शनिवार, 31 मई 2014

पिज्जा और मंगू के हवाई सपने

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha


एक दिन मंगू ने अपने पड़ोस की झुग्गी में चल रहे टीवी पर एक खबर देख ली। उसके बाद से ही वह बहुत खुश था। टीवी वाले बता रहे थे कि अब जल्दी ही छोटे हवाई जहाजों (ड्रोन विमानों) से पिज्जा घरों में पहुंचा करेगा। पिज्जा, हां उसे मालूम है। इतना भी गया-बिता नहीं है। पिज्जा यानी मोटी-सी रोटी। जैसे उसकी झोपड़ी में उसकी घरवाली मोटी रोटी बनाती है, वैसी ही कुछ। यह उसने बस सुना भर था, खाया तो कभी नहीं।
इस खबर के बाद से ही मंगू की उम्मीदों को पर लग गए। वह रोज सुबह काम पर निकलने से पहले एक नजर आसमान पर जरूर दौड़ा लेता। क्या पता, कब वह छोटा-सा हवाई जहाज उसकी झोपड़ी पर रोटी टपका दे। जब आसमान पर टकटकी कुछ ज्यादा ही हो जाती तो घरवाली से रहा नहीं जाता। वह उसे झिड़कती, ‘अब ऐसे दिन भी नहीं आने वाले कि आसमान से ही रोटियां टपकने लगे।‘ फिर मंगू मन मारकर रात की बासी मोटी रोटी बांधकर काम पर निकल जाता। कभी काम मिलता, कभी नहीं मिलता। नहीं मिलता तो रोटी का संकट। जब आसमान में रोटियां लेकर हवाई जहाज घूमेंगे तो गलती से ही सही, उस जैसे गरीबों के यहां भी महीने में दो-चार बात तो रोटियां टपक ही जाएंगी। ऐसी हवाई कल्पना वह किया करता।
कुछ दिन पहले ही की तो बात है। एक नेताजी उसकी झोपड़ी में आए थे। उन्होंने बोतल पकड़ाते हुए कहा था- देख, यह बोतल रख लें। तेरे जल्दी ही अच्छे दिन आने वाले हैं। फिर रोज काम भी मिलेगा और रोटियां भी। दूसरे दिन दूसरे नेता आए। उन्होंने भी बोतल देकर कहा था- अभी इससे काम चला। हमारे निशान पर बटन दबा आना। फिर होगी- हर हाथ शाक्ति, हर हाथ रोटी। लेकिन मंगू तो सालों से इसका आदी था। यह हर पांच साल का नाटक था। सब उसे बोतल पकड़ाते, रोटी नहीं। लेकिन उसे विश्वास था कि जिसका कोई नही होता, उसका ऊपरवाला तो होता ही है। तभी तो उसे आसमान से रोटियां मिलने वाली हैं। वह अपनी इन्हीं हवाई कल्पनाओं में खोया रहता। उसने काम पर जाना भी छोड़ दिया। घरवाली बेचारी कुछ घरों में बर्तन-चैका करके रोटी की व्यवस्था करती। लेकिन एक दिन अचानक मंगू ने देखा कि बड़ी-बड़ी मशीनें उसकी झोपड़ी की तरफ आ रही हैं। जमीन पर उसने हवाई जहाज तो कभी देखा नहीं था। उसे लगा हवाई जहाज वाकई जमीन पर उतर आया है। इसमें रोटियां ही होंगी। वह खुशी से पागल हो उठा।
और अब क्लाइमेक्स... मंगू खुले आसमान के नीचे बैठा हुआ है। उपर सूरज तमतमा रहा है। उसकी झोपड़ी के टिन-टप्पड़ भी वे लोग ले गए। घरवाली बैठी रो रही हैं। बच्चे सुबक रहे हैं। मंगू चिंतित है- अब वे रोटियां कहां टपकाएंगे! अब तो झोपड़ी ही नहीं रही। तभी एक हवाई जहाज तेजी से उसके सिर से ऊपर से गुजरा। फिर वह शहर की आलीशान उंची इमारतों पीछे ओझल हो गया। 


कार्टून: गौतम चक्रवर्ती

ऐसे डियो जिनसे ‘बीवी के गुलाम’ पतियों का भी लौट आएगा काॅन्फिडेंस

ऊ लाल्ला कंपनी ने लांच किए तीन फ्रेगरेंस में डियो, दो दिन में ही रिकाॅर्ड बिक्री


हमारा डियो लगाते तो ऐसा नहीं होता : कंपनी प्रवक्ता

 जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

मुंबई। यहां की एक जानी-मानी कंपनी ने पतियों को टारगेट कर तीन ऐसे डियोडरंट लांच किए हैं, जिनसे पतियों की दुनिया ही बदल जाएगी। कंपनी का दावा है कि इससे पत्नियां वशीभूत होकर पतियों की बात मानने लगेंगी। अभी तक मार्केट में जितने भी डियो लांच हुए हैं, उनकी खुशबू से केवल गैर महिलाएं ही गैर मर्दों की ओर आकृष्ट होती आई हैं (टीवी पर दिखाए जा रहे विज्ञापनों से भी यह साफ है)।
ऊ लाल्ला नामक इस कंपनी का यह भी दावा है कि लांचिंग के दो दिन के भीतर ही सेल के मामले में वह पूरे देश में तीसरे स्थान पर आ गई है। अगले सप्ताह भर के भीतर उसके नंबर वन कंपनी बनने की उम्मीद है। अपने प्रोडक्ट के बारे में कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट के. जनार्दन ने बताया कि उनके ये प्रोडक्ट उन पतियों के लिए भी काफी फायदमेंद होंगे जिनकी शादियों को 25 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है और वे ‘बीवी के गुलाम’ के रूप में कुख्यात हो चुके हैं।
तीन फ्रेगरेंस में हैं ये डियो: कंपनी ने फिलहाल तीन प्रकार के डियो लांच किए हैं। ‘कान्फिडेंस फ्रेंगरेंस’ लगाते ही पतियों का वही आत्मविश्वास लौट आएगा, जो कभी शादी के पहले हुआ करता था। दूसरा डियो है ‘आई विल वर्क जानू’। इस फ्रेगरेंस की खुशबू ऐसी है कि पत्नियां झट से पतियों के हाथों से काम छीन लेंगी। टीवी पर दिखाए जा रहे इसके विज्ञापन में भी दर्शाया गया है कि सुबह उठते ही जैसे ही पति इसे लगाता है, पत्नी कह उठती है- ‘जानू, तुम आराम से बैठो, आज चाय मैं बनाऊंगी।’ ‘सीरियल्स फोबिया’ नामक इस तीसरे फ्रेगरेंस को लगाते ही पत्नी को टीवी पर सीरियल देखने को लेकर फोबिया हो जाएगा और वह पति को तत्काल रिमोट कंट्रोल थमाते हुए बोलेगी - आप चाहो तो न्यूज चैनल या मैच देख सकते हो।

शुक्रवार, 30 मई 2014

मंत्री बनकर पछता रहे हैं एक दर्जन सांसद

जयजीत अकलेचा / Jayjeet Aklecha


हम क्यों बन गए मंत्री! सुबुक-सुबुक...!
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा के संक्षिप्त सत्र के बाद मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दिए हैं, वहीं करीब दर्जन भर मंत्री पद छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ये वे लोग हैं, जिन्हें लग रहा है कि वे मंत्री बनकर फंस गए हैं और अब किसी न किसी तरह मंत्री पद छोड़ने में ही भलाई है।
इसी सप्ताह की शुरुआत में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान ये सभी बेहद खुश थे। लेकिन इन्हें अब लग रहा है कि मंत्री बनकर तो काम करना पड़ेगा। इसी बात ये सभी भयभीत नजर आ रहे हैं। इन्हें पहला झटका तभी लग गया था, जब कैबिनेट के दो मंत्रियों को शपथ ग्रहण के अगले ही दिन उप्र में हुए रेल हादसे के बाद घटनास्थल का दौरा करने को कह दिया गया था। हमारे देश में ऐसी छोटी-मोटी घटनाओं में मंत्रियों द्वारा दौरा करने की परंपरा नहीं रही है। यहां तक भी ठीक था, लेकिन अब कह दिया गया है कि मंत्री अपने निजी स्टाफ में अपने रिश्तेदारों को नहीं रख सकते। इसके बाद से ही अनेक मंत्रियों को मंत्री पद बोझ लगने लगा है। उन्हें अचानक महसूस होने लगा है कि वे एक सांसद के रूप में भी देश और जनता की भली-भांति सेवा कर सकते हैं। ऐसे लोगों में शामिल एक मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘कुछ मंत्री इसके बाद भी मन मारे हुए थे, लेकिन अति तो तब हो गई, जब प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से पूछ लिया कि वे अगले 100 दिन में क्या करने वाले हैं, इसकी योजना बनाकर दें। अब प्रधानमंत्री को यह कैसे लिखकर दे दें कि अगले 100 दिनों में हमारी योजना कितनी मौज-मस्ती करने की थी। यह भी कोई लिखकर देने की चीज है भला! इसीलिए मुझ सहित कम से कम दर्जन भर मंत्रियों ने अब पद छोड़ने का मन बना लिया है। भाड़ में जाए ऐसा मंत्री पद!’
सूत्रों का कहना है कि इन मंत्रियों के सामने दिक्कत यह आ रही है कि वे ऐसे ही पद कैसे छोड़ देें। अभी इतने दिन भी नहीं हुए कि अपने उपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप लगवा लें ताकि प्रधानमंत्री उन्हें बर्खास्त कर सकें। इसलिए वे ऐसी योजना बना रहे हैं कि कोई उन्हें संगठन में काम करने को कह दें। लेकिन समस्या यह भी है कि संगठन से भी कोई मंत्री बनने को तैयार होगा या नहीं, यह साफ नहीं है। 

गुरुवार, 29 मई 2014

गृहिणियों ने आलू की जगह गोल्ड का इस्तेमाल शुरू किया

होटलों ने भी मेनू में शामिल की गोल्ड बेस्ड कई नई डिशेज

 

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
गोल्ड पनीर मसाला।

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद सोने के दामों में भारी गिरावट का दौर जारी है। देश की प्रमुख मंडियों में आज सोने के थोक भाव 1200 रुपए क्विंटल बोले गए। खुदरा में यह अलग-अलग शहरों में 18 से 20 रुपए प्रति किलो में बिक रहा है।
सोने के दामों में आई गिरावट का असर घरों के किचन में साफ नजर आ रहा है। आलू के खुदरा में 20 से 25 रुपए किलो मिलने के कारण गृहिणियां अब सब्जियों में आलू के स्थान पर सोने के डलों का इस्तेमाल कर रही हैं। सरस्वती नगर की श्रीमती आरती ने बताया कि वे सोने के साथ नित नए प्रयोग कर रही हैं। इससे गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों को भी खाने में नए आइटम मिल रहे हैं तो उनके पति की जेब पर भी बोझ कम हो रहा है। नूतन नगर की श्रीमती सावित्री के अनुसार टमाटर और प्याज के इतना महंगा होने के कारण अब सब्जियों में सोने की प्यूरी डालना तो उनकी मजबूरी है। उधर, नाश्ते में बच्चों को पारले-जी के स्थान पर सोने के बिस्किट खिलाए जा रहे हैं।
गोल्ड पनीर मसाला से लेकर स्वर्ण मटर तक: प्रमुख होटलों ने भी सोने को लेकर कई नई डिशेज अपने मेनू में रख दी है। इनमें गोल्ड पनीर मसाला, स्वर्ण कोफ्ता, गोल्ड पसंदा, गोल्ड वेज बिरयानी, स्वर्ण मखानी, गोल्ड रायता, सोने की भूर्जी, स्वर्ण मटर, स्वर्ण कुरकुरी इत्यादि शामिल हैं। छोटे ढाबे वालों ने सलाद में प्याज के स्थान पर सोना रखना शुरू कर दिया है।
दाम और गिरेंगे: बाजार के सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में जैसे-जैसे मोदी सरकार मजबूत होती जाएगी, सोने के दामों में और भी गिरावट आती जाएगी। बाजार के पंडित तो अब चांदी के दामों में भी गिरावट की बात कर रहे हैं। यह अब भी आम लोगों की पहुंच से दूर बनी हुई है।

बुधवार, 28 मई 2014

बालकृष्ण को कैबिनेट मंत्री बनवाना चाहते थे बाबा रामदेव!

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

बाबाजी, कुछ लाॅबिंग करो ना!

यह सवाल काफी शिद्दत के साथ पूछा जा रहा है कि आखिर नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बाबा रामदेव शामिल क्यों नहीं हुए। पहले माना जा रहा था कि वे भाजपा के अपने कुछ खास अनुयायियों को मंत्रिमंडल में शामिल करवाना चाहते थे। लेकिन अब विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि वे अपने सबसे प्रिय सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को कैबिनेट मंत्री बनवाना चाहते थे। उन्होंने इस संबंध में मोदी से भी बात की थी। लेकिन बताया जाता है कि मोदी ने इससे साफ इनकार कर दिया, क्योंकि बालकृष्ण किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसे में उन्हें कोई मंत्री पद देना ठीक नहीं रहता।
तो वाराणसी सीट खाली कर दो: सूत्रों के अनुसार मोदी के इस तर्क पर कि बालकृष्ण किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, बाबा रामदेव ने उनसे (मोदी से) वाराणसी सीट खाली कर तत्काल चुनाव करवाने की मांग कर दी। बाबा का कहना था कि एक ही इलाका होने के कारण वाराणसी सीट से बालकृष्ण का चुनाव लड़ना ज्यादा मुफीद रहेगा। इससे वे वाराणसी की सीट भी संभाल सकेंगे, मंत्री पद भी और हरिद्वार में बाबाजी का आश्रम भी। लेकिन मोदी ने इससे भी इनकार कर दिया।
अंतिम समय तक उम्मीद नहीं छोड़ी: बताया जाता है कि राष्ट्रपति भवन में आयोजित सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में बाबा रामदेव ने अपनी जगह पर बालकृष्ण को इसीलिए दिल्ली भेजा था कि अंतिम समय में अगर मोदी का हृदय परिवर्तन हो जाए तो बालकृष्ण वहीं शपथ लेने के लिए तैयार मिले। लेकिन मोदी अड़े रहे।
अब एसआईटी की कोशिश: सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार ने काले धन पर जो एसआईटी बनाई है, बाबाजी उसके लिए लाॅबिंग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि मंत्री पद न सही, बालकृष्ण को एसआईटी का सदस्य ही बना लिया जाए। आखिर बाबा रामदेव ने ही काले धन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था।

डिग्री दलाल संघ ने स्मृति ईरानी से कहा- हम दिलवाएंगे डिग्री

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के डिग्री विवाद पर जहां सरकार की थू-थू हो रही है, वहीं कई लोग उनके समर्थन में भी आगे आए हैं। राष्ट्रीय डिग्री दलाल संघ ने कहा है कि स्मृति चाहें तो हमसे डिग्री ले सकती हैं। डिग्री दिलाना हमारे बाएं हाथ का काम है।
चूंकि स्मृति केवल बारहवीं पास हैं। ऐसे में विपक्षी उनकी योग्यता पर सवाल उठाने लगे हैं। मंगलवार को कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने भी इस पर कटाक्ष किया था। इसके बाद से ही यह विवाद बढ़ता जा रहा है। ऐसे में डिग्री दलाल संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामावतार प्रसाद ने स्मृति ईरानी को एक सशर्त आॅफर दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर स्मृति चाहें तो वे उन्हें एक माह के भीतर ग्रेजुएट की डिग्री, छह माह में पेास्ट ग्रेजुएट की डिग्री और एक साल में पीएचडी की डिग्री मुहैया करवा सकते हैं। रामावतार ने कहा है कि इस संबंध में उनके पास काफी पुराना अनुभव है। गौरतलब है कि इससे पहले डिग्री दलाल संघ मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को भी डिग्री आॅफर कर चुका है। हालांकि तेंदुलकर ने उसे ठुकरा दिया था।
बीएड करेंगी स्मृति: इस बीच अपुष्ट सूत्रों से पता चला है कि शिक्षा मंत्री होने के नाते स्मृति सबसे पहले बीएड करेंगी। गौरतलब है कि शिक्षा का कानून अधिकार के तहत अब शिक्षकों का प्रशिक्षित होना यानी बीएड या डीएड होना अनिवार्य है। इसी के मद्देनजर स्मृति को यह फैसला लेना पड़ा। हालांकि अपनी व्यस्तता को देखते हुए वे पत्राचार माध्यम से बीएड करेंगी।

सोमवार, 26 मई 2014

प्रियंका गांधी को मिलेगा पहला दादा साहेब आडवाणी पुरस्कार

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

केंद्र में नरेंद्र मोदी की नई सरकार ने अपने पहले फैसले पर मोहर लगा दी है। इसके तहत राजनीति के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के  लिए ‘दादा साहेब आडवाणी पुरस्कार’ शुरू किया जाएगा। यह अवार्ड पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी के नाम पर रखा गया है। डैब्यू अवार्ड प्रियंका वाड्रा गांधी को दिया जाएगा।
सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद देर रात को गुजरात भवन में हुई कैबिनेट की पहली अनौपचारिक बैठक में यह फैसला लिया गया। हालांकि सूत्रों के अनुसार इसकी रूपरेखा उसी समय बन गई थी, जब नरेंद्र मोदी चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से मिले थे। उस समय मोदी ने संघ को साफ कर दिया था कि वे आडवाणी को अपने मंत्रिमंडल में लेने में सहज नहीं हैं। ऐसे में तय किया गया कि उनके नाम पर कोई पुरस्कार शुरू कर दिया जाए ताकि उनकी प्रतिष्ठा भी बनी रहे और उन्हें कैबिनेट में लेने की जरूरत भी नहीं पड़े। चूंकि आडवाणी फिल्मों के शौकीन हैं, इसलिए इस पुरस्कार का नाम ‘दादा साहेब फालके पुरस्कार’ की तर्ज पर ही रखा गया।
किन्हें मिलेगा पुरस्कार: यह पुरस्कार हर माह उन लोगों को दिया जाएगा जिन्होंने राजनीति में अपना जीवन खपा दिया। इसीलिए सबसे पहले यह पुरस्कार प्रियंका वाड्रा गांधी को देने का निश्चय किया गया है। प्रियंका ने इन चुनावों में उत्तरप्रदेश में कांग्रेस को दो सीटें दिलवाने में अपनी गर्मी की पूरी छुट्टियां कुर्बान कर दीं। इसके अलावा नई सरकार इसके माध्यम से यह संदेश भी देना चाहती है कि वह चुनाव प्रचार के दौरान कही गई कड़वी बातों को भूलकर आगे बढ़ने की इच्छुक है।

रविवार, 25 मई 2014

तिहाड़ में अरविंद की तबीयत खराब, अचानक खांसना बंद किया

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha


खांसी बंद हो गई, मैं क्या करूं!
मानहानि के मामले में पिछले करीब सप्ताह भर से तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की कल रात को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्होंने खांसना  बंद कर दिया, जिससे जेल प्रशासन में खलबली मच गई।
तिहाड़ जेल के सूत्रों ने बताया कि अरविंद केजरीवाल जबसे जेल में आए, उसके बाद से ही उनकी खांसी  लगातार कम होती जा रही थी। लेकिन कल रात को तो खांसी पूरी तरह बंद हो गई। उनकी सुरक्षा में तैनात संतरियों ने करीब एक घंटे तक इंतजार किया। लेकिन जब केजरीवाल काफी देर तक नहीं खांसे तो उन्होंने अपने आला अफसरों को इसकी खबर दी। अफसरों ने आनन-फानन में डाॅक्टरों की एक टीम बुलाई। डाॅक्टरों ने जेल में ही उनका मुआयना किया और उन्हें ग्लूकोस के इंजेक्शन वगैरह दिए।
बाद में डाॅ़ वाॅलीबाॅल ने फेकिंग न्यूज को बताया कि केजरीवाल की हालत में सुधार आ रहा है। पिछले तीन घंटों में वे चार बार खांसे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले कुछ घंटों में उनकी खांसी नार्मल हो जाएगी।

अब पता चला, जेल क्यों गए अरविंद!
केजरीवाल ने जमानत लेने से इंकार क्यों कर दिया, इसका खुलासा अब हुआ है। यह खुलासा उनके एक बेहद करीबी माने जाने वाले एक नेता ने किया है। इस नेता ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल को थप्पड़ मारने और उन पर स्याही फेंकने की घटनाओं से उनके कुछ परिजन काफी आहत थे। इसीलिए इन परिजनों ने केजरीवाल को जेल जाने की सलाह दी, ताकि वे आने वाले समय में थप्पड़ खाने और स्याही फेंके जाने जैसी घटनाओं का शिकार होने से बचे रहे। हालांकि केजरीवाल इससे पूरी तरह सहमत नहीं थे। उनका कहना था कि बगैर थप्पड़ के तो उनकी राजनीति ही खत्म हो जाएगी। लेकिन बाद में वे इस आश्वासन के बाद राजी हो गए कि वे चाहे तो बीच-बीच में कैदियों के सहयोग से थप्पड़ वाले सीन क्रिएट कर सकते हैं।

तापमान में बढ़ोतरी की रिपोर्ट उत्साहजनक

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

 

मौसम विभाग की यह रिपोर्ट काफी उत्साहजनक है कि पूरे मप्र में हर साल औसत तापमान में   0.01 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही औसत बारिश में भी सालाना 1.81 मिमी की कमी आई है। इससे आने वाले सालों में हमें कई तरह के फायदे होंगे और प्रदेश तेजी से विकास के मार्ग पर प्रशस्त हो सकेगा। कुछ फायदे इस तरह से रेखांकित किए जा सकते हैं:
- प्रदेश में कूलर और एसी खरीदने वालों की संख्या बढ़ेगी। ऐसोकैम की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार इससे कूलर और एसी इंडस्ट्री में सालाना 66 फीसदी की विकास दर की संभावना है। इससे कम से कम 11 हजार लोगों को काम मिल सकेगा।
- प्रदेश में पानी की कमी होने का मतलब है कि कई घरों को आने वाले समय में पीने का पानी नसीब नहीं हो पाएगा। इससे वाॅटर इंडस्ट्री का तेजी से विकास हो सकेगा। भूजल दोहन संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले पांच सालों में पैकबंद पानी के उत्पादन में 112 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज होने का अनुमान है।
- आरओ वाॅटर फिल्टर बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी की इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार बारिश में गिरावट आने से भूजल के टीडीएस में बढ़ोतरी होगी। इससे कंपनी को प्रदेश में अपनी आरओ मशीनों की बिक्री में सालाना 178 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है।
- प्रदेश के अफसरों की एक लाॅबी भी इस रिपोर्ट से खुश में बताई जाती है। पानी की कमी होने से प्रदेश भर में नर्मदा पेयजल की डिमांड बढ़ेगी। इससे नर्मदा पाइप लाइन बिछाए जाने की योजनाएं बनानी पड़ेंगी, जिससे अफसरों को अपने विकास का मौका मिल सकेगा। 
कलंक से मुक्त होगा प्रदेश!
इस समय देश में सबसे ज्यादा जंगल मप्र में ही हैं। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि इतने प्रयासों के बाद भी हम जंगलों से मुक्त नहीं हो पाए हैं। लेकिन अब मौसम विभाग की इस ताजा रिपोर्ट ने उम्मीद जगाई है। इसके अनुसार बीते 60 सालों में जंगलों की अंधाधुंध कटाई हुई है। पर्यावरण विनाशवादियों ने उम्मीद जताई है कि अगर यही रफ्तार जारी रही तो हम अगले एक दशक में इस कलंक से मुक्त हो जाएंगे। इसमें उन्होंने वन मकहमे से महती भूमिका निभाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि बिल्डर्स, डेवलपर्स के साथ आम जनता को भी इसके लिए आगे आना होगा।
हम साथ हैं: सिटीजन फोरम
राजधानी के एक सिटीजन फोरम ने कहा है कि वह इस दिशा में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ेगा। फोरम ने कहा है कि उसके सदस्य पेड़ तो नहीं काट सकते, लेकिन जमीन के भीतर पानी को कम करने में अपना पूरा योगदान दे सकते हैं।

शनिवार, 24 मई 2014

नवाज के साथ पाकिस्तान जाएंगे राहुल!

- पाक आर्मी और नवाज शरीफ के बीच हुई गोपनीय डील 

- पाकिस्तान के राजनीतिक दलों में मची खलबली

 

 जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अंततः भारत के भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पाक आर्मी की अनुमति मिल गई है। लेकिन इसके लिए आर्मी ने नवाज के साथ एक ऐसी डील की है, जिससे पाकिस्तान के राजनीतिक दलों के भविष्य पर सवालिया निशान लग सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों के बीच जो डील हुई है, उसके अनुसार नवाज वापसी में अपने साथ राहुल गांधी को भी कुछ दिनों के लिए पाकिस्तान लेकर आएंगे। पाकिस्तान में राहुल को विभिन्न राजनीतिक दलों के संगठनों को दुुरुस्त करने को कहा जाएगा। आश्चर्य की बात है कि इनमें स्वयं नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग भी शामिल है। माना जा रहा है कि नवाज इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन सेना के दबाव में उन्हें इस डील को स्वीकारना पड़ा। इस बीच, इस गोपनीय डील के बारे में पाकिस्तान के स्थानीय मीडिया में खबरें चलते ही वहां के राजनीतिक दलों में खलबली मच गई है। स्थानीय खबरों के अनुसार वहां की एक प्रमुख पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने पाकिस्तान निर्वाचन आयोग से अपनी पार्टी की मान्यता समाप्त करने का आग्रह कर दिया है।
क्या है आर्मी का गेम प्लान?
पाकिस्तान आर्मी का गेम प्लान बहुत ही साफ है। सूत्रों के अनुसार भारतीय अनुभवों के मद्देनजर पाकिस्तान आर्मी का मानना है कि अगर राहुल गांधी पाकिस्तान के राजनीतिक सिस्टम को सुधारने की पहल करते हैं तो इससे भविष्य में उसके लिए राह और आसान हो जाएगी। पाकिस्तान के जाने-माने पाॅलिटिकल एनालिस्ट हामिद रजा का इस पर कहना है कि पाकिस्तान के लिए यह अच्छे संकेत नहीं हैं। अगर आर्मी अपने मकसद में कामयाब हो गई और राहुल पाकिस्तान आ गए तो देश की जम्हूरियत पर संकट खड़ा हो जाएगा। बकौल रजा, राहुल तो कुछ समझते नहीं, लेकिन उनकी अम्मी जान समझदार हैं और उम्मीद है कि वे राहुल को पाकिस्तान आने से रोक लेंगी।

शुक्रवार, 23 मई 2014

घुटनों पर बैठे नवाज को सेना ने खूब फटकारा

हाथ लगा एक वीडियो टेप, इसमें सेना से भारत जाने की अनुमति मांग रहे हैं नवाज

 

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha
मेरी क्या गलती! मैंने थोड़े ही न्योता मांगा था।

भारत सरकार द्वारा नरेंद्र मोदी की ओथ टेकिंग सेरेमनी में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज षरीफ को भेजा गया न्योता स्वयं उनके लिए मुसीबत बन गया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार गुरुवार रात को सेना ने नवाज को तलब किया और इसके लिए उन्हें खूब फटकार लगाई। सेना और नवाज के बीच क्या बातचीत हुई, इसका एक वीडियो टेप हाथ लगा है। इसमें नवाज घुटनों के बल बैठे हुए हैं। सेना के एक सीनियर अफसर के हाथ में कोड़ा है और वह उसे बार-बार जमीन पर फटकार रहा है। यहां प्रस्तुत है दोनों के बीच बातचीत के मुख्य अंष (पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री की गरिमा के मद्देनजर इसमें से वे हिस्से निकाल दिए गए हैं, जिनमें काफी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया):
सेना: नवाज, यह हम क्या सुन रहे हैं। मोदी की नई सरकार ने तुम्हें भारत आने का न्योता दिया है?
नवाज: मालिक, इसमें मेरी क्या गलती! मैंने थोड़े ही न्योता मांगा था।
सेना: बीप...बीप...। जुबान लड़ाते हो!
नवाज: मेरा मतलब यह नहीं था। बिन मांगे मुसीबत आ गई है। अब आप ही कोई रास्ता सुझाएं मालिक।
सेना: अटल बिहारी की सरकार के समय भी तुमने खूब होषियारी दिखाई थी। इस बार ज्यादा तेज चलने की कोषिष न करना।
नवाज: बिल्कुल मालिक। आप कहें तो मैं करगिल-2 की तैयारी षुरू कर दूं?
सेना: अच्छा, अब हमारी बिल्ली हमसे ही म्याउं! टांट मार रहे हो हम पर। तुम तो चाहते ही हो कि हम फिर मुंह की खाएं।
नवाज: तो आप बताओ, हम क्या करें?
सेना: देखो, हमारा प्राइम कंसर्न दाउद है। मोदी के आने के बाद दाउद सदमे में चला गया है। उसकी कुषलक्षेम पूछी कि नहीं!
नवाज (सिर खुजलाते हुए): नहीं जी, वो तो मैं भूल गया ।
सेना: क्या फटीचर पीएम हो। एक भी काम ढंग से नहीं कर सकते। (इसके बाद सेना के उस अफसर ने जमीन पर इतना जमकर कोड़ा फटकारा कि नवाज एक कोने में जाकर दुबक गए)।
सेना: इधर, सामने आओ। हमें बताओ कि न्योता स्वीकार करते समय क्या तुम्हें अपने आतंकी भाइयों की एक मिनट के लिए भी फिक्र नहीं हुई!
नवाज: जी, वो तो अपना काम कर रहे हैं ना! हमारी फिक्र से उनकी सेहत पर कोई असर पड़ता है क्या! (नवाज ने अब थोड़ी हिम्मत दिखाई)
सेना: लेकिन मोदी पूछेगा कि आतंकियों का तुम क्या करोगे तो क्या जवाब दोगे?
नवाज (फुल कान्फीडेंस के साथ): मैं कहूंगा - बाबाजी का ठुल्लू।
सेना (हंसते हुए): वाह, बहुत बढ़िया। यह हुई ना मर्दों वाली बात।
फिर पूरे हाॅल में बाबाजी का ठुल्लू... बाबाजी का ठुल्लू का गाना बज उठा। सेना के अफसरों ने कोड़े हाथ से गिरा दिए हैं। वे स्टाइल कर-करके नाच रहे हैं।
नवाज (डरते हुए): अब मैं जाउं?
सेना: कहां?
नवाज: इंडिया।
सेना: बताते हैं। अभी तो तुम घर जाओ।
नवाज आर्मी हेडक्वार्टर से निकल रहे हैं। गाने की आवाज और तेज हो गई है।

गुरुवार, 22 मई 2014

रिमोट कंट्रोल का आत्मकथ्य

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

मैं रिमोट कंट्रोल। आप सब मुझसे परिचित होंगे ही। लेकिन आप आम लोगों के लिए मैं ठहरा टीवी का रिमोट कंट्रोल - बस बटन दबाते जाओ और इधर से उधर चैनल फेरते जाओ। लेकिन मैं टीवी इत्यादि जैसी छोटी चीजों से कहीं उपर हूं। भारतीय राजनीति को गहराई से जानने वाले लोग मेरा महत्व समझते है। वे जानते हैं कि मेरा महात्म्य कहीं ज्यादा है। छोटा मुंह बड़ी बात, लेकिन सच कहूं, अगर मैं न रहूं तो आप जिस लोकतंत्र का दंभ भरते हैं ना, वह एक कदम भी आगे न बढ़ पाए। देष की कोई भी पार्टी हो, वह रिमोट कंट्रोल के बगैर चल ही नहीं सकती। देष की सबसे पुरानी पार्टी का कंट्रोल एक परिवार के पास है और वह भी सालों से। दूसरी प्रमुख पार्टी का कंट्रोल भी एक अन्य परिवार करता है। यह अलग बात है कि वह मानता नहीं है। किसी भी राज्य में नजर दौड़ा लीजिए। पता चल जाएगा कि वहां केवल और केवल मेरा ही सिक्का चलता है। रिमोट हर जगह है-कही मैं किसी परिवार के हाथ में हूं तो कहीं किसी दबंग राजनेता के हाथ में। ज्यादा पहले की बात न करें। महाराष्ट्र में मुझे जमकर आदर मिला। एक कार्टून बनाने वाला बंदा जितनी मजबूती से हाथ में कूची थामे रहता था, उससे भी नजाकत से उसने रिमोट कंट्रोल को आॅपरेट किया। फिर बिहार में जब एक महिला ने राज्य की कमान संभाली तो उस समय भी मुझे बड़ा सम्मान मिला था। यह मैं नहीं कह रहा हूं। इतिहास में दर्ज है सब बातें।
और पिछले दस साल के बारे में तो मैं क्या बताउं! सोचकर ही खुषी से आंखों में आंसू आ जाते हैं। भारतीय राजनीति में यह मेरा स्वर्णिम काल रहा है। इतना असरदार इससे पहले मैं कभी नहीं रहा। मुझे बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि यह मैं ही था जिसके जरिए पूरा देष कंट्रोल होता रहा। कोई भी काम मेरे बगैर संभव ही नहीं था। अब दिल्ली में नई सरकार आई है। पता नहीं मेरा क्या होगा! माना पार्टियों में मुझे महत्व मिलता रहेगा, लेकिन जो बात सत्ता में है, वह और कहां।
पुनष्चः - इस बीच मेरे लिए एक राहत की खबर आई है। खबर है कि बिहार में सीएम बदल गया है। मुझे उम्मीद है कि नई दिल्ली की भरपाई पटना से हो जाएगी।
कार्टून: गौतम चक्रवर्ती

केजरीवाल की खातिर तिहाड़ में गिनीज की टीम

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का नाम जल्दी ही गिनीज बुक में षामिल हो सकता है। यह जानकारी स्वयं गिनीज के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दी है। सूत्रों के अनुसार केजरीवाल का नाम दुनिया में सर्वाधिक धरने देने के लिए गिनीज बुक में सम्मिलित किया जाएगा। इसके लिए गिनीज की एक टीम तिहाड़ जेल का दौरा कर सकती है, जहां केजरीवाल अपने हजारवें धरने पर बैठने वाले हैं।
इस बीच केजरीवाल के प्रस्तावित धरने को लेकर तिहाड़ जेल में सुरक्षा के प्रबंध और भी कड़े कर दिए गए हैं। जेल के अंदर धारा 144 लगा दी गई है, ताकि अन्य कैदी उनके साथ नहीं आ सकें। संभावना व्यक्त की जा रही है कि केजरीवाल जेल में ही कैदियों के बीच जनमत करवाकर राय जानने की कोषिष करेंगे कि उन्हें जमानत के लिए निजी मुचलका भरना चाहिए या नहीं।
‘आप’ में जष्न का माहौल: गिनीज में नाम दर्ज होने की संभावना को देखते हुए आम आदमी पार्टी में जष्न का माहौल है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि भले ही मोदी प्रधानमंत्री बन गए हो, लेकिन केजरीवाल की उपलब्धि उससे कहीं ज्यादा है। वे मुख्यमंत्री रहते हुए धरने पर बैठे। क्या मोदी प्रधानमंत्री रहते हुए धरने पर बैठ सकते हैं?

भ्रष्ट अफसरों को सम्मानित करेगी मप्र सरकार

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

मप्र सरकार ने अपने उन भ्रष्ट अफसरों को सम्मानित करने का फैसला किया है, जिन्होंने गलत तरीकों से संपत्ति अर्जित करके राज्य का नाम रोषन किया। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की अनौपचारिक बैठक में यह फैसला लिया गया।
सूत्रों के अनुसार सभी मंत्री इस बात पर सहमत थे कि राज्य का गौरव बढ़ाने वाले ऐसे अफसरों का सम्मान किया जाना चाहिए। एक वरिष्ठ मंत्री का मानना था कि मप्र कभी ‘बीमारू’ राज्यों में षामिल था। इसकी छवि बदलने में अतीत में नेताओं ने काफी मेहनत की। अब ये अफसर इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। आईपीएस अफसर मयंक जैन की खासतौर पर तारीफ की गई, जिनके घर पर लोकायुक्त छापों में अवैध रूप से अर्जित की गई करोड़ों रुपए की संपत्ति के दस्तावेज मिले। मंत्रिमंडल में आम राय थी कि ऐसे अफसर अपनी रिस्क पर प्रदेष का गौरव बढ़ाने का जो कार्य कर रहे हैं, वह अतुलनीय है। एक अन्य मंत्री ने जोषी दंपती को मप्र गौरव प्रषस्ति पत्र देने का प्रस्ताव रखा, जिसे मान लिया गया।
मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि जिस तरह से अफसरों के घर दौलत मिल रही है, उससे दुनियाभर में अच्छे संकेत जाएंगे और इससे राज्य में निवेष बढ़ेगा। उन्होंने खासतौर पर लोकायुक्त पुलिस की भी सराहना की जिनके विषेष प्रयासों से ऐसे अफसरों के मामले सामने आ रहे हैं और प्रदेष गौरवान्वित हो रहा है।
गौर फिर नाराज: सूत्रों के अनुसार प्रदेष के वरिष्ठ मंत्री बाबूलाल गौर इस पूरे मसले पर नाराज दिखाई दिए। अपनी नाराजगी जताते हुए वे बैठक से बाहर आ गए। बाद में पत्रकारों से पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हर नाराजगी का कारण होना कोई जरूरी थोड़े ही है। बाद में उन्होंने तत्काल प्रभाव से पत्रकारों को लंच पर आमंत्रित कर लिया। 

बुधवार, 21 मई 2014

कांग्रेस कैसे सत्ता में आए, इस पर राहुल गांधी करेंगे पीएचडी

जयजीत अकलेचा/Jayjeet Aklecha


थिसिस की पूर्व तैयारियों में व्यस्त राहुल बाबा।
देष में कांग्रेस का कायाकल्प करने और वर्ष 2019 में उसे सत्ता में लाने के लिए पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक इनोवेटिव आइडिया पर काम कर रहे हैं। इसके लिए राहुल ने पीएचडी करने का निर्णय लिया है। वे ‘कांग्रेस: हाउ टु रिटर्न इन टू द पाॅवर’ थीम पर पीएचडी करने जा रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष स्काॅटलैंड की प्रतिष्ठित एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से यह थिसिस करेंगे। इसके लिए वे अगले तीन साल तक स्काॅटलैंड के किसी एकांत स्थान पर रहेंगे। इस दौरान वे केवल अपनी माता श्रीमती सोनिया गांधी और बहन प्रियंका से ही मुलाकात करेंगे।
क्या होगा थिसिस में?:  
जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार थिसिस की मुख्य विषयवस्तु तो यही है कि देष में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को कैसे रोका जाए और किस तरह कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाकर पार्टी की वापसी कराई जाए। थिसिस के अन्य प्रमुख पाॅइंट इस तरह हैं:
- पार्टी की नीतियों व फैसलों में किस तरह से आम लोगों की भागीदारी बढ़ाई जाए।
- पिछले कुछ सालों के दौरान आम कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी नेतृत्व के संवाद में कमी आई है। इस संवाद को बढ़ाने के उपाय।
- सड़कों पर प्रदर्षन करने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं को किस तरह तैयार किया जाए।
- पार्टी के कई वरिष्ठ नेता केवल वातानुकूलित कमरों में बैठकर ही काम करते हैं। उन्हें कमरों से निकालकर फील्ड की राजनीति में कैसे झोंका जाए, इसकी कार्ययोजना पर कार्य।

राहुल मई 2017 तक यह थिसिस सबमिट कर देंगे। इसके बाद छह माह तक वे किसी पर्वतीय इलाके में छुट्टियों पर रहेंगे। जनवरी 2018 से वे अपनी इस थिसिस के आधार पर 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएंगे।

सोमवार, 19 मई 2014

बाबा रामदेव के नाम पर होंगे कई मार्ग

राजस्थान ने की पहल, मप्र में मची कलह

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha


भाजपा षासित अनेक राज्यों में उन तमाम मार्गों के नाम बाबा रामदेव रखे जाने की तैयारी की जा रही है, जहां अभी महात्मा गांधी मार्ग हैं। इसके अलावा बाबा रामदेव के नाम पर कुछ नए मार्ग भी बनाए जा सकते हैं। उधर भाजपा के पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संकेत दिए हैं कि केंद्र में सत्ता संभालने वाली मोदी सरकार एक समिति बनाने पर भी विचारकर रही है जो इस बात का पता लगाएगी कि मार्गों के अलावा किन संस्थानों के नाम बाबा रामदेव के नाम पर रखे जा सकते हैं। इसका अध्यक्ष अरुण जेटली को बनाया जा सकता है।
रविवार षाम को बाबा रामदेव के एक कार्यक्रम में भाजपा नेता अरुण जेटली ने बाबा रामदेव की तुलना महात्मा गांधी और जयप्रकाष नारायण से की थी। इसके बाद से ही भाजपा षासित राज्यों में इस संबंध में कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया था। राजस्थान में देर रात को ही दो षहरों में तीन मार्गों के नाम बाबा रामदेव मार्ग रख दिए गए। इनमें दो जयपुर और एक जोधपुर षहर में हैं। आज षाम तक 100 और मार्गों के नाम बाबाजी के नाम पर रखे जा सकते हैं। इस संबंध में दोपहर को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
मप्र में बढ़ी कलह: राजस्थान से उलट मप्र में मार्गों के नाम बाबा रामदेव के नाम पर रखे जाने और कुछ चैराहों पर बाबा की मूर्तियां स्थापित करने को लेकर पार्टी में अंदरूनी कलह मच गई है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री षिवराज सिंह बाबा रामदेव को इतना महत्व देने को लेकर हिचक रहे हैं। हालांकि बाबा के साथ उनके अच्छे संबंध है, लेकिन मोदी के खास अरुण जेटली द्वारा बाबा की तारीफ उन्हें रास नहीं आई है। इसके विपरीत बाबूलाल गौर ने राज्य का नाम ही बदलकर बाबा रामदेव प्रदेष करने की मांग उठा दी है।

दिग्गी का ट्वीट: इस बीच, बाबा रामदेव के कट्टर विरोधी माने जाने वाले दिग्गी राजा ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने पूछा है कि क्या अब रामदेव करोड़ों रुपए के अपने साम्राज्य को छोड़कर गांधीजी की तरह एक लंगोट में रहेंगे? इसका पलटवार करते हुए बाबा रामदेव फैन्स क्लब ने ट्वीट करते हुए कहा है कि कच्ची लंगोट वाले दूसरों की लंगोट की बात नहीं किया करते।

रविवार, 18 मई 2014

हे मोदी, ये तूने क्या मांग लिया!

- मोदी के सफाई अभियान को विरोधी दलों ने बताया फासीवादी विचार

- गुटखा-पाउच संघ सोमवार को प्रमुख सड़कों पर थूककर करेगा सांकेतिक विरोध


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में लोगों से सफाई अभियान में सहयेाग क्या मांगा, देषभर में इस पर कड़ी प्रतिक्रिया आई है। अनेक पान पीक अधिकार संघों ने इसकी तीखी आलोचना करते हुए इसे थूकने और कचरा फैलाने के संविधान में प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है। विरोधी दलों के नेताओं ने इसे देष में फासिस्ट युग की षुरुआत का संकेत बताया है।
नरेंद्र मोदी ने षनिवार षाम को बनारस में गंगा आरती के बाद वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि वे पूरे देष में सफाई अभियान षुरू करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने आम लोगों से भी इसमें सहयोग करने का आग्रह किया था।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नरेंद्र मोदी के इस आह्वान पर चुटकी लेते हुए कहा कि हमने पहले ही आगाह किया था कि मोदी के आने से देष में हिटलरषाही लागू हो जाएगी। मोदी का यह बयान इसी का संकेत है। दिग्गी राजा ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘लो भाइयो, अच्छे दिन आ गए। अब आप सड़क पर पान की पीक भी नहीं मार सकते।’
जदयू ने मोदी के इस आह्वान को घोर फासीवादी मानसिकता करार दिया है। समाजवादी पार्टी के आजम खान ने कहा कि मोदी ने सफाई अभियान की बात करके अल्पसंख्यकों को साफ करने के अपने साम्प्रदायिक एजेंडे को उजागर कर दिया है। ऐसे में सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को इसके खिलाफ एक हो जाना चाहिए। अखिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने ‘जोर-जुल्म की टक्कर में थूकना हमारा नारा है’ कहकर मोदी की आलोचना की है।
पान पीक संघों ने भी किया विरोध: अखिल भारतीय पान पीक मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक पानप्रसाद ने एक बयान में कहा कि पूरे देष ने मोदी को समर्थन दिया है। मोदी ने वोट मांगे, देष ने उन्हें वोट दिए। लेकिन अब मोदी चाहते हैं कि देष के निवासी पान खाकर इधर-उधर थूके नहीं, कचरा नहीं फेंकें। यह लोगों पर ज्यादती है और हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। गुटखा-पाउच पीक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री पराग ने कहा कि पान-तंबाकू खाकर सड़क पर पीक मारना और इधर-उधर कचरा फेंकना भारतीय संस्कृति का परिचायक है। यह हमारी प्राचीन परम्परा है और अब मोदी इसे छोड़ने का आह्वान रहे हैं। हम इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि संघ की राज्य इकाइयां सोमवार को सभी राज्यों की राजधानियों की प्रमुख सड़कों पर थूककर और कचरा फैलाकर एक दिनी सांकेतिक प्रदर्षन करेगी। जरूरत पड़ने पर ‘हम तो थूकेंगे’ अभियान चलाने पर भी विचार किया जाएगा।

दिग्गी का ट्विट: ‘लो भाइयो अच्छे दिन आ गए। अब आप सड़क पर पान की पीक भी नहीं मार सकते।’

शुक्रवार, 16 मई 2014

सोनिया माता, हम भक्तों के माथे यह हार


देषभर के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सोनिया व राहुल को लिखा संयुक्त पत्र


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

 

फोटो आभार: द इंडियन एक्सप्रेस
 

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त हार के बाद सोनिया और राहुल गांधी द्वारा खुद हार की जिम्मेदारी लेने की संभावना को देखते हुए कांग्रेसियों ने उन्हें एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने इन दोनों से आग्रह किया था कि वे कांग्रेस के भक्तों पर रहम करें और खुद भक्तों को हार की जिम्मेदारी स्वीकार करने का अमूल्य अवसर प्रदान करें। हमारे हाथ इस पत्र की एक काॅपी लगी है, जिसे हू-ब-हू प्रस्तुत किया जा रहा है।

आदरणीया सोनिया माताजी और राहुल भैयाजी,
सादर चरण वंदन
पूरी पार्टी इस बात से बेहद आहत है कि चुनावों में हुई हार की जिम्मेदारी आपने उठाई है। पार्टी में मौजूद प्रत्येक कांग्रेस भक्त यह मानने को तैयार नहीं है कि यह हार आपकी वजह से हुई है। इसकी नैतिक से लेकर अन्य तमाम जिम्मेदारियां आप हम भक्तों को उठाने का मौका देंगे तो आपके आभारी रहेंगे।
आपने जो किया, वह कम नहीं है। इतनी धूप में आप इस पार्टी के लिए घूमे। पूरे इतिहास में ढूंढ लिजिए, इतना बड़ा त्याग कहीं नहीं मिलेगा। और उधर, आदरणीया प्रियंका दीदी तो हम भक्तों के लिए मानो देवी बनकर उतरी। उनका ऐसा अवतार देखकर तो हम भक्त इतने आल्हादित हुए कि हम इस हार का गम भुला देंगे। उनके दर्षन मात्र से ही हम धन्य हो गए। हार-जीत तो आनी-जानी है।
अब श्रीयुत् मनमोहन सिंहजी रिटायर हो गए हैं। इसलिए पार्टी उनके खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं कहेगी। लेकिन फिर भी हम भक्तों का मानना है कि इतनी बड़ी हार के लिए उन्हें खुद आगे आकर जिम्मेदारी उठानी चाहिए। आखिर आपने क्या नहीं किया उनके लिए? खैर, आपने उन्हें कुर्सी पर बिठाया, इसलिए वे हमारे लिए भी श्रद्धेय हैं। इसलिए हम भक्त उनके बारे में और कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन माननीय मनमोहन सिंहजी से इतनी उम्मीद तो करते हैं कि भले ही मुंह न खोलें, लिखकर ही हार का ठिकरा अपने सिर पर फोड़ेंगे तो यह कांग्रेस की मान्य परंपरा के अनुकूल होगा।
इस हार के लिए अगर सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं तो वे हैं आम मतदाता। आम मतदाताओं के जनादेष का पूर्ण सम्मान करते हुए भी हमारा मानना है कि इस बार मतदाता इतने अंधे और पगला गए थे कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के आदर्ष प्रतिमानों को धूल-धूसरित कर दिया। इतना नीच मतदान तो इससे पहले कभी नहीं देखा गया। कांग्रेस इतिहासकार उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
माताजी और भैयाजी, अंत में हम आपसे फिर हाथ जोड़कर इतना ही कहना चाहेंगे कि आप हमारा नेतृत्व करके हमें धन्य करते रहेंगे। हम आपका साथ तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि पूरा देष कांग्रेस मुक्त नहीं हो जाता।

जय सोनिया मैया, जय राहुल भैया
आपके ही भक्त

गुरुवार, 15 मई 2014

छह अंधे और सत्ता का हाथी

जयजीत अकलेचा

छह अंधे बहुत दिनों से बेकार बैठे हुए थे। एक दिन उन्हें पता चला कि लोकतंत्र के जंगल में सत्ता का हाथी भटक रहा है। पहले वे एक हाथी को छूकर ज्ञानी हो चुके थे। उन्होंने सोचा, चलो इस बार सत्ता के इस हाथी का परीक्षण करते हैं। सभी उसके पास पहुंचे। पहले अंधे ने हाथी के पेट को हाथ लगाया तो वह बोला- अरे यह तो दीवार है। यानी सत्ता दीवार होती है। बाकी अंधे बोले, एक्सप्लेन इट। पहला अंधा- ‘दीवार और सत्ता का निकट संबंध है। पहले वोटों के लिए जाति, धर्म, संप्रदाय की दीवारें खड़ी कर दो और फिर कुर्सी के लिए विचारधारा की दीवारों को गिरा दो। देखना, एक-दो दिन में यही होने वाला है।‘
अब दूसरा अंधा हाथी के मुंह की तरफ बढ़ा। उसने सूंड को हाथ लगाया तो बोल उठा- ‘यह दीवार नहीं, सर्प है, घातक जहरीला सांप।’ उसने टीवी पर किसी के मुंह से सुन रखा था कि सत्ता जहर के समान होती है। तो उसने अपना फैसला सुना दिया कि सत्ता या तो सांपनाथ होती होगी या नागनाथ। वैसे भी पिछले डेढ़-दो महीनों के दौरान लोकतंत्र के जंगल में इतना विष वमन हो चुका था कि उसे यह फैसला करने में देर नहीं लगी।
तीसरा अंधा हाथी की पूंछ के पास पहुंचा। उसे छूकर बोला, ‘सत्ता रस्सी होती है, रस्सी। इसके सहारे खुद उपर चढ़ते जाओ। फिर अपने सगे-संबंधियों को भी चढ़ा लो। सुना है कि कोई जीजाश्री सत्ता की ऐसी ही रस्सी के सहारे काफी उपर पहुंच गए हैं।’
अब चैथे की बारी थी। उसने हाथी के पैर को छूआ तो ऐसा उत्साह से भर गया मानो सत्ता का रहस्य उसी ने ढूंढ़ लिया हो। चिल्लाकर बोला, ‘सत्ता और कुछ नहीं, पेड़ का तना है। आंधी चल रही हो तो इससे चिपक जाओ। उड़ोगो नहीं और फिर लता की तरह उस पर रेंगते रहो। देखना, ऐसी ही कई लताएं फलती-फूलती नजर आएंगी।’
पांचवें अंधे ने हाथी के कानों को छूआ तो बोला, ‘ तुम सब गलत हो। सत्ता तो सूपड़ा है। सूपड़े का तो नेचर ही होता है कि जो काम के नहीं हैं, हल्के हैं, उन्हें झटक दो। भारी वहीं बने रहते हैं। पिछले 60 साल से सत्ता का यह हाथी ऐसे ही काम करते आया है।’
छठे ने सोचा, बहुत बकवास हो गई। मैं देखता हूं। वह हाथी के दांतों के पास पहुंचा और उन्हें छूकर बोलो, ‘अरे मूर्खो, सत्ता तो तलवार है, दोधारी तलवार। सही इस्तेमाल करोगे तो यह आपकी जीत का मार्ग प्रषस्त करेगी, लेकिन जरा-सी लापरवाही आपको ही काट देगी। सुना है कोई नया आदमी अब तलवार घुमाने आने वाला है।’
तो छह अंधे, छह बातें। यानी कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन। इतने में पास से एक समझदार किस्म का बंदा गुजरा। षायद वह कोई विष्लेषक था और पिछले डेढ़ महीने से टीवी पर आ-आकर और भी समझदार बन गया था। अब अंधों ने उसे ही फैसला करने को कहा। उसने कहा- ‘तुम सब सही हो। सत्ता का हाथी ऐसा ही होता है। अच्छी बात यह है कि तुम लोगों ने अंधे होकर भी सत्ता के इस हाथी को पहचान लिया, जबकि अनेक आंखवाले देखकर भी अंधे बने रहते हैं। इसीलिए सत्ता का यह हाथी अपनी चाल चलता रहता है।’
कार्टून: गौतम चक्रवर्ती

बुधवार, 14 मई 2014

इंडियन पपेट आर्ट एकेडमी के चेयरमैन बनेंगे मनमोहन सिंह!

जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही पूछा जा रहा है कि अब वे क्या करेंगे? माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह किसी अकादमी के प्रमुख बनाए जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार उन्हें इंडियन पपेट आर्ट एकेडमी का चेयरमैन बनाने का प्रस्ताव है। पिछले दस सालों में उन्होंने भारतीय राजनीति में कठपुतली कला को जिस तरह से प्रोत्साहित किया, उसके लिए वे इस पद के सर्वथा उपयुक्त माने जा रहे हैं। अहमद पटेल को एकेडमी का आजीवन सचिव और दिग्विजय सिंह को अगले सात जनम तक के लिए ट्रस्टी बनाया जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि निवर्तमान केंद्रीय मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों को भी इस एकेडमी में जगह मिल सकती है। गौरतलब है कि पपेट आर्ट एकेडमी की स्थापना 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पहल पर की गई थी।
मूक बच्चों के गुडविल एम्बेसडर बनने को राजी सिंह: इस बीच, एक अच्छी खबर यह आई है कि मनमोहन सिंह भारत में मूक बच्चों के हितार्थ गुडविल एम्बेसडर बनने को तैयार हो गए हैं। इस संबंध में बुधवार सुबह संयुक्त राश्ट्र के महासचिव बान की मून ने मनमोहन सिंह से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की। मनमोहन सिंह ने इशारों ही इशारों में इसके लिए हामी भर दी। यह ऐसा पहला मौका होगा जब कोई्र प्रधानमंत्री स्तर का नेता इतने बड़े सोशल काॅज के लिए राजी हुआ है।