By Jayjeet
देश में जैसे ही चाइनीज प्रोडक्ट्स के बायकॉट का हल्ला शुरू हुआ, रिपोर्टर सीधे पहुंच गया जय श्री भैरू भवानी वाले चाइनीज ठेले पर। वहां नूडल्स पड़ी-पड़ी मरोड़ खा रही थी। रिपोर्टर को देखते ही नूडल्स ही नहीं, सोयाबड़ी, शिमला मिर्च और पत्तागोभी भी उठ खड़ी हुई…
रिपोर्टर : क्या मैं आपसे हिंदी में बात कर सकता हूं? क्योंकि मुझे चाइनीज तो आती नहीं…
नूडल्स : भाई, हमें कौन-सी आती है! तुम चाहो तो भोजपुरी में भी बात कर सकते हो। जिस ठेले पर हम बिक रही हैं, वह किसी बिहारी भाई का है।
रिपोर्टर : तो आप चाइनीज ना हैं क्या?
नूडल्स : अरे, मेरे साथ ये सोयाबड़ी है। ये क्या चाइनीज लगती है? न शकल से, न अकल से….
रिपोर्टर : हां, ये सोयाबड़ी तो ठेठ इंडियन ही लगती है। देखो कैसे तोंद निकली पड़ी है…
नूडल्स : अरे भाई, ये इंडियन लगती ही नहीं, इंडियन है भी। और हम सब इंडियन हैं। बस नाम चाइनीज है, चाऊमीन …पर तुम हम गरीबों से बात करने काहे आ गए?
रिपोर्टर : अभी मेरे घर के सामने कुछ लोग ‘बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट’ का नारा लगा रहे थे, तो मैंने भी चाऊमीन के बहिष्कार की अखंड प्रतिज्ञा ले ली है। और फिर मैं भागा-भागा वर्जन लेने तुम्हारे पास आ गया।
नूडल्स : ये ही तो तुम गलत करते हों। तुम्हें पता कुछ रहता नहीं, पर प्रतिज्ञाएं उल्टी-सीधी कर लेते हों। ये कुरुवंशी लोग भी ऐसा ही करते थे। जब टीवी पर महाभारत आ रही थी तो देखा था मैंने। वो कौन भीष्म पिमामह, वो अर्जुन… । अब तुम भी हमें कभी खाने का आनंद नहीं ले पाआगे…
रिपोर्टर : अरे नहीं जी, हमारी प्रतिज्ञाओं का क्या? मैं तो हर साल ही चाइनीज चीजों के बायकॉट की प्रतिज्ञा लेता हूं। दिवाली और होली पर तो नियम ही बना लिया है…
नूडल्स : पर ये तो ठीक ना है। बायकॉट करो तो पूरा करो, नाटक ना करो। और फिर पूरी तैयारी के साथ करो।
रिपोर्टर : इसमें तैयारी क्या करना?
नूडल्स : भैया, केवल बायकॉट से काम ना चलेगा। वो चपटी नाक वालों को उन्हीं की भाषा में जवाब देना होगा। जैसा तुम लोगों ने चाइनीज चाऊमीन का इंडियन वर्जन बना दिया, वैसा ही उनके हर प्रोडक्ट के साथ करो। फिर न रहेगा चाइनीज प्रोडक्ट, न बायकॉट की जरूरत पड़ेगी। समझ गए…!
रिपोर्टर : ये तो सही आइडिया है…
नूडल्स : हां, यही है The Idea of India…
(खबरी व्यंग्य पढ़ने के लिए आप हिंदी खबरी व्यंग्यों पर भारत की पहली वेबसाइट http://www.hindisatire.com पर क्लिक कर सकते हैं।)