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गुरुवार, 22 मई 2014

केजरीवाल की खातिर तिहाड़ में गिनीज की टीम

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का नाम जल्दी ही गिनीज बुक में षामिल हो सकता है। यह जानकारी स्वयं गिनीज के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दी है। सूत्रों के अनुसार केजरीवाल का नाम दुनिया में सर्वाधिक धरने देने के लिए गिनीज बुक में सम्मिलित किया जाएगा। इसके लिए गिनीज की एक टीम तिहाड़ जेल का दौरा कर सकती है, जहां केजरीवाल अपने हजारवें धरने पर बैठने वाले हैं।
इस बीच केजरीवाल के प्रस्तावित धरने को लेकर तिहाड़ जेल में सुरक्षा के प्रबंध और भी कड़े कर दिए गए हैं। जेल के अंदर धारा 144 लगा दी गई है, ताकि अन्य कैदी उनके साथ नहीं आ सकें। संभावना व्यक्त की जा रही है कि केजरीवाल जेल में ही कैदियों के बीच जनमत करवाकर राय जानने की कोषिष करेंगे कि उन्हें जमानत के लिए निजी मुचलका भरना चाहिए या नहीं।
‘आप’ में जष्न का माहौल: गिनीज में नाम दर्ज होने की संभावना को देखते हुए आम आदमी पार्टी में जष्न का माहौल है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि भले ही मोदी प्रधानमंत्री बन गए हो, लेकिन केजरीवाल की उपलब्धि उससे कहीं ज्यादा है। वे मुख्यमंत्री रहते हुए धरने पर बैठे। क्या मोदी प्रधानमंत्री रहते हुए धरने पर बैठ सकते हैं?

बुधवार, 21 मई 2014

कांग्रेस कैसे सत्ता में आए, इस पर राहुल गांधी करेंगे पीएचडी

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha


थिसिस की पूर्व तैयारियों में व्यस्त राहुल बाबा।
देष में कांग्रेस का कायाकल्प करने और वर्ष 2019 में उसे सत्ता में लाने के लिए पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक इनोवेटिव आइडिया पर काम कर रहे हैं। इसके लिए राहुल ने पीएचडी करने का निर्णय लिया है। वे ‘कांग्रेस: हाउ टु रिटर्न इन टू द पाॅवर’ थीम पर पीएचडी करने जा रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष स्काॅटलैंड की प्रतिष्ठित एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से यह थिसिस करेंगे। इसके लिए वे अगले तीन साल तक स्काॅटलैंड के किसी एकांत स्थान पर रहेंगे। इस दौरान वे केवल अपनी माता श्रीमती सोनिया गांधी और बहन प्रियंका से ही मुलाकात करेंगे।
क्या होगा थिसिस में?:  
जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार थिसिस की मुख्य विषयवस्तु तो यही है कि देष में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को कैसे रोका जाए और किस तरह कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाकर पार्टी की वापसी कराई जाए। थिसिस के अन्य प्रमुख पाॅइंट इस तरह हैं:
- पार्टी की नीतियों व फैसलों में किस तरह से आम लोगों की भागीदारी बढ़ाई जाए।
- पिछले कुछ सालों के दौरान आम कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी नेतृत्व के संवाद में कमी आई है। इस संवाद को बढ़ाने के उपाय।
- सड़कों पर प्रदर्षन करने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं को किस तरह तैयार किया जाए।
- पार्टी के कई वरिष्ठ नेता केवल वातानुकूलित कमरों में बैठकर ही काम करते हैं। उन्हें कमरों से निकालकर फील्ड की राजनीति में कैसे झोंका जाए, इसकी कार्ययोजना पर कार्य।

राहुल मई 2017 तक यह थिसिस सबमिट कर देंगे। इसके बाद छह माह तक वे किसी पर्वतीय इलाके में छुट्टियों पर रहेंगे। जनवरी 2018 से वे अपनी इस थिसिस के आधार पर 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएंगे।

सोमवार, 19 मई 2014

बाबा रामदेव के नाम पर होंगे कई मार्ग

राजस्थान ने की पहल, मप्र में मची कलह

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha


भाजपा षासित अनेक राज्यों में उन तमाम मार्गों के नाम बाबा रामदेव रखे जाने की तैयारी की जा रही है, जहां अभी महात्मा गांधी मार्ग हैं। इसके अलावा बाबा रामदेव के नाम पर कुछ नए मार्ग भी बनाए जा सकते हैं। उधर भाजपा के पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संकेत दिए हैं कि केंद्र में सत्ता संभालने वाली मोदी सरकार एक समिति बनाने पर भी विचारकर रही है जो इस बात का पता लगाएगी कि मार्गों के अलावा किन संस्थानों के नाम बाबा रामदेव के नाम पर रखे जा सकते हैं। इसका अध्यक्ष अरुण जेटली को बनाया जा सकता है।
रविवार षाम को बाबा रामदेव के एक कार्यक्रम में भाजपा नेता अरुण जेटली ने बाबा रामदेव की तुलना महात्मा गांधी और जयप्रकाष नारायण से की थी। इसके बाद से ही भाजपा षासित राज्यों में इस संबंध में कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया था। राजस्थान में देर रात को ही दो षहरों में तीन मार्गों के नाम बाबा रामदेव मार्ग रख दिए गए। इनमें दो जयपुर और एक जोधपुर षहर में हैं। आज षाम तक 100 और मार्गों के नाम बाबाजी के नाम पर रखे जा सकते हैं। इस संबंध में दोपहर को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
मप्र में बढ़ी कलह: राजस्थान से उलट मप्र में मार्गों के नाम बाबा रामदेव के नाम पर रखे जाने और कुछ चैराहों पर बाबा की मूर्तियां स्थापित करने को लेकर पार्टी में अंदरूनी कलह मच गई है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री षिवराज सिंह बाबा रामदेव को इतना महत्व देने को लेकर हिचक रहे हैं। हालांकि बाबा के साथ उनके अच्छे संबंध है, लेकिन मोदी के खास अरुण जेटली द्वारा बाबा की तारीफ उन्हें रास नहीं आई है। इसके विपरीत बाबूलाल गौर ने राज्य का नाम ही बदलकर बाबा रामदेव प्रदेष करने की मांग उठा दी है।

दिग्गी का ट्वीट: इस बीच, बाबा रामदेव के कट्टर विरोधी माने जाने वाले दिग्गी राजा ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने पूछा है कि क्या अब रामदेव करोड़ों रुपए के अपने साम्राज्य को छोड़कर गांधीजी की तरह एक लंगोट में रहेंगे? इसका पलटवार करते हुए बाबा रामदेव फैन्स क्लब ने ट्वीट करते हुए कहा है कि कच्ची लंगोट वाले दूसरों की लंगोट की बात नहीं किया करते।

रविवार, 18 मई 2014

हे मोदी, ये तूने क्या मांग लिया!

- मोदी के सफाई अभियान को विरोधी दलों ने बताया फासीवादी विचार

- गुटखा-पाउच संघ सोमवार को प्रमुख सड़कों पर थूककर करेगा सांकेतिक विरोध


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में लोगों से सफाई अभियान में सहयेाग क्या मांगा, देषभर में इस पर कड़ी प्रतिक्रिया आई है। अनेक पान पीक अधिकार संघों ने इसकी तीखी आलोचना करते हुए इसे थूकने और कचरा फैलाने के संविधान में प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है। विरोधी दलों के नेताओं ने इसे देष में फासिस्ट युग की षुरुआत का संकेत बताया है।
नरेंद्र मोदी ने षनिवार षाम को बनारस में गंगा आरती के बाद वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि वे पूरे देष में सफाई अभियान षुरू करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने आम लोगों से भी इसमें सहयोग करने का आग्रह किया था।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नरेंद्र मोदी के इस आह्वान पर चुटकी लेते हुए कहा कि हमने पहले ही आगाह किया था कि मोदी के आने से देष में हिटलरषाही लागू हो जाएगी। मोदी का यह बयान इसी का संकेत है। दिग्गी राजा ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘लो भाइयो, अच्छे दिन आ गए। अब आप सड़क पर पान की पीक भी नहीं मार सकते।’
जदयू ने मोदी के इस आह्वान को घोर फासीवादी मानसिकता करार दिया है। समाजवादी पार्टी के आजम खान ने कहा कि मोदी ने सफाई अभियान की बात करके अल्पसंख्यकों को साफ करने के अपने साम्प्रदायिक एजेंडे को उजागर कर दिया है। ऐसे में सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को इसके खिलाफ एक हो जाना चाहिए। अखिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने ‘जोर-जुल्म की टक्कर में थूकना हमारा नारा है’ कहकर मोदी की आलोचना की है।
पान पीक संघों ने भी किया विरोध: अखिल भारतीय पान पीक मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक पानप्रसाद ने एक बयान में कहा कि पूरे देष ने मोदी को समर्थन दिया है। मोदी ने वोट मांगे, देष ने उन्हें वोट दिए। लेकिन अब मोदी चाहते हैं कि देष के निवासी पान खाकर इधर-उधर थूके नहीं, कचरा नहीं फेंकें। यह लोगों पर ज्यादती है और हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। गुटखा-पाउच पीक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री पराग ने कहा कि पान-तंबाकू खाकर सड़क पर पीक मारना और इधर-उधर कचरा फेंकना भारतीय संस्कृति का परिचायक है। यह हमारी प्राचीन परम्परा है और अब मोदी इसे छोड़ने का आह्वान रहे हैं। हम इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि संघ की राज्य इकाइयां सोमवार को सभी राज्यों की राजधानियों की प्रमुख सड़कों पर थूककर और कचरा फैलाकर एक दिनी सांकेतिक प्रदर्षन करेगी। जरूरत पड़ने पर ‘हम तो थूकेंगे’ अभियान चलाने पर भी विचार किया जाएगा।

दिग्गी का ट्विट: ‘लो भाइयो अच्छे दिन आ गए। अब आप सड़क पर पान की पीक भी नहीं मार सकते।’

शुक्रवार, 16 मई 2014

सोनिया माता, हम भक्तों के माथे यह हार


देषभर के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सोनिया व राहुल को लिखा संयुक्त पत्र


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

 

फोटो आभार: द इंडियन एक्सप्रेस
 

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त हार के बाद सोनिया और राहुल गांधी द्वारा खुद हार की जिम्मेदारी लेने की संभावना को देखते हुए कांग्रेसियों ने उन्हें एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने इन दोनों से आग्रह किया था कि वे कांग्रेस के भक्तों पर रहम करें और खुद भक्तों को हार की जिम्मेदारी स्वीकार करने का अमूल्य अवसर प्रदान करें। हमारे हाथ इस पत्र की एक काॅपी लगी है, जिसे हू-ब-हू प्रस्तुत किया जा रहा है।

आदरणीया सोनिया माताजी और राहुल भैयाजी,
सादर चरण वंदन
पूरी पार्टी इस बात से बेहद आहत है कि चुनावों में हुई हार की जिम्मेदारी आपने उठाई है। पार्टी में मौजूद प्रत्येक कांग्रेस भक्त यह मानने को तैयार नहीं है कि यह हार आपकी वजह से हुई है। इसकी नैतिक से लेकर अन्य तमाम जिम्मेदारियां आप हम भक्तों को उठाने का मौका देंगे तो आपके आभारी रहेंगे।
आपने जो किया, वह कम नहीं है। इतनी धूप में आप इस पार्टी के लिए घूमे। पूरे इतिहास में ढूंढ लिजिए, इतना बड़ा त्याग कहीं नहीं मिलेगा। और उधर, आदरणीया प्रियंका दीदी तो हम भक्तों के लिए मानो देवी बनकर उतरी। उनका ऐसा अवतार देखकर तो हम भक्त इतने आल्हादित हुए कि हम इस हार का गम भुला देंगे। उनके दर्षन मात्र से ही हम धन्य हो गए। हार-जीत तो आनी-जानी है।
अब श्रीयुत् मनमोहन सिंहजी रिटायर हो गए हैं। इसलिए पार्टी उनके खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं कहेगी। लेकिन फिर भी हम भक्तों का मानना है कि इतनी बड़ी हार के लिए उन्हें खुद आगे आकर जिम्मेदारी उठानी चाहिए। आखिर आपने क्या नहीं किया उनके लिए? खैर, आपने उन्हें कुर्सी पर बिठाया, इसलिए वे हमारे लिए भी श्रद्धेय हैं। इसलिए हम भक्त उनके बारे में और कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन माननीय मनमोहन सिंहजी से इतनी उम्मीद तो करते हैं कि भले ही मुंह न खोलें, लिखकर ही हार का ठिकरा अपने सिर पर फोड़ेंगे तो यह कांग्रेस की मान्य परंपरा के अनुकूल होगा।
इस हार के लिए अगर सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं तो वे हैं आम मतदाता। आम मतदाताओं के जनादेष का पूर्ण सम्मान करते हुए भी हमारा मानना है कि इस बार मतदाता इतने अंधे और पगला गए थे कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के आदर्ष प्रतिमानों को धूल-धूसरित कर दिया। इतना नीच मतदान तो इससे पहले कभी नहीं देखा गया। कांग्रेस इतिहासकार उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
माताजी और भैयाजी, अंत में हम आपसे फिर हाथ जोड़कर इतना ही कहना चाहेंगे कि आप हमारा नेतृत्व करके हमें धन्य करते रहेंगे। हम आपका साथ तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि पूरा देष कांग्रेस मुक्त नहीं हो जाता।

जय सोनिया मैया, जय राहुल भैया
आपके ही भक्त

बुधवार, 14 मई 2014

इंडियन पपेट आर्ट एकेडमी के चेयरमैन बनेंगे मनमोहन सिंह!

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही पूछा जा रहा है कि अब वे क्या करेंगे? माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह किसी अकादमी के प्रमुख बनाए जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार उन्हें इंडियन पपेट आर्ट एकेडमी का चेयरमैन बनाने का प्रस्ताव है। पिछले दस सालों में उन्होंने भारतीय राजनीति में कठपुतली कला को जिस तरह से प्रोत्साहित किया, उसके लिए वे इस पद के सर्वथा उपयुक्त माने जा रहे हैं। अहमद पटेल को एकेडमी का आजीवन सचिव और दिग्विजय सिंह को अगले सात जनम तक के लिए ट्रस्टी बनाया जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि निवर्तमान केंद्रीय मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों को भी इस एकेडमी में जगह मिल सकती है। गौरतलब है कि पपेट आर्ट एकेडमी की स्थापना 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पहल पर की गई थी।
मूक बच्चों के गुडविल एम्बेसडर बनने को राजी सिंह: इस बीच, एक अच्छी खबर यह आई है कि मनमोहन सिंह भारत में मूक बच्चों के हितार्थ गुडविल एम्बेसडर बनने को तैयार हो गए हैं। इस संबंध में बुधवार सुबह संयुक्त राश्ट्र के महासचिव बान की मून ने मनमोहन सिंह से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की। मनमोहन सिंह ने इशारों ही इशारों में इसके लिए हामी भर दी। यह ऐसा पहला मौका होगा जब कोई्र प्रधानमंत्री स्तर का नेता इतने बड़े सोशल काॅज के लिए राजी हुआ है।

रविवार, 11 मई 2014

बड़ा सवाल - राहुल बेचेंगे आइसक्रीम या मोदी खोलेंगे टी चेन?


चुनाव नतीजों के बाद बनेंगे कई रोचक समीकरण

 जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha


राहुल बाबा फिर निकलेंगे रोड शो पर! गाड़ी तैयार है।

चुनाव के नतीजे आने में अब कुछ घंटों का ही समय बाकी है। सबकी नजर इस बात पर है कि नतीजों के बाद किस तरह के समीकरण बनेंगे। जरा एक नजर इन संभावनाओं पर भी:
1. एनडीए की सरकार बनने पर:
 - राहुल बाबा को रोड शो की अच्छी प्रैक्टिस हो गई है। गर्मी चल रही है। वे रोड पर आइसक्रीम बेच सकते हैं या फिर पानीपुरी का ठेला भी लगा सकते हैं।
- दिग्विजय सिंह मेरिज ब्यूरो खोल सकते हैं। स्वयं उनकी पार्टी में ही कुछ ऐसे एलिजिबल बेचलर हैं, जिनके लिए वे दुल्हन की तलाश करने में मदद कर सकते हैं।
- मुलायम सिंह यादव पहलवानों के लिए एकेडमी शुरू कर सकते हैं। इसका फायदा उन्हें अगले विधानसभा चुनावों में मिलेगा।
- अरविंद केजरीवाल खासी की दवा बनाने वाली कंपनी के लिए काम कर सकते हैं। यह कंपनी इस मामले में रिसर्च करने में उनकी मदद ले सकती है कि आखिर किन हालातों में खासी हमेशा बनी रहती है। या अरविंद चाहें तो ड्रामा मंडली भी शुरू कर सकते हैं।

2. यूपीए या तीसरे मोर्चे की सरकार बनने पर
- नरेंद्र मोदी देशभर में चाय की चेन खोल सकते हैं। चुनाव प्रचार के बहाने देशभर में घूमने के पीछे उनका सबसे बड़ा मकसद तो यही था कि इससे कई लोगों से संबंध बन जाएंगे। इससे चाय का बिजनेस अच्छा चल पड़ेगा।
- लालकृश्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता तो जैसे अभी बेरोजगार हैं, वैसे ही तब भी रहेंगे। क्या फर्क पड़ेगा!

गुरुवार, 8 मई 2014

मुलायम के शपथ ग्रहण समारोह में आजम खान की भैंसें भी शामिल होंगी

- भैंसें करवा रही हैं अपना फेषियल
- राजा भैया ने आईपीएल की चीयरलीडर्स को बुलवाया

 

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने दावा किया है कि इस बार केंद्र में तीसरे मोर्चे की सरकार बनेगी। इसका मतलब यही लगाया जा रहा है कि मुलायम सिंह ही प्रधानमंत्री बनेंगे। इस दावे के बाद उनके रिश्तेदारों व समर्थकों ने अलग-अलग तरह की तैयारियां षुरू कर दी हैं। इसमें अखिलेष यादव सबसे आगे हैं। उन्होंने पिछले पांच साल से अपने पिताजी का अलमारी में रखा बंद गले का कोट प्रेस करवाने के लिए अपने प्रेस अटैची को दे दिया है। हालांकि उन्हें बाद में बताया गया कि प्रेस अटैची का काम प्रेस करवाना नहीं है तो वे बुरा मान गए। लेकिन प्रेस अटैची ने बुरा नहीं माना और उन्होंने अपनी बीवी को यह जिम्मेदारी सौंप दी। खैर यह बंद गले का कोट प्रेस होने के बाद मुलायम सिंह यादव के बंगले में पहुंच गया है। इस बीच, आजम खान ने भी अपनी भैंसों के फेषियल इत्यादि के लिए एक मैकअप आर्टिस्ट को उठवा लिया है। भैंसें बड़ी खुश हैं। वहीं राजा भैया के करीबी लोगों ने संकेत दिए हैं कि मुलायम सिंह यादव के प्रधानमंत्री पद के षपथ ग्रहण समारोह के दौरान आईपीएल की चीयरलीडर्स को भी स-सम्मान बुलवाया जाएगा। इस दौरान आईपीएल मैचों में चीयरलीडर्स का जिम्मा सपा कार्यकर्ताओं को सौंप दिया जाएगा।     
मंत्रियों का होगा डीएनए टेस्ट: सपा नेता अबू आजमी से जुड़े सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल में उन्हीं लोगों को लिया जाएगा, जिनकी पिछली दस पीढ़ियों का आरएसएस से कोई संबंध नहीं रहा है। इसके लिए डीएनए टेस्ट भी करवाया जाएगा।

मंगलवार, 6 मई 2014

ट्विटर के वे अफसर बर्खास्त होंगे जो रजनीकांत को लेकर आए


जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

ट्विटर के ये अफसर बर्खास्त क्यों होंगे, इसे जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर रजनीकांत ट्विटर पर आए कैसे। इसकी एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, ट्विटर के बड़े अधिकारियों को चिंता हुई कि भारत में चुनाव के बाद क्या होगा! अभी तो चुनाव को लेकर लोग ट्विटर पर आय-बाय-षाय कुछ न कुछ पटक ही देते हैं। इससे ट्विटर की दुकान चलती रहती है। लेकिन चुनाव के बाद जब सब फ्री होंगे तो ट्विटर तो खाली हो जाएगा। इस संकट से निपटने के लिए ट्विटर के थिंक टैंक की एक मीटिंग बुलाई गई। इसमें इस बारे में काफी विचार किया गया। तब उनके दिमाग में आया एक आइडिया। गलत समझे, अभिषेक बच्चन नहीं, रजनीकांत। ट्विटर के कुछ आला अफसरों की एक टीम रजनीकांत के पास पहुंची और उनसे हाथ जोड़कर ट्विटर पर आने का आग्रह किया। रजनीकांत ने तथास्तू कहा। तो इस तरह रजनीकांत ट्विटर पर आए।
लेकिन रजनीकांत को ट्विटर पर लाने से संकट और गहरा गया है। ताजा खबर है कि ट्विटर ने अपने थिंक टैंक के उन अफसरों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने का मन बना लिया है, जिन्होंने रजनीकांत को ट्विटर पर लाने की योजना बनाई थी। क्यों? क्योंकि ट्विटर जल्द ही क्रैष हो सकता है। ट्विटर के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा। ट्विटर के लिए इससे बड़ी षर्मीदगी की बात और क्या होगी?

शनिवार, 3 मई 2014

भारतीय नेताओं पर ‘नेचर’ में छपा दिलचस्प रिसर्च

नेताओं की एक प्रजाति पर छपा कवर पेज।
पिछले 20 साल के दौरान एक भी नेता ने राजनीति से संन्यास नहीं लिया
जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha


जानी-मानी पत्रिका ‘नेचर’ में भारत की राजनीतिक प्रजाति के लोगों पर बड़ा ही दिलचस्प शोध-पत्र प्रकाशित हुआ है। इसमें पिछले बीस साल के दौरान राजनीतिक प्रजाति के 3 लाख 99 हजार 999 नेताओं के उस दावे या घोशणा की पड़ताल की गई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा या वैसा हो गया तो वे राजनीतिक जीवन छोड़ देंगे अर्थात राजनीति से संन्यास ले लेंगे। इस रिपोर्ट में जो दिलचस्प तथ्य निकलकर आया है, वह यह है कि इन 3 लाख 99 हजार 999 नेताओं में से एक ने भी राजनीति से संन्यास नहीं लिया। अब अहमद पटेल 4 लाखवें नेता हो गए हैं, जिन्होंने एलान किया है कि अगर उनकी मोदी से दोस्ती की बात साबित हो जाती है तो वे राजनीतिक जीवन छोड़ देंगे।
इस बीच, भाजपा के एक वरिश्ठ नेता ने दावा किया है कि उनके हाथ एक बड़ा तथ्य लगा है। इसके अनुसार कुछ साल पहले नरेंद्र मोदी ने अहमद पटेल को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी, जो पटेल ने तुरंत एक्सेप्ट कर ली थी। इस पर पटेल की टिप्पणी प्राप्त नहीं हो सकी है, लेकिन उनके एक करीबी का कहना है कि पटेल ने गुजरात दंगों के बाद उसे ‘अनफ्रेंड’ कर दिया था।
जांच दल गठित: गुजरात के महिला जासूसी मामले के बाद केंद्र सरकार ने एक और जांच दल गठित करने का फैसला किया है। यह दल इस बात की जांच करेगा कि नरेंद्र मोदी ने अपनी मित्रता स्वीकार करने के लिए अहमद पटेल पर कितना दबाव बनाया। सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि इसके लिए आयोग को दो बिंदुओं पर जांच करने के लिए कहा गया है। एक, नरेंद्र मोदी ने अहमद पटेल को कितनी बार फोन किए। दूसरा, फेसबुक पर मोदी ने कितनी बार पटेल को फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेजी। माना जा रहा है कि सरकार ने जांच के बाद मोदी पर अहमद पटेल को प्रताड़ित करने का मामला दर्ज करने का मन बना लिया है।

बुधवार, 30 अप्रैल 2014

नेता, अफसर जिंदाबाद

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

काला धन-काला धन... बहुत षोर मचा रहे थे। लो, सरकार ने जनभावनाओं के मद्देनजर इन काले चोरों के नाम देष को बता दिए। पहचान लो इनमें से अगर किसी को जानते हो तो। इन्हें देष तो क्या, उनके षहर वाले भी नहीं जानते होंगे।
हां, इससे एक बात जरूर साफ हो गई। देष का एक भी नेता और बड़ा अफसर भ्रष्ट नहीं है। दिल को बड़ा सुकून मिला यह जानकर। मैं तो पहले ही कहता था। जबरन ही बेचारे नेताआंे और अफसरों पर षक की सुई घुमाए जा रहे थे। सत्यानाष तो एनजीओस का हो जो खाते इस देष में हैं, और उल्टियां विदेषों में करते हैं। ऐसे ही लोगों के नाम है इस लिस्ट में। वैसे भाड़ में जाने दो इनको। यह क्या कम हैं कि हमारे नेता और अफसर तो ईमानदार हैं। वे देष चला लेंगे। वे मिल-बांटकर खाने वाली संस्कृति के वाहक हैं। देष का पैसा देष में ही रहे, इस सिद्धांत के पैरोकार हैं। इसी से देष की इकोनाॅमी चलती है। देष सुरक्षित हाथों में हैं। सरकार को बधाई कि उसने हम सबकी आंखें खोलकर दुविधा दूर कर दी। वह आगे भी ऐसा ही करती रहेगी।

सोमवार, 28 अप्रैल 2014

फारुख के बयान से अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित

छोटे राष्ट्रों पर डूबने का खतरा मंडराया

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha


केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला के इस बयान के बाद कि नरेंद्र मोदी को वोट देने वालों को समुद्र में डूब जाना चाहिए, इंटरगवर्नमेंटल पैनल आॅन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने मालदीव, बांग्लादेष, श्रीलंका जैसे देषों के लिए अलर्ट जारी किया है। इसमें इन देषों के बड़े हिस्से के डूबने का खतरा बताया गया है, खासकर तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की सलाह दी गई है। आषंका यह भी जताई गई है कि 30 अप्रैल को गुजरात में होने वाली वोटिंग के बाद कच्छ की खाड़ी के जल स्तर में भी भारी बढ़ोतरी हो सकती है।
इस बीच, मप्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और उत्तरप्रदेष के उन क्षेत्रों जहां वोटिंग हो गई है, वहां भारी संख्या में लोग अपने-अपने घरों से निकल गए हैं। आॅफ सीजन होने के कारण सस्ते के चक्कर में अधिकांष लोग गोवा के तटों की ओर जाते दिखाई दिए हैं। इन खबरों के बाद गोवा सरकार भी तत्काल हरकत में आ गई है। अपने यहां कानून एवं व्यवस्था बिगड़ने की आषंका के चलते उसने केंद्र सरकार से अर्द्धसैनिक बलों की 1500 टुकड़ियां मांगी है।
ओबामा ने की मनमोहन से बातचीत: 
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी निवर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस पूरे मसले पर बातचीत की है। उन्होंने मनमोहन सिंह के इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया कि यह भारत का अंदरूनी मामला है। ओबामा का कहना है कि इतने सारे लोगों के डूबने से समुद्र के जल स्तर में जो बढ़ोतरी होगी, उसका पूरे विष्व पर असर पड़ना लाजिमी है। इस बीच, जापान ने जी-7 देषों की बैठक बुलाने की मांग की है। जापान को सुनामी का डर सता रहा है।
12 मई को क्या होगा?
उप्र प्रषासन को चिंता 12 मई की है, जिस दिन वाराणसी में मतदान होगा। संत-समुदाय के कुछ धड़ों की इस घोषणा के बाद प्रषासन के हाथ-पैर फूल गए हैं कि काषी की जनता समुद्र में नहीं, गंगा में ही डूबकी लगाएगी। अब प्रषासन के सामने चुनौती यह है कि वह गंगा में इतना पानी कहां से लाए।

रविवार, 27 अप्रैल 2014

मनमोहन सिंह के पांच प्रायष्चित

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने भाई दलजीत सिंह के भाजपा में जाने से इतने दुखी हो गए हैं कि उन्होंने प्रायष्चित स्वरूप ये पांच घोषणाएं की हैं-
1. वे तब तब मौन व्रत धारण करके रखेंगे जब तक कि कांग्रेस केंद्र में सत्ता में नहीं आ जाती। (यानी अगले पांच साल तक उन्होंने चुप रहने का इंतजाम कर लिया है।)
2. वे अगले पांच साल तक घर में रखे टीवी के रिमोट कंट्रोल को हाथ तक नहीं लगाएंगे। (यानी टीवी पर अब वे चैनल भी वही देखेंगे जो दूसरे दिखाएंगे।)
3. वे अगले पांच साल तक पीएम नहीं बनेंगे। (यानी अपने सुपर पीएम की तरह बड़ा त्याग करने का फैसला।)
4. यदि पीएम बन जाते हैं तो वे साल में कम से कम एक फैसला स्वयं लेंगे।  (यानी उन्होंने जताने का प्रयास किया है कि उन्हें राजनीति आती है, क्योंकि तब वे तीसरा वादा तोड़ देंगे।)
5. अगर पीएम बनते हैं तो वे ऐसा कोई अध्यादेष लाएंगे ही नहीं, जिसे फाड़ने की नौबत आए। अगर कोई अध्यादेष फाड़ता है तो वे सुपर पीएम से पूछकर इस्तीफा देने पर विचार करने से पीछे नहीं रहेंगे।

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

आंधी, सुनामी के बाद अल-नीनो

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

यह बिल्कुल तथ्यात्मक खबर है। इस बार देष को फिर से अल-नीनो प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है। एक्पट्र्स के अनुसार अल-नीनो हर सात साल में आता है। हालांकि कई बार यह पांच साल में भी आ जाता है, जैसा पिछली बार हुआ था। उस समय यह 2009 में आया था। इस तरह अल नीनों का भारतीय चुनावों से गहरा नाता रहा है। जब-जब चुनाव, तब-तब अल नीनो। अल-नीनो के पहले या तो आंधी होती है या सुनामी। 2009 में देष में गांधी की आंधी थी। ऐसा कांग्रेसियों का मानना रहा है। इस बार मोदी की सुनामी है। ऐसा मोदीवादियों का मानना है। जो भी हो, देष को चुनाव के बाद पोलिटिकल-इकोनाॅमिकल अल-नीनो इफेक्ट्स को तो झेलना ही होगा।

रविवार, 13 अप्रैल 2014

पप्पू एंड मम्मा

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

 

पप्पू: मैंने बोल दिया है कि अगर सारे खिलाड़ी चाहेंगे तो मैं कप्तान बनने से पीछे नहीं हटूंगा। क्या वो मुझे सपोर्ट करेंगे?
मम्मा: क्यों नहीं करेंगे! आखिर हमारे नाना-परनाना की टीम है। हमारी ननौती और बपौती दोनों है। झक मारकर करेंगे।
पप्पू: तो क्या मैं कप्तान बन जाऊं?
मम्मा: नहीं, नहीं।
पप्पू: पर मैं कप्तान क्यों नहीं बन सकता?
मम्मा: बोल दिया एक बार नहीं तो नहीं। देख, तू अगर कप्तान बनेगा तो तूझे कुछ करना पड़ेगा। बाॅलिंग आती नहीं। बैटिंग करेगा तो फेंकूं लोग ऐसे-ऐसे बाउंसर फेंकते हैं कि संभालना मुश्किल हो जाएगा।
पप्पू: तो मैं क्या करूं?
मम्मा: नाॅन प्लेइंग कैप्टन।
पप्पू: यह क्या होता है?
मम्मा: मैदान से बाहर रहकर कप्तानी करो। बैटिंग-बाॅलिंग करनी नहीं, बस फील्डिंग जमाते रहो। सामने वाला बाॅल पीटे तो वे जाने जो मैदान में खेल रहे हैं। बाउंसर भी उन्हें ही झेलने हैं। जीते तो कप हमारा, हारे तो हार उनकी।
पप्पू: (ताली बजाते हुए) मम्मा, यू आॅर द ग्रेट।
मम्मा: वो तो हूं ही, इसीलिए तो इतनी ‘असरदार’ हूं।
पप्पू: मम्मा, यह संजय बारू कौन हैं?
मम्मा: जितना बोलूं, उतना ही बोल!
पप्पू: यस माॅम।

शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

जनमेजय का यज्ञ और अमित-आजम की बदला कथाएं

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

महाभारत नामक महाकाव्य यूं तो बदले की कहानियों से अटा पड़ा है, लेकिन राजा जनमेजय की कथा अद्भुत है। आज के भारत के दो धुरंधर प्रतापी राजकुंवरों अमित षाह और आजम खान की बदला लेने की भभकियों से राजा जनमेजय की वह कथा ताजा हो गई।
पहले कथा सुनते हैं- हुआ यूं कि राजा परीक्षित ने ऋषि षमीक का अपमान कर दिया। इस अपमान से उनके पुत्र षृंगी क्रुद्ध हो गए। उन्होंने पिता के अपमान का बदला लेने की ठानी। उन्होंने नागराज तक्षक को राजा परीक्षित को ठिकाने लगाने की सुपारी दे दी। तक्षक ने कोई कोताही नहीं बरती। परीक्षित की मृत्यु के पष्चात उनके पुत्र जनमेजय गद्दी पर बैठे। पिता की हत्या की कहानी का पता चलने पर जनमेजय इसका बदला लेने पर उतारू हो उठे। उन्होंने तक्षक को मारने के लिए सर्प यज्ञ करवाया। लेकिन मास्टरमाइंड यानी ऋषि षृंगी को छोड़ दिया। अब एक बाबा से पंगा कौन लें! बदला ही तो लेना है तो तक्षक से ही ले लेते हैं (ऐसा उन्होंने विचार किया होगा, लेकिन यह विचार महाभारत का आधिकारिक हिस्सा नहीं है)।
तो सर्पयज्ञ में एक-एक करके सारे सांप भस्म होने लगे। जो बेचारे भस्म हो रहे थे, उन्हें मालूम ही नहीं था कि आखिर हमारा कसूर क्या है? खैर, जब हजारों-लाखों सर्पों के मरने के बाद तक्षक की बारी आई तो उसने पता नहीं किन देवताओं से सेटिंग कर-कराके आस्तीक नामक एक बंदे को भिजवा दिया और सर्प यज्ञ रुकवा दिया। इस तरह तक्षक बच गया। सुना है बाद में जनमेजय और तक्षक सालों जीते रहे। तक्षक की तो इंद्र के महल में अच्छी-खासी पैठ बन गई।
हमारे आज के वीर-प्रतापी षाह और आजम भी क्या ऐसे ही बदला लेंगे? पता नहीं भस्म कौन होगा?