गुरुवार, 22 मई 2014

रिमोट कंट्रोल का आत्मकथ्य

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

मैं रिमोट कंट्रोल। आप सब मुझसे परिचित होंगे ही। लेकिन आप आम लोगों के लिए मैं ठहरा टीवी का रिमोट कंट्रोल - बस बटन दबाते जाओ और इधर से उधर चैनल फेरते जाओ। लेकिन मैं टीवी इत्यादि जैसी छोटी चीजों से कहीं उपर हूं। भारतीय राजनीति को गहराई से जानने वाले लोग मेरा महत्व समझते है। वे जानते हैं कि मेरा महात्म्य कहीं ज्यादा है। छोटा मुंह बड़ी बात, लेकिन सच कहूं, अगर मैं न रहूं तो आप जिस लोकतंत्र का दंभ भरते हैं ना, वह एक कदम भी आगे न बढ़ पाए। देष की कोई भी पार्टी हो, वह रिमोट कंट्रोल के बगैर चल ही नहीं सकती। देष की सबसे पुरानी पार्टी का कंट्रोल एक परिवार के पास है और वह भी सालों से। दूसरी प्रमुख पार्टी का कंट्रोल भी एक अन्य परिवार करता है। यह अलग बात है कि वह मानता नहीं है। किसी भी राज्य में नजर दौड़ा लीजिए। पता चल जाएगा कि वहां केवल और केवल मेरा ही सिक्का चलता है। रिमोट हर जगह है-कही मैं किसी परिवार के हाथ में हूं तो कहीं किसी दबंग राजनेता के हाथ में। ज्यादा पहले की बात न करें। महाराष्ट्र में मुझे जमकर आदर मिला। एक कार्टून बनाने वाला बंदा जितनी मजबूती से हाथ में कूची थामे रहता था, उससे भी नजाकत से उसने रिमोट कंट्रोल को आॅपरेट किया। फिर बिहार में जब एक महिला ने राज्य की कमान संभाली तो उस समय भी मुझे बड़ा सम्मान मिला था। यह मैं नहीं कह रहा हूं। इतिहास में दर्ज है सब बातें।
और पिछले दस साल के बारे में तो मैं क्या बताउं! सोचकर ही खुषी से आंखों में आंसू आ जाते हैं। भारतीय राजनीति में यह मेरा स्वर्णिम काल रहा है। इतना असरदार इससे पहले मैं कभी नहीं रहा। मुझे बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि यह मैं ही था जिसके जरिए पूरा देष कंट्रोल होता रहा। कोई भी काम मेरे बगैर संभव ही नहीं था। अब दिल्ली में नई सरकार आई है। पता नहीं मेरा क्या होगा! माना पार्टियों में मुझे महत्व मिलता रहेगा, लेकिन जो बात सत्ता में है, वह और कहां।
पुनष्चः - इस बीच मेरे लिए एक राहत की खबर आई है। खबर है कि बिहार में सीएम बदल गया है। मुझे उम्मीद है कि नई दिल्ली की भरपाई पटना से हो जाएगी।
कार्टून: गौतम चक्रवर्ती

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