आज फिर बापू की डायरी ली और उसमें कुछ लिखा।


गांधी ने पूछा- अब कितना हो गया है रे तेरा डेटा?


एक लाख क्रॉस कर गया बापू। 1 लाख 10 हजार 234… गोडसे बोला


गांधी – मतलब सालभर में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।


गोडसे : हां, 12 परसेंट की ग्रोथ है। बड़ी डिमांड है …. गोडसे ने मुस्कराकर कहा…


गांधीजी ने भी जोरदार ठहाका लगाया…


नए-नए अपॉइंट हुए यमदूत से यह देखा ना गया। गोडसे के रवाना होने के बाद उसने अनुभवी यमदूत से पूछा- ये क्या चक्कर है सर? ये गोडसे नरक से यहां सरग में बापू से मिलने क्यों आया था?


अनुभवी यमदूत – यह हर साल 30 जनवरी को नर्क से स्वर्ग में बापू से मिलने आता है। इसके लिए उसने स्पेशल परमिशन ले रखी है।


नया यमदूत – अपने किए की माफी मांगने?


अनभवी – पता नहीं, उसके मुंह से तो उसे कभी माफी मांगते सुना नहीं। अब उसके दिल में क्या है, क्या बताए। हो सकता है कोई पछतावा हो। अब माफी मांगे भी तो किस मुंह से!


नया – और बापू? वो क्यों मिलते हैं उस हरामी से? उसके दिल में भले पछतावा हो, पर बापू तो उसे कभी माफ न करेंगे।


अनुभवी – अरे, बापू ने तो उसे उसी दिन माफ कर दिया था, जिस दिन वे धरती से अपने स्वर्ग में आए थे। मैं उस समय नया-नया ही अपाइंट हुआ था।


नया – गजब आदमी है ये… मैं तो ना करुं, किसी भी कीमत पे..


अनुभवी – इसीलिए तो तू ये टुच्ची-सी नौकरी कर रहा है…


नया – अच्छा, ये गोडसे, बापू की डायरी में क्या लिख रहा था? मेरे तो कुछ पल्ले ना पड़ रहा।


अनुभवी – यही तो हर साल का नाटक है दोनों का। हर साल गोडसे 30 जनवरी को यहां आकर बापू की डायरी को अपडेट कर देता है। वह डायरी में लिखता है कि धरती पर बापू की अब तक कितनी बार हत्या हो चुकी है। गोडसे नरक के सॉफ्टवेयर से ये डेटा लेकर आता है।


नया – अच्छा, तो वो जो ग्रोथ बोल रहा था, उसका क्या मतलब?


अनुभवी – वही जो तुम समझ रहे हो। पिछले कुछ सालों के दौरान गांधी की हत्या सेक्टर में भारी बूम आया हुआ है।


नया – ओ हो, इसीलिए इन दिनों स्वर्ग में आमद थोड़ी कम है…


अनुभवी – अब चल यहां से, कुछ काम कर लेते हैं। वैसे भी यहां मंदी छाई हुई है। नौकरी बचाने के लिए काम का दिखावा तो करना पड़ेगा ना… हमारी तो कट गई। तू सोच लेना….


(Disclaimer : इसका मकसद गांधीजी को बस अपनी तरह से श्रद्धांजलि देना है, गोडसे का रत्तीभर भी महिमामंडन करना नहीं… )

#gandhi #godse 

गुरुवार, 28 जनवरी 2021

Political Cartoon Video : कांग्रेस को क्यों है बजट से उम्मीदें?




वित्त वर्ष 2021-22 का बजट आने वाला है। वैसे तो किसी भी बजट से किसी विपक्षी पार्टी को कोई उम्मीद नहीं रहती है, लेकिन इस बार कांग्रेस को अपने राहुल बाबा की वजह से खास उम्मीद है। 

बुधवार, 20 जनवरी 2021

आम आदमी की खोज पूरी, अब सरकार बजट से पहले खिलाएगी भरपेट हलवा, ताकि...

 

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आम आदमी (दाएं) के बारे में बताती हुईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ...



By Jayjeet

नई दिल्ली। सरकार ने उस आम आदमी को ढूंढ निकालने का दावा किया है जिसके लिए आम बजट पेश किया जाना है। बजट के पहले हलवे की रस्म के दौरान इस आम आदमी को ठूंस-ठूंसकर इतना हलवा खिलाने की योजना है ताकि बाद में वह रोटी न मांग सके।।

इस आम आदमी को वित्त मंत्री ने स्वयं अपने प्रयासों से ढूंढा है। वे पिछले साल भर से इसी की तलाश में जुटी हुई थीं। इसकी तलाश में ही वित्त मंत्री उस दिन देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ प्रधानमंत्री की अहम बैठक में भी शामिल नहीं हो पाई थीं। प्रधानमंत्री ने भी वित्त मंत्री से कह रखा था कि अर्थशास्त्रियों के साथ तो बातचीत होती रहेगी। हर साल ही होती है। लेकिन उस आम आदमी को ढूंढकर लाना ज्यादा जरूरी है, जिसके नाम पर हम बजट बनाते हैं।

आज सुबह खुद वित्त मंत्री ने एक प्रेस वार्ता में इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “जो काम पिछले 70 साल में कोई नहीं कर सका, उसे हमने कर दिखाया है। कांग्रेस की सरकारें केवल आम आदमी की बातें करती रहीं, लेकिन हमने उसे ढूंढ भी लिया है।”

कांग्रेस का दावा, नेहरूजी पहले ही खोज चुके :
इस बीच, कांग्रेस ने वित्त मंत्री के इस दावे को हास्यास्पद बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता सूरजेवाला ने प्रतिदावा किया कि नेहरूरी ने जिस इंडिया की खोज (डिस्कवरी ऑफ इंडिया) की थी, उसमें आम आदमी भी शामिल था। इसलिए यह कहना सरासर झूठ है कि आम आदमी की खोज मोदी सरकार ने की।

हलवे की रस्म के दिन रखा जाएगा खास ख्याल :
हर साल बजट की छपाई शुरू होने पर वित्त मंत्रालय में हलवे की रस्म होती है। एक सूत्र के अनुसार आम आदमी को इसी रस्म के दौरान इतना ठूंस-ठूंसकर हलवा खिलाया जाएगा ताकि बजट के बाद वह रोटी के बारे में कोई बात करने की स्थिति में ही न रहे।

(Disclaimer : यह खबर कपोल कल्पित है। इसका मकसद केवल कटाक्ष करना है, किसी की मानहानि करना नहीं)

# budget jokes