बुधवार, 26 मार्च 2014

महंगाई के नाम एक खत

Recently govt announced inflation eases to 9 month low...The satire is based on this development. 
जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha



प्रिय महंगाई बहन,
सादर प्रणाम।
जबसे यह खबर सुनी कि आप गिर गई है, तभी से मन बड़ा बेचैन था। सोचा आपसे मोबाइल पर बात कर लें, दिल हलका हो जाएगा। फिर सोचा कि नहीं, खत से ही कुषलक्षेम पूछेंगे तो आपको भी अच्छा लगेगा। अब लिखने की आदत तो रही नहीं, इसलिए विलंब हो गया। इसके लिए क्षमाप्रार्थी।
सरकार ने बताया है कि पिछले 25 सप्ताह में आप इस बार सबसे ज्यादा गिरी है। एक बार तो विष्वास ही नहीं हुआ यह जानकर। सालों से आप गिरी नहीं, फिर एकाएक यह कैसे हो गया! पर सरकार ने बताया तो सच ही होगा। सरकार झूठ कहां बोलती है! पर सच कहूं बहन, जो भी हुआ, अच्छा नहीं हुआ। क्या चरित्र में गिरावट कम थी जो आपको गिरा दिया? इन दिनों नेता भी एक-दूसरे को टंगड़ी मारकर गिरा रहे हैं। वह तो उनकी आदत है। वे नहीं गिरेंगे तो देष उपर कैसे उठेगा। पर आपका यह गिरना, कुछ ठीक नहीं हुआ।
माफ करना बहन, छोटी मुंह बड़ी बात, लेकिन आपने यूं गिरकर हम सबके लिए मुसीबत अलग बढ़ा दी है। अब आपसे क्या छिपा! बड़ी मुष्किल से आदत डली है। आपकी जो भाभी है न, उसे भी पड़ोसनों ने बताया कि महंगाई गिर गई है। तभी से वह षुद्ध घी मांग रही है। बौरा गई है। समझा रहा हूं, पर समझे तब ना। सालों से नहीं खाया, पचेगा क्या! अब भले ही आप गिर रही हो, लेकिन डाॅक्टर थोड़े इतने गिरे हुए हैं। उनकी फीस तो सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है।
मुन्नी को भी लग रहा है कि अब उसे खूब चाॅकलेटृस मिलेगी। पहले मांगती थी तो  उसे आपका खौफ दिखा देते थे- देखो, महंगाई बुआ डांटेगी। बेचारी मान जाती थी। पर अब क्या करें। आप तो फिर उठ जाएगी, पर एक बार मुन्नी की आदत बिगड़ गई तो मेेरे बजट का तो तिया-पाचा हो जाएगा ना।
और बाबूजी की भी सुन लो। नया चष्मा बनवाने की सोच रहे थे। लेकिन आपकी तस्वीर और मेरा पर्स दिमाग में आते ही वे एडजस्ट कर रहे थे। अब खबर सुनते ही वे भी जिद करने लगे हैं।
मैं जानता हूं कि आप भी मजबूर है। अब बढ़ना-घटना आपके हाथ में तो है नहीं। वैसे जानकारों से पूछवाया है। उनका कहना है कि चुनाव के बाद आप फिर बढ़ने लगेगी। थोड़ी राहत मिली, लेकिन तब तक क्या होगा, भगवान ही जानें। अब तो सब उपर वाले पर छोड़ दिया है। अब उसकी मर्जी के बगैर तो कुछ होता नहीं।
और बताओ, मुनाफाखोर भाईसाहब कैसे है? उन्हें मेरा प्रणाम कहना। वायदा बाजार भाई भी आजकल खूब प्रगति कर रहा है। कसम से, आगे चलकर बड़ा नाम कमाएगा। पुत के पांव पालने में दिख जाते हैं। ब्लैक स्टाकिस्ट चाचाजी की भी खूब याद आती है। उन्हें हमारा चरण स्पर्ष। बाकी को यथायोग्य।

आपका ही
आम भारतवासी 

ग्राफिक: गौतम चक्रवर्ती

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